The ancient knowledge of Ayurveda has reemerged, offering a revitalizing and holistic approach to skincare in a world dominated by modern beauty products and invasive surgeries. The traditional Indian medical system known as Ayurveda understands that true beauty comes from taking care of the body from the inside out. Ayurveda offers a time-tested treatment for aged skin that values authenticity and sustainability by utilizing natural treatments and antiquated traditions.
Aging skin requires care, especially natural solutions that don't let your skin give away your age. Let's explore the various herbs that help achieve a youthful glow, better known as the age-old Nani ke nuskhe:
Turmeric: A Golden Treasure for Skin Enhancement
This radiant spice has potent anti-inflammatory and antioxidant properties. Create a golden paste by mixing turmeric powder with honey or milk, and gently apply it to your face. Let the transformative magic unfold as the paste reduces inflammation and reveals a newfound radiance. Simply apply the turmeric-infused paste on your face and leave it on for 15-20 minutes. Rinse off the mask with warm water and unveil an improved complexion that beams with natural beauty.
Aloe Vera: Nature's Soothing Elixir for Skin
Known for its soothing and healing properties, aloe vera replenishes lost hydration and leaves your skin soft, supple, and glowing with vitality. Simply apply fresh aloe vera gel directly to your skin and experience its refreshing and nourishing effects. Gently massage the cool gel onto your face. Regular use of aloe vera gel can even help reduce the appearance of fine lines and wrinkles, giving you a youthful and radiant complexion.
Neem: Nature's Shield for Clear and Healthy Skin
Neem, within the realm of skincare, is known for its potent antibacterial and antifungal properties, making it a remarkable guardian for your skin. This extraordinary plant offers a natural solution for treating acne and combating various skin infections. Harnessing its power is as simple as creating a paste by grinding neem leaves with water and gently applying it to the affected area. Allow the paste to work its magic, leaving it on for 15-20 minutes before rinsing it off. Experience the transformative effects of neem as it revitalizes your skin, providing a natural solution for clearer and healthier skin.
Sandalwood: A Fragrant Marvel for Rejuvenating Skin
Sandalwood is versatile, catering to different skin types. For dry skin, create a paste with sandalwood powder, honey, and olive oil. It soothes and moisturizes skin, revealing a refreshed complexion. For oily skin, mix sandalwood powder, fuller's earth, and lemon juice. It absorbs excess oil and unclogs pores, leaving a fresh, matte finish. Apply the mask to your skin and leave it on for 10-15 minutes. After the mask has dried, rinse it and experience the transformative effects of sandalwood for radiant and balanced skin.
Rosewater: A Gentle Elixir for Skincare
Revitalize your skincare routine with the enchanting properties of rosewater. This gentle elixir effortlessly harmonizes with your skin, maintaining its pH balance and providing hydration. Experience its calming effect as it reduces redness and reveals a refreshed complexion. Enjoy the convenience of using rosewater as a natural makeup remover, allowing your skin to breathe freely and luxuriate in the soothing essence of roses. Let rosewater be your go-to elixir, infusing your skincare ritual with its delicate and transformative touch.
Shatavari: Nourishing Elixir for Skin Health
In the realm of Ayurvedic skincare, Shatavari, though not traditionally used directly on the skin, holds incredible potential to nurture your skin's health through internal consumption. Available in various forms, such as powder, capsules, or liquid extract, Shatavari is often consumed as a dietary supplement. Indulge in the timeless ritual of taking Shatavari orally, either with warm water or milk, to unlock its holistic benefits.
In a world where quick fixes and instant results often dominate, Ayurveda offers a profound reminder to slow down, connect with nature, and prioritize our inner health. The Ayurvedic beauty secrets for aging skin provide a natural and sustainable path to achieving youthful, glowing skin that radiates from the inside out. It's the perfect time to incorporate the goodness of Ayurveda into our daily beauty regimes. (Dr. Kriti Soni)
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एलोवेरा जूस की जानकारी - Aloe Vera Juice in Hindi
एलोवेरा या घृतकुमार के पौधों से एलोवेरा जूस बनाया जाता है। यह पूर्णतया प्राकृतिक होता है और इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें मौजूद विटामिन ए, सी, ई, बी, फोलिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व मानव शरीर के स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट भी मौजूद होता है जो कई घातक बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
एलोवेरा जूस के फायदे - Aloe Vera Juice Benefits in Hindi
एलोवेरा जूस में विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जिसकी वजह से इसके सेवन से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं।
चमकदार त्वचा: त्वचा के लिए एलोवेरा जूस बेहद फायदेमंद साबित होता है। यह त्वचा संबंधी रोगों में उपयोगी साबित होता है और दाग-धब्बों को कम करता है। रूखी - सूखी त्वचा (डेड स्किन) को पुनर्जीवित करता है और साथ ही त्वचा के रंग को भी सुधारता है।
बालों के लिए सेहतमंद: एलोवेरा जूस बालों को मजबूत और चमकीला बनाता है।
पेट की समस्याओं को कम करने में मदद करता है
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है
इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है
शरीर में विषैले पदार्थों को खत्म करने में मदद करता है
एलोवेरा जूस से संबंधित प्रश्न - Aloe Vera Juice FAQ's in Hindi
एलोवेरा जूस कितने दिन तक पीना चाहिए?
एलोवेरा जूस को कितने दिनों तक पीना चाहिए यह आपके स्वास्थ्य के स्थिति और एलोवेरा जूस की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। यदि आप किसी तरह की बीमारी से पीड़ित हैं या कोई औषधि ले रहे हैं, तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए
एलोवेरा कौन कौन सी बीमारी में काम आता है?
एलोवेरा के उपयोग से निम्नलिखित बीमारियों में लाभ हो सकता है:
त्वचा समस्याएं: एलोवेरा त्वचा के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसे त्वचा से जुड़ी कुछ समस्याओं जैसे कि एक्ने, डार्क स्पॉट्स, सूखी त्वचा आदि के इलाज में उपयोग किया जाता है।
पाचन विकार: एलोवेरा उपाय पाचन के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। यह अपच, गैस, एसिडिटी आदि जैसी समस्याओं के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।
शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द: एलोवेरा शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इसे घुटनों, कमर आदि के दर्द को कम करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
बालों की समस्याएं: एलोवेरा को बालों की समस्याओं जैसे कि रूसी, असमय झड़ते बाल, और सूखे बालों के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।
एलोवेरा कब नहीं पीना चाहिए?
एलोवेरा जूस के सेवन के बारे में सावधानियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं।
गर्भवती महिलाएं: एलोवेरा जूस का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए असुरक्षित हो सकता है क्योंकि यह पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और गर्भपात के खतरे को बढ़ा सकता है।
खून की थकान: एलोवेरा जूस में उपस्थित एन्जाइम कुछ लोगों में थकान, चक्कर, त्वचा पर लाल दाने, जैसे लक्षणों का कारण बन सकते हैं।
दवाओं के साथ सेवन: अगर आप दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो एलोवेरा जूस का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें। एलोवेरा जूस कुछ दवाओं के साथ संयुक्त रूप से सेवन करने पर उनके प्रभावों को बढ़ा सकता है जिससे आपको अनुचित परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
सड़न वाली त्वचा: एलोवेरा जूस त्वचा के अलर्जिक विकारों, जैसे बड़ी मात्रा में एसिडिटी, सड़न या सूखापन की समस्याओं को बढ़ा सकता है।
एलोवेरा के साइड इफेक्ट क्या है?
एलोवेरा एक प्राकृतिक उपचार है जो त्वचा, बाल और शरीर के लिए फायदेमंद होता है। इसके बावजूद, कुछ लोगों को इसके सेवन से संबंधित साइड इफेक्ट हो सकते हैं। निम्नलिखित हैं एलोवेरा के कुछ साइड इफेक्ट:
त्वचा उत्तेजना: कुछ लोगों को एलोवेरा से त्वचा उत्तेजना हो सकती है। इसलिए इसका उपयोग करने से पहले आपको एक छोटी सी परीक्षा करनी चाहिए।
खुजली और धुंधला भाव: कुछ लोगों को एलोवेरा से खुजली या धुंधला भाव हो सकता है। यदि आप इस प्रकार के रिएक्शन का सामना करते हैं, तो इसका उपयोग करना बंद कर दें और अपने चिकित्सक से सलाह लें।
स्किन एलर्जी: एलोवेरा का उपयोग त्वचा एलर्जी के लिए भी जाना जाता है, इसलिए यदि आपको त्वचा एलर्जी होती है, तो आपको इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
एलोवेरा जूस रोज पीने से क्या होता है?
एलोवेरा जूस एक प्रकार का पेय है जो एलोवेरा प्लांट से निकाला जाता है। एलोवेरा जूस कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है जो निम्नलिखित हैं:
पाचन शक्ति को बढ़ावा देता है: एलोवेरा जूस में मौजूद एंजाइम आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और उसमें सुधार करते हैं।
वजन घटाने में मददगार होता है: एलोवेरा जूस आपको सुगंधित पानी के साथ मिलाकर पीने से भूख कम होती है और यह वजन घटाने में मदद करता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद होता है: एलोवेरा जूस में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह त्वचा को नमी प्रदान करता है और त्वचा को सूखापन से बचाता है।
सामान्य बुखार और सर्दी के लिए फायदेमंद होता है: एलोवेरा जूस में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो सामान्य बुखार और सर्दी को कम करने में मदद करते हैं।
एलोवेरा जूस पीने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
एलोवेरा जूस को सुबह के समय पीना अच्छा माना जाता है। सुबह के समय एलोवेरा जूस के पीने से शरीर के अनुसंधान तंत्र को जग्रत होने में मदद मिलती है, जो शरीर के संचार को बेहतर बनाता है। इसके अलावा, एलोवेरा जूस को खाली पेट पीना अच्छा होता है क्योंकि इससे अधिक से अधिक लाभ मिलते हैं।
सुबह खाली पेट एलोवेरा पीने से क्या होता है?
सुबह खाली पेट एलोवेरा पीने के कुछ लाभ हो सकते हैं।
पाचन क्रिया को सुधारता है: एलोवेरा पेट की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें पाचन तंत्र के लिए अनेक गुण होते हैं जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस पीने से पाचन क्रिया को सुधारा जा सकता है।
वजन को कम करने में मददगार: एलोवेरा जूस वजन को कम करने में मददगार होता है। इसमें पाचन को सुधारने वाले तत्व होते हैं जो वजन कम करने में मदद करते हैं।
शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है: एलोवेरा पेट की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्व होते हैं जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।
शरीर को विषाक्त करता है: एलोवेरा पेट को साफ रखने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें विषाक्त करने वाले तत्व होते हैं जो शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
क्या मैं रोजाना एलोवेरा जूस पी सकती हूं?
हाँ, आप रोजाना एलोवेरा जूस पी सकते हैं। एलोवेरा जूस एक स्वस्थ पेय होता है जो शरीर के लिए कई फायदों से भरपूर होता है। यह पाचन को सुधारता है, शरीर में विषैले पदार्थों को निकालता है और त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
अगर आप एलोवेरा जूस के नए प्रयोग कर रहे हैं, तो आप पहले थोड़ा जूस पी कर देख सकते हैं कि आपके शरीर को इसे सहने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। अगर आप किसी खास समस्या से पीड़ित हैं, तो आप एक चिकित्सक से परामर्श करने से पहले एलोवेरा जूस के सेवन से पहले उनसे परामर्श करना चाहिए।
एलोवेरा में जहर होता है क्या?
नहीं, एलोवेरा में जहर नहीं होता है। वास्तव में, एलोवेरा को औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। एलोवेरा एक सुगंधित पौधा है जो विभिन्न प्रकार की त्वचा समस्याओं के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी जड़ों, पत्तियों और रस में विभिन्न पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। एलोवेरा को सही तरीके से उपयोग करने के लिए, आपको एक विशेषज्ञ या वैद्य की सलाह लेनी चाहिए।
एलोवेरा से कितने रोग ठीक हो सकते हैं?
एलोवेरा के प्रयोग से कई समस्याएं ठीक हो सकती हैं। यह जीवनदायी फलों से पर्याप्त मात्रा में पानी और पोषक तत्वों का सम्पन्न स्रोत है। यह एक प्राकृतिक औषधि है जो कि अधिकतर त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में उपयोग की जाती है। एलोवेरा का प्रयोग निम्न रोगों के इलाज में किया जाता है:
त्वचा संबंधी समस्याएं: एलोवेरा त्वचा को मौजूदा स्थिति से बेहतर बनाने में मदद करता है जैसे कि एक्जिमा, सुन-तन, दाद, छाले, और फोड़े।
बालों संबंधी समस्याएं: एलोवेरा बालों के झड़ने, रूखापन और सफेदी को रोकने में मदद करता है।
अल्सर: एलोवेरा का उपयोग अल्सर जैसी पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं में मदद करता है।
श्वसन संबंधी समस्याएं: एलोवेरा श्वसन रोगों जैसे ब्रोंकाइटिस, एस्थमा और एलर्जी में उपयोगी होता है।
घावों की समस्याएं: एलोवेरा का जेल सीधे घाव पर लगाया जा सकता है।
क्या एलोवेरा जूस पीना हानिकारक हो सकता है?
नहीं, एलोवेरा जूस पीने से कोई बड़ी हानि नहीं होती है, लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है। इसलिए, एलोवेरा जूस का सेवन करने से पहले, आपको अपने चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए, विशेष रूप से अगर आपको पहले से कोई एलर्जी की समस्या है।
एलोवेरा जूस में कुछ औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह पेट संबंधी समस्याओं, त्वचा संबंधी समस्याओं, एलर्जी, एक्जिमा, और सूखी त्वचा जैसी कई समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है।
क्या एलोवेरा कैंसर का कारण बन सकता है?
नहीं, एलोवेरा कैंसर का कारण नहीं बनता है। एलोवेरा एक प्राकृतिक उपचार है जो त्वचा के लिए उपयोग किया जाता है और आमतौर पर इसे सुरक्षित माना जाता है। अधिकतर तथ्यों के अनुसार, एलोवेरा का सेवन कैंसर के विकास का कोई संबंध नहीं है।
वास्तव में, एलोवेरा शरीर के विभिन्न समस्याओं के इलाज में मददगार साबित होता है, जैसे कि त्वचा संबंधी समस्याएं, पेट संबंधी समस्याएं, जड़ों के रोग आदि। लेकिन यदि आपको कैंसर होने का डर है तो आपको एक विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए।
यदि आप इस सम्बन्ध में अधिक जानना चाहते हैं तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं या कैंसर संबंधी सत्यापित संसाधनों से जानकारी ले सकते हैं।
एलोवेरा जूस को काम करने में कितना समय लगता है?
एलोवेरा जूस का काम करने में समय निर्भर करता है कि आप इसे कैसे उपयोग कर रहे हैं।
एलोवेरा जूस किसे नहीं पीना चाहिए?
एलोवेरा जूस अधिक मात्रा में लेने से कुछ लोगों को तकलीफ हो सकती है। निम्नलिखित लोगों को एलोवेरा जूस नहीं पीना चाहिए:
गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान, एलोवेरा जूस का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को एलोवेरा जूस पीने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
स्तनपान कराने वाली महिलाएं: स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी एलोवेरा जूस का सेवन कम से कम करना चाहिए। इसका मात्रा ज्यादा होने से बचना चाहिए।
शुगर के मरीज: एलोवेरा जूस में शक्कर होती है, इसलिए शुगर के मरीजों को एलोवेरा जूस का सेवन कम से कम करना चाहिए। वे अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं कि वे कितनी मात्रा में ले सकते हैं।
आयरिटेशन के मरीज: एलोवेरा जूस में आयरिटेशन के लिए उपयोग किए जाने वाले दवाओं के संयोजन से परेशानी हो सकती है। इसलिए, इस समय एलोवेरा जूस का सेवन कम से कम करना चाहिए।
क्या एलोवेरा जूस आपके खून को पतला करता है?
एलोवेरा जूस खून को पतला नहीं करता है। वास्तव में, एलोवेरा जूस खून को साफ करने में मदद करता है जिससे कि शरीर से टॉक्सिन निकालने में मदद मिलती है। इसके अलावा, एलोवेरा जूस में पोषण और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो आपके शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। लेकिन जैसा कि हर चीज का अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है, इसलिए एलोवेरा जूस को अधिक से अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, एक दिन में एक छोटी कप एलोवेरा जूस पीना सुरक्षित होता है।
सबसे अच्छा एलोवेरा जूस कौन सा है?
एलोवेरा जूस का उत्पादन अनेक कंपनियों द्वारा किया जाता है और उनमें से हर एक का गुणवत्ता स्तर अलग हो सकता है। एलोवेरा जूस की गुणवत्ता उसके उत्पादन तकनीक, संश्लेषण, संरचना और उत्पाद के उपयोग से प्रभावित होती है।
यदि आप एलोवेरा जूस खरीदना चाहते हैं तो आपको एक ऐसी कंपनी का चयन करना चाहिए जो एलोवेरा पत्तों को उच्च गुणवत्ता वाले तरीके से प्रबंधित करती हो और अपने उत्पादों में सिर्फ असली एलोवेरा उपयोग करती हो।
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हिमालया सर्पिना टैबलेट की जानकारी - Himalaya Serpina Tablet in Hindi
हिमालया सर्पिना टैबलेट एक हर्बल दवा है जो उच्च रक्तचाप के उपचार में मदद करती है। यह टेबलेट अश्वगंधा और सर्पगंधा जैसी जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है जो दिल के रक्तवाहिकाओं को शांत करने और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह टेबलेट ब्लड प्रेशर कम करने के साथ-साथ श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के इलाज में भी मदद करती है।
हिमालया सर्पिना टैबलेट के मुख्य तत्व - Himalaya Serpina Tablet Ingredients in Hindi
इस टैबलेट में उपस्थित जड़ी बूटियों में से कुछ मुख्य हैं जैसे कि सर्पगंधा, नागरमोथा, गुडूची और अमृता। इन जड़ी बूटियों में विशिष्ट गुण होते हैं जो शरीर के रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। यह टैबलेट इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने वाली एंटी-ऑक्सिडेंट प्रदान करती है। हिमालया सर्पिना टैबलेट के मुख्य तत्व इस प्रकार से है:
सर्पगंधा (Rauwolfia Serpentina): इस टैबलेट का मुख्य तत्व सर्पगंधा होता है, जो एक प्राकृतिक औषधि होती है जो उच्च रक्तचाप और तनाव को कम करने में मदद करती है।
जटामांसी (Nardostachys Jatamansi): यह एक औषधीय पौधा होता है जो तनाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह नींद को बढ़ाने और दिमाग की क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है।
ज्योतिष्मती (Celastrus Paniculatus): यह भी एक प्राकृतिक औषधि होती है जो तनाव को कम करने में मदद करती है और दिमाग की क्षमता को बढ़ाती है।
शंखपुष्पी (Convolvulus Pluricaulis): यह एक प्राकृतिक औषधि होती है जो दिमाग की क्षमता को बढ़ाती है।
जहरमोहरा (Delphinium Denudatum): इस औषधीय पौधे के फूलों से तैयार की जाने वाली एक प्रकार की चूर्ण होती है, जो तनाव को कम करने में मदद करता है।
हिमालया सर्पिना टैबलेट के फायदे - Himalaya Serpina Tablet Benefits in Hindi
हिमालया सर्पिना टैबलेट प्राकृतिक जड़ी बूटियों से बना हुआ आयुर्वेदिक दवा है जो उच्च रक्तचाप, मांसपेशियों में दर्द, घुटने के दर्द, खुजली और त्वचा के रोग जैसी कुछ समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। यह टेबलेट मुख्य तौर पर नागदोना, गुग्गुल और गुडूची जैसी जड़ी बूटियों से बना हुआ है जो संभवतः उपचार में मदद करते हैं। इसके अन्य फायदों में शामिल हैं:
स्वस्थ रक्तचाप: हिमालया सर्पिना टैबलेट में मौजूद जड़ी बूटियाँ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
मांसपेशियों के दर्द को कम करना: इस टेबलेट में मौजूद नागदोना मांसपेशियों में दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
खुजली को कम करना: हिमालया सर्पिना टैबलेट त्वचा की खुजली को कम करने में मदद करता है।
श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर करना: इस टेबलेट में मौजूद गुग्गुल विशेष रूप से श्वसन संबंधी समस्याओं में उपयोगी साबित होता है।
पेट की समस्याओं में लाभ: हिमालया सर्पिना टैबलेट पेट की समस्याओं में लाभकारी होती है। यह पेट में गैस बनने से रोकती है और एसिडिटी को कम करने में मदद करती है।
पाचन शक्ति को बढ़ाना: हिमालया सर्पिना टैबलेट आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करती है। यह आपके शरीर को पोषण प्रदान करने में मदद करती है और आपके भोजन को अधिक उपचार्य बनाती है।
मलत्याग में सुधार: हिमालया सर्पिना टैबलेट मलत्याग में सुधार लाने में मदद करती है।
हिमालया सर्पिना टैबलेट के दुष्प्रभाव - Himalaya Serpina Tablet Side Effects in Hindi
हिमालया सर्पिना टैबलेट एक आयुर्वेदिक दवा है जो हार्ट और ब्लड प्रेशर समस्याओं के इलाज में प्रयोग किया जाता है। यह दवा सर्पिन नामक प्रोटीन के उत्पादन में मदद करता है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
हिमालया सर्पिना टैबलेट का इस्तेमाल सामान्यतः सुरक्षित होता है लेकिन कुछ लोगों को इसके सेवन से एलर्जी, उल्टी, चक्कर या अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
अधिकतर मामलों में, हिमालया सर्पिना टैबलेट के सेवन से संबंधित कुछ सामान्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि नींद आने में परेशानी, दस्त, गैस, उल्टी आदि।
इसलिए, इस दवा का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें और उन्हें अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताएं, ताकि वे आपको सही राह दिखा सकें।
हिमालया सर्पिना की खुराक - Himalaya Serpina Dosages in Hindi
हिमालय सर्पिना टैबलेट जो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए उपयोग की जाती है, उसकी सुझाई गई खुराक निम्नलिखित है।
सामान्यतः एक दिन में दो या तीन बार एक-एक टैबलेट का सेवन किया जाता है। आपके डॉक्टर द्वारा अलग-अलग स्थितियों और रोग के लिए भी अनुसूचित खुराक निर्धारित की जा सकती है।
इससे पहले और उसके बाद भोजन करना उचित होता है। इस दवा को पानी के साथ लेना उचित होता है।
यदि आप अपनी खुराक में कोई बदलाव करना चाहते हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। वे आपको सही खुराक की सलाह देंगे।
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लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने और लिवर को स्वस्थ रखने के लिए उपयोग किया जाता है। यह दवा हेपेटाइटिस, सिरोसिस, जैविक जहर और अन्य लिवर संबंधित विकारों के इलाज में भी उपयोग किया जाता है। इस दवा के मुख्य तत्व में भारत में उगायी जाने वाली हरड़ या कड़ी पत्ती का उपयोग किया जाता है।
लिव 52 का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना अनिवार्य है। यदि आपके पास किसी भी तरह की एलर्जी हो तो आपको इस दवा का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा यदि आप किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित हैं तो चिकित्सक के परामर्श के बिना इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
लिव 52 के मुख्य तत्व - Liv 52 Ingredients in Hindi
लिव 52 कई प्राकृतिक उत्पादों का मिश्रण होता है जो निम्नलिखित हैं:
हरितकी: यह पाचन को सुधारने और जीर्णाशय को स्थिर करने में मदद करता है।
ब्रह्मी: इसका उपयोग मस्तिष्क को शांत करने और मन को ताजगी देने के लिए किया जाता है।
भूम्यामलकी: यह एक प्राकृतिक विश्रामक होता है और लिवर को सुधारने में मदद करता है।
धनिया: यह एक प्राकृतिक उष्णता स्रोत होता है जो पाचन को सुधारता है और लिवर को सुधारता है।
निम्बू: यह विटामिन सी से भरपूर होता है और लिवर को सुधारता है जो इसे एक अधिक उपयोगी तत्व बनाता है।
हिमा: इसमें एक औषधीय पौधे से बना हुआ एक उत्तेजक होता है जो अपच और जीवन शैली के असंतुलन का संशोधन करने में मदद करता है।
दादिम: दादिम फल का प्रयोग लिवर की संरचना को स्थायी करने के लिए किया जाता है।
कसाणद्र: यह लिवर के लिए एक शक्तिशाली तंत्रिका है जो उसके विभिन्न कार्यों में सहायता प्रदान करती है।
अमलकी: अमलकी लिवर को संरचित रखने में मदद करती है।
लिव 52 के फायदे - Liv 52 Benefits in Hindi
लिव 52 एक आयुर्वेदिक औषधि है जो लिवर स्वस्थ रखने में मदद करती है। यह अनेक तरह की लिवर समस्याओं जैसे जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं, वायरल इंफेक्शन, अत्यधिक शराब पीने से उत्पन्न लिवर की क्षति और शरीर में मौजूद टॉक्सिनों के प्रभाव को कम करने में मदद करती है। इसके फायदे निम्नलिखित हैं:
लिव 52 लिवर समस्याओं के इलाज में मददगार है।
यह लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करता है और उसकी क्षमता को बढ़ाता है।
शराब पीने से होने वाली लिवर की क्षति को कम करता है।
लिवर के रोगों के इलाज में मददगार होता है।
लिवर की सामान्य सेहत और कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
लिवर के उचित काम करने में मदद करता है, जो शरीर में ऊर्जा का निर्माण करता है।
लिव 52 के नुकसान - Liv 52 Side Effects in Hindi
लिव 52 एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जिसे सामान्य रूप से सुरक्षित माना जाता है लेकिन कुछ लोगों में इसके उपयोग से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। लिव 52 के उपयोग से जुड़े कुछ सामान्य नुकसान निम्नलिखित हो सकते हैं:
दस्त: कुछ लोगों में लिव 52 का उपयोग करने से दस्त हो सकता है।
पेट दर्द: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से पेट दर्द हो सकता है।
चक्कर आना: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
अपच: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से अपच हो सकता है।
एलर्जी: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से एलर्जी हो सकती है।
खुजली: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से खुजली हो सकती है।
नींद न आना: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से नींद नहीं आती है।
लिव 52 से संबंधित सामान्य प्रश्न - Liv 52 FAQ's in Hindi
लिव 52 क्या है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन तंत्र को सुधारने, लिवर के लिए पोषक तत्व प्रदान करने और ताकत बढ़ाने में मदद करता है। इसे अक्सर लोग जिनके लिवर से संबंधित समस्याएं होती हैं, उन्हें लेते हैं।
लिव 52 कब ले ?
लिव 52 के खुराक की संबंधित जानकारी के लिए आप अपने चिकित्सक या दवा के पैकेट पर दी गई निर्देशों का पालन कर सकते हैं। आमतौर पर, इसे दिन में 2-3 बार खाने के बाद लेते हैं। वहीं, लिव 52 DS (डबल स्ट्रेंग्थ) की खुराक भी दिन में 2-3 बार होती है, लेकिन इसकी खुराक अधिक मजबूत होती है। ध्यान रखें कि आपको किसी भी दवा का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
लिव 52 से क्या फायदा होता है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्रमुख रूप से लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह दवा लिवर के रोगों जैसे जिगर के विकार, सिरोसिस, ज्वर, बदहजमी और अन्य उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।
मुझे लिव 52 कब खाना चाहिए?
लिव 52 की खुराक आमतौर पर अनुशंसित 1-2 गोलियों को दिन में दो बार खाने के बाद लेना होता है। आपको अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए कि आपको कितनी खुराक लेनी चाहिए।
क्या लिव 52 पाचन में सुधार करता है?
हाँ, लिव 52 पाचन संबंधित समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है। इस दवा में कई जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है जो आपके पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है।
लिव 52 कैसे काम करता है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्राकृतिक तत्वों से बनाई जाती है। यह दवा अमलतास, डाइगेस्टिव एंजाइम, ताल मखाना, कस्तूरी भँडार, घृतकुमारी, और भूम्यामलकी जैसी वनस्पतियों के मिश्रण से बनाई जाती है। यह लिवर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है। इस दवा के सेवन से लिवर की क्षमता बढ़ती है और यह जीवन शक्ति तत्वों की गुणवत्ता के कारण लिवर के फ़ंक्शन को सुधारने में मदद करता है। लिव 52 के सेवन से लिवर से नकारात्मक तत्वों का निकास होता है जो शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, यह एक उत्तम एंटीऑक्सिडेंट होता है जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के नुकसान से लिवर को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
लिव 52 की कीमत क्या है?
लिव 52 की कीमत विभिन्न दवा दुकानों और ऑनलाइन फार्मेसी स्टोर्स पर भिन्न होती है। इसकी कीमत देश और शहर के आधार पर भी भिन्न हो सकती है। यह दवा भारत में निम्नलिखित मूल्यों में उपलब्ध होता है:
लिव 52 सिरप (200 मिलीलीटर): 80 से 100 रुपए
लिव 52 टैबलेट (60 टैबलेट्स): 100 से 150 रुपए
लिवर के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?
लिवर के लिए कुछ लोकप्रिय आयुर्वेदिक दवाओं में यकृतप्लीहारी वटी, लिवोनिल टैबलेट, हिमालय लिव.52, पुनर्नवा मंडूर, सर्वेश्वरी वटी और कुमारी असव शामिल होते हैं। यदि आपको लिवर संबंधी समस्याएं हैं, तो सबसे अच्छा तरीका होता है कि आप एक विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
क्या फैटी लिवर में लिव 52 फायदेमंद है?
फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के लिवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। लिव 52 में मौजूद औषधीय गुण लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करते हैं जिससे फैटी लिवर से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं। इसका उपयोग लिवर की स्वस्थता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है जो फैटी लिवर से जुड़ी समस्याओं में मददगार साबित हो सकता है।
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Summer is just around the corner! As the weather gets warmer and the sun shines brighter, it is also the time to shake up your skincare routine a little bit.
After all, the heat and the humidity will warrant some extra love to your skin to keep it healthy and glowing. It will become important to protect, nourish and hydrate your skin as the heat can really be unforgiving. This is the right time to start the transition to your summer routine, so it becomes all the easier for you to maintain skin health.
Here are five important tips that will help you get (and keep!) that summer glow.
Sunscreen is your Best Friend
We cannot stress this enough! Sunscreen is your skin's best friend. It is a must-have all year round but becomes especially important when you are going out during the peak summer months. UV rays can damage the skin causing premature aging, tanning, and hyperpigmentation. It is important that you use a broad-spectrum sunscreen with at least SPF 30 daily.
Make sure you apply your sunscreen a good 15 minutes before stepping out and keep reapplying throughout the day. In fact, dermatologists suggest replying every 2-3 hours during the day when you are exposed to the sun. A good investment here will be a sunscreen stick that can be used to easily touch up, even on your make-up. Also, do not forget your body; apply a decent amount to protect your body as well, along with your face.
Switch to a Lighter Skincare Routine
Summers mean that you can swap out your heavier cleansers and moisturizing creams (which worked great in dry winters) for lighter products. Go for gentler cleansing and moisturizing options which will not clog your pores while also keeping you hydrated and your skin nourished. The same goes for your makeup, instead of full-coverage heavy foundations, go for lighter ones and you can opt for a bit more concealer for your problem areas. Always take a closer look at your makeup and choose products that are noncomedogenic and will not occlude your skin.
Make Sure to Moisturize and Lock that in
Did you think you can skip moisturizing in the sultry heat, even when your face feels oily? Absolutely not! Moisturizing your skin daily is as important in summer as it is in winter. Your skin needs hydration for that plumpness and radiance. Choose a light moisturizer that can team well with your cleanser and toner.
Apart from moisturizing skin externally, it is also extremely important to not use products that strip the skin of its natural oils as they can eventually disrupt the skin barrier and weaken it. Using harsh soaps is one of the biggest culprits which can cause loss of moisture and make the skin dry and irritated. The best way to prevent this is to use a soap with a humectant such as Glycerine which will ensure that the skin's own moisture is not lost.
A great option is the Savlon Glycerine soap with natural origin glycerine which makes the skin soft and protects it from 100 disease-causing germs. This translucent soap is dermatologically tested and suitable for all skin types. With a fresh, citrusy fragrance, it will also make you feel refreshed and the creamy lather will make bathing all the more enjoyable.
Exfoliation is Essential
Exfoliation has been one of the most important skincare tips since way before TikTok made it popular. Exfoliating your skin once a week helps to remove dead skin cells and unclog pores which can lead to breakouts and dull-looking skin. It is also important to choose the right chemical exfoliant based on your skin type and your skin needs. It is best to consult your dermatologist for the right one and the adequate frequency of usage.
Exfoliants can make your summer-stressed skin feel nice, and fresh giving you a soothing feeling. Remember, exfoliated skin is more prone to sun damage, so skipping on sunscreen while you are also using chemical exfoliants is blasphemous! Sunscreen application becomes all the more important for exfoliated skin.
Add Antioxidants to your Regime
Antioxidants for your skin are what mimosas are to your beach holiday. They will definitely up your skincare game. Antioxidants fight free radicals which damage your skin causing aging and dullness. While you ought to include foods like carrots, spinach, berries, etc, in your diet which are natural sources of antioxidants, you can also incorporate topical products to give your skin additional benefits. Using an antioxidant serum with Vit C can be beneficial but consult with your dermatologist for usage and frequency based on your skin type and your problem areas.
And lastly, hydrate, hydrate hydrate. Drinking plenty of water (at least 8-10 glasses) will keep your skin hydrated from within. Incorporate foods with high water content such as watermelon, cucumber, and celery in your diet. Keep up with your daily movement and exercise regularly.
Taking care of your skin in summer isn't as hard as it seems to be. Follow these tips and embrace the sunshine to flaunt that naturally plumpy, healthy summer glow. (Agency)
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सच्चा प्यार और मोहब्बत यह एक ऐसा माया मृग (छल/झूठ) बनता जा रहा है जिसको पाने के लिए हर कोई उतावला है लेकिन जब इस ओर लोग बढ़ते हैं तब समझ आता है कि जिंदगी तो कुछ और ही है।
वैसे मेरी इस बात से बहुत से लोग भरोसा नहीं करेंगे या संभव है कि नाक-मुंह भी बना लें, खासकर के प्यार की चासनी में लिपटे या यूँ कहूं कि नहाये हुए वो लोग जिनके दिन की शुरुआत और अंत बाबू, सोना, जानू, I love you जैसे शब्दों से शुरू होती है या दिन के कई घंटे इसी तरह की चैट या कॉल में जाते हों! लेकिन यक़ीन मानिये जैसे-जैसे यह लेख आप पढ़ते जायेंगे तो निश्चित ही यह भरोसा तो आपको हो ही जायेगा कि जो विचार और सोच या रिश्ते लेकर आप चल रहे हैं उसपर एक बार गंभीरता से विचार करना कितना जरुरी है, कृपया एक बार गंभीरता से पूरे लेख को अवश्य पढ़ें!
इस लेख में बात शुरू करते हैं दुनिया के सबसे बड़े टॉपिक "मोहब्बत और सेक्स" से (यह बात कई तरह के रिसर्च में सिद्ध हो चुकी है की लोगों के लिए यही विषय सबसे पसंदीदा हैं), आम तौर पर इस संसार में मौजूद लगभग प्रत्येक प्राणी के जीवनचक्र का यह एक ऐसा पहलु है जिससे शायद ही कोई अछूता रहा हो, इससे न इंसान बचा और न जानवर!
जाहिर सी बात है कि जब इतने तरह के प्राणी और इतना बड़ा संसार इसी ओर भाग रहा है तो कुछ तो विशिष्ट होगा ही इसमें, वैसे यदि विज्ञान की भाषा में इसको कहें तो यह हमारे शरीर में मौजूद कुछ विशेष तरह के Hormones से जुड़ा हुआ है, और यदि आध्यात्म या आयुर्वेद की भाषा में कहें तो यह यह मानवीय संवेदनाओं, भावनाओं और जीवन की इच्छा से जुड़ा हुआ है।
अब जब बात रिश्तों की आती है , खासकर के जिसे आज के समय में विपरीत लिंग के साथ आकर्षण को प्रेम का नाम दे दिया गया है उसमें कई तरह के विकार या गलत भाव आ चुके हैं, यदि इसकी जड़ में जाएँ तो विज्ञान के हिसाब से इसके लिए जो सबसे बड़ा हॉर्मोन जिम्मेदार है वो है टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) इसे हम male (पुरुष) हॉर्मोन भी कहते हैं, यह हॉर्मोन आदमियों में या इस दुनिया के सभी तरह के नर चाहे वो गधा, घोड़ा, कुत्ता, हाथी, शेर आदि कोई भी हो उन सभी में मौजूद होता है जिसका काम है पुरुषों में सेक्स ड्राइव को बढ़ाना!
प्राकृतिक रूप से 99.99% पुरुषों में जब विपरीत लिंग के प्रति जब प्यार / मोहब्बत और इश्क़ जैसा कुछ भी आता है तो उसके दिमाग में शुरुआत से लेकर आगे तक अपने साथी के साथ सेक्स ही आकर्षण का सबसे पहला और अंतिम पहलु होता है, संभव है आप में से कुछ लोग इससे सहमत न हों लेकिन पुरुषों की यह प्राकृतिक स्थिति होती है और विज्ञान के कई रिसर्च भी यही सिद्ध करते हैं!
हालाकिं निश्चित रूप से अपवाद भी होते हैं और कई परिस्थितियों और रिश्तों के अनुरूप भी पुरुषों का व्यवहार बदल जाता है जैसे परिवार में मौजूद अन्य महिलाओं जैसे : माता, बहन, दादी, बेटी आदि के प्रति निश्चित रूप से पुरुषों के विचार और सोच अलग चलती है, लेकिन जैसे ही वह इन रिश्तों के दायरे के बाहर खड़ा होता है और उसे विपरीत लिंग का कोई दिखता है तो स्वतः ही उसका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन उसके ऊपर हावी होने लगता है, हालाँकि वर्तमान समय में यह सब इसलिए भी बहुत अधिक बढ़ा है क्योंकि आज के समय में सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से प्रत्येक तरह की सामग्री और अश्लीलता इतने सहजता से सभी के लिए उपलब्ध है कि लोगों ने इन बातों को ही सही दुनिया समझ लिया है साथ ही इस विषय पर सही एजुकेशन के नाम पर महज मजाक भर ही हमारे समाज के बीच में है। वहीं इसके विपरीत सात्विक (मन की बेहद ही प्रसन्न और संतुष्ट रहने वाली अवस्था) आचरण, सदाचार या ब्रह्म की चर्या जिसे ब्रह्मचर्य का नाम दिया गया इस सभी की भी व्याख्या लोगों ने अपने-अपने मन से करके ऐसी बना दी है कि इसे या तो मजाक का विषय समझा जाता है या फिर कुछ आदर्श पुरुषों की स्थिति की तरह देखा जाने लगा है!
वहीं दूसरी ओर जब हम महिलाओं की बात करते हैं तो उनमें प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हॉर्मोन शरीर के सेक्सुअल व्यवहार, मासिक चक्र आदि के लिए जिम्मेदार होता है, साथ ही यह हार्मोन महिलाओं में चिड़चिड़ापन, उदासी, चिंता आदि जैसे इमोशनल बदलावों के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसलिए ही जब महिलाएं अपनी मर्जी से किसी के साथ शारीरिक संपर्क में आती हैं तो उनके साथ बेहद ही ज्यादा भावनात्मक रूप से खुद को जोड़ लेती हैं और ऐसे पुरुष के लिए भी वे कुछ भी करने को तैयार हो जाती हैं!
महिलाओं और पुरुषों के इन्हीं अलग-अलग हॉर्मोन्स के कारण जो प्यार को लेकर ग्राफ की स्थिति बनती है वो कुछ इस तरह की होती है:
पुरुष जो आरम्भ में बेहद प्यार करने वाले, उतावले, अपनी प्रेमिका के लिए कुछ भी कर डालने की बात करने वाले आदि-आदि तरीके के आदर्श आचरण और व्यवहार करते हैं वे अचानक ही जैसे ही उनका मुख्य काम होता है अर्थात जैसे ही उनका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन से जुड़ा काम या यह संतुष्ट होता है मतलब उसका सेक्स से जुड़ा कार्य पूरा होता है वैसे ही वो रंग बदलना आरम्भ कर देता है। वह व्यक्ति धीरे-धीरे फिर कोई और की तलाश की ओर बढ़ जाता है या जिसके साथ है तो वह और अधिक आनंद प्राप्त नहीं कर पाता है। (निश्चित रूप से इस लेख में मेरे द्वारा लिखी जा रहीं बातें एक आदर्श स्थिति नहीं है बल्कि आज के विकृत हो चुके विचारों, परिस्थितियों और सामाजिक स्थिति है, लेकिन न चाहते हुए भी एक कटु सत्य ही है!) अर्थात पुरुषों का प्यार का ग्राफ जो शुरू में चरम सीमा पर या अपने टॉप स्तर पर था वो ऊपर से नीचे और नीचे से और धरातल यानी की निगेटिव की ओर बढ़ता जाता है। (हाँ यह संभव है कि कुछ पुरुषों में यह प्यार का ग्राफ एकदम तेज़ी से कुछ ही हफ़्तों या महीनों में नीचे चला जाता है और कुछ में नीचे जाने में कुछ वर्ष भी लगते हैं लेकिन वर्तमान समय के पुरुष स्वाभाव के अनुसार यह ग्राफ जाता नीचे ही है।)
जबकि इसके विपरीत महिलाओं की स्थिति एकदम अलग होती है, आरम्भ में उनके प्यार का ग्राफ एक सामान्य लेवल पर या बिल्कुल ही प्रारंभिक स्थिति में होता है, जो धीरे-धीरे कई तरह की स्थितियों और सामने वाले की ओर से किये जा रहे कई प्रयासों और आकर्षण से धीरे-धीरे बढ़ता जाता हैं और जब वे इस स्तर पर पहुँच जातीं हैं कि वे पुरुष के साथ शारीरिक संपर्क स्थापित कर लेती हैं तो वे किसी भी स्थिति में अपने उस प्यार करने वाले पुरुष के साथ ही रहना चाहती हैं। यहाँ तक कि वे उसके लिए घर-परिवार, माता-पिता आदि सभी को छोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं, अभी दिल्ली में हुआ श्रद्धा मर्डर केस इसका एकदम आदर्श उदाहरण है, कि आफताब नाम के लड़के के साथ उसकी लगातार हिंसा होती थी, रिश्ता बिगड़ता ही जा रहा था, लेकिन उस सबके बाद भी वो किसी न किसी बहकावे में आकर उस लड़के से अलग नहीं हो पा रही थी, यहाँ तक कि अपने परिवार और दोस्तों से भी अच्छी खासी दूरी बनाकर के रह रही थी, उसके पिता को उसके दोस्तों से बात करके या सोशल मीडिया के उसके अकाउंट से उसका हाल पता चलता था। हालाकिं लड़कियों से माता-पिता या परिवार के साथ सही से न जुड़ पाने को लेकर या अपनी बात खुलकर न कर पाने के कई और सामाजिक पहलु हैं जिन्हें हम इसी लेख में आगे पढ़ेंगे!
महिलाओं के प्यार का ग्राफ नीचे या बीच से ऊपर और उससे और ऊपर की ओर ही बढ़ता जाता है। और उनकी इन्हीं भावनाओं और पहलु के कारण उनमें शुरू होती है एक अजीब सी स्थिति जिसे साइकोलॉजी की भाषा में "Bad Faith" कहते हैं, वैसे तो इस शब्द की व्याख्या में कई लम्बे-लम्बे विचार लिखे गए हैं, लेकिन इस लेख के विषय के सन्दर्भ में यदि लिखूं तो इसका अर्थ यह है कि लड़कियां खुद को झूठी तसल्ली या झूठा भरोसा देना शुरू कर देती हैं, और अधिक सरल भाषा में कहूं तो रिश्तों में दिख रही समस्याओं को नज़रअंदाज करना आरम्भ कर देती हैं!
जैसे जब उनका पुरुष पार्टनर उनको कम समय देना शुरू करता है तो वे समझ नहीं पातीं या समझकर भी "Bad Faith" के भरोसे बैठी होती हैं शायद सब अच्छा हो जायेगा या शायद बेचारा काम में या परिवार में उलझ रहा है, या वो बहाने जो लड़का बनाना शुरू करता है या अलग-अलग इमोशनल तरीके से बहलाता है तो उसमें बिना दिमाग लगाए भरोसा करती चली जाती हैं!
आजकल के दौर में इस तरह कि स्थितियां सबसे ज्यादा लिव-इन रिलेशन में या लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में या लम्बे समय से प्यार में डूबे तथाकथित प्यार करने वाले युवाओं में ज्यादा दिखाई देती हैं, जिसके कई सामाजिक पहलु भी होते हैं!
जैसे लड़के-लड़की का अलग-अलग जाति (कास्ट) या धर्म का होना, यह आजकल की एक बहुत कॉमन समस्या है!
यह एक बड़ी समस्या तब और बन जाती है जब लड़का या लड़की में से कोई एक अपने माँ-बाप के साथ रह रहा होता है, क्योंकि ऐसे में उस लड़के या लड़की के ऊपर माता-पिता का इमोशनल प्यार या आज की भाषा में कहें तो अत्याचार चल रहा होता है, क्योंकि माँ या बाप या कभी-कभी दोनों को यह लगता है कि इस बच्चे को तो हमने बचपन से पाला है, बड़ा किया है और अचानक से कुछ महीनों से या सालों में मेरा यह बच्चा / बच्ची इस लड़की या लड़के से कनेक्ट हो गई है और अब यह हमारी जगह उसको ज्यादा तबज्जो कैसे दे सकता है!! कई बार यह स्थिति उन माँ-बाप के ईगो को हर्ट कर देता है जो वे या तो गुस्से में बातों के माध्यम से निकालते हैं या कई बार माँ-बाप या परिवार के लोग अपने झूठे अहंकार या झूठी सामाजिक इज्जत के नाम पर इतना गंभीरता से ले जाते हैं कि अपने ही बच्चे या बच्ची की हॉनर किलिंग तक पहुंच जाते हैं लेकिन ज्यादातर मामले स्लो पाइजन (धीमे जहर) के रूप में आगे बढ़ते हैं!
स्लो पाइजन वाली स्थिति ज्यादातर बार लड़कियों के साथ शादी के बाद ज्यादा होती है, इसकी एक बेहद बड़ी वजह उत्तर भारत में मुझे देखने को मिली वो है ऐसे रिश्तों में लड़के वालों के घर वालों की कई इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं जो वे लड़के के दवाब में उस समय तो नहीं बोल पाते लेकिन धीरे-धीरे जैसे ही कुछ समय बीतता है वो स्लो पाइजन के रूप में बाहर निकलती हैं, जैसे जब लड़का-लड़की लव मैरिज या इंटरकास्ट मैरिज कर लेते हैं तब शुरुआत शादी और परिवार के रीति-रिवाजों से शुरू होती है कि.... लड़की के घर वालों को तो ये नहीं पता वो नहीं पता!! इन्होने वो सम्मान नहीं किया!! ये गलत कर दिया...शुरू में प्यार में डूबे लोग इसको हँसते हुए नज़रअंदाज करते हैं!!
कई बार यह स्थिति अच्छे से दहेज़ न मिल पाने के कारण भी बनती है (हमारे देश में विशेषकर के उत्तर भारत में यदि किसी का लड़का थोड़ा सा पढ़-लिख जाता है या कुछ सही कमाने लगता है तो वो उनके लिए एक दुधारू गाय की तरह होता है, जिसे बाजार में कई तरह की बोली लगाकर लोग अपनी लड़कियों के लिए रिश्ता करने के लिए एक पैर पर तैयार खड़े होते हैं), लेकिन ऐसे आकर्षक पैसों से भरे ऑफर के बीच में जो माँ-बाप या परिवार इस काम में अपने बच्चे की लव मैरिज के चक्कर में चूक जाते हैं वे शादी के बाद बेहद अजीब-अजीब से तर्कों के साथ उनकी यह अधूरी इच्छा कई तरह की भड़ास के रूप में बाहर निकलती है और इसका पूरा सामना लड़की को अकेले ही झेलना पड़ता है! और इस स्थिति में कोढ़ में खाज वाली बात यह और होती है कि लड़की के घर वाले भी उसका साथ नहीं दे रहे होते क्योंकि लड़की ने अपनी जिद से शादी की होती है तो जिससे उसके खुद के माँ-बाप का पहले ही ईगो हर्ट हुआ होता है और ऐसी स्थिति देखकर उनको कहने या बातें सुनाने का मौका मिल जाता है कि तुम्हें तो हमने पहले ही मना किया था लेकिन तुमने हमारी बात कहाँ मानी...., कई बार तो लड़कियां खुल के अपने दिल की बात और स्थिति अपने माँ-बाप को इस कारण ही नहीं बताती क्योंकि वो ही स्वयं को इस स्थिति का जिम्मेदार मानती हैं और एक Bad Faith के सहारे खुद को समझातीं रहती हैं!
कुछ महिलाएं ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह सोचती हैं कि शायद उनका बच्चा हो जायेगा तो ऐसा नहीं होगा, लेकिन अधिकांश हालातों में यह रुकता नहीं बस स्थिति एक अलग तरह की ढलान की ओर बढ़ जाती है जहाँ से ऊपर आना बेहद मुश्किल या यूँ कहें नामुमकिन सा होता है!!
अब ऐसे में वे लड़कियां ज्यादा खुशकिस्मत होती हैं जो शादी से पहले ही ऐसी किसी स्थिति का सामना करती हैं, जहाँ लड़के के घरवाले उसे किसी और जगह दवाब बनाने के लिए कह रहे होते हैं, वो भी यही कह रहा होता है कि बाबू तुमसे तो मैं दिल-जहाँ से प्यार करता हूँ लेकिन अब घर वालों को कैसे समझाऊं मैं नहीं समझ पा रहा, कई लड़के खुल के नहीं बोलते तो कई मन में उस लड़की से सही में पूरी तरह से ऊब चुके होते हैं और नए रिश्ते में एक नया साथी और पैसा दोनों ही उसको दिख रहा होता है ......कई हिम्मत करके यह बोल देते हैं कि मैं शादी नहीं कर सकता .... लड़कियों को इस स्थिति में तत्काल समझ जाना चाहिए कि यह एक अलार्म वाली स्थिति है लेकिन उनको लगता है कि नहीं ऐसा कैसे हो सकता है जो लड़का दिन रात मेरे पीछे दुम हिलाता था, या जो अभी भी मुझे चाहता है, या यह तो मेरे हुस्न या सुंदरता पर लट्टू था, अचानक इसको क्या हो गया (ऐसा ही वहम शायद दीपिका पादुकोण को रहा होगा लेकिन वो भी ऐसे ही टॉक्सिक रिलेशनशिप के चक्कर में डिप्रेशन में जा चुकी हैं, जिन लोगों को यह किस्सा पता नहीं तो वे गूगल अवश्य करें)..... किसी भी लड़की के लिए यह बात निश्चित रूप से ख़राब ही लगेगी कि उसके साथ हर तरह का समय बिताने के बाद यह लड़का अपने घर की या किसी स्थिति से अब पीछे हटने की बात कर रहा है, या कई बार लड़के पीछा छुड़ाने के लिए लड़ाई-झगड़ा, मार-पिटाई भी कर देते हैं ...
लेकिन इन सबके बाद भी लड़कियां कई बार यह सोचती हैं कि जिस लड़के के सामने उन्होंने अपना सबकुछ दे दिया अब कोई और उनको स्वीकार कैसे करेगा!! किसी और के सामने वो खुलकर कैसे बता पाएंगी कि उनका किसी के साथ रिश्ता था!! या अभी जो लड़का उनके साथ है वो इतना अच्छा है या देखने में इतना सुन्दर है या कोई और तर्क से सिर्फ यह सोचती हैं कि यह चला गया तो कोई दूसरा कैसे मिलेगा ...और इन्हीं सब कारणों, अपने हॉर्मोन और Bad Faith के आगे मजबूर होकर उस हिस्से की ओर आगे बढ़ जाती हैं जहाँ शुरू से ही उन्हें आगे न बढ़ने के कई indication उन्हें मिल रहे होते हैं, लड़कियों को अपने ऐसे कदम के चक्कर में समाज, परिवार और यहाँ तक की अपने जीवन के लिए देखे जाने वाले कई सपनों से समझौता या बगावत करनी पड़ती है लेकिन बस इस भरोसे से वो आगे बढ़ती जाती हैं कि उनके साथ कुछ गलत नहीं हो सकता और हकीकत कभी श्रद्धा मर्डर के रूप में तो कभी दहेज़ हत्या के रूप में तो कभी खुद जाकर सुसाइड जैसे भयावह कदम उठाने पड़ते हैं।
इस लेख में एक अंतिम बात और जोडू तो लड़कियों की फंतासी (Fantasy) की स्थिति भी कई बार गंभीर परिणामों को लेकर के आती हैं, क्योंकि हमारे भारत में लड़कियों को माँ-बाप या परिवार हमेशा बेहद देखरेख वाले तरीके से पालने की कोशिश करता हैं जैसे यह ड्रेस क्यों पहनी, इसके साथ क्यों जा रही हो, इतना क्यों खर्च कर रही हो, यह बनाना सीखो, ससुराल जाकर यह करना यहाँ नहीं चलेगा यह सब, या लड़की कमाने लगती हैं तो उसकी आमदनी पर नियंत्रण करते हैं, रात में यहाँ क्यों जा रही हो, यह क्यों कर रही हो वो क्यों कर रही हो आदि....आदि... ऐसे सब में लड़की के अंदर एक अनचाही फंतासी (Fantasy) बढ़ती जाती है कि जब शादी होगी तो यह करुँगी, वहां घूमूंगी, या कोई शादी से पहले मिल जाता है तो उससे उम्मीदें होती हैं कि वो ऐसा करेगा या उसके साथ ऐसा करुँगी!
शादी या प्यार की आरम्भिक स्थिति तो अच्छी लगती है, गाड़ियों या बाइक में बैठकर हाथ में हाथ डालकर घूमना या कुछ न कुछ जुगाड़ बनाकर पैसे इकट्ठे करके छोटे-मोटे ट्रिप प्लान करना या यादगार लम्हे गुजारना नए-नए प्रेमी युगलों को बेहद अच्छा लगता है लेकिन जब जिंदगी की हकीकत सामने आती है जिसमें रोज पेट भरने का जुगाड़ करना होता है, जिसमें एक-दूसरे के अलावा भी बहुत से काम और सपने पूरे करने होते हैं और किसी कारण से वो पूरे नहीं होते तो शुरू हो जाता है Bad Faith का खेल या कुछ सपनों को ख़त्म करने का काम और बस यहीं से रिश्तों की जटिलता समझ आनी शुरू हो जाती है।
वैसे ऊपर लिखा गया जो कुछ भी लिखा गया है वो किसी भी आदर्श रिश्ते में हो सकता है क्योंकि दुनिया में आदर्श रिश्ता जैसा कुछ नहीं होता, हाँ इतना जरूर है कि अच्छे रिश्तों में कड़वाहट इतनी नहीं होती कि बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है, हाँ संघर्ष तो होता है लेकिन जीवन में संघर्ष उतना ही होना चाहिए जो सहने लायक हो, गंभीर होती स्थिति को समय से पहले पहचानना ही समझदारी होती है अन्यथा भाग्य को, लोगों को दोष देना दुनिया में सबसे आसान काम है।
चलते-चलते ऐसी अप्रिय स्थितियों से बचने के लिए कुछ प्रैक्टिकल समाधानों को भी लिख रहा हूँ:
दुनिया में सबसे ज्यादा खुद को प्यार करें, और किसी भी चीज़ से ज्यादा अपने भविष्य के सपनों को सबसे ज्यादा सम्मान दें!
अपने जीवन का निर्धारण किसी और के भरोसे या हाथों करने से पहले खुद के हाथों से करें, अर्थात सबसे पहले अपने लिए सोचें, अपने जीवन और अपने करियर के लिए निर्धारित सपनों के लिए सोचें।
चाहें कोई प्राणों से भी ज्यादा प्यारा क्यों न हो उसपर भरोसा एक तय दायरे में ही करें, और साथ ही स्वयं से झूठ या स्वयं को झूठी तसल्ली बिल्कुल न दें, स्वयं के जीवन की स्थिति का आंकलन 100% ईमानदारी के साथ करें!
अपने माता-पिता, परिवार, मित्र या किसी भी अन्य पर एक सीमा तक ही भरोसा करें, अंत में वे भी एक इंसान हैं और वे भी इमोशन के साथ जीते हैं, संभव है कि वे आपका अच्छा ही सोचेंगे लेकिन सबकुछ ही अच्छा सोचेंगे या करेंगे ऐसा हमेशा सही नहीं होता।
अपने जीवन में किसी के भरोसे ख़ुशी पाने से पहले अपने आपको इतना प्यार दें किसी से कुछ न मिले तब भी ख़ुशी के लिए किसी का मोहताज न होना पड़े!
इमोशनल रहें, भावनाओं में बहें, अपने भरोसे या श्रद्धा को खूब कायम रखें लेकिन तर्क का भी उतना ही इस्तेमाल करें जितना आपके लिए कुछ और जरुरी है।
जीवन में कुछ भी करने से पहले अपने स्वयं के लिए एक अपनी क्षमताओं और उन क्षमताओं से कुछ ज्यादा एक लक्ष्य जरूर निर्धारित करें!
सकारात्मक साहित्य और अच्छे विचारों वाले लेखकों को लगातार पढ़ें!
जीवन में तकदीर के भरोसे न रहें क्योकिं ज्यादातर बार तकदीर हमारे किये गए कार्यों के भरोसे बैठी होती है और जीवन में हमें वैसे ही परिणाम मिलते हैं जो काम हम करते हैं। (जो बोया जाता है वो काटना ही पड़ता है, यह प्रकृति का और कर्म का अटल नियम है)
हो सके तो किसी बात का यदि आप अकेले निर्णय नहीं ले पा रहे हैं तो ऐसे लोगों से परामर्श अवश्य लें जिनसे आपको लगता है कि अच्छा समाधान या सुझाव मिल सकता है!
ऐसे कामों में समय ज्यादा दें जो आपके जीवन में बेहतर लाभ दे सकते हैं, सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा समय खर्च करने से बचें!
श्रीमदभगवत गीता के अध्याय 13 के इन श्लोकों में सम्पूर्ण जीवन का सार है, हालाँकि सिर्फ इतने से बहुत कुछ समझ में आ जाये यह कठिन है, लेकिन भगवत गीता का नियमित अध्ययन आपको बहुत सी समस्याओं के समाधान प्राप्त करने में निश्चित मदद करेगा ! इसलिए जब भी समय मिले श्रीमदभगवत गीता का अध्ययन अवश्य करें!
अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् । आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः ॥ ८ ॥
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्कार एव च । जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम् ॥ ९ ॥
असक्तिरनभिष्वङ्ग: पुत्रदारगृहादिषु । नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ॥ १० ॥
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी । विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि ॥ ११ ॥
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम् । एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ॥ १२ ॥
भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि: विनम्रता, अभिमान का त्याग (दम्भहीनता), अहिंसा, सहिष्णुता, सरलता, ज्ञानवान व्यक्ति को गुरु मानकर उनसे सीखना, पवित्रता, स्थिरता, आत्मसंयम, इन्द्रियतृप्ति के विषयों का त्याग करना, अहंकार का अभाव, जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था तथा रोग के दोषों की अनुभूति, वैराग्य, सन्तान, स्त्री, घर तथा अन्य वस्तुओं की ममता से मुक्ति, अच्छी तथा बुरी घटनाओं के प्रति समभाव, ईश्वर (भगवान कृष्ण) के प्रति निरन्तर अनन्य भक्ति, एकान्त स्थान में रहने की इच्छा, जन समूह से विलगाव, आत्म-साक्षात्कार की महत्ता को स्वीकारना, तथा परम सत्य की दार्शनिक खोज - इन सबको मैं ज्ञान घोषित करता हूँ और इनके अतिरिक्त जो भी है, वह सब अज्ञान है।
इस लेख में मेरी ओर से कोशिश की गई है कि तथ्यों, तर्कों और जीवन में सैकड़ों लोगों से मिले अनुभवों के आधार पर ही विचारों को संकलित करके आप सभी को साझा करूँ, वैसे अभी भी इस विषय पर लिखने को इतना कुछ है कि एक बड़ा संकलन तैयार किया जा सकता है, और साथ ही मेरे पुरुष मित्रों को लेकर भी बहुत कड़ा लिखा हूँ जिसके लिए दिल से खेद हैं लेकिन क्योंकि लेख का जो विषय है उसके इर्द-गिर्द ईमानदारी से लिखने का प्रयास किया है, लेकिन यह वादा है कि मानवीय रिश्तों और उनके व्यवहारों के ऊपर मेरी ओर से यह श्रंखला अब लगातार जारी रहेगी जिसमें पुरुषों के भावनात्मक पहलुओं पर भी गहराई से लिखूंगा!
आशा है कि आप सभी को इस लेख में दिए गए विचार सही लगे होंगे, यदि किसी विषय, तथ्य या विचार से आपकी कोई असहमति है या आपके पास भी इस लेख के विषय के इर्द-गिर्द कुछ और विचार या अनुभव साझा करने हों तो मुझे मेरी ईमेल [email protected] पर अवश्य लिखकर के भेजें, आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी!
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