एलोवेरा जूस की जानकारी - Aloe Vera Juice in Hindi
एलोवेरा या घृतकुमार के पौधों से एलोवेरा जूस बनाया जाता है। यह पूर्णतया प्राकृतिक होता है और इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें मौजूद विटामिन ए, सी, ई, बी, फोलिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व मानव शरीर के स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट भी मौजूद होता है जो कई घातक बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
एलोवेरा जूस के फायदे - Aloe Vera Juice Benefits in Hindi
एलोवेरा जूस में विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जिसकी वजह से इसके सेवन से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं।
चमकदार त्वचा: त्वचा के लिए एलोवेरा जूस बेहद फायदेमंद साबित होता है। यह त्वचा संबंधी रोगों में उपयोगी साबित होता है और दाग-धब्बों को कम करता है। रूखी - सूखी त्वचा (डेड स्किन) को पुनर्जीवित करता है और साथ ही त्वचा के रंग को भी सुधारता है।
बालों के लिए सेहतमंद: एलोवेरा जूस बालों को मजबूत और चमकीला बनाता है।
पेट की समस्याओं को कम करने में मदद करता है
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है
इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है
शरीर में विषैले पदार्थों को खत्म करने में मदद करता है
एलोवेरा जूस से संबंधित प्रश्न - Aloe Vera Juice FAQ's in Hindi
एलोवेरा जूस कितने दिन तक पीना चाहिए?
एलोवेरा जूस को कितने दिनों तक पीना चाहिए यह आपके स्वास्थ्य के स्थिति और एलोवेरा जूस की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। यदि आप किसी तरह की बीमारी से पीड़ित हैं या कोई औषधि ले रहे हैं, तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए
एलोवेरा कौन कौन सी बीमारी में काम आता है?
एलोवेरा के उपयोग से निम्नलिखित बीमारियों में लाभ हो सकता है:
त्वचा समस्याएं: एलोवेरा त्वचा के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसे त्वचा से जुड़ी कुछ समस्याओं जैसे कि एक्ने, डार्क स्पॉट्स, सूखी त्वचा आदि के इलाज में उपयोग किया जाता है।
पाचन विकार: एलोवेरा उपाय पाचन के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। यह अपच, गैस, एसिडिटी आदि जैसी समस्याओं के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।
शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द: एलोवेरा शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इसे घुटनों, कमर आदि के दर्द को कम करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
बालों की समस्याएं: एलोवेरा को बालों की समस्याओं जैसे कि रूसी, असमय झड़ते बाल, और सूखे बालों के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।
एलोवेरा कब नहीं पीना चाहिए?
एलोवेरा जूस के सेवन के बारे में सावधानियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं।
गर्भवती महिलाएं: एलोवेरा जूस का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए असुरक्षित हो सकता है क्योंकि यह पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और गर्भपात के खतरे को बढ़ा सकता है।
खून की थकान: एलोवेरा जूस में उपस्थित एन्जाइम कुछ लोगों में थकान, चक्कर, त्वचा पर लाल दाने, जैसे लक्षणों का कारण बन सकते हैं।
दवाओं के साथ सेवन: अगर आप दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो एलोवेरा जूस का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें। एलोवेरा जूस कुछ दवाओं के साथ संयुक्त रूप से सेवन करने पर उनके प्रभावों को बढ़ा सकता है जिससे आपको अनुचित परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
सड़न वाली त्वचा: एलोवेरा जूस त्वचा के अलर्जिक विकारों, जैसे बड़ी मात्रा में एसिडिटी, सड़न या सूखापन की समस्याओं को बढ़ा सकता है।
एलोवेरा के साइड इफेक्ट क्या है?
एलोवेरा एक प्राकृतिक उपचार है जो त्वचा, बाल और शरीर के लिए फायदेमंद होता है। इसके बावजूद, कुछ लोगों को इसके सेवन से संबंधित साइड इफेक्ट हो सकते हैं। निम्नलिखित हैं एलोवेरा के कुछ साइड इफेक्ट:
त्वचा उत्तेजना: कुछ लोगों को एलोवेरा से त्वचा उत्तेजना हो सकती है। इसलिए इसका उपयोग करने से पहले आपको एक छोटी सी परीक्षा करनी चाहिए।
खुजली और धुंधला भाव: कुछ लोगों को एलोवेरा से खुजली या धुंधला भाव हो सकता है। यदि आप इस प्रकार के रिएक्शन का सामना करते हैं, तो इसका उपयोग करना बंद कर दें और अपने चिकित्सक से सलाह लें।
स्किन एलर्जी: एलोवेरा का उपयोग त्वचा एलर्जी के लिए भी जाना जाता है, इसलिए यदि आपको त्वचा एलर्जी होती है, तो आपको इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
एलोवेरा जूस रोज पीने से क्या होता है?
एलोवेरा जूस एक प्रकार का पेय है जो एलोवेरा प्लांट से निकाला जाता है। एलोवेरा जूस कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है जो निम्नलिखित हैं:
पाचन शक्ति को बढ़ावा देता है: एलोवेरा जूस में मौजूद एंजाइम आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और उसमें सुधार करते हैं।
वजन घटाने में मददगार होता है: एलोवेरा जूस आपको सुगंधित पानी के साथ मिलाकर पीने से भूख कम होती है और यह वजन घटाने में मदद करता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद होता है: एलोवेरा जूस में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह त्वचा को नमी प्रदान करता है और त्वचा को सूखापन से बचाता है।
सामान्य बुखार और सर्दी के लिए फायदेमंद होता है: एलोवेरा जूस में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो सामान्य बुखार और सर्दी को कम करने में मदद करते हैं।
एलोवेरा जूस पीने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
एलोवेरा जूस को सुबह के समय पीना अच्छा माना जाता है। सुबह के समय एलोवेरा जूस के पीने से शरीर के अनुसंधान तंत्र को जग्रत होने में मदद मिलती है, जो शरीर के संचार को बेहतर बनाता है। इसके अलावा, एलोवेरा जूस को खाली पेट पीना अच्छा होता है क्योंकि इससे अधिक से अधिक लाभ मिलते हैं।
सुबह खाली पेट एलोवेरा पीने से क्या होता है?
सुबह खाली पेट एलोवेरा पीने के कुछ लाभ हो सकते हैं।
पाचन क्रिया को सुधारता है: एलोवेरा पेट की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें पाचन तंत्र के लिए अनेक गुण होते हैं जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस पीने से पाचन क्रिया को सुधारा जा सकता है।
वजन को कम करने में मददगार: एलोवेरा जूस वजन को कम करने में मददगार होता है। इसमें पाचन को सुधारने वाले तत्व होते हैं जो वजन कम करने में मदद करते हैं।
शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है: एलोवेरा पेट की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्व होते हैं जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।
शरीर को विषाक्त करता है: एलोवेरा पेट को साफ रखने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें विषाक्त करने वाले तत्व होते हैं जो शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
क्या मैं रोजाना एलोवेरा जूस पी सकती हूं?
हाँ, आप रोजाना एलोवेरा जूस पी सकते हैं। एलोवेरा जूस एक स्वस्थ पेय होता है जो शरीर के लिए कई फायदों से भरपूर होता है। यह पाचन को सुधारता है, शरीर में विषैले पदार्थों को निकालता है और त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
अगर आप एलोवेरा जूस के नए प्रयोग कर रहे हैं, तो आप पहले थोड़ा जूस पी कर देख सकते हैं कि आपके शरीर को इसे सहने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। अगर आप किसी खास समस्या से पीड़ित हैं, तो आप एक चिकित्सक से परामर्श करने से पहले एलोवेरा जूस के सेवन से पहले उनसे परामर्श करना चाहिए।
एलोवेरा में जहर होता है क्या?
नहीं, एलोवेरा में जहर नहीं होता है। वास्तव में, एलोवेरा को औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। एलोवेरा एक सुगंधित पौधा है जो विभिन्न प्रकार की त्वचा समस्याओं के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी जड़ों, पत्तियों और रस में विभिन्न पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। एलोवेरा को सही तरीके से उपयोग करने के लिए, आपको एक विशेषज्ञ या वैद्य की सलाह लेनी चाहिए।
एलोवेरा से कितने रोग ठीक हो सकते हैं?
एलोवेरा के प्रयोग से कई समस्याएं ठीक हो सकती हैं। यह जीवनदायी फलों से पर्याप्त मात्रा में पानी और पोषक तत्वों का सम्पन्न स्रोत है। यह एक प्राकृतिक औषधि है जो कि अधिकतर त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में उपयोग की जाती है। एलोवेरा का प्रयोग निम्न रोगों के इलाज में किया जाता है:
त्वचा संबंधी समस्याएं: एलोवेरा त्वचा को मौजूदा स्थिति से बेहतर बनाने में मदद करता है जैसे कि एक्जिमा, सुन-तन, दाद, छाले, और फोड़े।
बालों संबंधी समस्याएं: एलोवेरा बालों के झड़ने, रूखापन और सफेदी को रोकने में मदद करता है।
अल्सर: एलोवेरा का उपयोग अल्सर जैसी पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं में मदद करता है।
श्वसन संबंधी समस्याएं: एलोवेरा श्वसन रोगों जैसे ब्रोंकाइटिस, एस्थमा और एलर्जी में उपयोगी होता है।
घावों की समस्याएं: एलोवेरा का जेल सीधे घाव पर लगाया जा सकता है।
क्या एलोवेरा जूस पीना हानिकारक हो सकता है?
नहीं, एलोवेरा जूस पीने से कोई बड़ी हानि नहीं होती है, लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है। इसलिए, एलोवेरा जूस का सेवन करने से पहले, आपको अपने चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए, विशेष रूप से अगर आपको पहले से कोई एलर्जी की समस्या है।
एलोवेरा जूस में कुछ औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह पेट संबंधी समस्याओं, त्वचा संबंधी समस्याओं, एलर्जी, एक्जिमा, और सूखी त्वचा जैसी कई समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है।
क्या एलोवेरा कैंसर का कारण बन सकता है?
नहीं, एलोवेरा कैंसर का कारण नहीं बनता है। एलोवेरा एक प्राकृतिक उपचार है जो त्वचा के लिए उपयोग किया जाता है और आमतौर पर इसे सुरक्षित माना जाता है। अधिकतर तथ्यों के अनुसार, एलोवेरा का सेवन कैंसर के विकास का कोई संबंध नहीं है।
वास्तव में, एलोवेरा शरीर के विभिन्न समस्याओं के इलाज में मददगार साबित होता है, जैसे कि त्वचा संबंधी समस्याएं, पेट संबंधी समस्याएं, जड़ों के रोग आदि। लेकिन यदि आपको कैंसर होने का डर है तो आपको एक विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए।
यदि आप इस सम्बन्ध में अधिक जानना चाहते हैं तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं या कैंसर संबंधी सत्यापित संसाधनों से जानकारी ले सकते हैं।
एलोवेरा जूस को काम करने में कितना समय लगता है?
एलोवेरा जूस का काम करने में समय निर्भर करता है कि आप इसे कैसे उपयोग कर रहे हैं।
एलोवेरा जूस किसे नहीं पीना चाहिए?
एलोवेरा जूस अधिक मात्रा में लेने से कुछ लोगों को तकलीफ हो सकती है। निम्नलिखित लोगों को एलोवेरा जूस नहीं पीना चाहिए:
गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान, एलोवेरा जूस का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को एलोवेरा जूस पीने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
स्तनपान कराने वाली महिलाएं: स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी एलोवेरा जूस का सेवन कम से कम करना चाहिए। इसका मात्रा ज्यादा होने से बचना चाहिए।
शुगर के मरीज: एलोवेरा जूस में शक्कर होती है, इसलिए शुगर के मरीजों को एलोवेरा जूस का सेवन कम से कम करना चाहिए। वे अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं कि वे कितनी मात्रा में ले सकते हैं।
आयरिटेशन के मरीज: एलोवेरा जूस में आयरिटेशन के लिए उपयोग किए जाने वाले दवाओं के संयोजन से परेशानी हो सकती है। इसलिए, इस समय एलोवेरा जूस का सेवन कम से कम करना चाहिए।
क्या एलोवेरा जूस आपके खून को पतला करता है?
एलोवेरा जूस खून को पतला नहीं करता है। वास्तव में, एलोवेरा जूस खून को साफ करने में मदद करता है जिससे कि शरीर से टॉक्सिन निकालने में मदद मिलती है। इसके अलावा, एलोवेरा जूस में पोषण और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो आपके शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। लेकिन जैसा कि हर चीज का अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है, इसलिए एलोवेरा जूस को अधिक से अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, एक दिन में एक छोटी कप एलोवेरा जूस पीना सुरक्षित होता है।
सबसे अच्छा एलोवेरा जूस कौन सा है?
एलोवेरा जूस का उत्पादन अनेक कंपनियों द्वारा किया जाता है और उनमें से हर एक का गुणवत्ता स्तर अलग हो सकता है। एलोवेरा जूस की गुणवत्ता उसके उत्पादन तकनीक, संश्लेषण, संरचना और उत्पाद के उपयोग से प्रभावित होती है।
यदि आप एलोवेरा जूस खरीदना चाहते हैं तो आपको एक ऐसी कंपनी का चयन करना चाहिए जो एलोवेरा पत्तों को उच्च गुणवत्ता वाले तरीके से प्रबंधित करती हो और अपने उत्पादों में सिर्फ असली एलोवेरा उपयोग करती हो।
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सच्चा प्यार और मोहब्बत यह एक ऐसा माया मृग (छल/झूठ) बनता जा रहा है जिसको पाने के लिए हर कोई उतावला है लेकिन जब इस ओर लोग बढ़ते हैं तब समझ आता है कि जिंदगी तो कुछ और ही है।
वैसे मेरी इस बात से बहुत से लोग भरोसा नहीं करेंगे या संभव है कि नाक-मुंह भी बना लें, खासकर के प्यार की चासनी में लिपटे या यूँ कहूं कि नहाये हुए वो लोग जिनके दिन की शुरुआत और अंत बाबू, सोना, जानू, I love you जैसे शब्दों से शुरू होती है या दिन के कई घंटे इसी तरह की चैट या कॉल में जाते हों! लेकिन यक़ीन मानिये जैसे-जैसे यह लेख आप पढ़ते जायेंगे तो निश्चित ही यह भरोसा तो आपको हो ही जायेगा कि जो विचार और सोच या रिश्ते लेकर आप चल रहे हैं उसपर एक बार गंभीरता से विचार करना कितना जरुरी है, कृपया एक बार गंभीरता से पूरे लेख को अवश्य पढ़ें!
इस लेख में बात शुरू करते हैं दुनिया के सबसे बड़े टॉपिक "मोहब्बत और सेक्स" से (यह बात कई तरह के रिसर्च में सिद्ध हो चुकी है की लोगों के लिए यही विषय सबसे पसंदीदा हैं), आम तौर पर इस संसार में मौजूद लगभग प्रत्येक प्राणी के जीवनचक्र का यह एक ऐसा पहलु है जिससे शायद ही कोई अछूता रहा हो, इससे न इंसान बचा और न जानवर!
जाहिर सी बात है कि जब इतने तरह के प्राणी और इतना बड़ा संसार इसी ओर भाग रहा है तो कुछ तो विशिष्ट होगा ही इसमें, वैसे यदि विज्ञान की भाषा में इसको कहें तो यह हमारे शरीर में मौजूद कुछ विशेष तरह के Hormones से जुड़ा हुआ है, और यदि आध्यात्म या आयुर्वेद की भाषा में कहें तो यह यह मानवीय संवेदनाओं, भावनाओं और जीवन की इच्छा से जुड़ा हुआ है।
अब जब बात रिश्तों की आती है , खासकर के जिसे आज के समय में विपरीत लिंग के साथ आकर्षण को प्रेम का नाम दे दिया गया है उसमें कई तरह के विकार या गलत भाव आ चुके हैं, यदि इसकी जड़ में जाएँ तो विज्ञान के हिसाब से इसके लिए जो सबसे बड़ा हॉर्मोन जिम्मेदार है वो है टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) इसे हम male (पुरुष) हॉर्मोन भी कहते हैं, यह हॉर्मोन आदमियों में या इस दुनिया के सभी तरह के नर चाहे वो गधा, घोड़ा, कुत्ता, हाथी, शेर आदि कोई भी हो उन सभी में मौजूद होता है जिसका काम है पुरुषों में सेक्स ड्राइव को बढ़ाना!
प्राकृतिक रूप से 99.99% पुरुषों में जब विपरीत लिंग के प्रति जब प्यार / मोहब्बत और इश्क़ जैसा कुछ भी आता है तो उसके दिमाग में शुरुआत से लेकर आगे तक अपने साथी के साथ सेक्स ही आकर्षण का सबसे पहला और अंतिम पहलु होता है, संभव है आप में से कुछ लोग इससे सहमत न हों लेकिन पुरुषों की यह प्राकृतिक स्थिति होती है और विज्ञान के कई रिसर्च भी यही सिद्ध करते हैं!
हालाकिं निश्चित रूप से अपवाद भी होते हैं और कई परिस्थितियों और रिश्तों के अनुरूप भी पुरुषों का व्यवहार बदल जाता है जैसे परिवार में मौजूद अन्य महिलाओं जैसे : माता, बहन, दादी, बेटी आदि के प्रति निश्चित रूप से पुरुषों के विचार और सोच अलग चलती है, लेकिन जैसे ही वह इन रिश्तों के दायरे के बाहर खड़ा होता है और उसे विपरीत लिंग का कोई दिखता है तो स्वतः ही उसका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन उसके ऊपर हावी होने लगता है, हालाँकि वर्तमान समय में यह सब इसलिए भी बहुत अधिक बढ़ा है क्योंकि आज के समय में सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से प्रत्येक तरह की सामग्री और अश्लीलता इतने सहजता से सभी के लिए उपलब्ध है कि लोगों ने इन बातों को ही सही दुनिया समझ लिया है साथ ही इस विषय पर सही एजुकेशन के नाम पर महज मजाक भर ही हमारे समाज के बीच में है। वहीं इसके विपरीत सात्विक (मन की बेहद ही प्रसन्न और संतुष्ट रहने वाली अवस्था) आचरण, सदाचार या ब्रह्म की चर्या जिसे ब्रह्मचर्य का नाम दिया गया इस सभी की भी व्याख्या लोगों ने अपने-अपने मन से करके ऐसी बना दी है कि इसे या तो मजाक का विषय समझा जाता है या फिर कुछ आदर्श पुरुषों की स्थिति की तरह देखा जाने लगा है!
वहीं दूसरी ओर जब हम महिलाओं की बात करते हैं तो उनमें प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हॉर्मोन शरीर के सेक्सुअल व्यवहार, मासिक चक्र आदि के लिए जिम्मेदार होता है, साथ ही यह हार्मोन महिलाओं में चिड़चिड़ापन, उदासी, चिंता आदि जैसे इमोशनल बदलावों के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसलिए ही जब महिलाएं अपनी मर्जी से किसी के साथ शारीरिक संपर्क में आती हैं तो उनके साथ बेहद ही ज्यादा भावनात्मक रूप से खुद को जोड़ लेती हैं और ऐसे पुरुष के लिए भी वे कुछ भी करने को तैयार हो जाती हैं!
महिलाओं और पुरुषों के इन्हीं अलग-अलग हॉर्मोन्स के कारण जो प्यार को लेकर ग्राफ की स्थिति बनती है वो कुछ इस तरह की होती है:
पुरुष जो आरम्भ में बेहद प्यार करने वाले, उतावले, अपनी प्रेमिका के लिए कुछ भी कर डालने की बात करने वाले आदि-आदि तरीके के आदर्श आचरण और व्यवहार करते हैं वे अचानक ही जैसे ही उनका मुख्य काम होता है अर्थात जैसे ही उनका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन से जुड़ा काम या यह संतुष्ट होता है मतलब उसका सेक्स से जुड़ा कार्य पूरा होता है वैसे ही वो रंग बदलना आरम्भ कर देता है। वह व्यक्ति धीरे-धीरे फिर कोई और की तलाश की ओर बढ़ जाता है या जिसके साथ है तो वह और अधिक आनंद प्राप्त नहीं कर पाता है। (निश्चित रूप से इस लेख में मेरे द्वारा लिखी जा रहीं बातें एक आदर्श स्थिति नहीं है बल्कि आज के विकृत हो चुके विचारों, परिस्थितियों और सामाजिक स्थिति है, लेकिन न चाहते हुए भी एक कटु सत्य ही है!) अर्थात पुरुषों का प्यार का ग्राफ जो शुरू में चरम सीमा पर या अपने टॉप स्तर पर था वो ऊपर से नीचे और नीचे से और धरातल यानी की निगेटिव की ओर बढ़ता जाता है। (हाँ यह संभव है कि कुछ पुरुषों में यह प्यार का ग्राफ एकदम तेज़ी से कुछ ही हफ़्तों या महीनों में नीचे चला जाता है और कुछ में नीचे जाने में कुछ वर्ष भी लगते हैं लेकिन वर्तमान समय के पुरुष स्वाभाव के अनुसार यह ग्राफ जाता नीचे ही है।)
जबकि इसके विपरीत महिलाओं की स्थिति एकदम अलग होती है, आरम्भ में उनके प्यार का ग्राफ एक सामान्य लेवल पर या बिल्कुल ही प्रारंभिक स्थिति में होता है, जो धीरे-धीरे कई तरह की स्थितियों और सामने वाले की ओर से किये जा रहे कई प्रयासों और आकर्षण से धीरे-धीरे बढ़ता जाता हैं और जब वे इस स्तर पर पहुँच जातीं हैं कि वे पुरुष के साथ शारीरिक संपर्क स्थापित कर लेती हैं तो वे किसी भी स्थिति में अपने उस प्यार करने वाले पुरुष के साथ ही रहना चाहती हैं। यहाँ तक कि वे उसके लिए घर-परिवार, माता-पिता आदि सभी को छोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं, अभी दिल्ली में हुआ श्रद्धा मर्डर केस इसका एकदम आदर्श उदाहरण है, कि आफताब नाम के लड़के के साथ उसकी लगातार हिंसा होती थी, रिश्ता बिगड़ता ही जा रहा था, लेकिन उस सबके बाद भी वो किसी न किसी बहकावे में आकर उस लड़के से अलग नहीं हो पा रही थी, यहाँ तक कि अपने परिवार और दोस्तों से भी अच्छी खासी दूरी बनाकर के रह रही थी, उसके पिता को उसके दोस्तों से बात करके या सोशल मीडिया के उसके अकाउंट से उसका हाल पता चलता था। हालाकिं लड़कियों से माता-पिता या परिवार के साथ सही से न जुड़ पाने को लेकर या अपनी बात खुलकर न कर पाने के कई और सामाजिक पहलु हैं जिन्हें हम इसी लेख में आगे पढ़ेंगे!
महिलाओं के प्यार का ग्राफ नीचे या बीच से ऊपर और उससे और ऊपर की ओर ही बढ़ता जाता है। और उनकी इन्हीं भावनाओं और पहलु के कारण उनमें शुरू होती है एक अजीब सी स्थिति जिसे साइकोलॉजी की भाषा में "Bad Faith" कहते हैं, वैसे तो इस शब्द की व्याख्या में कई लम्बे-लम्बे विचार लिखे गए हैं, लेकिन इस लेख के विषय के सन्दर्भ में यदि लिखूं तो इसका अर्थ यह है कि लड़कियां खुद को झूठी तसल्ली या झूठा भरोसा देना शुरू कर देती हैं, और अधिक सरल भाषा में कहूं तो रिश्तों में दिख रही समस्याओं को नज़रअंदाज करना आरम्भ कर देती हैं!
जैसे जब उनका पुरुष पार्टनर उनको कम समय देना शुरू करता है तो वे समझ नहीं पातीं या समझकर भी "Bad Faith" के भरोसे बैठी होती हैं शायद सब अच्छा हो जायेगा या शायद बेचारा काम में या परिवार में उलझ रहा है, या वो बहाने जो लड़का बनाना शुरू करता है या अलग-अलग इमोशनल तरीके से बहलाता है तो उसमें बिना दिमाग लगाए भरोसा करती चली जाती हैं!
आजकल के दौर में इस तरह कि स्थितियां सबसे ज्यादा लिव-इन रिलेशन में या लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में या लम्बे समय से प्यार में डूबे तथाकथित प्यार करने वाले युवाओं में ज्यादा दिखाई देती हैं, जिसके कई सामाजिक पहलु भी होते हैं!
जैसे लड़के-लड़की का अलग-अलग जाति (कास्ट) या धर्म का होना, यह आजकल की एक बहुत कॉमन समस्या है!
यह एक बड़ी समस्या तब और बन जाती है जब लड़का या लड़की में से कोई एक अपने माँ-बाप के साथ रह रहा होता है, क्योंकि ऐसे में उस लड़के या लड़की के ऊपर माता-पिता का इमोशनल प्यार या आज की भाषा में कहें तो अत्याचार चल रहा होता है, क्योंकि माँ या बाप या कभी-कभी दोनों को यह लगता है कि इस बच्चे को तो हमने बचपन से पाला है, बड़ा किया है और अचानक से कुछ महीनों से या सालों में मेरा यह बच्चा / बच्ची इस लड़की या लड़के से कनेक्ट हो गई है और अब यह हमारी जगह उसको ज्यादा तबज्जो कैसे दे सकता है!! कई बार यह स्थिति उन माँ-बाप के ईगो को हर्ट कर देता है जो वे या तो गुस्से में बातों के माध्यम से निकालते हैं या कई बार माँ-बाप या परिवार के लोग अपने झूठे अहंकार या झूठी सामाजिक इज्जत के नाम पर इतना गंभीरता से ले जाते हैं कि अपने ही बच्चे या बच्ची की हॉनर किलिंग तक पहुंच जाते हैं लेकिन ज्यादातर मामले स्लो पाइजन (धीमे जहर) के रूप में आगे बढ़ते हैं!
स्लो पाइजन वाली स्थिति ज्यादातर बार लड़कियों के साथ शादी के बाद ज्यादा होती है, इसकी एक बेहद बड़ी वजह उत्तर भारत में मुझे देखने को मिली वो है ऐसे रिश्तों में लड़के वालों के घर वालों की कई इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं जो वे लड़के के दवाब में उस समय तो नहीं बोल पाते लेकिन धीरे-धीरे जैसे ही कुछ समय बीतता है वो स्लो पाइजन के रूप में बाहर निकलती हैं, जैसे जब लड़का-लड़की लव मैरिज या इंटरकास्ट मैरिज कर लेते हैं तब शुरुआत शादी और परिवार के रीति-रिवाजों से शुरू होती है कि.... लड़की के घर वालों को तो ये नहीं पता वो नहीं पता!! इन्होने वो सम्मान नहीं किया!! ये गलत कर दिया...शुरू में प्यार में डूबे लोग इसको हँसते हुए नज़रअंदाज करते हैं!!
कई बार यह स्थिति अच्छे से दहेज़ न मिल पाने के कारण भी बनती है (हमारे देश में विशेषकर के उत्तर भारत में यदि किसी का लड़का थोड़ा सा पढ़-लिख जाता है या कुछ सही कमाने लगता है तो वो उनके लिए एक दुधारू गाय की तरह होता है, जिसे बाजार में कई तरह की बोली लगाकर लोग अपनी लड़कियों के लिए रिश्ता करने के लिए एक पैर पर तैयार खड़े होते हैं), लेकिन ऐसे आकर्षक पैसों से भरे ऑफर के बीच में जो माँ-बाप या परिवार इस काम में अपने बच्चे की लव मैरिज के चक्कर में चूक जाते हैं वे शादी के बाद बेहद अजीब-अजीब से तर्कों के साथ उनकी यह अधूरी इच्छा कई तरह की भड़ास के रूप में बाहर निकलती है और इसका पूरा सामना लड़की को अकेले ही झेलना पड़ता है! और इस स्थिति में कोढ़ में खाज वाली बात यह और होती है कि लड़की के घर वाले भी उसका साथ नहीं दे रहे होते क्योंकि लड़की ने अपनी जिद से शादी की होती है तो जिससे उसके खुद के माँ-बाप का पहले ही ईगो हर्ट हुआ होता है और ऐसी स्थिति देखकर उनको कहने या बातें सुनाने का मौका मिल जाता है कि तुम्हें तो हमने पहले ही मना किया था लेकिन तुमने हमारी बात कहाँ मानी...., कई बार तो लड़कियां खुल के अपने दिल की बात और स्थिति अपने माँ-बाप को इस कारण ही नहीं बताती क्योंकि वो ही स्वयं को इस स्थिति का जिम्मेदार मानती हैं और एक Bad Faith के सहारे खुद को समझातीं रहती हैं!
कुछ महिलाएं ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह सोचती हैं कि शायद उनका बच्चा हो जायेगा तो ऐसा नहीं होगा, लेकिन अधिकांश हालातों में यह रुकता नहीं बस स्थिति एक अलग तरह की ढलान की ओर बढ़ जाती है जहाँ से ऊपर आना बेहद मुश्किल या यूँ कहें नामुमकिन सा होता है!!
अब ऐसे में वे लड़कियां ज्यादा खुशकिस्मत होती हैं जो शादी से पहले ही ऐसी किसी स्थिति का सामना करती हैं, जहाँ लड़के के घरवाले उसे किसी और जगह दवाब बनाने के लिए कह रहे होते हैं, वो भी यही कह रहा होता है कि बाबू तुमसे तो मैं दिल-जहाँ से प्यार करता हूँ लेकिन अब घर वालों को कैसे समझाऊं मैं नहीं समझ पा रहा, कई लड़के खुल के नहीं बोलते तो कई मन में उस लड़की से सही में पूरी तरह से ऊब चुके होते हैं और नए रिश्ते में एक नया साथी और पैसा दोनों ही उसको दिख रहा होता है ......कई हिम्मत करके यह बोल देते हैं कि मैं शादी नहीं कर सकता .... लड़कियों को इस स्थिति में तत्काल समझ जाना चाहिए कि यह एक अलार्म वाली स्थिति है लेकिन उनको लगता है कि नहीं ऐसा कैसे हो सकता है जो लड़का दिन रात मेरे पीछे दुम हिलाता था, या जो अभी भी मुझे चाहता है, या यह तो मेरे हुस्न या सुंदरता पर लट्टू था, अचानक इसको क्या हो गया (ऐसा ही वहम शायद दीपिका पादुकोण को रहा होगा लेकिन वो भी ऐसे ही टॉक्सिक रिलेशनशिप के चक्कर में डिप्रेशन में जा चुकी हैं, जिन लोगों को यह किस्सा पता नहीं तो वे गूगल अवश्य करें)..... किसी भी लड़की के लिए यह बात निश्चित रूप से ख़राब ही लगेगी कि उसके साथ हर तरह का समय बिताने के बाद यह लड़का अपने घर की या किसी स्थिति से अब पीछे हटने की बात कर रहा है, या कई बार लड़के पीछा छुड़ाने के लिए लड़ाई-झगड़ा, मार-पिटाई भी कर देते हैं ...
लेकिन इन सबके बाद भी लड़कियां कई बार यह सोचती हैं कि जिस लड़के के सामने उन्होंने अपना सबकुछ दे दिया अब कोई और उनको स्वीकार कैसे करेगा!! किसी और के सामने वो खुलकर कैसे बता पाएंगी कि उनका किसी के साथ रिश्ता था!! या अभी जो लड़का उनके साथ है वो इतना अच्छा है या देखने में इतना सुन्दर है या कोई और तर्क से सिर्फ यह सोचती हैं कि यह चला गया तो कोई दूसरा कैसे मिलेगा ...और इन्हीं सब कारणों, अपने हॉर्मोन और Bad Faith के आगे मजबूर होकर उस हिस्से की ओर आगे बढ़ जाती हैं जहाँ शुरू से ही उन्हें आगे न बढ़ने के कई indication उन्हें मिल रहे होते हैं, लड़कियों को अपने ऐसे कदम के चक्कर में समाज, परिवार और यहाँ तक की अपने जीवन के लिए देखे जाने वाले कई सपनों से समझौता या बगावत करनी पड़ती है लेकिन बस इस भरोसे से वो आगे बढ़ती जाती हैं कि उनके साथ कुछ गलत नहीं हो सकता और हकीकत कभी श्रद्धा मर्डर के रूप में तो कभी दहेज़ हत्या के रूप में तो कभी खुद जाकर सुसाइड जैसे भयावह कदम उठाने पड़ते हैं।
इस लेख में एक अंतिम बात और जोडू तो लड़कियों की फंतासी (Fantasy) की स्थिति भी कई बार गंभीर परिणामों को लेकर के आती हैं, क्योंकि हमारे भारत में लड़कियों को माँ-बाप या परिवार हमेशा बेहद देखरेख वाले तरीके से पालने की कोशिश करता हैं जैसे यह ड्रेस क्यों पहनी, इसके साथ क्यों जा रही हो, इतना क्यों खर्च कर रही हो, यह बनाना सीखो, ससुराल जाकर यह करना यहाँ नहीं चलेगा यह सब, या लड़की कमाने लगती हैं तो उसकी आमदनी पर नियंत्रण करते हैं, रात में यहाँ क्यों जा रही हो, यह क्यों कर रही हो वो क्यों कर रही हो आदि....आदि... ऐसे सब में लड़की के अंदर एक अनचाही फंतासी (Fantasy) बढ़ती जाती है कि जब शादी होगी तो यह करुँगी, वहां घूमूंगी, या कोई शादी से पहले मिल जाता है तो उससे उम्मीदें होती हैं कि वो ऐसा करेगा या उसके साथ ऐसा करुँगी!
शादी या प्यार की आरम्भिक स्थिति तो अच्छी लगती है, गाड़ियों या बाइक में बैठकर हाथ में हाथ डालकर घूमना या कुछ न कुछ जुगाड़ बनाकर पैसे इकट्ठे करके छोटे-मोटे ट्रिप प्लान करना या यादगार लम्हे गुजारना नए-नए प्रेमी युगलों को बेहद अच्छा लगता है लेकिन जब जिंदगी की हकीकत सामने आती है जिसमें रोज पेट भरने का जुगाड़ करना होता है, जिसमें एक-दूसरे के अलावा भी बहुत से काम और सपने पूरे करने होते हैं और किसी कारण से वो पूरे नहीं होते तो शुरू हो जाता है Bad Faith का खेल या कुछ सपनों को ख़त्म करने का काम और बस यहीं से रिश्तों की जटिलता समझ आनी शुरू हो जाती है।
वैसे ऊपर लिखा गया जो कुछ भी लिखा गया है वो किसी भी आदर्श रिश्ते में हो सकता है क्योंकि दुनिया में आदर्श रिश्ता जैसा कुछ नहीं होता, हाँ इतना जरूर है कि अच्छे रिश्तों में कड़वाहट इतनी नहीं होती कि बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है, हाँ संघर्ष तो होता है लेकिन जीवन में संघर्ष उतना ही होना चाहिए जो सहने लायक हो, गंभीर होती स्थिति को समय से पहले पहचानना ही समझदारी होती है अन्यथा भाग्य को, लोगों को दोष देना दुनिया में सबसे आसान काम है।
चलते-चलते ऐसी अप्रिय स्थितियों से बचने के लिए कुछ प्रैक्टिकल समाधानों को भी लिख रहा हूँ:
दुनिया में सबसे ज्यादा खुद को प्यार करें, और किसी भी चीज़ से ज्यादा अपने भविष्य के सपनों को सबसे ज्यादा सम्मान दें!
अपने जीवन का निर्धारण किसी और के भरोसे या हाथों करने से पहले खुद के हाथों से करें, अर्थात सबसे पहले अपने लिए सोचें, अपने जीवन और अपने करियर के लिए निर्धारित सपनों के लिए सोचें।
चाहें कोई प्राणों से भी ज्यादा प्यारा क्यों न हो उसपर भरोसा एक तय दायरे में ही करें, और साथ ही स्वयं से झूठ या स्वयं को झूठी तसल्ली बिल्कुल न दें, स्वयं के जीवन की स्थिति का आंकलन 100% ईमानदारी के साथ करें!
अपने माता-पिता, परिवार, मित्र या किसी भी अन्य पर एक सीमा तक ही भरोसा करें, अंत में वे भी एक इंसान हैं और वे भी इमोशन के साथ जीते हैं, संभव है कि वे आपका अच्छा ही सोचेंगे लेकिन सबकुछ ही अच्छा सोचेंगे या करेंगे ऐसा हमेशा सही नहीं होता।
अपने जीवन में किसी के भरोसे ख़ुशी पाने से पहले अपने आपको इतना प्यार दें किसी से कुछ न मिले तब भी ख़ुशी के लिए किसी का मोहताज न होना पड़े!
इमोशनल रहें, भावनाओं में बहें, अपने भरोसे या श्रद्धा को खूब कायम रखें लेकिन तर्क का भी उतना ही इस्तेमाल करें जितना आपके लिए कुछ और जरुरी है।
जीवन में कुछ भी करने से पहले अपने स्वयं के लिए एक अपनी क्षमताओं और उन क्षमताओं से कुछ ज्यादा एक लक्ष्य जरूर निर्धारित करें!
सकारात्मक साहित्य और अच्छे विचारों वाले लेखकों को लगातार पढ़ें!
जीवन में तकदीर के भरोसे न रहें क्योकिं ज्यादातर बार तकदीर हमारे किये गए कार्यों के भरोसे बैठी होती है और जीवन में हमें वैसे ही परिणाम मिलते हैं जो काम हम करते हैं। (जो बोया जाता है वो काटना ही पड़ता है, यह प्रकृति का और कर्म का अटल नियम है)
हो सके तो किसी बात का यदि आप अकेले निर्णय नहीं ले पा रहे हैं तो ऐसे लोगों से परामर्श अवश्य लें जिनसे आपको लगता है कि अच्छा समाधान या सुझाव मिल सकता है!
ऐसे कामों में समय ज्यादा दें जो आपके जीवन में बेहतर लाभ दे सकते हैं, सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा समय खर्च करने से बचें!
श्रीमदभगवत गीता के अध्याय 13 के इन श्लोकों में सम्पूर्ण जीवन का सार है, हालाँकि सिर्फ इतने से बहुत कुछ समझ में आ जाये यह कठिन है, लेकिन भगवत गीता का नियमित अध्ययन आपको बहुत सी समस्याओं के समाधान प्राप्त करने में निश्चित मदद करेगा ! इसलिए जब भी समय मिले श्रीमदभगवत गीता का अध्ययन अवश्य करें!
अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् । आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः ॥ ८ ॥
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्कार एव च । जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम् ॥ ९ ॥
असक्तिरनभिष्वङ्ग: पुत्रदारगृहादिषु । नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ॥ १० ॥
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी । विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि ॥ ११ ॥
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम् । एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ॥ १२ ॥
भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि: विनम्रता, अभिमान का त्याग (दम्भहीनता), अहिंसा, सहिष्णुता, सरलता, ज्ञानवान व्यक्ति को गुरु मानकर उनसे सीखना, पवित्रता, स्थिरता, आत्मसंयम, इन्द्रियतृप्ति के विषयों का त्याग करना, अहंकार का अभाव, जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था तथा रोग के दोषों की अनुभूति, वैराग्य, सन्तान, स्त्री, घर तथा अन्य वस्तुओं की ममता से मुक्ति, अच्छी तथा बुरी घटनाओं के प्रति समभाव, ईश्वर (भगवान कृष्ण) के प्रति निरन्तर अनन्य भक्ति, एकान्त स्थान में रहने की इच्छा, जन समूह से विलगाव, आत्म-साक्षात्कार की महत्ता को स्वीकारना, तथा परम सत्य की दार्शनिक खोज - इन सबको मैं ज्ञान घोषित करता हूँ और इनके अतिरिक्त जो भी है, वह सब अज्ञान है।
इस लेख में मेरी ओर से कोशिश की गई है कि तथ्यों, तर्कों और जीवन में सैकड़ों लोगों से मिले अनुभवों के आधार पर ही विचारों को संकलित करके आप सभी को साझा करूँ, वैसे अभी भी इस विषय पर लिखने को इतना कुछ है कि एक बड़ा संकलन तैयार किया जा सकता है, और साथ ही मेरे पुरुष मित्रों को लेकर भी बहुत कड़ा लिखा हूँ जिसके लिए दिल से खेद हैं लेकिन क्योंकि लेख का जो विषय है उसके इर्द-गिर्द ईमानदारी से लिखने का प्रयास किया है, लेकिन यह वादा है कि मानवीय रिश्तों और उनके व्यवहारों के ऊपर मेरी ओर से यह श्रंखला अब लगातार जारी रहेगी जिसमें पुरुषों के भावनात्मक पहलुओं पर भी गहराई से लिखूंगा!
आशा है कि आप सभी को इस लेख में दिए गए विचार सही लगे होंगे, यदि किसी विषय, तथ्य या विचार से आपकी कोई असहमति है या आपके पास भी इस लेख के विषय के इर्द-गिर्द कुछ और विचार या अनुभव साझा करने हों तो मुझे मेरी ईमेल [email protected] पर अवश्य लिखकर के भेजें, आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी!
आपका !
आयुर्वेदाचार्य डॉ. अभिषेक !!
Gokshura (Gokhru) is an Ayurvedic herb most commonly known for its immune-boosting, aphrodisiac, and rejuvenating properties. Its name derives from two Sanskrit words "Go" means cow and "Aakshura" means hoof, since the fruits of this plant resemble the hooves of cows. It can help with bodybuilding, fighting diuretic problems, PCOS, skin diseases, prostate diseases, heart problems, hair loss, neurological disorders, rheumatic pain, headaches, menstruation, obesity, stress, piles, bedwetting, and eye problems.
It is also used as an aphrodisiac to increase libido in both men and women. In addition, Gokshura also acts as an anti-aging agent and improves brain function. You can consume Gokshura in different forms like powder and tablets.
It is an Ayurvedic formula whose main key ingredient is Gokshura. It is manufactured by the renowned ayurvedic company Himalaya Wellness Company. Gokshura, also known as Goksuraka, Gokhuri, Gokshra, Devil's Thorn, Goat's Head, Little Caltrop, Gokharu, or Gokhri.
Gokshura is 100% Ayurvedic and safe and available in churna and tablet form in the market. Gokshura dosage depends on the ethos, age, gender, weight, and medical history of the patient. So let's start this article in which you will get complete information about the Gokshura.
Gokshura Shloka
श्र्वदंष्ट्रो बृंहणों वृष्य: त्रिदोषशमनों अग्निकृत | शूल हदोग कृहछछ्ल: प्रमेहनिवर्तक: ॥
धन्वन्तरि निघण्टु
गोक्षुरो मधुरो वृष्यो दीपनों बलपुष्टिकृत | शीतलों बस्तिवातध्नों दोषजयनिबहण: ॥
गोक्षुर: शीतल: स्वादु: बलकृत बस्तिशोधन: । मधुरो दीपनो वृष्य: इशिदश्य अश्मरीहर: ॥
प्रमेहश्वासकासार्श: कृच्छु हद्रोगबातनुत् ॥ - भावप्रकाश
Gokshura Ingredients
Main ingredient that is used in the Gokshura:
Gokshura
Gokshura Benefits
Gokshura Remove Physical Weakness
Gokshura strengthens the reproductive organs of men, removes infertility, increases sperm quality. It also removes the problem of erectile dysfunction, so it is considered very beneficial for men. Those who feel physical weakness, they should also consume it.
Gokshura Remove Erectile Dysfunction
Sexual life is badly affected due to poor sexual health. This often leads to a rift in the married relationship. Buckwheat is beneficial for sexual health. According to research, consuming bunion for 3 months can get rid of the problem of erectile dysfunction to a great extent.
Gokshura Helps in Infertility
Buckwheat increases sex power in men. Many studies show that the consumption of bunion increases the sperm count in just 60 days, which helps men to get rid of the problem of infertility. Consuming it for two to three months increases both sexual desire and fertility of men. Men get rid of infertility.
Gokshura Treats Urinary Tract Diseases
Gokshura has a cleansing effect on the urinary system, thereby removing harmful toxins from the body. It helps cure various diseases, such as: urinary incontinence, burning sensation when urinating (the process of excreting urine from the body), dysuria, etc.
Gokshura Improves Kidney Function
It promotes the elimination of uric acid and balances uric acid levels in the kidneys, thereby promoting the healing of gout. Its lithotriptic nature prevents kidney stone formation and improves underlying diseases like cystitis, polycystic kidney, etc.
Gokshura Side Effects
Gokshura is not known to have any side effects when used in the prescribed dosage. Do not use this information to diagnose or treat your issue without consulting with an Ayurvedic Doctor.
Gokshura Dosage
Intake 2 tablets twice daily with water after meals. Therefore, it is crucial to consult an Ayurvedic doctor as the appropriate dose may vary depending on age, body shape and health condition.
Gokshura Shelf Life
Gokshura shelf life is best 2 years from the manufacturing date.
Gokshura Storage & Safety Information
Gokshura storage and safety information are:
Read the label carefully before use
Protect from direct sunlight
Use under medical supervision
Store in a cool and dry place
Gokshura Frequently Asked Questions
Q. What is Gokshura?
Ans. Gokshura (Gokhru) is an Ayurvedic herb most commonly known for its immune-boosting, aphrodisiac, and rejuvenating properties. Its name derives from two Sanskrit words "Go" means cow and "Aakshura" means hoof, since the fruits of this plant resemble the hooves of cows. It can help with bodybuilding, fighting diuretic problems, PCOS, skin diseases, prostate diseases, heart problems, hair loss, neurological disorders, rheumatic pain, headaches, menstruation, obesity, stress, piles, bedwetting, and eye problems.
Q. How much shelf life has Gokshura had?
Ans. Gokshura's shelf life is best 2 years from the manufacturing date.
Q. How to consume Gokshura?
Ans. Intake 2 tablets twice daily with water after meals. Therefore, it is crucial to consult an Ayurvedic doctor as the appropriate dose may vary depending on age, body shape and health condition.
Q. Is Gokshura safe?
Ans. Yes, Gokshura can help with bodybuilding, fighting diuretic problems, PCOS, skin diseases, prostate diseases, heart problems, hair loss, neurological disorders, rheumatic pain, headaches, menstruation, obesity, stress, piles, bedwetting, and eye problems.
Q. Does Gokshura have any chemical ingredients?
Ans. Gokshura is made from natural herb like Gokshura.
Q. What is Gokshura used for?
Ans. Gokshura is used for bodybuilding, fighting diuretic problems, PCOS, skin diseases, prostate diseases, heart problems, hair loss, neurological disorders, rheumatic pain, headaches, menstruation, obesity, stress, piles, bedwetting, and eye problems.
Q. Does the Gokshura work?
Ans. Yes, Gokshura may play a beneficial role that helps in bodybuilding, fighting diuretic problems, PCOS, skin diseases, prostate diseases, heart problems, hair loss, neurological disorders, rheumatic pain, headaches, menstruation, obesity, stress, piles, bedwetting, and eye problems.
Q. Is Gokshura effective?
Ans. Yes, Gokshura is an effective formula.
Q. Is the use of the Gokshura safe for the stomach?
Ans. Gokshura is considered safe for the stomach.
Q. Is Gokshura addictive or habit-forming?
Ans. No, addictive or habit-forming is produced by Gokshura.
Q. Can I take Gokshura with alcohol?
Ans. The Gokshura effect with alcohol is unknown because research has not been done yet on this.
Q. Does Gokshura have any side effects?
Ans. Gokshura is not known to have any side effects when used in the prescribed dosage. Do not use this information to diagnose or treat your issue without consulting with an Ayurvedic Doctor.
Gokshura Reference
Bhavprakash Nighantu, Guduchiyadi varg, shloka 45-46.
Dhanvantri Nighantu.
Sushruta Samhita Chikitsa Sthana 7/19
Vitamin D has received a lot of attention in recent years, and most people have heard of it. Vitamin D is also known as the "sunshine vitamin". It is produced in the skin as a result of sun exposure and can also be absorbed through food and supplements.
Most people, however, are unaware that their vitamin D levels may impair their fertility.
What Exactly is Vitamin D?
The most common type of vitamin D is cholecalciferol, which is found in the skin as well as some foods and supplements. The prescription form of vitamin D is vitamin D2 (ergocalciferol). According to one study, vitamin D3 is metabolised more efficiently than vitamin D2.
If we spend enough time in the sun, most of us can absorb all of the vitamin D we need. However, many women do not get enough sun exposure throughout the year to keep their vitamin D levels healthy. Because few foods are naturally high in vitamin D, getting enough of it through your diet may be difficult.
Other factors influence vitamin D levels. If you are overweight or have dark skin, you may be at risk for vitamin D deficiency. For these and other reasons, many women who are trying to conceive are likely to be vitamin D deficient.
What is The Relationship Between Vitamin D and Fertility?
Vitamin D has been linked to a number of health benefits. It appears to be linked to higher fertility and a healthier pregnancy in women trying to conceive.
According to Dr. Anubha Singh, Medical Director, Gynaecologist, and IVF specialist from Shantah Fertility Centre Vasant Vihar: "The research on vitamin D and natural fertility as well as effectiveness during fertility therapy is mixed. There are some studies showing that Vitamin D deficiency has been linked to higher success rates in both IVF and the transfer of frozen donor egg embryos. That link has not been proven in other investigations."
Although the data on vitamin D and fertility is inconclusive, several studies have found that women with Vitamin D blood levels of 30ng/ml have a higher rate of pregnancy than those with lower levels. According to studies, women with adequate Vitamin D levels are four times more likely to conceive through IVF than those with low levels.
How Much Vitamin D Do I Need?
"Because each person's vitamin D requirements are unique, a hydroxy vitamin D test is required to determine this. We advocate vitamin D supplementation only on this basis," added Dr. Anubha Singh.
Is Vitamin D Essential During Pregnancy As Well?
According to Dr. Shobha Gupta, Gynecologist and IVF Expert from Mother's Lap IVF Centre, Pitampura New Delhi "obtaining a normal vitamin D level appears to boost fertility as well as the chances of having a safe pregnancy. Preterm delivery, gestational diabetes, preeclampsia (extremely high blood pressure during pregnancy), and bacterial vaginosis have all been associated to vitamin D deficiency during pregnancy in studies. Taking a vitamin D supplement when pregnant is therefore beneficial to both mom and baby."
According to research, vitamin D supplementation of 2,000-4,000 IU is safe and beneficial in achieving a normal vitamin D level in pregnant women and avoiding vitamin D deficiency in infants.
Vitamin D Supplementation for Fertility
If you are trying to conceive or have already done so, it is important to ensure that you are getting enough Vitamin D. The sun is one of the best sources of Vitamin D, and getting at least 20 minutes of sun exposure per day is a good way to boost your levels.
"Nutritional supplements can be an important complement to your fertility treatment but they do not replace fertility evaluation and care. You should have your fertility evaluated if you are under 35 years old and have been having unprotected intercourse without conception for 1 year, after 6 months if you are between the ages of 35-39, and after 3 months if you are 40 and over. Women should consult their reproductive specialist before beginning any vitamin regimen" added Dr. Shobha Gupta
Aside from getting sunlight, you can also add Vitamin D to your diet by eating the following foods:
Fatty fish and seafood, including salmon, tuna and mackerel
Red meat
Liver
Egg yolks
Foods that have been fortified
Over consuming Vitamin D for an extended period can cause an excessive build-up of calcium in the body. This can lead to weaker bones as well as damage to the heart and kidneys. More than 100 micrograms of Vitamin D a day can be considered harmful. "Dietary fertility supplements and tablets are also available that contain Vitamin D, so if you are not inclined to the above foods, consider a supplement but only after your specialist's recommendation" said Dr. Anubha Singh.
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Delhi has the lowest fertility rate among Indian states, with a Total Fertility Rate of 1.5, which is significantly lower than the national average (2.2).
The growing problem of low egg reserve is one of the most significant factors contributing to lower fertility rates in urban women.
Stress, pollution, pesticide exposure, and smoking and alcohol addiction are all major causes of this condition. A recent study found that one in every two women who were unable to conceive had a low egg reserve. Previously, it was a problem that arose with increasing age; however, this has changed.
Low egg reserve is a common concern among today's young girls, with women as young as 27 years old experiencing infertility as a result.
Consider the story of Kajol (name changed), a young woman who had given up hope of ever becoming a mother after two failed IVF blastocyst transfers (implantation of the embryo in the uterus). She had been dealing with primary infertility for eight years and had been diagnosed with a low Anti-Mullerian Hormone (AMH) concentration, which indicates how many viable egg cells a woman still has.
Donor eggs are almost always required in these situations because the woman's body does not produce enough eggs for retrieval. During an ultrasound, Kajol was also diagnosed with a very low Antral Follicle Count (AFC), which dashed her hopes even further.
Ovarian Rejuvenation Therapy, also known as ovarian PRP, was used to allow Kajol to become a biological mother of a daughter, effectively ending their wait.
Ovarian PRP is a quick and easy procedure that improves the organ's ability to generate eggs. This is critical for women with low AMH, because the typical stimulation of the ovaries during IVF may not produce the optimum results. Preparing the ovaries and then stimulating them boosts the odds of retrieving high-quality eggs and, as a result, higher-quality embryos.
To generate platelet-rich plasma (PRP), we drew around 5ml of blood, spun it, and added reagents - the entire procedure took about 20 minutes. The PRP was then injected into the ovaries at least twice during the menstrual cycle's first 14 days. In the following cycle, we stimulated her ovaries for eggs and discovered that ovarian PRP worked for her.
Intracytoplasmic sperm injection (ICSI) produced two grade-1 blastocysts, and frozen embryo transfer was performed the following cycle, with the implant successful on the first try. During antenatal screening, the nuchal translucency scan, dual marker, and non-invasive prenatal testing were all normal.
Kajol is one of many women who have struggled for years to conceive due to a low egg reserve. With fertility rates declining, egg freezing is more important than ever for women. This procedure enables a woman to plan her pregnancy without fear of becoming infertile in her 30s.
As a result of increased awareness, an increasing number of young women are choosing to freeze their eggs. We have seen an increase in the number of women under the age of 35 who have chosen to freeze their eggs in the last year. This is a safe and reliable option for any woman, married, single, or in a relationship. The eggs can be stored for up to ten years before being thawed and fertilised whenever she wants. (Dr. Gauri Agarwal, Founder & Director, Seeds of Innocence and Genestrings Diagnostics)
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Rasayan Vati is an Ayurvedic medicine made from herbs that strengthen the physical, mental, and sexual health of men. It is prepared with a combination of Abhrak Bhasma, Jasad Bhasma, Loha Bhasma, Mukta Pishti, and Praval Pishti Swarna which is used for urinary disorders and to increase sexual potency. Basically, Rasayana Vati is used to treating urinary disorders, general debility, and sexual problems in men. In addition, it also strengthens the body's immune system.
The well-known Ayurvedic Rajvaidya company manufactures it. It can be taken to treat urinary disorders, general debility, and sexual problems of men. It is also suggested for physiological disorders. Rasayan Vati is 100% Ayurvedic and safe and available in tablet form. Its dosage depends on the age, gender, weight, and condition of the patient. So let's start this article in which you will get complete information about Rasayan Vati.
Rasayan Vati Ingredients
Ingredients that are used in the Rasayan Vati:
Loha Bhasma
Ashwagandha
Shilajit
Abhraka Bhasma
Swarna Makshika Bhasma
Mukta Pisti
Pravala Pisti
Manjista
Dalchini
Brahmi
Shatavari
Jatiphala
Kshara
Javithari
Sunti
Maricha
Pippali
Amalaki
Ananthamoola
Yashada Bhasma
Gokshura
Musali
Kapikacchu
Swarna Vanga
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Rasayan Vati Benefits
Rasayan Vati Benefits are here:
Rasayan Vati for males: It has a motive action in males. It improves and tones the musculature of the genitourinary system and establishes a powerful erection of the penis.
Rasayan Vati for females: Rasayan Vati is especially beneficial for all kinds of women's health issues, such as leucorrhea, menstrual irregularity or lower back, pelvic pain, etc.
Rasayan Vati Side Effects
There are no known side effects of Rasayan Vati.
Rasayan Vati Dosage
Rasayan Vati Dosage 1 tablet twice a day with milk or water after having a meal or as directed by Ayurveda doctor.
Rasayan Vati Shelf Life
Rasayan Vati's shelf life is 3 years from the date of manufacturing.
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Rasayan Vati
Rasayan Vati Storage and Safety Information
Rasayan Vati storage and safety information are:
Read the label carefully before use
Keep away from children
Use under medical supervision
Store in a cool and dry place
Frequently Asked Questions (FAQs)
Q1. How often should I take Rasayan Vati every day?
Ans. You should take this twice a day after having your meal or as directed by your doctor.
Q2. How many tablets come in the bottle?
Ans. This particular bottle comes with 30 tablets of Rasayan Vati.
Q3. Can I give this Rasayan Vati to the children?
Ans. Rasayan Vati's effect on children is unknown because research has not been done yet on this.
Q4. When should I take Rasayan Vati?
Ans. Rasayan Vati is advised to be consumed after meals.
Q5. What is the dosage of Rasayan Vati?
Ans. Rasayan Vati Dosage 2 tablets twice a day with milk or water after having a meal or as directed by an Ayurveda doctor.
Q6. What is Rasayan Vati?
Ans. Rasayan Vati is a specially formulated Ayurvedic Preparation in tablet form, prepared with herbs to restore & preserve the physical and psycho-sexual health of young and elderly males. It is primarily used for the treatment of Urinary disorders, general debility, and sexual disorders in men, and boosts immunity and psychological disorders.
Q7. Is the use of Rasayan Vati safe for the stomach?
Ans. Rasayan Vati is safe for the stomach.
Q8. Is Rasayan Vati addictive or habit-forming?
Ans. No, addictive or habit-forming is produced by Rasayan Vati.
Q9. Is there any side effect of Rasayan Vati?
Ans. There are no known side effects of Rasayan Vati.
Q10. Can I take Rasayan Vati with alcohol?
Ans. Rasayan Vati effect with alcohol is unknown because research has not been done yet on this.
Q11. Can pregnant woman take Rasayan Vati?
Ans. Rasayan Vati effect on pregnant women is unknown because research has not been done yet on this.
Q12.Can a breastfeeding woman take Rasayan Vati?
Ans. Rasayan Vati effect on breastfeeding woman is unknown because research has not been done yet on this.
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किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222
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