ayurveda se coronavirus ka ilaz in hindi ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स कोरोना वायरस संक्रमण से उबर गए हैं और केन्द्रीय आयुष मंत्री के अनुसार आयुर्वेद की मदद से वे स्वस्थ्य हुए हैं।
आयुष मंत्री श्रीपाद येशो नाइक ने बृहस्पतिवार को कहा कि बेंगलुरू के एक आयुर्वेदिक चिकित्सक ने दावा किया था कि उनके फॉर्मूला से ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स कोरोना वायरस संक्रमण से उबर गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बेंगलुरू में एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं जो ‘सौख्य’- SOUKYA नाम से एक आयुर्वेद रिसार्ट चलाते हैं। उन्होंने मुझे फोन कर बताया कि प्रिंस चार्ल्स का कोरोना वायरस संक्रमण उनकी दवाई से सही हुआ। यह आयुर्वेद और होम्योपैथी का मिश्रण है।’’
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नाइक ने कहा कि ब्रिटिश सिंहासन के 71 वर्षीय वारिस में हल्के लक्षण दिखाई देने के बाद, उन्हें आइसोलेट कर दिया गया था और उनका इलाज बेंगलुरु स्थित रिसोर्ट SOUKYA से किया गया था।
नाइक ने यहां अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा कि यह दिखाता है कि आयुर्वेद और होम्योपैथिक दवाएं किस तरह कोरोना वायरस के उपचार में कारगर हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रिंस चार्ल्स के इलाज के लिए डॉ. मथाई की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली उपचार प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए उनके मंत्रालय द्वारा एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। नाइक ने कहा कि डॉ. मथाई को उपचार प्रक्रिया पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
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In English - Ayurveda, homeopathy cured Prince Charles of Covid-19: AYUSH Minister
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥ Mahamrityunjaya Mantra Benefits in Hindi
आयुर्वेद में मंत्र थेरेपी विशेष रूप से वर्णित है. कहा जाता है कि जब चिकित्सा की सभी पद्धतियाँ असफल हो जाती है तब मंत्र थेरेपी से मृत्यु के मुंह में पहुँच चुके रोगी को भी बचाया जा सकता है. महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) भी एक ऐसा ही मंत्र है जिसका धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व तो है ही, स्वास्थ्य रक्षण और अकाल मृत्यु से बचने का उपाय भी इसे माना जाता है. मान्यता है कि इससे असाध्य से असाध्य रोगों का इलाज संभव है और काल के गाल से भी शुद्धता से जाप करने वालों को खींच लेता है.
महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे : Benefits Of Mahamrityunjaya Mantra
धर्माचार्यों के मुताबिक़ महामृत्युंजय मंत्र में आलौकिक शक्तियां है जिनसे गंभीर रोग और अकाल मृत्यु को भी टाला जा सकता है. यही वजह है कि मृत्यु को पराजित करने वाला सबसे कारगर मंत्र महामृत्युंजय को माना गया है. इसे संजीवनी मंत्र भी कह सकते हैं. इस मंत्र का रुद्र संहिता के सतीखंड में उल्लेख मिलता है पुराणों के अनुसार, राजा दधिच भी इसी मंत्र के कारण ही पूर्ववत सकुशल जीवित हुए थे. इसी मंत्र से महर्षि मार्कण्डेय ने यमराज को पराजित किया था और बृहस्पति के पुत्र कच भी इस मंत्र द्वारा मरकर जीवित हो उठे थे. यही वजह है कि शिव भक्त और हिन्दू धर्मं को मानने वाले तमाम लोग संकटग्रस्त होने पर इस मंत्र का जाप जरुर करते हैं और इसका फल भी उन्हें मिलता है. इसकी अनेक कहानियां आपने अखबारों और वेबसाइटों पर जरुर पढी होगी जिसमें महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव से कैंसर आदि असाध्य रोगों से ग्रसित व्यक्ति के ठीक होने की खबर सामने आयी है. इसी कारण भगवान शिव से जुड़े महाशिवरात्री जैसे विशिष्ट पर्व में पूजा-अर्चना के दौरान शिवलिंग के सामने ध्यान लगाकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है. ( महामृत्युंजय मंत्र से कैंसर पीड़ित को मिली आवाज , मंत्र थेरेपी से बोल पड़ा ‘बेजुबान’ )
महामृत्युंजय मंत्र पर शोध : Research On Mahamrityunjaya Mantra
महामृत्युंजय मंत्र को निरोग होने का मंत्र, सर्व रोग नाशक मंत्र, शाबर मंत्र , कैंसर निवारण मंत्र आदि नाम से भी कुछ लोग पुकारते है. यह अपनी - अपनी आस्था पर निर्भर करता है. वैसे देश में महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग हजारों साल से होता रहा है और अब तक इसे लोगों की आस्था से ही जोड़कर देखा जाता रहा है. लेकिन अब वैज्ञानिक दृष्टि से यह मंत्र स्वास्थ्य के लिए कितना असरदार है, इसका पता लगाने के लिए शोध शुरू हो गए हैं. इसी दिशा में केंद्र सरकार के आरएमएल अस्पताल (Ram Manohar Lohia Hospital) में करीब चार साल से शोध चल रहा है. अब शोध अंतिम चरण है और वहां के डॉक्टर नतीजों से बेहद उत्साहित हैं. डॉक्टरों का कहना है कि डाटा का विश्लेषण चल रहा है, रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा. अमेरिका की फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी ने भी यहां के डॉक्टरों से संपर्क कर इस शोध से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है. आरएमएल अस्पताल में यह शोध गंभीर ब्रेन इंजरी वाले मरीजों पर किया गया है. वर्ष 2016 में इस पर शोध शुरू हुआ था.
अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. अजय चौधरी के नेतृत्व में यह शोध चल रहा है. उन्होंने कहा कि देश में लोग जीवन रक्षक के रूप में इस मंत्र का प्रयोग करते हैं. यह सिर्फ मान्यता है या विज्ञान से इसका संबंध है, यह जानने के लिए शोध हो रहा है. इस तरह के मंत्रों पर देश में शोध कम हुए हैं, लेकिन विदेशों में काफी काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि देश में लंबे समय से लोग खास अवसरों पर उपवास करते रहे हैं. इसको लेकर भी देश में कोई शोध नहीं हुआ. जबकि 2016 में मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार जापान के जिस डॉक्टर को मिला उन्होंने उपवास पर ही शोध किया था. शोध में बताया गया था कि उपवास से शरीर के अंदर कैंसर समेत अन्य बीमारियों के लिए जिम्मेदार सेल्स खत्म हो जाती हैं. डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि आरएमएल अस्पताल में चल रहे शोध के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने फंड जारी किया है. ब्रेन इंजरी के 40 मरीजों पर यह अध्ययन किया जा रहा है. इन मरीजों को 20-20 के दो ग्रुप में बांटा गया. एक ग्रुप के मरीजों को प्रोटोकॉल के तहत निर्धारित इलाज किया गया. दूसरे ग्रुप के मरीजों को इलाज के साथ-साथ महामृत्युंजय मंत्र भी सुनाया गया. यह काम आइसीयू के बाहर रिहैबिलिटेशन के दौरान किया गया. पहले यह पूरी प्रक्रिया अस्पताल में हुई. बाद में कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया स्थित संस्कृत विद्यापीठ को इस शोध में शामिल किया गया और मरीजों को महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग कराया गया.
क्या है महामृत्युंजय मंत्र (What Is Mahamrityunjaya Mantra)
महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है.शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है. शास्त्रों की मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र चमत्कारी एवं शक्तिशाली मंत्र है. जीवन की अनेक समस्याओं को सुलझाने में यह सहायक है. अगर मन में श्रद्धा हो तो क ठिन समस्याएं भी इससे सुलझ जाती हैं. यह ग्रहों की शांति में भी अहम भूमिका निभाता है. हिन्दू धर्म में इसे सबसे शक्तिशाली मंत्र माना गया है. इस मंत्र की शक्ति से जुड़ी कई कथाएं शास्त्रों और पुराणों में मिलती है जिनमें बताया गया है कि इस मंत्र के जप से गंभीर रुप से बीमार व्यक्ति स्वस्थ हो गए और मृत्यु के मुंह में पहुंच चुके व्यक्ति भी दीर्घायु का आशीर्वाद पा गए.
महामृत्युंजय मंत्र का शब्दार्थ (Meaning Of Mahamrityunjaya Mantra)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ अर्थात हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं. जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं। उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है. उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं. आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें.
महामृत्युंजय के मंत्रोंच्चारण की विधि (Method Of Chanting Of Mahamrityunjaya)
महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके किसी पवित्र व स्वच्छ स्थान पर किया जाता है. मंत्र का जाप करते समय मांसाहार निषिद्ध है. मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से किया जाता है. मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक किया जाता है. मंत्र के उच्चारण में शुद्धता और संख्या का विशेष ध्यान रखा जाता है. अपनी - अपनी क्षमता के हिसाब से भक्त 108 बार लेकर लाखों बार जाप करते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की कथा (Story Of Origin Of Mahamrityunjaya Mantra)
इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद (मंडल 7, हिम 59) में किया गया है. भगवान शिव के अनन्य भक्त ऋषि मृकण्डु और उनकी पत्नी मरुद्मति की कोई संतान नहीं थी. संतान की कामना के लिए दोनों ने भगवान शिव की तपस्या आरंभ कर दी. लेकिन ऋषि मृकण्डु के भाग्य में संतान सुख नहीं था. फिर भी भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रभावित होकर उन्हें दो विकल्प दिए. जिसमें पहला विकल्प अल्पायु बुद्धिमान पुत्र का वरदान और दूसरा दीर्घायु मंदबुद्धि पुत्र का वर.तब बहुत सोच विचार के बाद ऋषि मृकण्डु ने पहले विकल्प को चुना और उन्हें मार्कंडेय नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका जीवन काल मात्र 12 वर्ष का था. पुत्र मार्कंडेय जैसे-जैसे बड़े होने लगे तब उनकी माता को चिंता सताने लगी. तब उनकी मां ने मार्कंडेय उनके अल्पायु होने के बारे में बताया.मार्कंडेय ने भगवान शिव से दीर्घायु का वरदान पाने के लिए कठोर तप करना शुरू कर दिया. कठोर तप करते ही उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की. जैसे ही मार्कंडेय के 12 वर्ष का काल पूरा हुआ उन्हें यमराज लेने के लिए उनके सामने प्रगट हुए. यमराज को देखते ही मार्कंडेय ने शिवलिंग को अपने बाहों में भरकर जोर-जोर से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने लगे. तब यमराज ने उन्हें शिवलिंग से दूरकर उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए खींचने लगें. यह सब देख भगवान शिव क्रोधित हो गए. क्रोध में भगवान शिव ने सजा के तौर पर यमराज दण्ड देते हुए उन्हें मार दिया. बाद में भगवान शिव ने यम को इस शर्त पर पुनर्जीवित किया, कि मार्कंडेय हमेशा के लिए जीवित रहेगा. तब यमराज ने कहा जो भक्त मार्कंडेय द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र का जाप करेगा उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी. तब से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने व्यक्ति की आयु दीर्घायु होती है. यहीं से इस मंत्र की उत्पत्ति मानी जाती है और कहा जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं.
घुटनों का दर्द और उसका आयुर्वेदिक उपचार : Knee Pain - Home and Ayurvedic Treatment in Hindi
घुटनों की पीडा ( Knee Pain) - बढती उम्र के साथ घुटनों में दर्द की समस्या बेहद आम है. ज्यादातार बुजुर्ग इस समस्या से कभी न कभी रूबरू होते ही हैं. समस्या ज्यादा बढ़ने पर यह दर्द अत्यधिक तकलीफदेह और असहनीय हो जाता है और किसी भी दवा से कोई आराम नहीं मिलता है. कभी कभी इतना ज्यादा दर्द होता कि नींद आना तक मुशकिल हो जाता है और घुटनों में सुजन तक भी आ जाती है | चलने - फिरने में बहुत परेशानी होती है और साथ ही घुटनों को मोड़ने में, उठने – बैठने में भी दिक्कत आती है |
उम्र के साथ हड्डियों की बीमारी बढती जाती है | शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया होता है या कहे कि जब जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एकदूसरे से मिलती हैं जैसे कि कूल्हे या घुटने। उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खातीं हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है। सबसे सामान्य तरह का गठिया हड्डी का गठिया होता है। इस तरह के गठिया में, लंबे समय से उपयोग में लाए जाने अथवा व्यक्ति की उम्र बढ़ने की स्थिति में जोड़ घिस जाते हैं जोड़ पर चोट लग जाने से भी इस प्रकार का गठिया हो जाता है। हड्डी का गठिया अक्सर घुटनों, कूल्हों और हाथों में होता है। जोड़ों में दर्द और स्थूलता शुरू हो जाती है। समय-समय पर जोड़ों के आसपास के ऊतकों में तनाव होता है और उससे दर्द बढ़ता है।
गठिया क्या होता है?
गठिया एक लंबे समय तक चलने वाली जोड़ों की स्थिति होती है जिससे आमतौर पर शरीर के भार को वहन करने वाले जोड़ जैसे घुटने, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी तथा पैर प्रभावित होते हैं। इसके कारण जोड़ों में काफी अधिक दर्द, अकड़न होती है और जोड़ों की गतिविधि सीमित हो जाती है। समय के साथ साथ गठिया बदतर होता चला जाता है। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो घुटनों के गठिया से व्यक्ति का जीवन काफी अधिक प्रभावित हो सकता है। गठिया से पीडि़त व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां करने में समर्थ नहीं हो पाते और यहां तक कि चलने-फिरने जैसा सरल काम भी मुश्किल लगता है। इस प्रकार के मामलों में, क्षतिग्रस्त घुटने को बदलने के लिए डॉक्टर सर्जरी कराने के लिए कह सकता है।
क्यों होता है गठिया?
अनहेल्दी फूड, एक्सरसाइज की कमी और बढ़ते वजन की वजह से घुटनों का दर्द भारत जैसे देशों में एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है। 40-45 की उम्र में ही घुटनों में दिक्कतें आने लगी हैं। सर्वेक्षण कहते हैं कि दुनिया में करीब 40 प्रतिशत लोग घुटनों में दर्द से परेशान हैं। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। इनमें से 80 फीसदी अपने घुटनों को आसानी से मोड़ तक नहीं सकते। घुटनों की खराबी के शिकार 25 फीसदी लोग अपने रोजमर्रा के कामों को भी आसानी से नहीं कर पाते हैं। भारत में यह समस्या काफी गंभीर है। घुटनों का दर्द काफी हद तक लाइफ स्टाइल की देन है। यदि लाइफ स्टाइल और खानपान को हेल्दी नहीं बनाया तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। घुटने पूरे शरीर का बोझ सहन करते हैं। इन्हें बचाने का तरीका हेल्दी लाइफ स्टाइल, एक्सरसाइज और हैल्दी खानपान है। खाने में कैल्शियम वाला भोजन सही मात्रा में लें, सब्जियाँ जरूर खायें, फैट और चीनी से परहेज करें और मोटापे का पास भी न फटकने दें।
क्या वजन कम करने से (घुटनों के दर्द) गठिया में लाभ मिलता है?
घुटनो के गठिया से पीडि़त व्यक्ति के लिए निर्धारित वजन से अधिक वजन होना या मोटापा घुटनों के जोड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। अतिरिक्त वजन से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, मांसपेशियों तथा उसके आसपास की कण्डराओं (टेन्डन्स) में खिंचाव होता है तथा इसके कार्टिलेज में टूट-फूट द्वारा यह स्थिति तेजी से बदतर होती चली जाती है। इसके अलावा, इससे दर्द बढ़ता है जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति एक सक्रिय तथा स्वतंत्र जीवन जीने में असमर्थ हो जाता है। यह देखा गया है कि मोटे लोगों में वजन बढ़ने के साथ साथ जोड़ों (विशेष रूपसे वजन को वहन करने वाले जोड़) का गठिया विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि मोटे लोगों को या तो अपने वजन को नियंत्रित करने अथवा उसे कम करने केलिए उचित कदम उठाने चाहिए। गठिया से पीडि़त मोटापे/अधिक वजन से पीडि़त लोगों में वजन में 1 पाउंड (0.45 किलोग्राम) की कमी से, घुटने पर पड़ने वाले वजन में 4 गुणा कमी होती है। इस प्रकार वजन में कमी करने से जोड़ पर खिंचाव को कम करने, पीड़ा को हरने तथा गठिया की स्थिति के आगे बढ़ने में देरी करने में सहायता मिलती है।
घुटनों के दर्द के कई कारण हो सकते है ( Cause of Knee Pain )
1. अधिक वजन होना,
2. कब्ज होना,
3. खाना जल्दी-जल्दी खाने की आदत,
4. फास्ट-फ़ूड का अधिक सेवन,
5. तली हुई चीजें खाना,
6. कम मात्रा में पानी पीना,
7. शरीर में कैल्सियम की कमी होना।
घुटनो में दर्द के बचाव के कुछ आसान तरीके । (Home treatment for knee pain)
1. खाने के एक ग्रास को कम से कम 32 बार चबाकर खाएं। इस साधरण से प्रतीत होने वाले प्रयोग से कुछ ही दिनों में घुटनों में साइनोबियल फ्रलूड बनने लग जाती है।
2. पूरे दिन भर में कम से कम 12 गिलास तक पानी अवश्य पिए। ध्यान दीजिए, कम मात्रा में पानी पीने से भी घुटनों में दर्द बढ़ जाता है।
3. भोजन के साथ अंकुरित मेथी का सेवन करें।
4. बीस ग्राम ग्वारपाठे अर्थात् एलोवेरा के ताजा गूदे को खूब चबा-चबाकर खाएं साथ में 1-2 काली मिर्च एवं थोड़ा सा काला नमक तथा ऊपर से पानी पी लें। यह प्रयेाग खाली पेट करें। इस प्रयोग के द्वारा घुटनों में यदि साइनोबियल फ्रलूड भी कम हो गई हो तो बनने लग जाती है।
5. चार कच्ची-भिंडी सवेरे पानी के साथ खाएं। दिन भर में तीन अखरोट अवश्य खाएं। इससे भी साइनोबियल फ्रलूड बनने लगती है। अनुभूत प्रयोग है।
6. एक्यूप्रेशर-रिंग को दिन में तीन बार, तीन मिनट तक अनामिका एवं मध्यमा अंगुलि में एक्यूप्रेशर करें।
7. प्रतिदिन कम से कम 2-3 किलोमीटर तक पैदल चलें।
8. दिन में दस मिनट आंखें बंद कर, लेटकर घुटने के दर्द का ध्यान करें। नियमित रूप से अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम-विलोम धीरे-धीरे एवं कम से कम सौ बार अवश्य करें। इससे लाभ जल्दी होने लगता है।
हल्दी चुने का लेप (Lime and turmeric paste)
1. हल्दी और चुना दर्द को दूर करने में अधिक लाभदायक साबित होते है ।
2. हल्दी और चुना को मिलकर सरसो के तेल में थोड़ी देर तक गरम करे फिर उस लेप को घुटने में लगाकर रखे ।
3. कुछ समय बाद दर्द मेा आराम मिलेगा
4. इस प्रक्रिया को दिन मेा दो बार करे ।
हल्दी वाला दूध (Turmeric Milk) :-
एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी के पावडर को मिलाकर सुबह शाम काम से काम दो बार पीए यह एक प्राकृतिक दर्द निवारक का काम करता है
नेचुरल ट्रीटमेंट ( Natural treatment):-
विटामिन डी (vitamin D )का सबसे अच्छा स्रोत सूरज से उत्पन धुप ( sun light) है , जिससे आपको नेचुरल विटामिन डी (vitamin D ) मिलती है जो हड्डी (bones)के लिए अधिक लाभदायक है
आयुर्वेद के अनुसार में बनाई गयी औषधियां ( Natural Medicine made in Ayurveda)
1. अमृता सत्व,
2. गोदंती भस्म,
3. प्रवाल पिष्टी,
4. स्वर्ण माक्षिक भस्म,
5. महावत विध्वंसन रस,
6. वृहद वातचितामणि रस,
7. एकांगवीर रस,
8. महायोगराज गुग्गुल,
9. चंद्रप्रभावटी,
10. पुनर्नवा मंडुर इत्यादि औषधियों का सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श से करे। औषधियों के सेवन से बिना किसी साइडइपैफक्ट के अधिक लाभ मिलता है।
दर्द के दौरान क्या न खाये। (Donot eat during Pain)
1. अचार,
2. चाय तथा रात के समय हलका व सुपाच्य आहार लें।
3. रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें
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आपके दिल का तंदरुस्त रहना जितना किसी से मोहब्बत करने के लिए जरुरी है उतना ही बेहतर और लम्बी जिंदगी के लिए भी जरुरी है, इसलिए अपने दिल का विशेष ख्याल अवश्य रखें। आयुर्वेद में दिल को हृदय के नाम से भी जाना जाता है व इसे शरीर का मर्म स्थान (शरीर का ऐसा हिस्सा जहाँ कोई चोट या आघात लगने से व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो सकती है) भी माना गया है।
हमारे भारत देश में हृदय रोगों से होने वाली मृत्यु दर बहुत तेजी से बढ़ रही है, जहाँ वर्ष 1990 में प्रतिवर्ष हृदय रोगों के कारण लगभग 13 लाख लोगों की मृत्यु होती थी अब यह आकंड़ा लगभग 30 लाख प्रतिवर्ष तक पहुंच चुका है। यानि लगभग प्रत्येक 2 सेकेंड में कोई न कोई व्यक्ति हृदय रोग के कारण मृत हो जाता है।
(Ref: https://www.business-standard.com/article/health/15-of-deaths-in-india-were-due-to-heart-diseases-in-1990-now-up-to-28-118091800130_1.html)
हृदय समबन्धी कई समस्यायें होती हैं लेकिन हार्ट स्टोक व कोरोनरी आर्टरी डिजीज जिसे इस्केमिक हार्ट डिजीज भी कहते हैं इन रोगों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।
कई रिसर्चों में यह बात पता लगी है कि अधिक तला-भुना, अधिक मिर्च-मसालेदार, देर से पचने वाले आहार, मैदा से बने पदार्थ, मिठाई, आरामतलब जीवन जीने वाले, कम व्यायाम करने वाले, सिगरेट, तम्बाकू, शराब, अधिक मात्रा में मांसाहार आदि का नियमित सेवन करने वालों को हृदय सम्बन्धी रोग होने का खतरा बहुत अधिक होता है, इसके अतरिक्त जिन लोगों को लम्बे समय से कोलेस्ट्रॉल सम्बन्धी परेशानी या हाई बी.पी. की समस्या बनी रहती है उन्हें भी हृदय रोगों का खतरा अधिक होता है।
आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार जो लोग लगातार अनियमित खान-पान का सेवन व अनियमित दिनचर्या में बने रहते हैं, ऐसे लोगों के शरीर में लगातार दूषित चीजें इकट्ठा होने लगती हैं (आयुर्वेद में इसे "आम" कहते हैं) जिसके कारण शरीर के छोटे-छोटे श्रोत (चैनल्स) दूषित हो जाते हैं जिसकी वजह से हार्ट की आर्टरीज में ब्लॉकेज बढ़ने लगती है और यह हृदय रोग का रूप ले लेता है।
आयुर्वेद में इन समस्याओं का बेहतर समाधान मौजूद है, हृदय रोगों में यह बात भी बेहद ध्यान रखने वाली है कि आर्टरी के ब्लॉकेज के बाद यदि आप ऑपरेशन करवा लेते हैं तब भी आपको सही तरह से अपने खान-पान व दिनचर्या को सुधारना होता है, इसलिए बेहतर होता है कि जैसे ही हार्ट से सम्बंधित परेशानी आपको पता लगे तुरंत आप अपनी अनियमित दिनचर्या व खान-पान में सुधार करें!
इसके अतरिक्त अनावश्यक तनाव, चिंता आदि से बचें, आयुर्वेद में पंचकर्म प्रक्रिया के माध्यम से शरीर में मौजूद दूषित चीज़ों को व्यवस्थित रूप से डेटॉक्स कर दिया जाता है (आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ चिकित्सक से मिलकर इसे अवश्य करवायें)
हल्दी, आमला, अदरक, हरी पत्तेदार व फलीदार सब्जियां, टमाटर, अखरोट, लहसुन, मल्टी-ग्रेन आटा, संतरा, पपीता, ओलिव ऑइल, ग्रीन टी आदि का नियमित प्रयोग हृदय सम्बन्धी रोगों में लाभदायक रहता है।
हृदय रोगों में एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि शाम के समय में विशेष रूप से हल्का भोजन ही करें क्योंकि शाम के भोजन के पश्चात हम प्रायः सोते ही है जिसके कारण शरीर में वसा अधिक इक्कठी होती है व पाचन भी ठीक से नहीं होता इसलिए शाम को स्टीम सलाद, ओट्स, बिना मलाई का दूध, पोआ, उपमा, इडली, सांभर-बड़ा, डोसा, चीला, सब्जियों के सूप आदि जैसे हल्के खाने का प्रयोग अधिक करना चाहिए।
कई बार लोग शाम के भोजन के बाद टहलते हैं ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि हम सारे दिन कार्य करके मानसिक व शारीरिक रूप से थक जाते हैं ऐसे में और अधिक शरीर को थकाने से नींद अच्छी आ सकती है लेकिन शरीर के ऑर्गन में हल्कापन नहीं आता। वहीं इसके विपरीत सुबह के समय में जब हम सोकर उठते हैं तब शरीर व मन में प्राकृतिक रूप से हल्कापन रहता है ऐसे में जब हम खाली पेट में कोई व्यायाम करते हैं या टहलते हैं तो उससे शरीर में वास्तविक हल्कापन आता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक रहता है।
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आयुर्वेद को कम मत समझिए, यह है सबसे तेज !
Maha Mrityunjaya Mantra Cure Cancer - In Hindi Mantra Shakti Se Rog Nivaran
रोहतक। आयुर्वेद में मंत्रों की शक्ति को सदैव माना गया है। हाल ही एक शोध में ये बात सामने आयी कि गायत्री मंत्र के नियमित जाप से दिमाग की शक्तियों का विकास होता है। इसी कड़ी में बेहद चौकाने वाली रिपोर्ट दैनिक जागरण में छपी है. रिपोर्ट के मुताबिक मुंह के कैंसर से पीड़ित एक व्यक्ति की महामृत्युंजय मंत्र के जाप से आवाज वापस लौट आयी. पढ़िए पूरी रिपोर्ट -
महामृत्युंजय मंत्र थेरेपी से बोल पड़ा ‘बेजुबान’ - Mrityunjaya Mantra Impact in Hindi
रोहतक : हरियाणा के रोहतक जिले के सेक्टर -2 निवासी 'राजीव पायलट' की मुंह के कैंसर के चलते आधी जीभ काटनी पड़ी। आवाज चली गई, लेकिन स्पीच थेरेपी के साथ महामृत्युंजय मंत्र के उच्चारण का प्रयास करते-करते आवाज लौट आई। विशेषज्ञ ने बताया कि इस मंत्र के उच्चारण के दौरान जीभ 360 डिग्री घूमती है।
हरियाणा निवासी यह व्यक्ति अब दूसरों को इस विधा का लाभ देने के लिए जागरूक कर रहा है। जिंदगी के उतार-चढ़ाव के बीच बर्बादी का सिलसिला शुरू हुआ तो पेशे से पायलट रहे राजीव का परिवार तबाह हो गया। पत्नी से तलाक हो गया। छोटे भाई की असमय मौत हो गई। रही-सही कसर पूरी कर दी कैंसर की बीमारी ने। मुंह के कैंसर से उनकी आवाज चली गई..। लेकिन तभी किस्मत फिर पलटी और स्पीच थेरेपी और महामृत्युंजय मंत्र के जाप से जीने की राह मिल गई। महामृत्युंजय मंत्र के जाप और म्यूजिक व स्पीच थेरेपी ने आवाज लौटा दी। अब राजीव पायलट दूसरों की भी मदद कर रहे हैं।
रोहतक के सेक्टर दो निवासी राजीव ने बताया कि पारिवारिक कलह से साल 2005 में तलाक हो गया। दो बच्चों समेत पत्नी छोड़कर चली गई। उधर, पार्टनरशिप में बनाई फैक्टरी में आग से इतना नुकसान हुआ कि उबर ही नहीं पाया। छोटे भाई की बीमारी के कारण मौत हो गई। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। एक वक्त ऐसा आया कि खुद को मारना चाहता था।
बतौर पायलट, एक शानदार करियर भी इन घटनाओं से डगमगा गया। वह बताते हैं, मैं खुद को मारने के तरीके खोजने लगा। मीलों ऊंचाई पर प्लेन उड़ा हवा में बातें करता था, लेकिन पत्नी व बच्चों के विरह ने तोड़ दिया। डिप्रेशन का शिकार हो गया। पूरी-पूरी रात जागकर बिताने लगा। गुटखा, पान मसाला, तंबाकू व धूमपान की बुरी लत लगा ली। यह लत मुंह के कैंसर तक ले आई। इस बीच उनकी फिक्रमें मां तृष्णा बीमार रहने लगीं। मां की स्थिति ने मौत के करीब पहुंच चुके राजीव में जीने की ललक पैदा की। सोचने लगे कि उनकी मौत के बाद उनके माता-पिता का क्या होगा।
बकौल राजीव, दिसंबर 2012 तक कैंसर चौथी स्टेज में पहुंच गया था। जनवरी 2013 में मुंह के कैंसर के लिए ऑपरेशन हुआ, जिसमें आधी जीभ काट दी गई। आवाज चली गई। पूरा शरीर काला पड़ गया। डाक्टरों ने बताया कि कभी बोल नहीं पाएगा। मैं निराश था। इंटरनेट पर इलाज के लिए समाधान ढूंढने लगा। बेंगलुरु में थेरेपिस्ट डॉ. टीवी साईंराम के बारे में पता चला। मां के साथ उनसे मिलने गया। डॉक्टर की सलाह पर रोजाना गाना सुनने और बोलने का अभ्यास करने लगा। हालांकि मुंह से आवाज नहीं निकलती थी। कई बार बैचेन हो जाता था। सोचता था कि डॉक्टर ने मजाक किया है, लेकिन मां को डॉक्टर पूरा भरोसा था। एक दिन मां ने कहा कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने की कोशिश किया करो। यह और कठिन था, लिहाजा टाल दिया।
लेकिन एक दोस्त ने बताया कि महामृत्युंजय मंत्र जपने पर जीभ 360 डिग्री पर घूमती है। मरता क्या नहीं करता सो मंत्र जाप की कोशिश करने लगा। करीब सात माह बाद पहली बार आवाज निकली। शुरू में अटक कर बोल पाता था। नियमित अभ्यास से आवाज साफ हो गई है। उन्होंने बताया कि यह थेरेपी इतनी कारगर है कि कोमा में गए मरीजों को भी फायदा पहुंचाती है।
चिकित्सा में कारगर महामृत्युंजय मंत्र - Mrityunjaya Mantra Effective in Disease Treatment
मंत्र चिकित्सा में महामृत्युंजय मंत्र का बड़ा महत्व है। रिटायर्ड प्रोफेसर व मंत्र शोधकर्ता डॉ. बलबीर आचार्य ने बताया कि मंत्र के जाप से शारीरिक व मानसिक फायदे होते हैं।
जयपुर में गत दिनों मंत्र चिकित्सा विषय पर कांफ्रेंस में देश-विदेश के मंत्र शोधकर्ता जुटे थे, इसमें महामृत्युंजय मंत्र के जाप से कैंसर व अन्य बड़ी बीमारियों के ठीक होने की प्रामाणिक बातें सामने आई थीं। यह एकाग्रचित मन से शुद्ध रूप से मंत्र के नियमित जाप करने से इच्छाशक्ति मजबूत होती है।
संस्कृत भाषा में वर्णित इन मंत्रों के उच्चारण में मुंह की सभी मांसपेशियों एक साथ काम करती हैं। जीभ चारों दिशाओं में घूमती है। बहुत से लोगों को महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र व अन्य मंत्रों से फायदा मिला है।
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