Patna: The health department of Bihar on Thursday detected a new variant of Omicron in Indira Gandhi Institute of Medical Sciences (IGIMS).
The new variant BA.12 is 10 times more dangerous than BA.2 which was detected during the third wave of Corona in the country.
Prof Dr Namrata Kumari, the HOD of microbiology department of IGIMS, said: "Keeping in view the rising Covid cases, we had started genome sequencing of samples of Omicron variant of Corona. There were 13 samples tested and one of them had BA.12 strains. The remaining 12 samples have BA.2 strains."
"We have asked the authority for contact tracing of all the positive samples of Omicron. The BA.12 variant is 10 time more dangerous than BA.2. Though, there is no need to worry. Precaution is required here to protect from it," She said.
The BA.12 variant was first detected in the US. There were two to three cases detected in Delhi and now one case in Patna. (agency)
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बेंगलुरु: भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के नये शोध से यह खुलासा हुआ है कि दमे की एक दवा कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को रोकने में कारगर साबित हुई है।
आईआईएससी ने सोमवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि 'मोंटल्यूकास्ट' नाम की दमे की दवा पिछले 20 साल से बाजार में है और इसका इस्तेमाल दमा, हे फीवर और हाइव्स से ग्रसित मरीज करते हैं। यह अमेरिका के एफडीए से अनुमोदित दवा है।
आईआईएससी का यह शोध ईलाइफ में प्रकाशित हुआ है। शोध के दौरान पता चला कि यह दवा कोरोना वायरस के प्रोटीन एनएसपी1 के एक अंतिम सिरे यानी 'सी टर्मिनल' से मजबूती से जुड़ जाती है। यह उन पहले वायरल प्रोटीन में से एक है, जो मानव शरीर में प्रवेश करती है।
यह प्रोटीन राइबोजोम से जुड़ सकता है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं के भीतर होती है और वायरल प्रोटीन की सिंथेसिस को बंद कर सकता है। इसकी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। इसी वजह से एनएसपी1 को लक्षित करने से वायरस के कारण होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने एफडीए से अनुमोदित 1,600 दवाओं की स्क्रीनिंग की थी ताकि एनएसपी1 से तेज जुड़ने वाली दवा का पता लगाया जा सके। उन्होंने इस तरीके से 12 दवाओं को शॉर्टलिस्ट किया, जिनमें से मोंटल्यूकास्ट और एचआईवी की दवा साक्वि नाविर भी शामिल है।
शोध में पाया गया कि यह दवा लंबे समय तक प्रोटीन से जुड़ी रहती है। एचआईवी की दवा भी जुड़ती अचछे से है लेकिन यह प्रभाव देर तक नहीं रह पाता है। (एजेंसी)
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लंदन: दुनिया भर की 52 प्रतिशत से अधिक आबादी को हर साल सिरदर्द की समस्या से गुजरना पड़ता है, जिनमें से 14 प्रतिशत मामले माइग्रेन के होते हैं। ताजा शोध से यह भी खुलासा हुआ है कि पुरूषों की तुलना में महिलायें सिरदर्द से अधिक पीड़ित होती हैं। जर्नल ऑफ हेडेक एंड पेन में प्रकाशित नॉर्वे की साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की शोध रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 20 से 65 साल के आयुवर्ग में सिरदर्द की समस्या अधिक पायी जाती है।
शोधकर्ताओं ने 1961 से 2020 के बीच प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर सिरदर्द की समस्या का आकलन किया है।
उनकी इस समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 26 प्रतिशत लोग तनाव संबंधी सिरदर्द से ग्रसित होते हैं और 4.6 प्रतिशत लोगों ने हर माह 15 या उससे अधिक दिन सिरदर्द होने की बात की।
शोध से यह भी पता चला कि लगभग 15.8 प्रतिशत लोगों को कभी भी सिरदर्द होने लगता है और इनमें से करीब 50 फीसदी लोगों ने माइग्रेन की शिकायत की।
शोध रिपोर्ट के मुख्य लेखक लार्स जैकब सोवनर ने कहा कि दुनिया भर में सिरदर्द की समस्या आम है और इसके अलग-अलग रूप से कई लोग प्रभावित हैं। सिरदर्द रोकने के और इसके उपचार के बेहतर उपाय ढूंढने की जरूरत है।
शोध में कहा गया है कि महिलायें सिरदर्द से अधिक पीड़ित होती हैं। शोध में पाया गया कि 8.6 पुरूष माइग्रेन के शिकार होते हैं, वहीं 17 प्रतिशत महिलायें इससे पीड़ित होती हैं। इसी तरह छह प्रतिशत महिलाओं को 15 दिन या इससे अधिक दिन सिरदर्द की शिकायत होती है जबकि पुरूषों के मामले में इसका प्रतिशत 2.9 ही है। (एजेंसी)
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न्यूयॉर्क: ब्रॉकली और बंदगोभी, केल तथा ब्रसेल्स स्प्राउट जैसी पत्तेदार सब्जियां कोरोना वायरस और फ्लू के संक्रमण की गति कम करने में कारगर साबित हुई हैं। जॉन हॉप्किन्स चिल्ड्रेन सेंटर के शोधकर्ताओं के मुताबिक पौधों में पाया जाने वाला रसायन 'सल्फोराफेन' कैंसररोधी प्रभाव के लिये जाना जाता है। यह रसायन कोरोना वायरस को बढ़ने से भी रोकता है। यही रसायन ब्रॉकली और बंदगोभी, केल तथा ब्रसेल्स स्प्राउट जैसी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है।
नेचर जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने परीक्षण के लिये वाणिज्यिक रसायन आपूर्तिकर्ताओं से प्यूरिफाइड सिथेंटिक 'सल्फोराफेन' खरीदा।
वे 'सल्फोराफेन' को पहले कोशिका के संपर्क में लाये और उसके एक-दो घंटे के बाद उस कोशिका को सार्स कोविड-2 और फ्लू के वायरस से संक्रमित किया गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 'सल्फोराफेन' ने सार्स कोविड-2 के डेल्टा और ओमीक्रॉन वैरिएंट समेत छह स्ट्रेन के बढ़ने की गति को 50 प्रतिशत कम कर दिया। फ्लू वायरस के मामले में भी 'सल्फोराफेन' ने वायरस के दोगुनी होने की गति धीमी कर दी ।
'सल्फोराफेन' को जब रेमडिसिविर के साथ दिया गया तो भी दोनों तरह के वायरस के बढ़ने की गति 50 फीसदी तक कम हो गयी।
शोध टीम में शामिल यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अल्वारो ऑरडोनेज ने कहा कि 'सल्फोराफेन' दोनों वायरस के खिलाफ एक एंटीवायरस के रूप में काम करने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को भी नियंत्रित करने में मदद करता है।
शोधकर्ताओं ने बाद में यह परीक्षण चूहे पर किया। उन्होंने पाया कि चूहे के वजन के प्रति किलोग्राम के बराबर 30 मिलीग्राम 'सल्फोराफेन' दिया जाये और उसे फिर कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाये तो उसके वजन में कमी आने की गति काफी कम हो जाती है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर वजन में आमतौर पर साढ़े सात प्रतिशत की कमी आ जाती है।
शोध में यह भी पाया गया कि जिन चूहों को 'सल्फोराफेन' नहीं दिया गया उनकी तुलना में जिन चूहों का पहले ही उपचार किया गया, उनके फेफड़े में वायरल लोड में 17 प्रतिशत और ऊपरी श्वसन नली में वायरल लोड में नौ प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आती है। इसके अलावा फेफड़े की क्षति में 29 प्रतिशत की कमी आती है।
'सल्फोराफेन' फेफड़े की सूजन को कम करने और अधिक सक्रिय प्रतिरोधी क्षमता से कोशिका को बचाने में भी कारगर है। इन कारणों से ही कई कोरोना संक्रमितों ने दम तोड़ा है।
शोधकर्ताओं ने लेकिन साथ ही सचेत किया है कि आम लोगों को ऑनलाइन या स्टोर में जाकर 'सल्फोराफेन' का सप्लीमेंट खरीदने की होड़ नहीं लगानी चाहिये। उन्होंने कहा कि मानव शरीर पर 'सल्फोराफेन' के प्रभाव का अध्ययन जरूरी है और तब ही इसे प्रभावी करार दिया जा सकता है। इसके अलावा इन सप्लीमेंट के निर्माण में जरूरी नियमों की भी कमी है। (एजेंसी)
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वाशिंगटन: अमेरिका में बीते एक महीने में करीब 270,000 बच्चे कोरोना पॉजिटिव हुए हैं। ये जानकारी अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) और चिल्ड्रन हॉस्पिटल एसोसिएशन की रिपोर्ट से सामने आई है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2 साल से ज्यादा समय पहले महामारी की शुरूआत के बाद से लगभग 1.28 करोड़ बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 19 प्रतिशत बच्चे कोरोना पॉजिटिव हैं। 17 मार्च को समाप्त हुए पिछले सप्ताह में कुल 31,991 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
बीते 4 हफ्तों में लगभग 270,000 बच्चों के मामले दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2021 के पहले सप्ताह से अब तक 77 लाख से ज्यादा बच्चों के मामले सामने आए हैं।
आप ने कहा कि नए रूपों से संबंधित बीमारी की गंभीरता के साथ-साथ संभावित दीर्घकालिक प्रभावों का आकलन करने के लिए ज्यादा डेटा इक्ठ्ठा करने की तत्काल जरूरत है। (एजेंसी)
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वाशिंगटन: अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फौसी के अनुसार, कोविड -19 महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और जल्द ही यहां ओमीक्रॉन का नया वैरिएंट तबाही मचा सकता है।
सीएनबीसी के मुताबिक फौसी ने कहा कि अमेरिका में लगभग 25 या 30 प्रतिशत संक्रमण के नये मामले बीए.2 सबवैरिएंट के कारण हो रहे हैं और जल्द ही यह संक्रमण का मुख्य कारण हो सकता है।
फौसी ने कहा कि उन्हें मामलों में वृद्धि की उम्मीद है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि अन्य वैरिएंट की तरह ही इसकी वजह से बड़े पैमाने पर मामलों में उछाल आये।
अमेरिका के राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार फौसी कहते हैं कि बीए.2 सबवैरिएंट ओमीक्रॉन की तुलना में लगभग 50 से 60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है लेकिन यह अभी अधिक गंभीर प्रतीत नहीं होता है।
उन्होंने कहा ,जब आप संक्रमण के मामलों को देखते हैं तो वे अधिक गंभीर नहीं लगते हैं और वे टीकों या पूर्व संक्रमणों से उत्पन्न प्रतिरक्षा क्षमता से बचते नहीं दिखते हैं।
इस वैरिएंट ने पहले ही चीन और ब्रिटेन सहित यूरोप के कई हिस्सों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि की है। स्वास्थ्य अधिकारी इस बात पर जोर देते रहे हैं कि कोरोना वायरस के टीका और बूस्टर डोज संक्रमण के कारण व्यक्ति के अधिक बीमार होने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका हैं।
अन्य अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी अत्यधिक संक्रामक बीए.2 वैरिएंट को लेकर चेतावनी दे रहे हैं।
अमेरिका के सर्जन जनरल विवेक मूर्ति ने फॉक्स न्यूज से कहा कि नया वैरिएंट कोरोना संक्रमण के नये मामलों तेजी ला सकता है लेकिन अमेरिका इससे अच्छी तरह से निपटने के लिये दो साल पहले की तुलना में अधिक तैयार है।
उन्होंने कहा कि हमें तैयार रहना होगा। कोरोना गया नहीं है। हमारा ध्यान तैयारियों पर होना चाहिये न कि घबराने पर।
दवा कंपनी फाइर के बोर्ड सदस्य एवं एफडीए के पूर्व प्रमुा स्कॉट गॉटलिब का भी कहना है कि नया वैरिएंट संक्रमण में तेजी लायेगा लेकिन इससे किसी नयी लहर के आने की आशंका नहीं है।
इसी बीच अमेरिकी के सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल द्वारा जारी आंकड़ो के मुताबिक शनिवार को संक्रमण 31,200 से अधिक नये मामले सामने आये और कोरोना संक्रमण के कारण 958 लोगों की जान चली गयी। (एजेंसी)
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