सच्चा प्यार और मोहब्बत यह एक ऐसा माया मृग (छल/झूठ) बनता जा रहा है जिसको पाने के लिए हर कोई उतावला है लेकिन जब इस ओर लोग बढ़ते हैं तब समझ आता है कि जिंदगी तो कुछ और ही है।
वैसे मेरी इस बात से बहुत से लोग भरोसा नहीं करेंगे या संभव है कि नाक-मुंह भी बना लें, खासकर के प्यार की चासनी में लिपटे या यूँ कहूं कि नहाये हुए वो लोग जिनके दिन की शुरुआत और अंत बाबू, सोना, जानू, I love you जैसे शब्दों से शुरू होती है या दिन के कई घंटे इसी तरह की चैट या कॉल में जाते हों! लेकिन यक़ीन मानिये जैसे-जैसे यह लेख आप पढ़ते जायेंगे तो निश्चित ही यह भरोसा तो आपको हो ही जायेगा कि जो विचार और सोच या रिश्ते लेकर आप चल रहे हैं उसपर एक बार गंभीरता से विचार करना कितना जरुरी है, कृपया एक बार गंभीरता से पूरे लेख को अवश्य पढ़ें!
इस लेख में बात शुरू करते हैं दुनिया के सबसे बड़े टॉपिक "मोहब्बत और सेक्स" से (यह बात कई तरह के रिसर्च में सिद्ध हो चुकी है की लोगों के लिए यही विषय सबसे पसंदीदा हैं), आम तौर पर इस संसार में मौजूद लगभग प्रत्येक प्राणी के जीवनचक्र का यह एक ऐसा पहलु है जिससे शायद ही कोई अछूता रहा हो, इससे न इंसान बचा और न जानवर!
जाहिर सी बात है कि जब इतने तरह के प्राणी और इतना बड़ा संसार इसी ओर भाग रहा है तो कुछ तो विशिष्ट होगा ही इसमें, वैसे यदि विज्ञान की भाषा में इसको कहें तो यह हमारे शरीर में मौजूद कुछ विशेष तरह के Hormones से जुड़ा हुआ है, और यदि आध्यात्म या आयुर्वेद की भाषा में कहें तो यह यह मानवीय संवेदनाओं, भावनाओं और जीवन की इच्छा से जुड़ा हुआ है।
अब जब बात रिश्तों की आती है , खासकर के जिसे आज के समय में विपरीत लिंग के साथ आकर्षण को प्रेम का नाम दे दिया गया है उसमें कई तरह के विकार या गलत भाव आ चुके हैं, यदि इसकी जड़ में जाएँ तो विज्ञान के हिसाब से इसके लिए जो सबसे बड़ा हॉर्मोन जिम्मेदार है वो है टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) इसे हम male (पुरुष) हॉर्मोन भी कहते हैं, यह हॉर्मोन आदमियों में या इस दुनिया के सभी तरह के नर चाहे वो गधा, घोड़ा, कुत्ता, हाथी, शेर आदि कोई भी हो उन सभी में मौजूद होता है जिसका काम है पुरुषों में सेक्स ड्राइव को बढ़ाना!
प्राकृतिक रूप से 99.99% पुरुषों में जब विपरीत लिंग के प्रति जब प्यार / मोहब्बत और इश्क़ जैसा कुछ भी आता है तो उसके दिमाग में शुरुआत से लेकर आगे तक अपने साथी के साथ सेक्स ही आकर्षण का सबसे पहला और अंतिम पहलु होता है, संभव है आप में से कुछ लोग इससे सहमत न हों लेकिन पुरुषों की यह प्राकृतिक स्थिति होती है और विज्ञान के कई रिसर्च भी यही सिद्ध करते हैं!
हालाकिं निश्चित रूप से अपवाद भी होते हैं और कई परिस्थितियों और रिश्तों के अनुरूप भी पुरुषों का व्यवहार बदल जाता है जैसे परिवार में मौजूद अन्य महिलाओं जैसे : माता, बहन, दादी, बेटी आदि के प्रति निश्चित रूप से पुरुषों के विचार और सोच अलग चलती है, लेकिन जैसे ही वह इन रिश्तों के दायरे के बाहर खड़ा होता है और उसे विपरीत लिंग का कोई दिखता है तो स्वतः ही उसका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन उसके ऊपर हावी होने लगता है, हालाँकि वर्तमान समय में यह सब इसलिए भी बहुत अधिक बढ़ा है क्योंकि आज के समय में सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से प्रत्येक तरह की सामग्री और अश्लीलता इतने सहजता से सभी के लिए उपलब्ध है कि लोगों ने इन बातों को ही सही दुनिया समझ लिया है साथ ही इस विषय पर सही एजुकेशन के नाम पर महज मजाक भर ही हमारे समाज के बीच में है। वहीं इसके विपरीत सात्विक (मन की बेहद ही प्रसन्न और संतुष्ट रहने वाली अवस्था) आचरण, सदाचार या ब्रह्म की चर्या जिसे ब्रह्मचर्य का नाम दिया गया इस सभी की भी व्याख्या लोगों ने अपने-अपने मन से करके ऐसी बना दी है कि इसे या तो मजाक का विषय समझा जाता है या फिर कुछ आदर्श पुरुषों की स्थिति की तरह देखा जाने लगा है!
वहीं दूसरी ओर जब हम महिलाओं की बात करते हैं तो उनमें प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हॉर्मोन शरीर के सेक्सुअल व्यवहार, मासिक चक्र आदि के लिए जिम्मेदार होता है, साथ ही यह हार्मोन महिलाओं में चिड़चिड़ापन, उदासी, चिंता आदि जैसे इमोशनल बदलावों के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसलिए ही जब महिलाएं अपनी मर्जी से किसी के साथ शारीरिक संपर्क में आती हैं तो उनके साथ बेहद ही ज्यादा भावनात्मक रूप से खुद को जोड़ लेती हैं और ऐसे पुरुष के लिए भी वे कुछ भी करने को तैयार हो जाती हैं!
महिलाओं और पुरुषों के इन्हीं अलग-अलग हॉर्मोन्स के कारण जो प्यार को लेकर ग्राफ की स्थिति बनती है वो कुछ इस तरह की होती है:
पुरुष जो आरम्भ में बेहद प्यार करने वाले, उतावले, अपनी प्रेमिका के लिए कुछ भी कर डालने की बात करने वाले आदि-आदि तरीके के आदर्श आचरण और व्यवहार करते हैं वे अचानक ही जैसे ही उनका मुख्य काम होता है अर्थात जैसे ही उनका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन से जुड़ा काम या यह संतुष्ट होता है मतलब उसका सेक्स से जुड़ा कार्य पूरा होता है वैसे ही वो रंग बदलना आरम्भ कर देता है। वह व्यक्ति धीरे-धीरे फिर कोई और की तलाश की ओर बढ़ जाता है या जिसके साथ है तो वह और अधिक आनंद प्राप्त नहीं कर पाता है। (निश्चित रूप से इस लेख में मेरे द्वारा लिखी जा रहीं बातें एक आदर्श स्थिति नहीं है बल्कि आज के विकृत हो चुके विचारों, परिस्थितियों और सामाजिक स्थिति है, लेकिन न चाहते हुए भी एक कटु सत्य ही है!) अर्थात पुरुषों का प्यार का ग्राफ जो शुरू में चरम सीमा पर या अपने टॉप स्तर पर था वो ऊपर से नीचे और नीचे से और धरातल यानी की निगेटिव की ओर बढ़ता जाता है। (हाँ यह संभव है कि कुछ पुरुषों में यह प्यार का ग्राफ एकदम तेज़ी से कुछ ही हफ़्तों या महीनों में नीचे चला जाता है और कुछ में नीचे जाने में कुछ वर्ष भी लगते हैं लेकिन वर्तमान समय के पुरुष स्वाभाव के अनुसार यह ग्राफ जाता नीचे ही है।)
जबकि इसके विपरीत महिलाओं की स्थिति एकदम अलग होती है, आरम्भ में उनके प्यार का ग्राफ एक सामान्य लेवल पर या बिल्कुल ही प्रारंभिक स्थिति में होता है, जो धीरे-धीरे कई तरह की स्थितियों और सामने वाले की ओर से किये जा रहे कई प्रयासों और आकर्षण से धीरे-धीरे बढ़ता जाता हैं और जब वे इस स्तर पर पहुँच जातीं हैं कि वे पुरुष के साथ शारीरिक संपर्क स्थापित कर लेती हैं तो वे किसी भी स्थिति में अपने उस प्यार करने वाले पुरुष के साथ ही रहना चाहती हैं। यहाँ तक कि वे उसके लिए घर-परिवार, माता-पिता आदि सभी को छोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं, अभी दिल्ली में हुआ श्रद्धा मर्डर केस इसका एकदम आदर्श उदाहरण है, कि आफताब नाम के लड़के के साथ उसकी लगातार हिंसा होती थी, रिश्ता बिगड़ता ही जा रहा था, लेकिन उस सबके बाद भी वो किसी न किसी बहकावे में आकर उस लड़के से अलग नहीं हो पा रही थी, यहाँ तक कि अपने परिवार और दोस्तों से भी अच्छी खासी दूरी बनाकर के रह रही थी, उसके पिता को उसके दोस्तों से बात करके या सोशल मीडिया के उसके अकाउंट से उसका हाल पता चलता था। हालाकिं लड़कियों से माता-पिता या परिवार के साथ सही से न जुड़ पाने को लेकर या अपनी बात खुलकर न कर पाने के कई और सामाजिक पहलु हैं जिन्हें हम इसी लेख में आगे पढ़ेंगे!
महिलाओं के प्यार का ग्राफ नीचे या बीच से ऊपर और उससे और ऊपर की ओर ही बढ़ता जाता है। और उनकी इन्हीं भावनाओं और पहलु के कारण उनमें शुरू होती है एक अजीब सी स्थिति जिसे साइकोलॉजी की भाषा में "Bad Faith" कहते हैं, वैसे तो इस शब्द की व्याख्या में कई लम्बे-लम्बे विचार लिखे गए हैं, लेकिन इस लेख के विषय के सन्दर्भ में यदि लिखूं तो इसका अर्थ यह है कि लड़कियां खुद को झूठी तसल्ली या झूठा भरोसा देना शुरू कर देती हैं, और अधिक सरल भाषा में कहूं तो रिश्तों में दिख रही समस्याओं को नज़रअंदाज करना आरम्भ कर देती हैं!
जैसे जब उनका पुरुष पार्टनर उनको कम समय देना शुरू करता है तो वे समझ नहीं पातीं या समझकर भी "Bad Faith" के भरोसे बैठी होती हैं शायद सब अच्छा हो जायेगा या शायद बेचारा काम में या परिवार में उलझ रहा है, या वो बहाने जो लड़का बनाना शुरू करता है या अलग-अलग इमोशनल तरीके से बहलाता है तो उसमें बिना दिमाग लगाए भरोसा करती चली जाती हैं!
आजकल के दौर में इस तरह कि स्थितियां सबसे ज्यादा लिव-इन रिलेशन में या लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में या लम्बे समय से प्यार में डूबे तथाकथित प्यार करने वाले युवाओं में ज्यादा दिखाई देती हैं, जिसके कई सामाजिक पहलु भी होते हैं!
जैसे लड़के-लड़की का अलग-अलग जाति (कास्ट) या धर्म का होना, यह आजकल की एक बहुत कॉमन समस्या है!
यह एक बड़ी समस्या तब और बन जाती है जब लड़का या लड़की में से कोई एक अपने माँ-बाप के साथ रह रहा होता है, क्योंकि ऐसे में उस लड़के या लड़की के ऊपर माता-पिता का इमोशनल प्यार या आज की भाषा में कहें तो अत्याचार चल रहा होता है, क्योंकि माँ या बाप या कभी-कभी दोनों को यह लगता है कि इस बच्चे को तो हमने बचपन से पाला है, बड़ा किया है और अचानक से कुछ महीनों से या सालों में मेरा यह बच्चा / बच्ची इस लड़की या लड़के से कनेक्ट हो गई है और अब यह हमारी जगह उसको ज्यादा तबज्जो कैसे दे सकता है!! कई बार यह स्थिति उन माँ-बाप के ईगो को हर्ट कर देता है जो वे या तो गुस्से में बातों के माध्यम से निकालते हैं या कई बार माँ-बाप या परिवार के लोग अपने झूठे अहंकार या झूठी सामाजिक इज्जत के नाम पर इतना गंभीरता से ले जाते हैं कि अपने ही बच्चे या बच्ची की हॉनर किलिंग तक पहुंच जाते हैं लेकिन ज्यादातर मामले स्लो पाइजन (धीमे जहर) के रूप में आगे बढ़ते हैं!
स्लो पाइजन वाली स्थिति ज्यादातर बार लड़कियों के साथ शादी के बाद ज्यादा होती है, इसकी एक बेहद बड़ी वजह उत्तर भारत में मुझे देखने को मिली वो है ऐसे रिश्तों में लड़के वालों के घर वालों की कई इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं जो वे लड़के के दवाब में उस समय तो नहीं बोल पाते लेकिन धीरे-धीरे जैसे ही कुछ समय बीतता है वो स्लो पाइजन के रूप में बाहर निकलती हैं, जैसे जब लड़का-लड़की लव मैरिज या इंटरकास्ट मैरिज कर लेते हैं तब शुरुआत शादी और परिवार के रीति-रिवाजों से शुरू होती है कि.... लड़की के घर वालों को तो ये नहीं पता वो नहीं पता!! इन्होने वो सम्मान नहीं किया!! ये गलत कर दिया...शुरू में प्यार में डूबे लोग इसको हँसते हुए नज़रअंदाज करते हैं!!
कई बार यह स्थिति अच्छे से दहेज़ न मिल पाने के कारण भी बनती है (हमारे देश में विशेषकर के उत्तर भारत में यदि किसी का लड़का थोड़ा सा पढ़-लिख जाता है या कुछ सही कमाने लगता है तो वो उनके लिए एक दुधारू गाय की तरह होता है, जिसे बाजार में कई तरह की बोली लगाकर लोग अपनी लड़कियों के लिए रिश्ता करने के लिए एक पैर पर तैयार खड़े होते हैं), लेकिन ऐसे आकर्षक पैसों से भरे ऑफर के बीच में जो माँ-बाप या परिवार इस काम में अपने बच्चे की लव मैरिज के चक्कर में चूक जाते हैं वे शादी के बाद बेहद अजीब-अजीब से तर्कों के साथ उनकी यह अधूरी इच्छा कई तरह की भड़ास के रूप में बाहर निकलती है और इसका पूरा सामना लड़की को अकेले ही झेलना पड़ता है! और इस स्थिति में कोढ़ में खाज वाली बात यह और होती है कि लड़की के घर वाले भी उसका साथ नहीं दे रहे होते क्योंकि लड़की ने अपनी जिद से शादी की होती है तो जिससे उसके खुद के माँ-बाप का पहले ही ईगो हर्ट हुआ होता है और ऐसी स्थिति देखकर उनको कहने या बातें सुनाने का मौका मिल जाता है कि तुम्हें तो हमने पहले ही मना किया था लेकिन तुमने हमारी बात कहाँ मानी...., कई बार तो लड़कियां खुल के अपने दिल की बात और स्थिति अपने माँ-बाप को इस कारण ही नहीं बताती क्योंकि वो ही स्वयं को इस स्थिति का जिम्मेदार मानती हैं और एक Bad Faith के सहारे खुद को समझातीं रहती हैं!
कुछ महिलाएं ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह सोचती हैं कि शायद उनका बच्चा हो जायेगा तो ऐसा नहीं होगा, लेकिन अधिकांश हालातों में यह रुकता नहीं बस स्थिति एक अलग तरह की ढलान की ओर बढ़ जाती है जहाँ से ऊपर आना बेहद मुश्किल या यूँ कहें नामुमकिन सा होता है!!
अब ऐसे में वे लड़कियां ज्यादा खुशकिस्मत होती हैं जो शादी से पहले ही ऐसी किसी स्थिति का सामना करती हैं, जहाँ लड़के के घरवाले उसे किसी और जगह दवाब बनाने के लिए कह रहे होते हैं, वो भी यही कह रहा होता है कि बाबू तुमसे तो मैं दिल-जहाँ से प्यार करता हूँ लेकिन अब घर वालों को कैसे समझाऊं मैं नहीं समझ पा रहा, कई लड़के खुल के नहीं बोलते तो कई मन में उस लड़की से सही में पूरी तरह से ऊब चुके होते हैं और नए रिश्ते में एक नया साथी और पैसा दोनों ही उसको दिख रहा होता है ......कई हिम्मत करके यह बोल देते हैं कि मैं शादी नहीं कर सकता .... लड़कियों को इस स्थिति में तत्काल समझ जाना चाहिए कि यह एक अलार्म वाली स्थिति है लेकिन उनको लगता है कि नहीं ऐसा कैसे हो सकता है जो लड़का दिन रात मेरे पीछे दुम हिलाता था, या जो अभी भी मुझे चाहता है, या यह तो मेरे हुस्न या सुंदरता पर लट्टू था, अचानक इसको क्या हो गया (ऐसा ही वहम शायद दीपिका पादुकोण को रहा होगा लेकिन वो भी ऐसे ही टॉक्सिक रिलेशनशिप के चक्कर में डिप्रेशन में जा चुकी हैं, जिन लोगों को यह किस्सा पता नहीं तो वे गूगल अवश्य करें)..... किसी भी लड़की के लिए यह बात निश्चित रूप से ख़राब ही लगेगी कि उसके साथ हर तरह का समय बिताने के बाद यह लड़का अपने घर की या किसी स्थिति से अब पीछे हटने की बात कर रहा है, या कई बार लड़के पीछा छुड़ाने के लिए लड़ाई-झगड़ा, मार-पिटाई भी कर देते हैं ...
लेकिन इन सबके बाद भी लड़कियां कई बार यह सोचती हैं कि जिस लड़के के सामने उन्होंने अपना सबकुछ दे दिया अब कोई और उनको स्वीकार कैसे करेगा!! किसी और के सामने वो खुलकर कैसे बता पाएंगी कि उनका किसी के साथ रिश्ता था!! या अभी जो लड़का उनके साथ है वो इतना अच्छा है या देखने में इतना सुन्दर है या कोई और तर्क से सिर्फ यह सोचती हैं कि यह चला गया तो कोई दूसरा कैसे मिलेगा ...और इन्हीं सब कारणों, अपने हॉर्मोन और Bad Faith के आगे मजबूर होकर उस हिस्से की ओर आगे बढ़ जाती हैं जहाँ शुरू से ही उन्हें आगे न बढ़ने के कई indication उन्हें मिल रहे होते हैं, लड़कियों को अपने ऐसे कदम के चक्कर में समाज, परिवार और यहाँ तक की अपने जीवन के लिए देखे जाने वाले कई सपनों से समझौता या बगावत करनी पड़ती है लेकिन बस इस भरोसे से वो आगे बढ़ती जाती हैं कि उनके साथ कुछ गलत नहीं हो सकता और हकीकत कभी श्रद्धा मर्डर के रूप में तो कभी दहेज़ हत्या के रूप में तो कभी खुद जाकर सुसाइड जैसे भयावह कदम उठाने पड़ते हैं।
इस लेख में एक अंतिम बात और जोडू तो लड़कियों की फंतासी (Fantasy) की स्थिति भी कई बार गंभीर परिणामों को लेकर के आती हैं, क्योंकि हमारे भारत में लड़कियों को माँ-बाप या परिवार हमेशा बेहद देखरेख वाले तरीके से पालने की कोशिश करता हैं जैसे यह ड्रेस क्यों पहनी, इसके साथ क्यों जा रही हो, इतना क्यों खर्च कर रही हो, यह बनाना सीखो, ससुराल जाकर यह करना यहाँ नहीं चलेगा यह सब, या लड़की कमाने लगती हैं तो उसकी आमदनी पर नियंत्रण करते हैं, रात में यहाँ क्यों जा रही हो, यह क्यों कर रही हो वो क्यों कर रही हो आदि....आदि... ऐसे सब में लड़की के अंदर एक अनचाही फंतासी (Fantasy) बढ़ती जाती है कि जब शादी होगी तो यह करुँगी, वहां घूमूंगी, या कोई शादी से पहले मिल जाता है तो उससे उम्मीदें होती हैं कि वो ऐसा करेगा या उसके साथ ऐसा करुँगी!
शादी या प्यार की आरम्भिक स्थिति तो अच्छी लगती है, गाड़ियों या बाइक में बैठकर हाथ में हाथ डालकर घूमना या कुछ न कुछ जुगाड़ बनाकर पैसे इकट्ठे करके छोटे-मोटे ट्रिप प्लान करना या यादगार लम्हे गुजारना नए-नए प्रेमी युगलों को बेहद अच्छा लगता है लेकिन जब जिंदगी की हकीकत सामने आती है जिसमें रोज पेट भरने का जुगाड़ करना होता है, जिसमें एक-दूसरे के अलावा भी बहुत से काम और सपने पूरे करने होते हैं और किसी कारण से वो पूरे नहीं होते तो शुरू हो जाता है Bad Faith का खेल या कुछ सपनों को ख़त्म करने का काम और बस यहीं से रिश्तों की जटिलता समझ आनी शुरू हो जाती है।
वैसे ऊपर लिखा गया जो कुछ भी लिखा गया है वो किसी भी आदर्श रिश्ते में हो सकता है क्योंकि दुनिया में आदर्श रिश्ता जैसा कुछ नहीं होता, हाँ इतना जरूर है कि अच्छे रिश्तों में कड़वाहट इतनी नहीं होती कि बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है, हाँ संघर्ष तो होता है लेकिन जीवन में संघर्ष उतना ही होना चाहिए जो सहने लायक हो, गंभीर होती स्थिति को समय से पहले पहचानना ही समझदारी होती है अन्यथा भाग्य को, लोगों को दोष देना दुनिया में सबसे आसान काम है।
चलते-चलते ऐसी अप्रिय स्थितियों से बचने के लिए कुछ प्रैक्टिकल समाधानों को भी लिख रहा हूँ:
दुनिया में सबसे ज्यादा खुद को प्यार करें, और किसी भी चीज़ से ज्यादा अपने भविष्य के सपनों को सबसे ज्यादा सम्मान दें!
अपने जीवन का निर्धारण किसी और के भरोसे या हाथों करने से पहले खुद के हाथों से करें, अर्थात सबसे पहले अपने लिए सोचें, अपने जीवन और अपने करियर के लिए निर्धारित सपनों के लिए सोचें।
चाहें कोई प्राणों से भी ज्यादा प्यारा क्यों न हो उसपर भरोसा एक तय दायरे में ही करें, और साथ ही स्वयं से झूठ या स्वयं को झूठी तसल्ली बिल्कुल न दें, स्वयं के जीवन की स्थिति का आंकलन 100% ईमानदारी के साथ करें!
अपने माता-पिता, परिवार, मित्र या किसी भी अन्य पर एक सीमा तक ही भरोसा करें, अंत में वे भी एक इंसान हैं और वे भी इमोशन के साथ जीते हैं, संभव है कि वे आपका अच्छा ही सोचेंगे लेकिन सबकुछ ही अच्छा सोचेंगे या करेंगे ऐसा हमेशा सही नहीं होता।
अपने जीवन में किसी के भरोसे ख़ुशी पाने से पहले अपने आपको इतना प्यार दें किसी से कुछ न मिले तब भी ख़ुशी के लिए किसी का मोहताज न होना पड़े!
इमोशनल रहें, भावनाओं में बहें, अपने भरोसे या श्रद्धा को खूब कायम रखें लेकिन तर्क का भी उतना ही इस्तेमाल करें जितना आपके लिए कुछ और जरुरी है।
जीवन में कुछ भी करने से पहले अपने स्वयं के लिए एक अपनी क्षमताओं और उन क्षमताओं से कुछ ज्यादा एक लक्ष्य जरूर निर्धारित करें!
सकारात्मक साहित्य और अच्छे विचारों वाले लेखकों को लगातार पढ़ें!
जीवन में तकदीर के भरोसे न रहें क्योकिं ज्यादातर बार तकदीर हमारे किये गए कार्यों के भरोसे बैठी होती है और जीवन में हमें वैसे ही परिणाम मिलते हैं जो काम हम करते हैं। (जो बोया जाता है वो काटना ही पड़ता है, यह प्रकृति का और कर्म का अटल नियम है)
हो सके तो किसी बात का यदि आप अकेले निर्णय नहीं ले पा रहे हैं तो ऐसे लोगों से परामर्श अवश्य लें जिनसे आपको लगता है कि अच्छा समाधान या सुझाव मिल सकता है!
ऐसे कामों में समय ज्यादा दें जो आपके जीवन में बेहतर लाभ दे सकते हैं, सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा समय खर्च करने से बचें!
श्रीमदभगवत गीता के अध्याय 13 के इन श्लोकों में सम्पूर्ण जीवन का सार है, हालाँकि सिर्फ इतने से बहुत कुछ समझ में आ जाये यह कठिन है, लेकिन भगवत गीता का नियमित अध्ययन आपको बहुत सी समस्याओं के समाधान प्राप्त करने में निश्चित मदद करेगा ! इसलिए जब भी समय मिले श्रीमदभगवत गीता का अध्ययन अवश्य करें!
अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् । आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः ॥ ८ ॥
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्कार एव च । जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम् ॥ ९ ॥
असक्तिरनभिष्वङ्ग: पुत्रदारगृहादिषु । नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ॥ १० ॥
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी । विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि ॥ ११ ॥
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम् । एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ॥ १२ ॥
भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि: विनम्रता, अभिमान का त्याग (दम्भहीनता), अहिंसा, सहिष्णुता, सरलता, ज्ञानवान व्यक्ति को गुरु मानकर उनसे सीखना, पवित्रता, स्थिरता, आत्मसंयम, इन्द्रियतृप्ति के विषयों का त्याग करना, अहंकार का अभाव, जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था तथा रोग के दोषों की अनुभूति, वैराग्य, सन्तान, स्त्री, घर तथा अन्य वस्तुओं की ममता से मुक्ति, अच्छी तथा बुरी घटनाओं के प्रति समभाव, ईश्वर (भगवान कृष्ण) के प्रति निरन्तर अनन्य भक्ति, एकान्त स्थान में रहने की इच्छा, जन समूह से विलगाव, आत्म-साक्षात्कार की महत्ता को स्वीकारना, तथा परम सत्य की दार्शनिक खोज - इन सबको मैं ज्ञान घोषित करता हूँ और इनके अतिरिक्त जो भी है, वह सब अज्ञान है।
इस लेख में मेरी ओर से कोशिश की गई है कि तथ्यों, तर्कों और जीवन में सैकड़ों लोगों से मिले अनुभवों के आधार पर ही विचारों को संकलित करके आप सभी को साझा करूँ, वैसे अभी भी इस विषय पर लिखने को इतना कुछ है कि एक बड़ा संकलन तैयार किया जा सकता है, और साथ ही मेरे पुरुष मित्रों को लेकर भी बहुत कड़ा लिखा हूँ जिसके लिए दिल से खेद हैं लेकिन क्योंकि लेख का जो विषय है उसके इर्द-गिर्द ईमानदारी से लिखने का प्रयास किया है, लेकिन यह वादा है कि मानवीय रिश्तों और उनके व्यवहारों के ऊपर मेरी ओर से यह श्रंखला अब लगातार जारी रहेगी जिसमें पुरुषों के भावनात्मक पहलुओं पर भी गहराई से लिखूंगा!
आशा है कि आप सभी को इस लेख में दिए गए विचार सही लगे होंगे, यदि किसी विषय, तथ्य या विचार से आपकी कोई असहमति है या आपके पास भी इस लेख के विषय के इर्द-गिर्द कुछ और विचार या अनुभव साझा करने हों तो मुझे मेरी ईमेल [email protected] पर अवश्य लिखकर के भेजें, आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी!
आपका !
आयुर्वेदाचार्य डॉ. अभिषेक !!
Menstrual health comprises the physical, social and mental aspects related to menstruation or periods. In India, women's health has been given secondary importance due to a male dominant society, illiteracy, low socio-economic conditions and ignorance.
The most common causes of menstrual problems are PCOS (Polycystic Ovarian Syndrome), and abnormal or heavy menstrual bleeding. Menstruation or monthly periods have been associated with a lot of social and cultural taboos in India.
Many young girls and women do not have facilities to manage their menses hygienically, maintaining their privacy, dignity and gender equality at home, schools and workplaces.
So, what are normal periods? A normal menstrual period lasts from 2-7 days and comes at an interval of 21-35 days. It is difficult to quantify the actual menstrual flow. In general, use of three to four XL or regular size sanitary pads per day (since they need to be changed every six to eight hours) can be considered normal on an average, but it may vary depending on the individual.
Common Menstrual Problems
1. Menstrual hygiene
2. Menstrual flow
3. Menstrual cycle
4. Menstrual hormones
Menstrual Hygiene Related Problems: Use of unclean sanitary pads or clothes can give rise to genital tract infections, anaemia and urinary tract Infection. This can be prevented by social awareness and easy availability of affordable sanitary products. It is also important to have the right knowledge about menstrual hygiene to avoid such issues from taking place.
Menstrual Flow Related Problems: One can experience excess or scanty flow during periods. Usually heavy menstrual flow can be for 1-2 days but if it continues for more than 5-7 days, it can lead to low haemoglobin and anaemia. This definitely needs to be investigated and treated along with oral iron replacement therapy. The less flow or change in flow over years can be due to hormonal imbalance. This can occur mostly after completion of family in perimenopausal age.
Menstrual Cycle Related Problems: Irregular periods, skipping or not getting periods for more than six months (also known as secondary amenorrhoea) and bleeding in between periods (called inter menstrual bleeding) are a few problems under this type of problem. The most common cause for this is Polycystic Ovarian Syndrome (PCOS), stress, anxiety and depression. Investigations in the form of pelvic sonography and hormonal investigations are necessary to make a diagnosis. Regular exercise, a balanced diet and healthy lifestyle changes are important.
Menstrual Hormone Related Problems: This usually gives rise to psychomotor issues. They can be symptoms of Premenstrual Syndrome (PMS) at any age group or peri/postmenopausal vasomotor symptoms after the age of 45. Bloating, breast tenderness, irritability and depression which occur premenstrually and disappear with onset of periods are classical symptoms of PMS. If they are affecting day to day family life, then it needs to be treated.
Every woman experiences menopausal symptoms in varying severity, starting usually 4-5 years before menopause. The night sweats, hot flushes, low moods, anxiety, irritability, joint and muscle pain, loss of interest in having sex, and weight gain are typical menopausal symptoms due to deficiency of oestorgen hormones.
No matter which type of menstrual problem you're facing, it is always advisable to visit a gynaecologist who will be able to identify all your queries after making the right diagnosis.
Nua, a new-age brand transforming the women's wellness space in India with holistic and personalised solutions that addresses real problems faced by women in managing their menstrual health and personal hygiene, provides an innovative range of products and services, including India's first customizable pack of sanitary pads and self-heating menstrual cramp patches, also available on a subscription basis. (Vaishali Joshi, #NuaExpert on Gynaecology, is an Obstetrician and Gynaecologist at Kokilaben Dhirubhai Ambani Hospital, Mumbai)
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बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल की जानकारी - Baidyanath Vita-Ex Gold Plus Capsule in Hindi
बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस आयुर्वेदिक दवाइयों की निर्माता कंपनी बैद्यनाथ द्वारा निर्मित एक ऐसी दवा है जो यौन अंतरंगता (sexual intimacy) में सुधार करती है और पुरुषों के शक्ति, सामर्थ्य और जोश को दुगुना कर देती है। शारीरिक थकान जैसी समस्याओं में भी इसका अनूठा फॉर्मूलेशन मदद करता है। पुरुषों में सहनशक्ति और जीवन शक्ति में सुधार करने में यह अद्वितीय भूमिका निभाता है। वैसे आयुर्वेद शास्त्र के हिसाब से वीटा एक्स गोल्ड प्लस अपने प्राकृतिक अवयवों के साथ समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। दस से अधिक जड़ी-बूटियों के समावेश से बनी यह दवा प्राचीन काल से पुरुषों के समग्र स्वास्थ्य के लिए उपयोगी सिद्ध होती आयी है। सरल शब्दों में कह सकते हैं कि वीटा एक्स गोल्ड प्लस एक ऐसा प्राकृतिक आयुर्वेदिक फार्मूला है जो पुरुषों की जीवन शक्ति और ऊर्जा को बढ़ाकर कामुकता को जागृत करती है और यौन जीवन (सेक्स लाइफ) को बेहतर बनाती है। खास बात है कि वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल का सेवन करते समय आहार को लेकर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होता।
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बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल के घटक तत्व - Baidyanath Vita-Ex Gold Plus Capsule Ingredients in Hindi
बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल शिलाजीत, सोना, केसर, अश्वगंधा, कौंच बीज और सफेद मूसली जैसे औषधीय जड़ी बूटियों और खनिजों का एक अनूठा संयोजन है। इसके मुख्य घटक तत्व हैं -
शिलाजीत - Shilajit
विथानिया सोम्निफेरा (अश्वगंधा) - Withania Somnifera (Ashwagandha)
एनासाइक्लस पाइरेथ्रम (कैमोमाइल) - Anacyclus Pyrethrum (Chamomile)
क्लोरोफाइटम बोरीविलनम (सफ़ेद मुस्ली) - Chlorophytum Borivilanum (Safed Musli)
मुकुना प्रुरियंस (फ्लोरिडा मखमली बीन) - Mucuna Pruriens (Florida Velvet Bean)
मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस (जयफल) - Myristica Fragrans (Jaiphal)
स्वर्ण भस्म (स्वर्ण भस्म) - Swarna Bhasma (Gold Bhasma)
क्रोकस सैटिवस (कुमकुम) - Crocus Sativus (Kumkum)
पाइपर क्यूबबा (जावा पेपर) - Piper Cubeba (Java Pepper)
चंदन - Sandalwood
चांदी भस्म - Silver Bhasma
सायजीजियम स्रोमैटिकम (लवंग) - Syzygium Sromaticum (Lavang)
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बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल के लाभ - Baidyanath Vita-Ex Gold Plus Capsule Benefits in Hindi
बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल पुरुषों के समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। खासकर यौन समस्याओं (Sex Problem in Hindi) के निदान में यह काफी उपयोगी सिद्ध होता है। पुरुषों की सहनशक्ति और ताकत के लिए गोल्ड और केसर के साथ यह एक अनूठा फॉर्मूलेशन है। आइए जानते हैं कि बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल के क्या-क्या प्रमुख लाभ है -
यौन समस्याओं में उपयोगी ।
समग्र स्वास्थ्य की देखभाल ।
शरीर को ऊर्जावान बनाती है ।
जीवन शक्ति में सुधार करती है ।
कामेच्छा को जागृत करती है ।
पुरुषों के स्तंभन दोष के उपचार में मदद करती है ।
स्पर्म काउंट बढ़ाता है।
शुक्राणुओं के निर्माण और शीघ्रपतन के इलाज में कारगर ।
तंत्रिका थकावट, स्मृति हानि, मानसिक और शारीरिक थकान को दूर करने में मददगार ।
नपुंसकता और बांझपन की समस्याओं का इलाज करने में मददगार।
पुरुषों के लिए यह उत्पाद तनाव को दूर करने, ताकत और सक्रियता को बढ़ावा देने में मदद करता है।
गले, खांसी, दमा, गले के दर्द से राहत दिलाता है।
मुंह की दुर्गंध, मुंह में नमी और अत्यधिक प्यास को कम करता है।
स्वाद और पाचन शक्ति में सुधार करता है।
आंतों के कीड़े और आंतों के संक्रमण के उपचार में उपयोगी हो सकता है।
मतली और उल्टी से राहत दिलाने में मददगार।
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बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल की खुराक - Baidyanath Vita-Ex Gold Plus Capsule Dosages in Hindi
1 कैप्सूल दिन में दो बार लें या निर्देशानुसार उपयोग करें। वैसे आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार ही इसकी खुराक लेना श्रेयस्कर होगा।
बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल की अनलाइन खरीद - Baidyanath Vita-Ex Gold Plus Capsule Buy Online
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बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल का संग्रहण और सुरक्षा जानकारी - Baidyanath Vita-Ex Gold Plus Capsule Storage and Safety Information
सूखी जगह पर रखे।
सीधे धूप की रौशनी से बचाए।
बच्चों की पहुंच और दृष्टि से दूर रखें।
उपयोग करने से पहले लेबल पर दवा की एक्सपायरी तिथि ध्यान से पढ़े ।
ओवरडोज से बचे ।
चिकित्सकीय देखरेख में उपयोग करें।
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बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड प्लस कैप्सूल से संबंधित प्रश्न - Baidyanath Vita-Ex Gold Plus FAQs in Hindi
1. क्या बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड कैप्सूल पूर्णतया आयुर्वेदिक दवा है?
उत्तर - हाँ , यह एक आयुर्वेदिक दवा है जिसमें 10 से भी अधिक जड़-बूटियाँ का समावेश है।
2. बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड कैप्सूल किस रोग के उपचार में काम आता है?
उत्तर - बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड कैप्सूल पुरुषों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर करता है। यौन समस्याओं और शारीरिक शक्ति सृजन में इसकी भूमिका विशेष उल्लेखनीय है।
3. क्या बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड कैप्सूल बच्चे भी ले सकते हैं?
उत्तर - नहीं, यह वयस्कों के लिए है। बच्चों को देना समस्या को न्योता देना है।
4. क्या बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड कैप्सूल गर्भवती महिलायें ले सकती हैं?
उत्तर - नहीं।
5. क्या बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड में हार्मोनल तत्व होते हैं?
उत्तर - नहीं, बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड एक गैर-हार्मोनल वाइटलाइज़र टॉनिक है जो शक्ति, जीवन शक्ति और जोश में सुधार करता है।
6. क्या बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड का कोई साइड इफेक्ट है?
उत्तर - आयुर्वेदिक दवा होने के कारण इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, अगर इसे उचित मात्रा में और उचित समय पर लिया जाए।
7. क्या बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड कैप्सूल को स्त्रियाँ भी ले सकती हैं?
उत्तर। नहीं, बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड कैप्सूल केवल पुरुषों के लिए हैं।
8. बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड की सही खुराक क्या है?
उत्तर - बैद्यनाथ वीटा-एक्स गोल्ड की सामान्य खुराक प्रति दिन 1 से 2 कैप्सूल है। वैसे आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा निर्धारित खुराक लेना सही होगा।
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किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222
बैद्यनाथ मूसली पाक की जानकारी - Baidyanath Musli Pak in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बनी एक ऐसी प्रभावी औषधि है जो शरीर में शक्ति, सामर्थ्य, जोश और ऊर्जा का नवसंचार करती है. खासकर सम्भोग (sexual intercourse) के समय यह शरीर की शक्ति और जोश को प्रभावी रूप से बढ़ाने में मदद करती है. यह स्त्रियों और पुरुषों दोनों के लिए (यूनिसेक्स) समान रूप से लाभदायक है. इसका मुख्य तत्व सफ़ेद मूसली होता है जो एक कामोत्तेजक जड़ी बूटी है और यह प्रभावी तरीके से यौन शक्ति को बढ़ाती है. इसमें कई आवश्यक खनिज और ग्लाइकोसाइड भी होते हैं जो शरीर की शक्ति में सुधार करते हैं. पुरुषों में शीघ्रपतन (premature ejaculation) और स्तंभन दोष (erectile dysfunction) के लिए मूसली पाक पाउडर एक प्रभावी उपचार है. महिलाओं में, यह योनि (Vagina) के सूखेपन को रोकता है और ठंडक का इलाज करता है.
बैद्यनाथ का मूसली पाक यौन शक्ति को बढ़ाने और सेक्स (संभोग) के समय जोश भरने के साथ - साथ शुक्राणुओं (sperms) की संख्या बढ़ाने में भी मदद करता है. इसके अलावा यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. साथ ही कामेच्छा में कमी, पुरुष यौन बाँझपन (male sexual sterility) और शीघ्रपतन (premature ejaculation) जैसी स्थितियों का सफलतापूर्वक इलाज करता है। यह तनाव को दूर करता है जो यौन समस्याओं का मुख्य कारण है।
बैद्यनाथ मूसली पाक के फायदे - Baidyanath Musli Pak Benefits in Hindi
सफेद मूसली, त्रिकटु, त्रिजात, शतावरी, चित्रकमूल, गोखरू, अश्वगंधा, हरड़ आदि जैसे चमत्कारिक औषधीय गुण वाले जड़ी-बूटियों से निर्मित बैद्यनाथ मूसली पाक मानव शरीर के स्वास्थ्य पर अच्छा असर डालती है. इसके कुछ फायदे निम्नलिखित हैं -
सेक्स लाइफ (Sex Life) - बैद्यनाथ मूसली पाक सेक्स लाइफ (यौन जीवन) को बेहतर बनाता है. यह एक प्राकृतिक कामोत्तेजक के रूप में कार्य करता है और यौन शक्ति को बढ़ाता है.शरीर की शक्ति और सामर्थ्य को बढ़ाकर यह बिस्तर पर संभोग की अवधि भी बढ़ाने में मदद करता है.
शुक्राणु और वीर्य (sperm and semen) - बैद्यनाथ मूसली पाक यौन जीवन को बेहतर बनाने के साथ शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाती है. साथ ही यह वीर्य के दोषों को भी ठीक करने में सहयोग करती है.
शीघ्रपतन और स्तंभन दोष (premature ejaculation and erectile dysfunction) - बैद्यनाथ मूसली पाक शीघ्रपतन और स्तंभन दोष के इलाज में मदद करती है.
प्रजनन प्रणाली (reproductive system) - बैद्यनाथ मूसली पाक प्रजनन प्रणाली का पोषण करता है. महिलाओं में यह योनि को सूखापन (vaginal dryness) से बचाता है और प्रजनन क्षमता और ठंडक (frigidity in women) का इलाज करता है. संक्षेप में यह प्रजनन प्रणाली को मजबूत बनाता है.
प्रदर रोग और वीर्य दोष (Leucorrhoea and semen defects) - बैद्यनाथ मूसली पाक स्त्रियों में प्रदर रोग तथा पुरुषों में वीर्य दोषों को समाप्त करने में मदद करता है. इस संदर्भ में यह एक उपयोगी औषधि है.
स्ट्रेस बस्टर (stress buster) - बैद्यनाथ मूसली पाक में मौजूद जड़ी-बूटियां स्ट्रेस बस्टर का काम करती हैं जो आपको पूरे दिन फिट और एक्टिव रखने में मदद करती है. साथ ही यह ऊर्जा बूस्टर के रूप में कार्य करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है.
स्वस्थ शरीर - बैद्यनाथ मूसली पाक शरीर में शक्ति, ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाता है. यह अत्यंत बाजी कारक और पुष्टिकारक है. इसके सेवन से धातु दौर्बल्य में लाभ होता है, शरीर स्वस्थ, कांति युक्त एवं पुष्ट बनता है।
रक्त प्रवाह (blood flow) - बैद्यनाथ मूसली पाक शरीर में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जो तंत्रिकाओं को प्रजनन अंगों में अधिक रक्त लेने के लिए बाध्य करता है.
प्रतिरोधक क्षमता - बैद्यनाथ मूसली पाक ऊर्जा के साथ-साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.
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बैद्यनाथ मूसली पाक के दुष्प्रभाव - Baidyanath Musli Pak Side Effects in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक दवा है जो आयुर्वेद शास्त्रों के प्राचीन ज्ञान पर आधारित है. चूँकि यह सुरक्षित तरीके से शरीर में जोश, उर्जा और शक्ति को बढ़ाती है, इसलिए इसका सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है. लेकिन ख़ास परिस्थियों में इसके कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं. इसके सेवन से कई बार भूख में कमी आती है और कब्ज की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है.
बैद्यनाथ मूसली पाक की खुराक - Baidyanath Musli Pak Dosages in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक का सेवन 6 ग्राम से 12 ग्राम (1 से 2 चम्मच) दूध या जल के साथ दिन में दो बार करना चाहिए. वैसे इस औषधि को खरीदने के लिए चिकित्सक की पर्ची की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन चिकित्सक से सलाह ले लेना श्रेयस्कर होगा.
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बैद्यनाथ मूसली पाक के घटक द्रव्य - Baidyanath Musli Pak Ingredients in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के सम्मिश्रण से तैयार औषधि है जिसमें मुख्य जड़ी-बूटी के रूप में सफ़ेद मूसली है. मूसली पाक के मुख्य घटक द्रव्य निम्नलिखित हैं -
सफेद मूसली,
त्रिकटु,
त्रिजात,
शतावरी,
चित्रकमूल,
गोखरू,
अश्वगंधा,
हरड़,
लवंग,
जायफल,
जावित्री,
तालमखाना,
खरैटी बीच,
कौंच बीज,
सेमल गोंद,
कमल गट्टा,
वंशलोचन,
अकरकरा,
सफेद चीनी,
मकरध्वज एवं
बंग भस्म इत्यादि
बैद्यनाथ मूसली पाक की ऑनलाइन खरीद - Baidyanath Musli Pak Buy Online
बैद्यनाथ मूसली पाक भारत की शीर्ष आयुर्वेदिक कंपनी बैद्यनाथ द्वारा बनायी जाती है और ऑनलाइन व ऑफलाइन यह आसानी से उपलब्ध है. इसकी खरीद के लिए ऑनलाइन लिंक - बैद्यनाथ मूसली पाक ► Baidyanath Musli Pak
बैद्यनाथ मूसली पाक का संग्रहण और सुरक्षा जानकारी - Baidyanath Musli Pak Storage and Safety Information in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक के पैकेट को ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह में स्टोर करें
बैद्यनाथ मूसली पाक के पैकेट को सीधी धूप के संपर्क में आने से बचाएं
बैद्यनाथ मूसली पाक का उपयोग करने से पहले लेबल को ध्यान से पढ़ें
बैद्यनाथ मूसली पाक की खुराक निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में न लें
बच्चों की पहुंच से दूर रखे
यह भी पढ़े ► कामेश्वर मोदक के फायदे
बैद्यनाथ मूसली पाक से संबंधित प्रश्न - Baidyanath Musli Pak FAQs in Hindi
► क्या बैद्यनाथ मूसली पाक आयुर्वेदिक दवा है?
हाँ, यह एक आयुर्वेदिक दवा है और कई जड़ी-बूटियों के सम्मिश्रण से निर्मित है. सफेद मूसली इसका मुख्य घटक तत्व है.
► क्या स्त्री और पुरुष दोनों बैद्यनाथ मूसली पाक ले सकते हैं?
हां, पुरुष और महिला दोनों बैद्यनाथ मूसली पाक का सेवन कर सकते हैं।
► क्या बैद्यनाथ मूसली पाक बच्चों को भी दिया जा सकता है?
नहीं. यह वयस्कों के लिए है. बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
► क्या बैद्यनाथ मूसली पाक को शराब के साथ लिया जा सकता है?
नहीं. बैद्यनाथ मूसली पाक के सेवन के समय शराब से दूर रहना चाहिए तभी अपेक्षित परिणाम प्राप्त होंगे.
संदर्भ - References
आयुर्वेद सार संग्रह (Ayurveda Saar Sangrah)
बैद्यनाथ (Baidyanath)
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किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222
London, May 20 (IANS) The human body's endocrine system that makes hormones is strongly involved in the SARS-Cov-2 infection -- the virus behind Covid-19 -- so much so that evidence of an "endocrine phenotype" of Coronavirus has emerged, according to a statement by the European Society of Endocrinology.A team of scientists from the Universitat Autonoma de Barcelona in Spain looked at the available evidence with respect to Covid-19 across a number of endocrine conditions and related factors: diabetes, obesity, nutrition, hypocalcemia, vitamin D insufficiency, vertebral fractures, adrenal insufficiency, as well as pituitary/thyroid issues and sex hormones.The effect on hormones cannot be ignored in the context of Covid-19," said lead author Manel Puig from the varsity, adding "the evidence is clear"."We need to be aware of the endocrine consequences of Covid-19 for patients with a known endocrine condition such as diabetes, obesity or adrenal insufficiency, but also for people without a known condition. Vitamin D insufficiency for example is very common, and the knowledge that this condition has emerged frequently in the hospitalised Covid-19 population and may negatively impact outcomes should not be taken lightly," Puig added, in the statement published in the journal Endocrine.Diabetes has emerged as one of the most frequent comorbidities associated with severity and mortality of Covid-19, according to a rapidly increasing amount of published data on the incidence of Covid-19 in patients over the last year.Mortality in Type-1 or Type-2 diabetes has consistently increased during the year of pandemic,A and evidence is emerging that a bidirectional relationship between diabetes and Covid-19 may exist, both in terms of worsening existing conditions and new onset of diabetes.Similar trends were identified for people with obesity. Obesity increases susceptibility to SARS-CoV-2 and the risk for Covid-19 adverse outcomes.The researchers posit that nutritional management is important both for patients with obesity or undernourishment in order to limit their increased susceptibility and severity of infection. Vitamin D, calcium and bone are other areas showing a growing body of evidence that better monitoring and solutions for patients are needed in the context of Covid-19.--IANSrvt/ash
According to the experts, watching excessive porn is like any other addictive substances that lead to unnaturally high levels of dopamine secretion.
"This can damage the dopamine reward system and leave it unresponsive to natural sources of pleasure. This is why users begin to experience difficulty in achieving arousal with a physical partner," Arti Anand, Consultant -- Clinical Psychologist, Ganga Ram Hospital, New Delhi told IANS.
The experts emphasised that porn interferes in your sexual life in other ways, too. It sometimes sets high expectations for people who think sex should be done in certain ways, which they saw in porn videos.
"Porn is similar to movies where we see that the actors are decked up on certain occasions. So here also they are decked up for the act and that's not the actual thing," said Sanjay Kumavat, Consultant Psychiatrist and Sexologist, Fortis Hospital, Mulund, Mumbai.
"People tend to feel that this is how sex should be, as porn sets their expectations high and they feel these are the methodologies one needs to approach and eventually they end up having an inferiority complex or premature ejaculation.
"These people may develop a complex feeling about the size of penis or breast or the stamina and may land up not performing well in real sex situation," Kumavat added.
A study presented during the 112th Annual Scientific Meeting of the American Urological Association showed that there was a correlation between pornography use and sexual dysfunction in those men who reported a preference for masturbation to pornography rather than sexual intercourse, with or without pornography.
"Visual stimulation will often increase sexual arousal in both men and women, but when the majority of their time is spent viewing and masturbating to pornography, it is likely they will become less interested in real-world sexual encounters," said researcher Joseph Alukal from New York University.
Porn addiction is something that is relatively new in the study of addiction as compared to that of alcohol and other substances.
"Though both addictions affect the body negatively, porn addiction is watching something on screen while in substance abuse you are ingesting a substance like alcohol, which can cause further harm to parts of your body like the liver," said Ashish Kumar Mittal, Sexologist and Psychiatrist in Columbia Asia Hospital, Gurgaon.
However, he mentioned few things that may help people with porn addiction to overcome it.
"Some simple steps could be discarding all porn-related content you keep and make it harder to access it. Installing anti-porn software could also help," Mittal added.
"Distracting oneself when the impulse hits is helpful and you can take your time to plan a list of activities that you can indulge in to distract yourself. Keeping a journal to monitor your emotions and progress will also help. Approach a medical professional for treatment can also help tremendously in your journey to recovery," he noted. (Agency)
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