लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने और लिवर को स्वस्थ रखने के लिए उपयोग किया जाता है। यह दवा हेपेटाइटिस, सिरोसिस, जैविक जहर और अन्य लिवर संबंधित विकारों के इलाज में भी उपयोग किया जाता है। इस दवा के मुख्य तत्व में भारत में उगायी जाने वाली हरड़ या कड़ी पत्ती का उपयोग किया जाता है।
लिव 52 का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना अनिवार्य है। यदि आपके पास किसी भी तरह की एलर्जी हो तो आपको इस दवा का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा यदि आप किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित हैं तो चिकित्सक के परामर्श के बिना इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
लिव 52 के मुख्य तत्व - Liv 52 Ingredients in Hindi
लिव 52 कई प्राकृतिक उत्पादों का मिश्रण होता है जो निम्नलिखित हैं:
हरितकी: यह पाचन को सुधारने और जीर्णाशय को स्थिर करने में मदद करता है।
ब्रह्मी: इसका उपयोग मस्तिष्क को शांत करने और मन को ताजगी देने के लिए किया जाता है।
भूम्यामलकी: यह एक प्राकृतिक विश्रामक होता है और लिवर को सुधारने में मदद करता है।
धनिया: यह एक प्राकृतिक उष्णता स्रोत होता है जो पाचन को सुधारता है और लिवर को सुधारता है।
निम्बू: यह विटामिन सी से भरपूर होता है और लिवर को सुधारता है जो इसे एक अधिक उपयोगी तत्व बनाता है।
हिमा: इसमें एक औषधीय पौधे से बना हुआ एक उत्तेजक होता है जो अपच और जीवन शैली के असंतुलन का संशोधन करने में मदद करता है।
दादिम: दादिम फल का प्रयोग लिवर की संरचना को स्थायी करने के लिए किया जाता है।
कसाणद्र: यह लिवर के लिए एक शक्तिशाली तंत्रिका है जो उसके विभिन्न कार्यों में सहायता प्रदान करती है।
अमलकी: अमलकी लिवर को संरचित रखने में मदद करती है।
लिव 52 के फायदे - Liv 52 Benefits in Hindi
लिव 52 एक आयुर्वेदिक औषधि है जो लिवर स्वस्थ रखने में मदद करती है। यह अनेक तरह की लिवर समस्याओं जैसे जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं, वायरल इंफेक्शन, अत्यधिक शराब पीने से उत्पन्न लिवर की क्षति और शरीर में मौजूद टॉक्सिनों के प्रभाव को कम करने में मदद करती है। इसके फायदे निम्नलिखित हैं:
लिव 52 लिवर समस्याओं के इलाज में मददगार है।
यह लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करता है और उसकी क्षमता को बढ़ाता है।
शराब पीने से होने वाली लिवर की क्षति को कम करता है।
लिवर के रोगों के इलाज में मददगार होता है।
लिवर की सामान्य सेहत और कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
लिवर के उचित काम करने में मदद करता है, जो शरीर में ऊर्जा का निर्माण करता है।
लिव 52 के नुकसान - Liv 52 Side Effects in Hindi
लिव 52 एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जिसे सामान्य रूप से सुरक्षित माना जाता है लेकिन कुछ लोगों में इसके उपयोग से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। लिव 52 के उपयोग से जुड़े कुछ सामान्य नुकसान निम्नलिखित हो सकते हैं:
दस्त: कुछ लोगों में लिव 52 का उपयोग करने से दस्त हो सकता है।
पेट दर्द: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से पेट दर्द हो सकता है।
चक्कर आना: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
अपच: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से अपच हो सकता है।
एलर्जी: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से एलर्जी हो सकती है।
खुजली: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से खुजली हो सकती है।
नींद न आना: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से नींद नहीं आती है।
लिव 52 से संबंधित सामान्य प्रश्न - Liv 52 FAQ's in Hindi
लिव 52 क्या है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन तंत्र को सुधारने, लिवर के लिए पोषक तत्व प्रदान करने और ताकत बढ़ाने में मदद करता है। इसे अक्सर लोग जिनके लिवर से संबंधित समस्याएं होती हैं, उन्हें लेते हैं।
लिव 52 कब ले ?
लिव 52 के खुराक की संबंधित जानकारी के लिए आप अपने चिकित्सक या दवा के पैकेट पर दी गई निर्देशों का पालन कर सकते हैं। आमतौर पर, इसे दिन में 2-3 बार खाने के बाद लेते हैं। वहीं, लिव 52 DS (डबल स्ट्रेंग्थ) की खुराक भी दिन में 2-3 बार होती है, लेकिन इसकी खुराक अधिक मजबूत होती है। ध्यान रखें कि आपको किसी भी दवा का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
लिव 52 से क्या फायदा होता है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्रमुख रूप से लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह दवा लिवर के रोगों जैसे जिगर के विकार, सिरोसिस, ज्वर, बदहजमी और अन्य उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।
मुझे लिव 52 कब खाना चाहिए?
लिव 52 की खुराक आमतौर पर अनुशंसित 1-2 गोलियों को दिन में दो बार खाने के बाद लेना होता है। आपको अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए कि आपको कितनी खुराक लेनी चाहिए।
क्या लिव 52 पाचन में सुधार करता है?
हाँ, लिव 52 पाचन संबंधित समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है। इस दवा में कई जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है जो आपके पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है।
लिव 52 कैसे काम करता है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्राकृतिक तत्वों से बनाई जाती है। यह दवा अमलतास, डाइगेस्टिव एंजाइम, ताल मखाना, कस्तूरी भँडार, घृतकुमारी, और भूम्यामलकी जैसी वनस्पतियों के मिश्रण से बनाई जाती है। यह लिवर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है। इस दवा के सेवन से लिवर की क्षमता बढ़ती है और यह जीवन शक्ति तत्वों की गुणवत्ता के कारण लिवर के फ़ंक्शन को सुधारने में मदद करता है। लिव 52 के सेवन से लिवर से नकारात्मक तत्वों का निकास होता है जो शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, यह एक उत्तम एंटीऑक्सिडेंट होता है जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के नुकसान से लिवर को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
लिव 52 की कीमत क्या है?
लिव 52 की कीमत विभिन्न दवा दुकानों और ऑनलाइन फार्मेसी स्टोर्स पर भिन्न होती है। इसकी कीमत देश और शहर के आधार पर भी भिन्न हो सकती है। यह दवा भारत में निम्नलिखित मूल्यों में उपलब्ध होता है:
लिव 52 सिरप (200 मिलीलीटर): 80 से 100 रुपए
लिव 52 टैबलेट (60 टैबलेट्स): 100 से 150 रुपए
लिवर के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?
लिवर के लिए कुछ लोकप्रिय आयुर्वेदिक दवाओं में यकृतप्लीहारी वटी, लिवोनिल टैबलेट, हिमालय लिव.52, पुनर्नवा मंडूर, सर्वेश्वरी वटी और कुमारी असव शामिल होते हैं। यदि आपको लिवर संबंधी समस्याएं हैं, तो सबसे अच्छा तरीका होता है कि आप एक विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
क्या फैटी लिवर में लिव 52 फायदेमंद है?
फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के लिवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। लिव 52 में मौजूद औषधीय गुण लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करते हैं जिससे फैटी लिवर से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं। इसका उपयोग लिवर की स्वस्थता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है जो फैटी लिवर से जुड़ी समस्याओं में मददगार साबित हो सकता है।
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बीजीआर-34 की जानकारी - BGR-34 Information in Hindi
मधुमेह की श्रेष्ठ दवा के रूप में बीजीआर-34 (BGR-34) की गिनती की जाती है. गौरतलब है कि गुडमार, विजयसर, मजीथ और गिलोय जैसे प्राकृतिक अवयवों से निर्मित बीजीआर-34 पूरी तरह से एक आयुर्वेदिक दवा है। इसका निर्माण देश की शीर्ष आयुर्वेदिक औषधियों की निर्माता कंपनी एमिल फार्मास्युटिकल्स (आई) लिमिटेड करती है. इसे औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने गहन शोध के बाद विकसित की है. यह बाजार में टैबलेट के रूप में मौजूद है।
बीजीआर-34 टैबलेट ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को नियंत्रित करने में असरदार है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में मदद करती है। यह लगातार उच्च रक्त शर्करा (हाई सूगर) के स्तर के कारण जन्मी जटिलताओं की संभावना को कम करता है और यह बात कई शोध और क्लिनिकल रिसर्च में सिद्ध हो चुकी है। यही वजह है कि इसका उपयोग मधुमेह के प्रबंधन के लिए किया जाता है।
BGR-34 को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) भारत सरकार द्वारा विकसित किया गया है। इसे प्राचीन आयुर्वेदिक नियमों को ध्यान में रखते हुए पौधों के अर्क से तैयार किया जाता है. यही वजह है कि यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है जो प्रभावी रूप सामान्य कार्बोहाइड्रेट चयापचय को संतुलित रखते हुए दीर्घकाल में होने वाले शारीरिक जटिलताओं को कम करता है. साथ ही शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को पोषण कर मजबूत करता है।
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बीजीआर-34 के घटक तत्व - BGR-34 Ingredients in Hindi
बीजीआर-34 कई औषधीय पौधों के अवयवों से बनी है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में प्रभावी भूमिका निभाती है। इसके मुख्य घटक तत्व है -
दारुहरिद्रा (बैरबैरिस एरीसटाटा)
गिलोय (टीनोस्पोरा कोर्डिफोलिया)
विजयसार (पेट्रोकर्पस मर्सुपियम)
गुड़मार (गुड़मार)
मंजीठ (रुबिया कोर्डिफोलिया)
मेथी (ट्रिजोनेला फोएनुम ग्रेनियम)
बीजीआर-34 के फायदे - BGR-34 Benefits in Hindi
बीजीआर-34 मधुमेह और उससे जुड़ी बीमारियों में लाभप्रद सिद्ध होता है। इसके मुख्य लाभ है -
मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक।
टाइप-2 डायबिटीज में भी उपयोगी।
अधिक प्यास लगने, बार-बार पेशाब आने या ज्यादा भूख लगने जैसी स्थितियों में लाभदायक।
यह ग्लूकोज और लिपिड के चयापचय को नियंत्रित करता है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करता है।
शरीर के अंगों को पोषण प्रदान करता है और ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाता है।
मधुमेह के शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करता है।
मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा के प्रबंधन में प्रभावी ढंग से काम करता है।
बीजीआर-34 टैबलेट के दुष्प्रभाव : BGR-34 Side Effects in Hindi
बीजीआर-34 को आयुर्वेद चिकित्सक की निर्देशानुसार ही लेना चाहिए, नहीं तो गैस्ट्रिक, एलर्जी जैसी कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। वैसे इसके साइड एफेक्ट काफी कम है। लेकिन चिकित्सक से परामर्श ले लेना अच्छा होता है।
बीजीआर-34 की खुराक - BGR-34 Dosages in Hindi
दिन में दो बार 2 गोलियाँ, भोजन से 30 मिनट पहले लेना चाहिए या फिर आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करना चाहिए।
बीजीआर-34 का संग्रहण और सुरक्षा जानकारी - BGR-34 Storage and Safety Information in Hindi
आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार इस्तेमाल करे।
ओवरडोज या किसी तरह की समस्या महसूस होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श ले।
दवा के सेवन से पहले शीशी के लेबल को ध्यान से पढ़ें।
बच्चों की से पहुँच से दूर रखे।
शीतल एवं सूखी जगह पर भंडारित करें।
बीजीआर-34 की निर्माता कंपनी - BGR-34 Manufactured in Hindi
एमिल फार्मास्युटिकल्स (आई) लिमिटेड (AIIMIL) बीजीआर-34 की निर्माता कंपनी है।
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बीजीआर-34 से संबंधित प्रश्न - BGR-34 FAQs in Hindi
प्रश्न. क्या बीजीआर-34 एक आयुर्वेदिक दवा है?
उत्तर| बीजीआर-34 पूर्णतया एक आयुर्वेदिक दवा है और औषधीय पौधों के सम्मिश्रण से बनी है।
प्रश्न. बीजीआर-34 की निर्माता कंपनी कौन है?
उत्तर| देश के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक कंपनी एमिल फार्मास्युटिकल्स (आई) लिमिटेड (AIIMIL) बीजीआर-34 की निर्माता कंपनी है।
प्रश्न. बीजीआर-34 का उपयोग किस रोग के उपचार के लिए किया जाता है?
उत्तर| मधुमेह और टाइप-2 डायबिटीज के नियंत्रण में बीजीआर-34 के सेवन की अनुशंसा आयुर्वेद चिकित्सक करते हैं।
प्रश्न. क्या मैं AIMIL BGR-34 टैबलेट को गर्म पानी के साथ ले सकता हूं?
उत्तर| बीजीआर-34 टैबलेट को गुनगुने पानी के साथ लेने से कोई नुकसान नहीं है। आप इसे गर्म पानी के साथ ले सकते हैं।
प्रश्न. BGR-34 किस रूप में उपलब्ध है?
उत्तर| AIMIL BGR-34 टैबलेट के रूप में बाजार में आसानी से दवाई की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है। यह 100 टैबलेट वाली शीशी के पैक में आता है।
प्रश्न. BGR-34 का प्रभाव कितने समय में दिखता है?
उत्तर| BGR-34 के सेवन के साथ-साथ स्वस्थ्य जीवनशैली और व्यायाम करने पर दो-तीन महीनों के भीतर परिणाम दिखायी देना शुरू हो जाता है। लेकिन अलग-अलग रोगियों में स्थिति भिन्न - भिन्न हो सकती है। यह रोगी की प्रकृति और परिस्थिति पर निर्भर करता है।
प्रश्न. क्या BGR-34 का उपयोग करने पर शरीर पर कोई हानिकारक प्रभाव पड़ता है?
उत्तर| नहीं, AIMIL BGR-34 पूरी तरह से प्राकृतिक और सुरक्षित दवा है जिसका आपके शरीर पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रश्न. क्या BGR-34 टैबलेट बच्चों के लिए सुरक्षित है?
उत्तर| बच्चों में AIMIL BGR-34 टैबलेट के दुष्प्रभावों पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है। इसलिए, बच्चों पर इसका प्रभाव अज्ञात है।
प्रश्न. क्या BGR-34की लत पड़ जाती है?
उत्तर| नहीं, BGR-34 टैबलेट की लत नहीं पड़ती। अबतक इसका कोई प्रमाण नहीं है।
प्रश्न. क्या BGR-34 Tablet का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
उत्तर| BGR-34 Tablet का गर्भवती महिलाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
प्रश्न. BGR-34 का प्रभाव पेट पर क्या होता है?
उत्तर| पेट के लिए AIMIL BGR-34 Tablet हानिकारक नहीं है।
प्रश्न. क्या स्तनपान के दौरान AIMIL BGR-34 Tablet का इस्तेमाल सुरक्षित है?
उत्तर| स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए AIMIL BGR-34 टैबलेट की सुरक्षा के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
संदर्भ - References
https://www.aimilpharmaceuticals.com/wp-content/uploads/2017/03/BGR-34-literature.pdf
https://en.wikipedia.org/wiki/BGR-34
https://www.aajtak.in/india/story/bgr-34-ayurvedic-medicine-of-diabetes-in-world-top-20-list-447140-2017-05-15
यह अंग्रेजी में भी पढ़े► AIMIL BGR-34 Tablet: Benefits, Side Effects, Composition and Dosage
किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222
बैद्यनाथ मूसली पाक की जानकारी - Baidyanath Musli Pak in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बनी एक ऐसी प्रभावी औषधि है जो शरीर में शक्ति, सामर्थ्य, जोश और ऊर्जा का नवसंचार करती है. खासकर सम्भोग (sexual intercourse) के समय यह शरीर की शक्ति और जोश को प्रभावी रूप से बढ़ाने में मदद करती है. यह स्त्रियों और पुरुषों दोनों के लिए (यूनिसेक्स) समान रूप से लाभदायक है. इसका मुख्य तत्व सफ़ेद मूसली होता है जो एक कामोत्तेजक जड़ी बूटी है और यह प्रभावी तरीके से यौन शक्ति को बढ़ाती है. इसमें कई आवश्यक खनिज और ग्लाइकोसाइड भी होते हैं जो शरीर की शक्ति में सुधार करते हैं. पुरुषों में शीघ्रपतन (premature ejaculation) और स्तंभन दोष (erectile dysfunction) के लिए मूसली पाक पाउडर एक प्रभावी उपचार है. महिलाओं में, यह योनि (Vagina) के सूखेपन को रोकता है और ठंडक का इलाज करता है.
बैद्यनाथ का मूसली पाक यौन शक्ति को बढ़ाने और सेक्स (संभोग) के समय जोश भरने के साथ - साथ शुक्राणुओं (sperms) की संख्या बढ़ाने में भी मदद करता है. इसके अलावा यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. साथ ही कामेच्छा में कमी, पुरुष यौन बाँझपन (male sexual sterility) और शीघ्रपतन (premature ejaculation) जैसी स्थितियों का सफलतापूर्वक इलाज करता है। यह तनाव को दूर करता है जो यौन समस्याओं का मुख्य कारण है।
बैद्यनाथ मूसली पाक के फायदे - Baidyanath Musli Pak Benefits in Hindi
सफेद मूसली, त्रिकटु, त्रिजात, शतावरी, चित्रकमूल, गोखरू, अश्वगंधा, हरड़ आदि जैसे चमत्कारिक औषधीय गुण वाले जड़ी-बूटियों से निर्मित बैद्यनाथ मूसली पाक मानव शरीर के स्वास्थ्य पर अच्छा असर डालती है. इसके कुछ फायदे निम्नलिखित हैं -
सेक्स लाइफ (Sex Life) - बैद्यनाथ मूसली पाक सेक्स लाइफ (यौन जीवन) को बेहतर बनाता है. यह एक प्राकृतिक कामोत्तेजक के रूप में कार्य करता है और यौन शक्ति को बढ़ाता है.शरीर की शक्ति और सामर्थ्य को बढ़ाकर यह बिस्तर पर संभोग की अवधि भी बढ़ाने में मदद करता है.
शुक्राणु और वीर्य (sperm and semen) - बैद्यनाथ मूसली पाक यौन जीवन को बेहतर बनाने के साथ शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाती है. साथ ही यह वीर्य के दोषों को भी ठीक करने में सहयोग करती है.
शीघ्रपतन और स्तंभन दोष (premature ejaculation and erectile dysfunction) - बैद्यनाथ मूसली पाक शीघ्रपतन और स्तंभन दोष के इलाज में मदद करती है.
प्रजनन प्रणाली (reproductive system) - बैद्यनाथ मूसली पाक प्रजनन प्रणाली का पोषण करता है. महिलाओं में यह योनि को सूखापन (vaginal dryness) से बचाता है और प्रजनन क्षमता और ठंडक (frigidity in women) का इलाज करता है. संक्षेप में यह प्रजनन प्रणाली को मजबूत बनाता है.
प्रदर रोग और वीर्य दोष (Leucorrhoea and semen defects) - बैद्यनाथ मूसली पाक स्त्रियों में प्रदर रोग तथा पुरुषों में वीर्य दोषों को समाप्त करने में मदद करता है. इस संदर्भ में यह एक उपयोगी औषधि है.
स्ट्रेस बस्टर (stress buster) - बैद्यनाथ मूसली पाक में मौजूद जड़ी-बूटियां स्ट्रेस बस्टर का काम करती हैं जो आपको पूरे दिन फिट और एक्टिव रखने में मदद करती है. साथ ही यह ऊर्जा बूस्टर के रूप में कार्य करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है.
स्वस्थ शरीर - बैद्यनाथ मूसली पाक शरीर में शक्ति, ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाता है. यह अत्यंत बाजी कारक और पुष्टिकारक है. इसके सेवन से धातु दौर्बल्य में लाभ होता है, शरीर स्वस्थ, कांति युक्त एवं पुष्ट बनता है।
रक्त प्रवाह (blood flow) - बैद्यनाथ मूसली पाक शरीर में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जो तंत्रिकाओं को प्रजनन अंगों में अधिक रक्त लेने के लिए बाध्य करता है.
प्रतिरोधक क्षमता - बैद्यनाथ मूसली पाक ऊर्जा के साथ-साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.
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बैद्यनाथ मूसली पाक के दुष्प्रभाव - Baidyanath Musli Pak Side Effects in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक दवा है जो आयुर्वेद शास्त्रों के प्राचीन ज्ञान पर आधारित है. चूँकि यह सुरक्षित तरीके से शरीर में जोश, उर्जा और शक्ति को बढ़ाती है, इसलिए इसका सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है. लेकिन ख़ास परिस्थियों में इसके कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं. इसके सेवन से कई बार भूख में कमी आती है और कब्ज की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है.
बैद्यनाथ मूसली पाक की खुराक - Baidyanath Musli Pak Dosages in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक का सेवन 6 ग्राम से 12 ग्राम (1 से 2 चम्मच) दूध या जल के साथ दिन में दो बार करना चाहिए. वैसे इस औषधि को खरीदने के लिए चिकित्सक की पर्ची की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन चिकित्सक से सलाह ले लेना श्रेयस्कर होगा.
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बैद्यनाथ मूसली पाक के घटक द्रव्य - Baidyanath Musli Pak Ingredients in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के सम्मिश्रण से तैयार औषधि है जिसमें मुख्य जड़ी-बूटी के रूप में सफ़ेद मूसली है. मूसली पाक के मुख्य घटक द्रव्य निम्नलिखित हैं -
सफेद मूसली,
त्रिकटु,
त्रिजात,
शतावरी,
चित्रकमूल,
गोखरू,
अश्वगंधा,
हरड़,
लवंग,
जायफल,
जावित्री,
तालमखाना,
खरैटी बीच,
कौंच बीज,
सेमल गोंद,
कमल गट्टा,
वंशलोचन,
अकरकरा,
सफेद चीनी,
मकरध्वज एवं
बंग भस्म इत्यादि
बैद्यनाथ मूसली पाक की ऑनलाइन खरीद - Baidyanath Musli Pak Buy Online
बैद्यनाथ मूसली पाक भारत की शीर्ष आयुर्वेदिक कंपनी बैद्यनाथ द्वारा बनायी जाती है और ऑनलाइन व ऑफलाइन यह आसानी से उपलब्ध है. इसकी खरीद के लिए ऑनलाइन लिंक - बैद्यनाथ मूसली पाक ► Baidyanath Musli Pak
बैद्यनाथ मूसली पाक का संग्रहण और सुरक्षा जानकारी - Baidyanath Musli Pak Storage and Safety Information in Hindi
बैद्यनाथ मूसली पाक के पैकेट को ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह में स्टोर करें
बैद्यनाथ मूसली पाक के पैकेट को सीधी धूप के संपर्क में आने से बचाएं
बैद्यनाथ मूसली पाक का उपयोग करने से पहले लेबल को ध्यान से पढ़ें
बैद्यनाथ मूसली पाक की खुराक निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में न लें
बच्चों की पहुंच से दूर रखे
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बैद्यनाथ मूसली पाक से संबंधित प्रश्न - Baidyanath Musli Pak FAQs in Hindi
► क्या बैद्यनाथ मूसली पाक आयुर्वेदिक दवा है?
हाँ, यह एक आयुर्वेदिक दवा है और कई जड़ी-बूटियों के सम्मिश्रण से निर्मित है. सफेद मूसली इसका मुख्य घटक तत्व है.
► क्या स्त्री और पुरुष दोनों बैद्यनाथ मूसली पाक ले सकते हैं?
हां, पुरुष और महिला दोनों बैद्यनाथ मूसली पाक का सेवन कर सकते हैं।
► क्या बैद्यनाथ मूसली पाक बच्चों को भी दिया जा सकता है?
नहीं. यह वयस्कों के लिए है. बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
► क्या बैद्यनाथ मूसली पाक को शराब के साथ लिया जा सकता है?
नहीं. बैद्यनाथ मूसली पाक के सेवन के समय शराब से दूर रहना चाहिए तभी अपेक्षित परिणाम प्राप्त होंगे.
संदर्भ - References
आयुर्वेद सार संग्रह (Ayurveda Saar Sangrah)
बैद्यनाथ (Baidyanath)
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किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222
शिलाजीत का परिचय - Introduction of Shilajit in Hindi
शिलाजीत को एस्फाल्टम पंजबनियम, ब्लैक बिटूमिन, खनिज डामर, शिलामय आदि अनेक नामों से जाना जाता है। यह एक खनिज आधारित अर्क होता है। यह पीले-भूरे रंग से लेकर काले-भूरे रंग में पाया जाता है।
यह एक चिपचिपा या गोंद जैसा तत्व होता है। इसमें 80 से भी ज्यादा खनिज सम्मिलित पाए जाते हैं जिनमें मुख्यतः लोहा, जिंक, सीसा, तांबा, रजत आदि शामिल होते हैं। यह अपने बलवर्धक या पुष्टिकर गुणों के लिए जाना जाता है तथा ऊर्जा के स्तर एवं यौन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। यह बढ़ती उम्र की थकान,सामान्य थकान, सुस्ती व मधुमेह से पैदा थकान से तो राहत देता ही है साथ ही पुरुष बांझपन का उपचार भी भली-भांति करता है।
शिलाजीत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? - How did the word Shilajit originate in Hindi?
शिलाजीत शब्द का निकास संस्कृत शब्द 'शिलाजतु' शब्द से हुआ है जिसका अर्थ है- पर्वतीय 'टार' या 'डामर।' 'शिला' का अर्थ होता है-जिसमें चट्ट्न या पर्वत के गुण हों और 'जतु' का मतलब होता है-गोंद, लाख अथवा अन्य चिपचिपा तत्व। जबकि शिलाजीत के हिंदी अनुवाद का अर्थ होता है- दुर्बलतानाशक अथवा कमजोरी का नाश करने वाला। यह मुख्य रूप नेपाल,भूटान, रूस, मंगोलिया तथा उत्तरी चिल्ली के कुछ भागों में पायी जाती है। अतीत या प्राचीन काल में शिलाजीत का भारत एवं चीन में एक पारंपरिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता था।
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शिलाजीत के ऐतिहासिक उपयोग - Historical uses of Shilajit in Hindi
शिलाजीत मुख्यतः एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जानी जाती है। शेरपा लोग इसका सेवन अपने शरीर को शक्तिशाली एवं ऊर्जावान बनाए रखने वाले खास आहार के रूप में करते आए हैं। शिलाजीत की कायाकल्प करने वाली प्रकृति आमाशय या पेट की समस्याओं जैसे कि पीलिए आदि के उपचार मदद करती है। इसका प्रयोग एडिमा, किडनी की पत्थरी तथा अरुचि आदि कई रोगों के इलाज के लिए आंतरिक ऐंटीसेप्टिक के रूप में किया जाता है।
आयुर्वेद में शिलाजीत को लघु 'योगवाह' यानी एक ऐसी औषधि माना जाता है जो अन्य औषधियों की योग वाहिता में वृद्धि करती है। इसे पाचन संबंधी गड़बड़ी, बढ़ी हुई तिल्ली, तंत्रिकाओं की गड़बड़ी, क्राॅनिक श्वसनीशोथ आदि रोगों के इलाज के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है।
आयुर्वेदिक तथा आयुर्विज्ञान चिकित्सा में शिलाजीत के उपयोग - Uses of Shilajit in Ayurvedic and Medical Medicine in Hindi
शिलाजीत को सामान्यतः इसकी त्रिदोषनाशक क्षमता के लिए जाना जाता है। यह एक अर्क या सत्व होता है तथा इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है। आयुर्वेद में शिलाजीत का पूरा लाभ उठाने के लिए उसे अन्य औषधियों जैसे कि त्रिफला आदि तथा उनके काढे में मिलाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।
इसका प्रयोग शरीर को आम या टोक्सिन से मुक्ति दिलाने के लिए भी किया जाता है जो खराब पाचन के कारण शरीर में जमा हो जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रक्त को साफ़ करने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसका सेवन प्रतिरोधी शक्ति को बढ़ाने, ऊर्जा देने, कामोत्तेजना को जगाने तथा वज़न कम करने में मदद करता है। शिलाजीत उन दवाइयों का प्रमुख घटक भी होती है जिनको यौन शक्ति, वीर्य वृद्धि तथा शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल को बढ़ाने के उद्देश्य से बनाया जाता है।
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शिलाजीत में उपस्थित फोलिक तथा ह्यूमिक एसिड - Folic and humic acid present in Shilajit in Hindi
एंटीऑक्साइजर्स यानी प्रतिऑक्सीकारकों से भरपूर होते हैं जो धातु आयनों उदाहरणतः लोहे आदि के अवशोषण में वृद्धि कर शरीर में पोषक तत्वों को रोके रखने की सामर्थ्य पैदा करते हैं। यह नए रक्त के निर्माण तथा शरीर में होने वाली ऑक्सीजन की कमी से भी बचाता है जो कई जटिल समस्याएं खड़ी कर सकती है।
शिलाजीत द्वारा रोगों या स्वास्थ्य-समस्याओं का उपचार - Treatment of diseases or health problems by Shilajit in Hindi
1. थकान
आयुर्वेदिक मत- उम्र बढ़ने के कारण तंत्रिका तंत्र के विकार के फलस्वरूप यादाश्त की कमजोरी तथा व्यावहारिक बदलाव आना सामान्य समस्या माना जाता है। आयुर्वेद में अल्जाइमर की बीमारी को वात दोष के रूप में देखा जाता है। शिलाजीत का नियमित सेवन वात दोष को ठीक करता है। इसकी रासायनिक या उपचारात्मक प्रकृति तंत्रिका तंत्र की कमजोरी को दूर करती है तथा साथ ही उसकी कार्य प्रणाली को भी सुधारती है।
टिप्स: 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गुनगुने पानी में मिलाकर लें। इस उपाय को दिन में दो बार हल्का खाना खाने के उपरांत दोहराएं।
2. श्वसन मार्ग का संक्रमण
आयुर्वेदिक मत- आयुर्वेद में श्वसन मार्ग के संक्रमण को शरीर में उत्पन्न वात एवं कफ दोष को माना जाता है। जब बिगड़ा हुआ वात फेफडों में कफ से मिल जाता है तो श्वसन मार्ग में रुकावट उत्पन्न कर देता है। शिलाजीत वात- कफ के दोष निवारक होती है तथा इसी वजह से श्वसन मार्ग में वायु गमन में आई बाधा का निराकरण कर देती है। यह अपनी उपचारात्मक शक्ति के बल पर प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाती है।
टिप्स: 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गरम पानी के साथ दिन में दो बार भोजन के उपरांत लें।
3. कैंसर
आयुर्वेदिक मत- कैंसर एक तरह की दाहक या बिना दाहक वाली सूजन होती है जिसे ग्रंथि ( अतिरिक्त ऊतक वृद्धि) या अर्बुद ( बहुत अधिक ऊतक वृद्धि) के तौर पर जाना जाता है। यह शरीर में वात, पित्त और कफ के साथ अंतर्क्रिया करके कैसर की स्थिति पैदा करती है। ऊतकों की क्षति का कारण बनकर कोशिकाओं के पारस्परिक समन्वय को बिगाड़ देती है। शिलाजीत ऊतकों को क्षति से बचाने व कोशिकाओं के आपसी तालमेल को बनाए रखने में मदद कर सकती है क्योंकि इसमें गजब का बल तथा उपचारात्मक शक्ति मौजूद होती है।
4. भारी धातु विषाक्तता (हैवी मेटल टाॅक्सिटी)
शिलाजीत रक्त में उपस्थित विषैले तत्वों से मुक्ति दिलाने में भी मदद कर सकती है क्योंकि इसमें फोलिक तथा ह्यूमिक एसिड मौजूद पाए जाते हैं जो हानिकारक रसायनों तथा विषैले तत्वों जैसे सीसा, पारा आदि को सोखकर शरीर से बाहर निकाल देते
हैं।
5. अल्प-ऑक्सीयता या हाइपोक्सिया
आयुर्वेदिक मत- शिलाजीत लोहा (हीमोग्लोबिन का अभिन्न अंग) तथा अन्य ऐसे खनिज जो रक्त की ऑक्सीजन वहन क्षमता को बढ़ा सकते हैं उनके अवशोषण में वृद्धि करती है।
टिप्स: दिन में दो बार भोजन के उपरांत शिलाजीत के कैपसूल का सेवन करें।
निर्देशित मात्रा के अनुसार शिलाजीत के विविध मान्य रूप - Multiple valid forms of Shilajit according to the directed quantity in Hindi
शिलाजीत को विविध रूपों में सामान्य तापमान
(25 C°) शीतल व शुष्क स्थान पर सुरक्षित रखा जा सकता है।
1 शिलाजीत पाउडर: चिकित्सक के परामर्श के अनुसार 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर का दिन में एक बार सेवन कर सकते हैं।
2 शिलाजीत कैपसूल: चिकित्सक के परामर्श के अनुसार दिन में एक-एक कैपसूल दिन में दो बार ले सकते हैं।
3 शिलाजीत की गोलियां: एक गोली दिन में एक बार चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लेनी चाहिए।
शिलाजीत के आयुर्वेद केयर ( परिचर्चा) के अनुसार विविध प्रकार - Variety according to Shilajit's Ayurveda Care in Hindi
1. दूध के साथ शिलाजीत का सेवन
2 से 4 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गुनगुने दूध में मिलाकर पीना चाहिए और दिनभर में हल्के भोजन के उपरांत इस उपाय को दो बार दोहराना चाहिए।
2. शिलाजीत कैपसूल
शिलाजीत के कैपसूल को भोजन के उपरांत गुनगुने दूध के साथ लिया जा सकता है। अगर मतली की शिकायत न हो तो खाना खाने के बाद दिन में दो बार लें।
3. शिलाजीत की गोलियां
शिलाजीत की गोली को खाना खाने के उपरांत गुनगुने दूध के साथ लें सकते हैं। अगर मतली की शिकायत न हो तो एक-एक गोली भोजन के उपरांत दिन में दो बार ले सकते हैं।
4. शिलाजीत की काली चाय
क) किसी बरतन में डेढ़ या दो कप पानी लें।
ख) इसमें आधा या एक चम्मच चाय पत्ती डालकर पांच मिनट तक उबालें।
ग) अब इसे छान लें।
घ) अब इसमें दो चुटकी शिलाजीत पाउडर डालकर अच्छे से मिला लें।
ङ) यह चाय सुबह खाना खाने से पूर्व पिएं। इसे पीने से शरीर दिनभर ऊर्जावान बना रहेगा तथा थकान छू मंत्र हो जाएगी।
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शिलाजीत के सेवन के दौरान रखें ये सावधानियां - Keep these precautions during the intake of Shilajit in Hindi
1. स्तनपान
ऐसे वैज्ञानिक साक्ष्य न के बराबर ही हैं जो यह साबित करते हों कि स्तनपान के दौरान शिलाजीत का सेवन कोई खास असर दिखाता है। अतः स्तनपान के दौरान इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करें या फिर बिलकुल ही न करें।
2. मधुमेह रोगी
शिलाजीत शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कम करती है। अतः मधुमेह के रोगियों को यह सलाह दी जाती है कि यदि शिलाजीत का सेवन करना पड़े तो ग्लूकोज के लेवल की बराबर जांच कराते रहें।
3. गर्भावस्था
ऐसे वैज्ञानिक साक्ष्य न के बराबर ही हैं जो यह साबित करते हों कि गर्भावस्था के दौरान शिलाजीत का सेवन अपना कुछ विशेष असर दिखाता है। इसीलिए इस अवस्था में इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करें या फिर बिलकुल ही न करें।
यह भी सलाह दी जाती है कि यदि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने के लिए दवाइयां ली जा रही हैं तो शिलाजीत के इस्तेमाल से पूर्व यूरिक एसिड लेवल की जांच अवश्य करा लें। क्योंकि इसके सेवन से यूरिक एसिड का लेवल बढ़ सकता है।
शिलाजीत के सेवन के कुछ दुष्प्रभाव - Some side effects of taking Shilajit in Hindi
शिलाजीत शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति को बढ़ाती है और इसी कारण इसका सेवन करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह लेना अनिवार्य है। ऐसा न करने की स्थिति में यह प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित कई तरह की समस्याएं खड़ी कर सकती है, जैसे स्क्लेरोसिस यानी ऊतकों की दृढ़ता, स्वप्रतिरक्षित रोग, लूपस, रूमेटाइड आर्थ्राइटिस आदि। ये समस्याएं शरीर में भयंकर जटिलताएं पैदा कर सकती हैं। शिलाजीत शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ाती है।अतः इस कारण भी यह जोखिम पैदा कर सकती है।
आयुर्वेद में शिलाजीत को एक बहुत ही शक्तिशाली घटक माना जाता है। इसी कारण इसका बहुत अधिक मात्रा में सेवन पित्त दोष उत्पन्न कर जलन या प्रदाह का कारण बन सकता है। सिकल सेल्स अनेमिया, हेमोड्रोमेटोसिस आदि के रोगियों को तो इसके सेवन से परहेज़ ही करना चाहिए।
शिलाजीत को कभी भी अपरिक्व अथवा असंसाधित अवस्था में प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें धात्विक आयन,फ्री-रेडिकल्स, फंग्स यानी फफूंद आदि अनेक अशुद्धियां सम्मिलित पायी जाती हैं। ध्यान रहे कि ये अशुद्धियां आपको अस्पताल पहुंचा सकती हैं। इसके कुछ अन्य दुष्प्रभाव हैं- त्वचा पर पित्त का उभर आना, दिल व श्वसन की दर का बढ़ जाना, चक्कर आना आदि।
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शिलाजीत से संबंधित कुछ प्रश्नोत्तर - Shilajit Related FAQ's in Hindi
प्र. क्या मैं शिलाजीत का अश्वगंधा के साथ प्रयोग कर सकता हूं?
उ. शिलाजीत तथा अश्वगंधा दोनों का एक साथ प्रयोग करने से पूर्व चिकित्सक का परामर्श लेना अनिवार्य है क्योंकि ये दोनों ही घटक बलवर्धक प्रकृति के होते हैं।
इन्हें पचाने तथा इनका लाभ उठाने के लिए शरीर को काफी दबाव सहन करना पड़ता है जिसमें पाचक अग्नि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पाचक अग्नि का प्रभाव अलग-अलग लोगों में अलग-अलग देखा जाता है।
प्र. क्या महिलाएं भी शिलाजीत गोल्ड कैपसूल का सेवन कर सकती हैं?
उ. हां, महिलाएं अपने बेहतर स्वास्थ्य या तन की थकान व सुस्ती से मुक्ति पाने के लिए इस कैपसूल का सेवन कर सकती हैं। यह वात दोष को दूर कर जोड़ों के दर्द में आराम देता है। इसका बलवर्धक व कायाकल्प करने वाला गुण महिलाओं की सेहत में सुधार लाता है। इसका सेवन सुबह भोजन के उपरांत किया जा सकता है।
प्र. क्या शिलाजीत का सेवन गरमी में कर सकते हैं?
उ. आयुर्वेदिक मत- इसके उपचारात्मक गुणों को देखते हुए इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में किया जा सकता है। यद्यपि इसकी तासीर बलवर्धक होती है तथापि यह सुपाच्य है। इसी कारण इसकी सीमित मात्रा का सेवन कभी भी कर सकते हैं।
प्र. क्या शिलाजीत हाई अल्टीट्यूड सेरीब्रल एडिमा (एचएसीई) में फायदेमंद होता है?
उ. एचएसीई की समस्या बहुत अधिक ऊंचाई पर निम्न वायुमंडलीय दबाव के कारण दिमाग में आने वाली सूजन होती है। शिलाजीत मस्तिष्क सहित पूरे शरीर से अतिरिक्त तरल को मुक्त करने का काम करती है। इसी वजह से यह शरीर में उत्पन्न सामंजस्य के अभाव, बेहोशी, सूजन आदि समस्याओं के निदान में काफी असरकारक सिद्ध हो सकती है।
प्र. शिलाजीत गोल्ड कैपसूल पुरुषों के लिए कैसे लाभप्रद है?
उ. आयुर्वेदिक मत- शिलाजीत का बलवर्धक या कायाकल्प करने वाला गुण शरीर में ऊर्जा लेवल की वृद्धि करता है और यौन-इच्छा को बढ़ाता है।
प्र. क्या शिलाजीत उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है?
उ. आयुर्वेदिक मत- हां, शिलाजीत तकनीकी तौर पर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है तथा उम्र बढ़ने के संकेतों यानी सूक्ष्म रेखाओं, झुर्रियों आदि में कमी लाती है। आयुर्वेद में इसका कारण वात दोष से उत्पन्न कोशिकाओं की गड़बड़ी को माना जाता है। शिलाजीत जो शक्तिवर्धक व उपचारात्मक गुणों से भरपूर होती है कोशिकाओं में होने वाली गड़बड़ी को नियंत्रित करके उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा धीमा कर देती है।
प्र. क्या शिलाजीत का सेवन सुरक्षित है?
उ. जिन लोगों में स्वास्थ्य से संबंधित कोई गंभीर समस्या न हो शिलाजीत का सेवन उन सबके लिए सुरक्षित है। भले ही यह तासीर में काफ़ी उत्तेजक या शक्तिवर्धक होता है फिर भी इसका संयत मात्रा में सेवन करने से कोई हानि नहीं होती है। शिलाजीत को इस्तेमाल करने से पूर्व इसे पूरी तरह से शुद्ध एवं संसाधित करने की जरूरत पड़ती है क्योंकि इसमें भारी धातुएं तथा फ्री-रेडिकल्स मिले रहते हैं। इनका सेवन शरीर पर हानिकारक प्रभाव अंकित कर सकता है। अक्सर यह भी देखने में आता है कि कुछ लोग शिलाजीत का प्रयोग अन्य औषधियों के साथ करते हैं। यहां इस बात का ध्यान रखें कि इस तरह के प्रयोग से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर ले लें।
प्र. क्या शिलाजीत रक्ताल्पता या एनीमिया का उपचार कर सकती है?
उ. हां, से रक्ताल्पता का उपचार संभव हो सकता है। इसका कारण यह है कि शिलाजीत में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट एवं अन्य शक्तिवर्धक घटक शरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों को निष्क्रिय करके शरीर से मुक्त कर देते हैं। यह शरीर से टोक्सिन या जीव विष को निकाल देता है। अतः कब्ज जैसी समस्या सदा दूर ही बनी रहती है और पाचन मजबूत बना रहता है। फिर भी इसके अनुपूरकों के सेवन का कुछ दुष्प्रभाव देखने में आ सकता है। ऐसे में चिकित्सक से संपर्क करें।
प्र. क्या शिलाजीत का पुरुषों की यौन-इच्छा पर कुछ असर होता है?
उ. विभिन्न शोध यह साबित करते हैं कि शिलाजीत का सेवन शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल को बढ़ाता है। यह एक कायाकल्प या पुनर्योवन देने वाली औषधि है जो शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि करती है। शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल के बढ़ जाने से यौन-इच्छा स्वतः ही जाग्रत होती है।
शिलाजीत की ऑनलाइन खरीद : Buy Shilajit Online
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Baidhyanath Shilajitwadi Bati
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Unjha Shilajitvadi Vati
Maharshi Ayurveda Shilajeet Rasayan
संदर्भ: References
https://main.ayush.gov.in/sites/default/files/Ayurvedic%20Pharmacopoeia%20of%20India%20part%201%20volume%20IX.pdf
http://www.ayurveda.hu/api/API-Vol-1.pdf
https://europepmc.org/article/med/25792012
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6541602/
https://jissn.biomedcentral.com/articles/10.1186/s12970-019-0270-2
https://www.healthline.com/health/shilajit
https://globalresearchonline.net/journalcontents/v59-1/23.pdf
किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222
यदि सफ़ेद दाग या ल्यूकोडर्मा से आप पीड़ित हैं तो अब घबड़ाने की कोई बात नहीं क्योंकि इसकी हर्बल दवा बन चुकी है और तकरीबन डेढ़ लाख से अधिक लोगों का इसके जरिये उपचार भी हो चुका है. इस हर्बल दवा को वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हेमन्त कुमार ने बनाया है जिसके लिए उन्हें ईयर आफ द साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की तरफ से उन्हें यह सम्मान डीआरडीओ भवन में हुए कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से दिया गया. उन्हें पुरस्कार स्वरूप दो लाख रुपये की राशि और प्रशस्ति पत्र भी दिया गया.
( यह भी पढ़े - ल्यूकोडर्मा के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय )
सफेद दाग यानी ल्यूकोडर्मा की इस दवा का नाम ल्यूकोस्किन है जिसे एक बड़ी खोज माना जा रहा है. ल्यूकोस्किन को हिमालय क्षेत्र में दस हजार फुट की ऊंचाई पर पाए जाने वाले औषधीय पौधे विषनाग से तैयार किया गया है. यह खाने और लगाने दोंनों स्वरूप में उपलब्ध है. इस दवा का उत्पादन अब एमिल फार्मास्युटिकल करती है और एक प्रभावी दवा के रूप में इसकी अच्छी पहचान बन चुकी है.
डॉ. हेमन्त कुमार वर्तमान में डीआरडीओ की प्रयोगशाला रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (डीआईबीईआर) में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने पूर्व में भी 6 दवाओं और हर्बल उत्पादों की खोज की थी.
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अस्थमा या दमा : Asthma in Hindi
क्या आपको खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न, सांस की तकलीफ और सीने में दर्द जैसे लक्षण हैं? तो संभव है कि आप अस्थमा से पीड़ित हैं। दुनिया भर में 300 मिलियन रोगियों के साथ अस्थमा दुनिया में सबसे ज़्यादा होने वाले गैर-संचारी रोगों में से एक है। यह बीमारी बच्चों में भी बढ़ी है।
आयुर्वेद में, ब्रोन्कियल अस्थमा को तमक श्वास के रूप में जाना जाता है। यह व्याधि व्यक्ति के फेफडो को प्रभावित करती है। लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव और आयुर्वेदिक उपचार से अस्थमा का निवारण हो सकता है। इससे पहले कि हम इसके समाधानों की ओर चले, आइए समझते हैं: अस्थमा क्या है, यह किस कारण से होता है और इस समस्या को दूर करने के लिए हमें अपने जीवन में क्या उपाय अपना सकते हैं।
विषय - सूची
अस्थमा क्या है?: What is asthma?
अस्थमा के कारण: Causes of asthma
अस्थमा के लक्षण: Symptoms of asthma
अस्थमा के लिए टेस्ट : Test for Asthma
अस्थमा से बचाव के सामान्य उपाय: Home Remedies for Asthama
क्या खाएं और किससे बचें: What to eat and what to avoid
अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू): Frequently Asked Questions (FAQs)
अस्थमा क्या है?
आयुर्वेद में, सांस लेने में तकलीफ को श्वास रोग कहा जाता है। श्वास रोग मुख्य रूप से वात और कफ दोषों के कारण होता है। श्वास को पांच प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है- महाश्वास, उर्ध्व श्वास, छिन्न श्वास, क्षुद्र श्वास, तमक श्वास । आयुर्वेद के अनुसार, अस्थमा या दमा रोग तमक श्वास के अंतर्गत आता है। इसमें शरीर में कफ दोष के बढ़ने से वायु का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है तथा वायुमार्ग में सिकुड़न पैदा हो जाती है। इससे विशेष रूप से रात या सुबह में घरघराहट, सांस फूलना, सीने में जकड़न और खांसी की शिकायत होती है। यह मुख्य रूप से एलर्जी के कारण होने वाला रोग है क्योंकि रोगी धूल और प्रदूषण या कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील हो जाता है.
अस्थमा के कारण
अस्थमा प्राथमिक रूप से वात दोष बढाने वाले कारकों के अधिक सेवन, कफ बढाने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन, फेफड़ों के ऊतकों के कमजोर होने और फेफड़ों के रोगों के कारण होने वाली समस्याओं के कारण होता है। पर्यावरण और जीवन शैली भी अस्थमा में अहम भूमिका निभाते हैं। जैसे ठंडे या बासी खाद्य पदार्थों का पाचन करना आसान नहीं होता, इससे आम (बलगम) का निर्माण होता है। यह श्वसन नलिका में रुकावट पैदा करता है जिसके फलस्वरूप सांस लेने में कठिनाई होती है। ठंडे और नम वातावरण में रहना भी अस्थमा का एक कारण है।
आयुर्वेद में अस्थमा के निम्न कारण बताये गये हैं जिनमें से कुछ इस तरह से है :
भोजन का अनियमित सेवन करना।
सूखा, ठंडा, भारी, असंगत भोजन करना।
उडद की दाल, सेम, तिल का तेल, केक और पेस्ट्री, विष्टम्भी अन्न(वात दोष को बढ़ाने वाला भोजन), विदाही अन्न(पेट में जलन करने वाले पदार्थ), पचने में भारी भोजन , दही, कच्चा दूध तथा कफ दोष की वृद्धि करने वाले भोजन का सेवन करना।
ठंडे पानी का सेवन और ठंडी जलवायु के संपर्क में आना।
धूल, धुएँ और हवा के संपर्क में आना।
अत्यधिक व्यायाम करना।
यौन क्रिया में अधिक लिप्त रहना।
गले, छाती और महत्वपूर्ण अंगों को आघात पहुँचना।
प्राकृतिक वेगो को रोकना।
अस्थमा के लक्षण
अस्थमा रोग में कफ दोष बढ जाता है और वात दोष विपरीत दिशा में जा कर श्वसन पथ में रुकावट पैदा करता है। अतः रोगी में निम्न लक्षण मिलते हैं-
सांस फूलने के साथ सांस छोडने में अत्यंत तकलीफ
अत्यधिक खांसी
घरघराहट की आवाज़
छाती की जकड़न
गाढ़ा बलगम
माथे पर पसीना आना
रात और सुबह के समय उपरोक्त लक्षणों का बढ़ना
बिस्तर पर लेट जाने पर बेचैनी बढ़ जाती है, बैठने की मुद्रा में आराम मिलता है।
गंभीर हालत में रोगी को गंभीर खांसी होती है और वह बेहोश हो जाता है। रोगी को कफ को निष्कासित करना मुश्किल लगता है और कफ के निष्कासन के बाद 1 मुहूर्त (3 घंटे) की अवधि के लिए राहत महसूस होती है। ऐसे व्यक्ति को गर्म चीजें पसंद आती हैं। आकाश में बादलों की उपस्थिति, बारिश, ठंड के मौसम, तेज हवाओं और कफ दोष में वृद्धि करने वाले भोजन का सेवन इसके लक्षणों को बढा देता है।
अस्थमा के लिए टेस्ट
अस्थमा रोग के निदान के लिये विभिन्न प्रकार के श्वास परीक्षण किये जाते हैं जैसे स्पाइरोमीट्री और पीक फ्लो। इससे बाहर निकलने वाली हवा की मात्रा और गति को मापते हैं। यह ये देखने में मदद करता है कि आपके फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं। अन्य परीक्षणों में एलर्जी परीक्षण, रक्त परीक्षण, नाइट्रिक ऑक्साइड या FeNo परीक्षण, और मेथाकोलीन जैसे परीक्षण शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा छाती का एक्स-रे अस्थमा को अन्य फेफड़ों के रोगों से अलग करने में उपयोगी है।
अस्थमा निदान के सामान्य उपाय
आयुर्वेद के अनुसार अस्थमा वातकफज रोग है, यह पेट से शुरू होकर फेफड़े और श्वसन नलिकाओं तक बढ़ता है। इसलिए उपचार का प्राथमिक उद्देश्य अतिरिक्त कफ को समाप्त करना है। इसके अलावा प्राणवहस्त्रोत(श्वसन तंत्र) को मजबूत करने और उत्तेजित अवस्थाओं को संतुलित करने पर ध्यान दिया जाता है। इस उद्देश्य के लिए निम्नलिखित उपायों को हम अपने दैनिक जीवन में अपना सकते हैं-
आम को कम करने के लिए-
प्रातः काल उठ कर नियमित रूप से गर्म पानी में नमक डाल कर गरारा करें तथा सबसे पहले ऊष्ण जल का सेवन करें।
अदरक को पानी में उबाल कर उसका भी सेवन लाभकारी है. इसमें अपनी इच्छा अनुसार नीम्बू भी शामिल कर सकते हैं।
जीरा तथा काली मिर्च का सेवन भी आम को कम करने में सहायक है।
यह रोग पेट से शुरु होता है अतः पेट को साफ करने के लिये-
अपने भोजन में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
गर्म पानी में भीगी हुई अंजीर का सेवन भी कर सकते हैं।
पानी की मात्रा अपने भोजन तथा पेय पदार्थों में ज़्यादा रखे।
कफ को कम करने के लिये-
अदरक और लहसुन को कूट कर पानी में उबाल कर पी सकते हैं।
पानी में शहद घोल कर पीना भी कफ को कम करता है।
भोजन में हल्दी, अदरक आदि मसालों का सेवन करें।
योग एवम प्राणायाम-
अस्थमा रोग में प्राणायाम बेहद कारगर है। भ्रस्त्रिक, अनुलोम-विलोम, कपालभाति तथा नाडी शोधन आदि श्वसन तंत्र के लिये फायदेमंद हैं। अर्ध-मत्स्येन आसन, भुजंग आसन, पूर्वोत्तासन आदि योगासन भी अस्थमा रोग में सहायक हैं।
गर्म तेल-
पीठ और छाती पर तिल के तेल का गर्म सेंक अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाता है।
क्या खाएं और किससे बचें?
आयुर्वेद में बताया गया है कि व्यक्ति के जीवन में आहार अहम भूमिका निभाता है। बहुत सारे रोगो से सिर्फ आहार-विहार ठीक करके भी बचा जा सकता है। अतः अस्थमा में भी निम्न आहार-विहार का पालन करना बताया गया है-
गेहूँ, पुराना चावल, मूंग की दाल, जौ, लहसुन, हल्दी, अदरक, काली मिर्च का भोजन में उपयोग करें।
अपने पेय और खाद्य पदार्थों में शहद का इस्तेमाल करें।
मुलेठी और दालचीनी की चाय भी बना कर पी सकते हैं।
नट्स और ड्राई फ्रूट्स को मध्यम मात्रा में लिया जा सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं।
भारी, ठंडा आहार, उडद की दाल, तैलीय, चिकना और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
दूध, पनीर, दही, छाछ और केला जैसे भारी खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
प्रोसेस्ड फूड, एडिटिव्स, व्हाइट शुगर और आर्टिफिशियल मिठास से बचें।
धूम्रपान, धूल और धुएं, प्रदूषण और एलर्जी के संपर्क में आने से बचें।
ठन्डे और नमीयुक्त वातावरण से बचे।
प्राकृतिक वेगो का दमन न करें।
अत्यधिक शारीरिक परिश्रम न करें।
योग और ध्यान सहायक हो सकते हैं।
ठंड के मौसम में बाहर निकलते समय अपना मुंह और नाक ढक लें।
अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
अस्थमा होने की सबसे अधिक सम्भावना किन लोगों में होती है?
यदि परिवार में किसी को पहले से ही अस्थमा है, तो ऐसे व्यक्तियों को अस्थमा विकसित होने की अधिक संभावना है। एक्जिमा या खाद्य पदार्थों से एलर्जी वाले बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में अस्थमा विकसित होने की संभावना अधिक होती है। पराग, घर की धूल, घुन या पालतू जानवरों से एलर्जी भी अस्थमा के विकास की संभावना को बढ़ाती है। तंबाकू के धुएं, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने पर भी अस्थमा के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
अस्थमा को बढाने वाले मुख्य कारक क्या हैं?
घर की धूल, पराग कण, ठंडी और शुष्क जलवायु, खाना पकाने के गैस धुएं, धूम्रपान, पेंट, स्प्रे जैसे एलर्जी के संक्रमण। ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण, वायरल संक्रमण। एस्पिरिन, दर्द निवारक दवाये, भोजन में प्रयोग होने वाले रंग, खाद्य संरक्षक, बर्फ क्रीम, अत्यधिक व्यायाम विशेष रूप से ठंड और शुष्क दिन में, तनाव, लकड़ी और कपास की धूल, रसायन आदि।
क्या मौसम में बदलाव से अस्थमा हो सकता है?
हां, अचानक मौसम में बदलाव (जैसे ठंडी हवाएं, नमी और तूफान) कुछ लोगों में अस्थमा को बढा सकते हैं। इन अचानक बदलावों से एलर्जी पैदा हो सकती है जैसे कि पराग कण उन लोगों में अस्थमा को बदतर बना सकते हैं जिनका अस्थमा एलर्जी से संबंधित है। ठंडी हवा का सीधा असर वायुमार्ग पर भी पड़ सकता है।
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