शिलाजीत का परिचय - Introduction of Shilajit in Hindi
शिलाजीत को एस्फाल्टम पंजबनियम, ब्लैक बिटूमिन, खनिज डामर, शिलामय आदि अनेक नामों से जाना जाता है। यह एक खनिज आधारित अर्क होता है। यह पीले-भूरे रंग से लेकर काले-भूरे रंग में पाया जाता है।
यह एक चिपचिपा या गोंद जैसा तत्व होता है। इसमें 80 से भी ज्यादा खनिज सम्मिलित पाए जाते हैं जिनमें मुख्यतः लोहा, जिंक, सीसा, तांबा, रजत आदि शामिल होते हैं। यह अपने बलवर्धक या पुष्टिकर गुणों के लिए जाना जाता है तथा ऊर्जा के स्तर एवं यौन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। यह बढ़ती उम्र की थकान,सामान्य थकान, सुस्ती व मधुमेह से पैदा थकान से तो राहत देता ही है साथ ही पुरुष बांझपन का उपचार भी भली-भांति करता है।
शिलाजीत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? - How did the word Shilajit originate in Hindi?
शिलाजीत शब्द का निकास संस्कृत शब्द 'शिलाजतु' शब्द से हुआ है जिसका अर्थ है- पर्वतीय 'टार' या 'डामर।' 'शिला' का अर्थ होता है-जिसमें चट्ट्न या पर्वत के गुण हों और 'जतु' का मतलब होता है-गोंद, लाख अथवा अन्य चिपचिपा तत्व। जबकि शिलाजीत के हिंदी अनुवाद का अर्थ होता है- दुर्बलतानाशक अथवा कमजोरी का नाश करने वाला। यह मुख्य रूप नेपाल,भूटान, रूस, मंगोलिया तथा उत्तरी चिल्ली के कुछ भागों में पायी जाती है। अतीत या प्राचीन काल में शिलाजीत का भारत एवं चीन में एक पारंपरिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता था।
यह भी पढ़े► डाबर शिलाजीत गोल्ड के फायदे
शिलाजीत के ऐतिहासिक उपयोग - Historical uses of Shilajit in Hindi
शिलाजीत मुख्यतः एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जानी जाती है। शेरपा लोग इसका सेवन अपने शरीर को शक्तिशाली एवं ऊर्जावान बनाए रखने वाले खास आहार के रूप में करते आए हैं। शिलाजीत की कायाकल्प करने वाली प्रकृति आमाशय या पेट की समस्याओं जैसे कि पीलिए आदि के उपचार मदद करती है। इसका प्रयोग एडिमा, किडनी की पत्थरी तथा अरुचि आदि कई रोगों के इलाज के लिए आंतरिक ऐंटीसेप्टिक के रूप में किया जाता है।
आयुर्वेद में शिलाजीत को लघु 'योगवाह' यानी एक ऐसी औषधि माना जाता है जो अन्य औषधियों की योग वाहिता में वृद्धि करती है। इसे पाचन संबंधी गड़बड़ी, बढ़ी हुई तिल्ली, तंत्रिकाओं की गड़बड़ी, क्राॅनिक श्वसनीशोथ आदि रोगों के इलाज के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है।
आयुर्वेदिक तथा आयुर्विज्ञान चिकित्सा में शिलाजीत के उपयोग - Uses of Shilajit in Ayurvedic and Medical Medicine in Hindi
शिलाजीत को सामान्यतः इसकी त्रिदोषनाशक क्षमता के लिए जाना जाता है। यह एक अर्क या सत्व होता है तथा इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है। आयुर्वेद में शिलाजीत का पूरा लाभ उठाने के लिए उसे अन्य औषधियों जैसे कि त्रिफला आदि तथा उनके काढे में मिलाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।
इसका प्रयोग शरीर को आम या टोक्सिन से मुक्ति दिलाने के लिए भी किया जाता है जो खराब पाचन के कारण शरीर में जमा हो जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रक्त को साफ़ करने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसका सेवन प्रतिरोधी शक्ति को बढ़ाने, ऊर्जा देने, कामोत्तेजना को जगाने तथा वज़न कम करने में मदद करता है। शिलाजीत उन दवाइयों का प्रमुख घटक भी होती है जिनको यौन शक्ति, वीर्य वृद्धि तथा शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल को बढ़ाने के उद्देश्य से बनाया जाता है।
यह भी पढ़े► आयुर्वेद के अनुसार आंवला के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Amla ke fayde aur nuksan in hindi
शिलाजीत में उपस्थित फोलिक तथा ह्यूमिक एसिड - Folic and humic acid present in Shilajit in Hindi
एंटीऑक्साइजर्स यानी प्रतिऑक्सीकारकों से भरपूर होते हैं जो धातु आयनों उदाहरणतः लोहे आदि के अवशोषण में वृद्धि कर शरीर में पोषक तत्वों को रोके रखने की सामर्थ्य पैदा करते हैं। यह नए रक्त के निर्माण तथा शरीर में होने वाली ऑक्सीजन की कमी से भी बचाता है जो कई जटिल समस्याएं खड़ी कर सकती है।
शिलाजीत द्वारा रोगों या स्वास्थ्य-समस्याओं का उपचार - Treatment of diseases or health problems by Shilajit in Hindi
1. थकान
आयुर्वेदिक मत- उम्र बढ़ने के कारण तंत्रिका तंत्र के विकार के फलस्वरूप यादाश्त की कमजोरी तथा व्यावहारिक बदलाव आना सामान्य समस्या माना जाता है। आयुर्वेद में अल्जाइमर की बीमारी को वात दोष के रूप में देखा जाता है। शिलाजीत का नियमित सेवन वात दोष को ठीक करता है। इसकी रासायनिक या उपचारात्मक प्रकृति तंत्रिका तंत्र की कमजोरी को दूर करती है तथा साथ ही उसकी कार्य प्रणाली को भी सुधारती है।
टिप्स: 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गुनगुने पानी में मिलाकर लें। इस उपाय को दिन में दो बार हल्का खाना खाने के उपरांत दोहराएं।
2. श्वसन मार्ग का संक्रमण
आयुर्वेदिक मत- आयुर्वेद में श्वसन मार्ग के संक्रमण को शरीर में उत्पन्न वात एवं कफ दोष को माना जाता है। जब बिगड़ा हुआ वात फेफडों में कफ से मिल जाता है तो श्वसन मार्ग में रुकावट उत्पन्न कर देता है। शिलाजीत वात- कफ के दोष निवारक होती है तथा इसी वजह से श्वसन मार्ग में वायु गमन में आई बाधा का निराकरण कर देती है। यह अपनी उपचारात्मक शक्ति के बल पर प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाती है।
टिप्स: 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गरम पानी के साथ दिन में दो बार भोजन के उपरांत लें।
3. कैंसर
आयुर्वेदिक मत- कैंसर एक तरह की दाहक या बिना दाहक वाली सूजन होती है जिसे ग्रंथि ( अतिरिक्त ऊतक वृद्धि) या अर्बुद ( बहुत अधिक ऊतक वृद्धि) के तौर पर जाना जाता है। यह शरीर में वात, पित्त और कफ के साथ अंतर्क्रिया करके कैसर की स्थिति पैदा करती है। ऊतकों की क्षति का कारण बनकर कोशिकाओं के पारस्परिक समन्वय को बिगाड़ देती है। शिलाजीत ऊतकों को क्षति से बचाने व कोशिकाओं के आपसी तालमेल को बनाए रखने में मदद कर सकती है क्योंकि इसमें गजब का बल तथा उपचारात्मक शक्ति मौजूद होती है।
4. भारी धातु विषाक्तता (हैवी मेटल टाॅक्सिटी)
शिलाजीत रक्त में उपस्थित विषैले तत्वों से मुक्ति दिलाने में भी मदद कर सकती है क्योंकि इसमें फोलिक तथा ह्यूमिक एसिड मौजूद पाए जाते हैं जो हानिकारक रसायनों तथा विषैले तत्वों जैसे सीसा, पारा आदि को सोखकर शरीर से बाहर निकाल देते
हैं।
5. अल्प-ऑक्सीयता या हाइपोक्सिया
आयुर्वेदिक मत- शिलाजीत लोहा (हीमोग्लोबिन का अभिन्न अंग) तथा अन्य ऐसे खनिज जो रक्त की ऑक्सीजन वहन क्षमता को बढ़ा सकते हैं उनके अवशोषण में वृद्धि करती है।
टिप्स: दिन में दो बार भोजन के उपरांत शिलाजीत के कैपसूल का सेवन करें।
निर्देशित मात्रा के अनुसार शिलाजीत के विविध मान्य रूप - Multiple valid forms of Shilajit according to the directed quantity in Hindi
शिलाजीत को विविध रूपों में सामान्य तापमान
(25 C°) शीतल व शुष्क स्थान पर सुरक्षित रखा जा सकता है।
1 शिलाजीत पाउडर: चिकित्सक के परामर्श के अनुसार 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर का दिन में एक बार सेवन कर सकते हैं।
2 शिलाजीत कैपसूल: चिकित्सक के परामर्श के अनुसार दिन में एक-एक कैपसूल दिन में दो बार ले सकते हैं।
3 शिलाजीत की गोलियां: एक गोली दिन में एक बार चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लेनी चाहिए।
शिलाजीत के आयुर्वेद केयर ( परिचर्चा) के अनुसार विविध प्रकार - Variety according to Shilajit's Ayurveda Care in Hindi
1. दूध के साथ शिलाजीत का सेवन
2 से 4 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गुनगुने दूध में मिलाकर पीना चाहिए और दिनभर में हल्के भोजन के उपरांत इस उपाय को दो बार दोहराना चाहिए।
2. शिलाजीत कैपसूल
शिलाजीत के कैपसूल को भोजन के उपरांत गुनगुने दूध के साथ लिया जा सकता है। अगर मतली की शिकायत न हो तो खाना खाने के बाद दिन में दो बार लें।
3. शिलाजीत की गोलियां
शिलाजीत की गोली को खाना खाने के उपरांत गुनगुने दूध के साथ लें सकते हैं। अगर मतली की शिकायत न हो तो एक-एक गोली भोजन के उपरांत दिन में दो बार ले सकते हैं।
4. शिलाजीत की काली चाय
क) किसी बरतन में डेढ़ या दो कप पानी लें।
ख) इसमें आधा या एक चम्मच चाय पत्ती डालकर पांच मिनट तक उबालें।
ग) अब इसे छान लें।
घ) अब इसमें दो चुटकी शिलाजीत पाउडर डालकर अच्छे से मिला लें।
ङ) यह चाय सुबह खाना खाने से पूर्व पिएं। इसे पीने से शरीर दिनभर ऊर्जावान बना रहेगा तथा थकान छू मंत्र हो जाएगी।
यह भी पढ़े► आयुर्वेद के अनुसार अलसी खाने के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Alsi khane ke fayde aur nuksan in hindi
शिलाजीत के सेवन के दौरान रखें ये सावधानियां - Keep these precautions during the intake of Shilajit in Hindi
1. स्तनपान
ऐसे वैज्ञानिक साक्ष्य न के बराबर ही हैं जो यह साबित करते हों कि स्तनपान के दौरान शिलाजीत का सेवन कोई खास असर दिखाता है। अतः स्तनपान के दौरान इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करें या फिर बिलकुल ही न करें।
2. मधुमेह रोगी
शिलाजीत शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कम करती है। अतः मधुमेह के रोगियों को यह सलाह दी जाती है कि यदि शिलाजीत का सेवन करना पड़े तो ग्लूकोज के लेवल की बराबर जांच कराते रहें।
3. गर्भावस्था
ऐसे वैज्ञानिक साक्ष्य न के बराबर ही हैं जो यह साबित करते हों कि गर्भावस्था के दौरान शिलाजीत का सेवन अपना कुछ विशेष असर दिखाता है। इसीलिए इस अवस्था में इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करें या फिर बिलकुल ही न करें।
यह भी सलाह दी जाती है कि यदि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने के लिए दवाइयां ली जा रही हैं तो शिलाजीत के इस्तेमाल से पूर्व यूरिक एसिड लेवल की जांच अवश्य करा लें। क्योंकि इसके सेवन से यूरिक एसिड का लेवल बढ़ सकता है।
शिलाजीत के सेवन के कुछ दुष्प्रभाव - Some side effects of taking Shilajit in Hindi
शिलाजीत शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति को बढ़ाती है और इसी कारण इसका सेवन करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह लेना अनिवार्य है। ऐसा न करने की स्थिति में यह प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित कई तरह की समस्याएं खड़ी कर सकती है, जैसे स्क्लेरोसिस यानी ऊतकों की दृढ़ता, स्वप्रतिरक्षित रोग, लूपस, रूमेटाइड आर्थ्राइटिस आदि। ये समस्याएं शरीर में भयंकर जटिलताएं पैदा कर सकती हैं। शिलाजीत शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ाती है।अतः इस कारण भी यह जोखिम पैदा कर सकती है।
आयुर्वेद में शिलाजीत को एक बहुत ही शक्तिशाली घटक माना जाता है। इसी कारण इसका बहुत अधिक मात्रा में सेवन पित्त दोष उत्पन्न कर जलन या प्रदाह का कारण बन सकता है। सिकल सेल्स अनेमिया, हेमोड्रोमेटोसिस आदि के रोगियों को तो इसके सेवन से परहेज़ ही करना चाहिए।
शिलाजीत को कभी भी अपरिक्व अथवा असंसाधित अवस्था में प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें धात्विक आयन,फ्री-रेडिकल्स, फंग्स यानी फफूंद आदि अनेक अशुद्धियां सम्मिलित पायी जाती हैं। ध्यान रहे कि ये अशुद्धियां आपको अस्पताल पहुंचा सकती हैं। इसके कुछ अन्य दुष्प्रभाव हैं- त्वचा पर पित्त का उभर आना, दिल व श्वसन की दर का बढ़ जाना, चक्कर आना आदि।
यह भी पढ़े► आयुर्वेद के अनुसार अजवाइन खाने के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Ajwain khane ke fayde aur nuksan in hindi
शिलाजीत से संबंधित कुछ प्रश्नोत्तर - Shilajit Related FAQ's in Hindi
प्र. क्या मैं शिलाजीत का अश्वगंधा के साथ प्रयोग कर सकता हूं?
उ. शिलाजीत तथा अश्वगंधा दोनों का एक साथ प्रयोग करने से पूर्व चिकित्सक का परामर्श लेना अनिवार्य है क्योंकि ये दोनों ही घटक बलवर्धक प्रकृति के होते हैं।
इन्हें पचाने तथा इनका लाभ उठाने के लिए शरीर को काफी दबाव सहन करना पड़ता है जिसमें पाचक अग्नि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पाचक अग्नि का प्रभाव अलग-अलग लोगों में अलग-अलग देखा जाता है।
प्र. क्या महिलाएं भी शिलाजीत गोल्ड कैपसूल का सेवन कर सकती हैं?
उ. हां, महिलाएं अपने बेहतर स्वास्थ्य या तन की थकान व सुस्ती से मुक्ति पाने के लिए इस कैपसूल का सेवन कर सकती हैं। यह वात दोष को दूर कर जोड़ों के दर्द में आराम देता है। इसका बलवर्धक व कायाकल्प करने वाला गुण महिलाओं की सेहत में सुधार लाता है। इसका सेवन सुबह भोजन के उपरांत किया जा सकता है।
प्र. क्या शिलाजीत का सेवन गरमी में कर सकते हैं?
उ. आयुर्वेदिक मत- इसके उपचारात्मक गुणों को देखते हुए इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में किया जा सकता है। यद्यपि इसकी तासीर बलवर्धक होती है तथापि यह सुपाच्य है। इसी कारण इसकी सीमित मात्रा का सेवन कभी भी कर सकते हैं।
प्र. क्या शिलाजीत हाई अल्टीट्यूड सेरीब्रल एडिमा (एचएसीई) में फायदेमंद होता है?
उ. एचएसीई की समस्या बहुत अधिक ऊंचाई पर निम्न वायुमंडलीय दबाव के कारण दिमाग में आने वाली सूजन होती है। शिलाजीत मस्तिष्क सहित पूरे शरीर से अतिरिक्त तरल को मुक्त करने का काम करती है। इसी वजह से यह शरीर में उत्पन्न सामंजस्य के अभाव, बेहोशी, सूजन आदि समस्याओं के निदान में काफी असरकारक सिद्ध हो सकती है।
प्र. शिलाजीत गोल्ड कैपसूल पुरुषों के लिए कैसे लाभप्रद है?
उ. आयुर्वेदिक मत- शिलाजीत का बलवर्धक या कायाकल्प करने वाला गुण शरीर में ऊर्जा लेवल की वृद्धि करता है और यौन-इच्छा को बढ़ाता है।
प्र. क्या शिलाजीत उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है?
उ. आयुर्वेदिक मत- हां, शिलाजीत तकनीकी तौर पर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है तथा उम्र बढ़ने के संकेतों यानी सूक्ष्म रेखाओं, झुर्रियों आदि में कमी लाती है। आयुर्वेद में इसका कारण वात दोष से उत्पन्न कोशिकाओं की गड़बड़ी को माना जाता है। शिलाजीत जो शक्तिवर्धक व उपचारात्मक गुणों से भरपूर होती है कोशिकाओं में होने वाली गड़बड़ी को नियंत्रित करके उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा धीमा कर देती है।
प्र. क्या शिलाजीत का सेवन सुरक्षित है?
उ. जिन लोगों में स्वास्थ्य से संबंधित कोई गंभीर समस्या न हो शिलाजीत का सेवन उन सबके लिए सुरक्षित है। भले ही यह तासीर में काफ़ी उत्तेजक या शक्तिवर्धक होता है फिर भी इसका संयत मात्रा में सेवन करने से कोई हानि नहीं होती है। शिलाजीत को इस्तेमाल करने से पूर्व इसे पूरी तरह से शुद्ध एवं संसाधित करने की जरूरत पड़ती है क्योंकि इसमें भारी धातुएं तथा फ्री-रेडिकल्स मिले रहते हैं। इनका सेवन शरीर पर हानिकारक प्रभाव अंकित कर सकता है। अक्सर यह भी देखने में आता है कि कुछ लोग शिलाजीत का प्रयोग अन्य औषधियों के साथ करते हैं। यहां इस बात का ध्यान रखें कि इस तरह के प्रयोग से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर ले लें।
प्र. क्या शिलाजीत रक्ताल्पता या एनीमिया का उपचार कर सकती है?
उ. हां, से रक्ताल्पता का उपचार संभव हो सकता है। इसका कारण यह है कि शिलाजीत में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट एवं अन्य शक्तिवर्धक घटक शरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों को निष्क्रिय करके शरीर से मुक्त कर देते हैं। यह शरीर से टोक्सिन या जीव विष को निकाल देता है। अतः कब्ज जैसी समस्या सदा दूर ही बनी रहती है और पाचन मजबूत बना रहता है। फिर भी इसके अनुपूरकों के सेवन का कुछ दुष्प्रभाव देखने में आ सकता है। ऐसे में चिकित्सक से संपर्क करें।
प्र. क्या शिलाजीत का पुरुषों की यौन-इच्छा पर कुछ असर होता है?
उ. विभिन्न शोध यह साबित करते हैं कि शिलाजीत का सेवन शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल को बढ़ाता है। यह एक कायाकल्प या पुनर्योवन देने वाली औषधि है जो शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि करती है। शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल के बढ़ जाने से यौन-इच्छा स्वतः ही जाग्रत होती है।
शिलाजीत की ऑनलाइन खरीद : Buy Shilajit Online
Dabur Shilajit Gold
Multani Shilajeet Gold Capsule
Baidhyanath Shilajitwadi Bati
Dindayal Shilajit Power Capsule (Gold Power)
Unjha Shilajitvadi Vati
Maharshi Ayurveda Shilajeet Rasayan
संदर्भ: References
https://main.ayush.gov.in/sites/default/files/Ayurvedic%20Pharmacopoeia%20of%20India%20part%201%20volume%20IX.pdf
http://www.ayurveda.hu/api/API-Vol-1.pdf
https://europepmc.org/article/med/25792012
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6541602/
https://jissn.biomedcentral.com/articles/10.1186/s12970-019-0270-2
https://www.healthline.com/health/shilajit
https://globalresearchonline.net/journalcontents/v59-1/23.pdf
किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222
अस्थमा या दमा : Asthma in Hindi
क्या आपको खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न, सांस की तकलीफ और सीने में दर्द जैसे लक्षण हैं? तो संभव है कि आप अस्थमा से पीड़ित हैं। दुनिया भर में 300 मिलियन रोगियों के साथ अस्थमा दुनिया में सबसे ज़्यादा होने वाले गैर-संचारी रोगों में से एक है। यह बीमारी बच्चों में भी बढ़ी है।
आयुर्वेद में, ब्रोन्कियल अस्थमा को तमक श्वास के रूप में जाना जाता है। यह व्याधि व्यक्ति के फेफडो को प्रभावित करती है। लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव और आयुर्वेदिक उपचार से अस्थमा का निवारण हो सकता है। इससे पहले कि हम इसके समाधानों की ओर चले, आइए समझते हैं: अस्थमा क्या है, यह किस कारण से होता है और इस समस्या को दूर करने के लिए हमें अपने जीवन में क्या उपाय अपना सकते हैं।
विषय - सूची
अस्थमा क्या है?: What is asthma?
अस्थमा के कारण: Causes of asthma
अस्थमा के लक्षण: Symptoms of asthma
अस्थमा के लिए टेस्ट : Test for Asthma
अस्थमा से बचाव के सामान्य उपाय: Home Remedies for Asthama
क्या खाएं और किससे बचें: What to eat and what to avoid
अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू): Frequently Asked Questions (FAQs)
अस्थमा क्या है?
आयुर्वेद में, सांस लेने में तकलीफ को श्वास रोग कहा जाता है। श्वास रोग मुख्य रूप से वात और कफ दोषों के कारण होता है। श्वास को पांच प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है- महाश्वास, उर्ध्व श्वास, छिन्न श्वास, क्षुद्र श्वास, तमक श्वास । आयुर्वेद के अनुसार, अस्थमा या दमा रोग तमक श्वास के अंतर्गत आता है। इसमें शरीर में कफ दोष के बढ़ने से वायु का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है तथा वायुमार्ग में सिकुड़न पैदा हो जाती है। इससे विशेष रूप से रात या सुबह में घरघराहट, सांस फूलना, सीने में जकड़न और खांसी की शिकायत होती है। यह मुख्य रूप से एलर्जी के कारण होने वाला रोग है क्योंकि रोगी धूल और प्रदूषण या कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील हो जाता है.
अस्थमा के कारण
अस्थमा प्राथमिक रूप से वात दोष बढाने वाले कारकों के अधिक सेवन, कफ बढाने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन, फेफड़ों के ऊतकों के कमजोर होने और फेफड़ों के रोगों के कारण होने वाली समस्याओं के कारण होता है। पर्यावरण और जीवन शैली भी अस्थमा में अहम भूमिका निभाते हैं। जैसे ठंडे या बासी खाद्य पदार्थों का पाचन करना आसान नहीं होता, इससे आम (बलगम) का निर्माण होता है। यह श्वसन नलिका में रुकावट पैदा करता है जिसके फलस्वरूप सांस लेने में कठिनाई होती है। ठंडे और नम वातावरण में रहना भी अस्थमा का एक कारण है।
आयुर्वेद में अस्थमा के निम्न कारण बताये गये हैं जिनमें से कुछ इस तरह से है :
भोजन का अनियमित सेवन करना।
सूखा, ठंडा, भारी, असंगत भोजन करना।
उडद की दाल, सेम, तिल का तेल, केक और पेस्ट्री, विष्टम्भी अन्न(वात दोष को बढ़ाने वाला भोजन), विदाही अन्न(पेट में जलन करने वाले पदार्थ), पचने में भारी भोजन , दही, कच्चा दूध तथा कफ दोष की वृद्धि करने वाले भोजन का सेवन करना।
ठंडे पानी का सेवन और ठंडी जलवायु के संपर्क में आना।
धूल, धुएँ और हवा के संपर्क में आना।
अत्यधिक व्यायाम करना।
यौन क्रिया में अधिक लिप्त रहना।
गले, छाती और महत्वपूर्ण अंगों को आघात पहुँचना।
प्राकृतिक वेगो को रोकना।
अस्थमा के लक्षण
अस्थमा रोग में कफ दोष बढ जाता है और वात दोष विपरीत दिशा में जा कर श्वसन पथ में रुकावट पैदा करता है। अतः रोगी में निम्न लक्षण मिलते हैं-
सांस फूलने के साथ सांस छोडने में अत्यंत तकलीफ
अत्यधिक खांसी
घरघराहट की आवाज़
छाती की जकड़न
गाढ़ा बलगम
माथे पर पसीना आना
रात और सुबह के समय उपरोक्त लक्षणों का बढ़ना
बिस्तर पर लेट जाने पर बेचैनी बढ़ जाती है, बैठने की मुद्रा में आराम मिलता है।
गंभीर हालत में रोगी को गंभीर खांसी होती है और वह बेहोश हो जाता है। रोगी को कफ को निष्कासित करना मुश्किल लगता है और कफ के निष्कासन के बाद 1 मुहूर्त (3 घंटे) की अवधि के लिए राहत महसूस होती है। ऐसे व्यक्ति को गर्म चीजें पसंद आती हैं। आकाश में बादलों की उपस्थिति, बारिश, ठंड के मौसम, तेज हवाओं और कफ दोष में वृद्धि करने वाले भोजन का सेवन इसके लक्षणों को बढा देता है।
अस्थमा के लिए टेस्ट
अस्थमा रोग के निदान के लिये विभिन्न प्रकार के श्वास परीक्षण किये जाते हैं जैसे स्पाइरोमीट्री और पीक फ्लो। इससे बाहर निकलने वाली हवा की मात्रा और गति को मापते हैं। यह ये देखने में मदद करता है कि आपके फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं। अन्य परीक्षणों में एलर्जी परीक्षण, रक्त परीक्षण, नाइट्रिक ऑक्साइड या FeNo परीक्षण, और मेथाकोलीन जैसे परीक्षण शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा छाती का एक्स-रे अस्थमा को अन्य फेफड़ों के रोगों से अलग करने में उपयोगी है।
अस्थमा निदान के सामान्य उपाय
आयुर्वेद के अनुसार अस्थमा वातकफज रोग है, यह पेट से शुरू होकर फेफड़े और श्वसन नलिकाओं तक बढ़ता है। इसलिए उपचार का प्राथमिक उद्देश्य अतिरिक्त कफ को समाप्त करना है। इसके अलावा प्राणवहस्त्रोत(श्वसन तंत्र) को मजबूत करने और उत्तेजित अवस्थाओं को संतुलित करने पर ध्यान दिया जाता है। इस उद्देश्य के लिए निम्नलिखित उपायों को हम अपने दैनिक जीवन में अपना सकते हैं-
आम को कम करने के लिए-
प्रातः काल उठ कर नियमित रूप से गर्म पानी में नमक डाल कर गरारा करें तथा सबसे पहले ऊष्ण जल का सेवन करें।
अदरक को पानी में उबाल कर उसका भी सेवन लाभकारी है. इसमें अपनी इच्छा अनुसार नीम्बू भी शामिल कर सकते हैं।
जीरा तथा काली मिर्च का सेवन भी आम को कम करने में सहायक है।
यह रोग पेट से शुरु होता है अतः पेट को साफ करने के लिये-
अपने भोजन में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
गर्म पानी में भीगी हुई अंजीर का सेवन भी कर सकते हैं।
पानी की मात्रा अपने भोजन तथा पेय पदार्थों में ज़्यादा रखे।
कफ को कम करने के लिये-
अदरक और लहसुन को कूट कर पानी में उबाल कर पी सकते हैं।
पानी में शहद घोल कर पीना भी कफ को कम करता है।
भोजन में हल्दी, अदरक आदि मसालों का सेवन करें।
योग एवम प्राणायाम-
अस्थमा रोग में प्राणायाम बेहद कारगर है। भ्रस्त्रिक, अनुलोम-विलोम, कपालभाति तथा नाडी शोधन आदि श्वसन तंत्र के लिये फायदेमंद हैं। अर्ध-मत्स्येन आसन, भुजंग आसन, पूर्वोत्तासन आदि योगासन भी अस्थमा रोग में सहायक हैं।
गर्म तेल-
पीठ और छाती पर तिल के तेल का गर्म सेंक अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाता है।
क्या खाएं और किससे बचें?
आयुर्वेद में बताया गया है कि व्यक्ति के जीवन में आहार अहम भूमिका निभाता है। बहुत सारे रोगो से सिर्फ आहार-विहार ठीक करके भी बचा जा सकता है। अतः अस्थमा में भी निम्न आहार-विहार का पालन करना बताया गया है-
गेहूँ, पुराना चावल, मूंग की दाल, जौ, लहसुन, हल्दी, अदरक, काली मिर्च का भोजन में उपयोग करें।
अपने पेय और खाद्य पदार्थों में शहद का इस्तेमाल करें।
मुलेठी और दालचीनी की चाय भी बना कर पी सकते हैं।
नट्स और ड्राई फ्रूट्स को मध्यम मात्रा में लिया जा सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं।
भारी, ठंडा आहार, उडद की दाल, तैलीय, चिकना और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
दूध, पनीर, दही, छाछ और केला जैसे भारी खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
प्रोसेस्ड फूड, एडिटिव्स, व्हाइट शुगर और आर्टिफिशियल मिठास से बचें।
धूम्रपान, धूल और धुएं, प्रदूषण और एलर्जी के संपर्क में आने से बचें।
ठन्डे और नमीयुक्त वातावरण से बचे।
प्राकृतिक वेगो का दमन न करें।
अत्यधिक शारीरिक परिश्रम न करें।
योग और ध्यान सहायक हो सकते हैं।
ठंड के मौसम में बाहर निकलते समय अपना मुंह और नाक ढक लें।
अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
अस्थमा होने की सबसे अधिक सम्भावना किन लोगों में होती है?
यदि परिवार में किसी को पहले से ही अस्थमा है, तो ऐसे व्यक्तियों को अस्थमा विकसित होने की अधिक संभावना है। एक्जिमा या खाद्य पदार्थों से एलर्जी वाले बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में अस्थमा विकसित होने की संभावना अधिक होती है। पराग, घर की धूल, घुन या पालतू जानवरों से एलर्जी भी अस्थमा के विकास की संभावना को बढ़ाती है। तंबाकू के धुएं, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने पर भी अस्थमा के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
अस्थमा को बढाने वाले मुख्य कारक क्या हैं?
घर की धूल, पराग कण, ठंडी और शुष्क जलवायु, खाना पकाने के गैस धुएं, धूम्रपान, पेंट, स्प्रे जैसे एलर्जी के संक्रमण। ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण, वायरल संक्रमण। एस्पिरिन, दर्द निवारक दवाये, भोजन में प्रयोग होने वाले रंग, खाद्य संरक्षक, बर्फ क्रीम, अत्यधिक व्यायाम विशेष रूप से ठंड और शुष्क दिन में, तनाव, लकड़ी और कपास की धूल, रसायन आदि।
क्या मौसम में बदलाव से अस्थमा हो सकता है?
हां, अचानक मौसम में बदलाव (जैसे ठंडी हवाएं, नमी और तूफान) कुछ लोगों में अस्थमा को बढा सकते हैं। इन अचानक बदलावों से एलर्जी पैदा हो सकती है जैसे कि पराग कण उन लोगों में अस्थमा को बदतर बना सकते हैं जिनका अस्थमा एलर्जी से संबंधित है। ठंडी हवा का सीधा असर वायुमार्ग पर भी पड़ सकता है।
सभ्यता के विकास के साथ मनुष्य शारीरिक रूप से निष्क्रिय हो गया है। आधुनिकीकरण, संपन्नता, विज्ञान और तकनीकी विकास के फलस्वरूप आधुनिक जीवन शैली गतिहीन होती जा रही है। बढ़ती निष्क्रिय जीवनशैली के साथ आहार में बदलाव ने कई देशों में मोटापे की महामारी को जन्म दिया है। शारीरिक गतिविधि में कमी के साथ वसा और गुरु आहार द्रव्यों की भोजन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। औद्योगिकीकरण और आर्थिक प्रगति में उन्नति के साथ साथ आज कल अधिक से अधिक नौकरियां सिर्फ ऑफिस डेस्क तक सिमट के रह गई हैं तथा आहार के पैटर्न में बदलाव के साथ चीनी और वसा के सेवन में वृद्धि हो रही है। इस सबके कारण ही मोटापे तथा इससे जुडी समस्याओं में वृद्धि हुई है। तो आइये जानते हैं मोटापा क्या है, इसके कारण तथा इससे कैसे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है।
विषय - सूची
मोटापा क्या है
मोटापे के कारण
मोटापे के लक्षण
निदान
मोटापे के सामान्य उपाय
क्या खाएं और किससे बचें
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
मोटापा क्या है?
आयुर्वेद में आचार्य चरक ने अष्ट निंदित पुरुष का वर्णन किया है तथा इनमे भी इन दो रोगों का विशेष रूप से वर्णन किया है- अतिस्थूल(अधिक मोटा) तथा अतिकार्श्य(अधिक पतला)। इनमें अतिस्थूल(अधिक मोटे) व्यक्ति को इसके जटिल व्याधिजनन और उपचार के कारण अतिनिंदित माना गया है। आयुर्वेद में मोटापे को स्थौल्य या मेदोरोग कहा गया है। यह संतर्पणोत्थ विकारो (अति पोषण के कारण होने वाला रोग) के अंतर्गत आता है। आयुर्वेद में शारीरिक व मानसिक संतुलन को ही स्वास्थ्य की परिभाषा दी गयी है। इसके अनुसार, मोटापा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मेद धातु (फैटी टिश्यू) की विकृति/ वृद्धि की होती है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, किसी भी अन्य बीमारी की तरह, मोटापा गलत भोजन के सेवन या अनुचित आहार की आदतों और जीवनशैली के विकास के साथ शुरू होता है, जिसके परिणामस्वरूप पाचन अग्नि की समस्या होती है, जो आगे जा कर आम को बढ़ाती है। बढे हुए आम के कारण चयापचय प्रक्रिया विचलित हो कर अधिक मेद धातू (फैटी टिश्यू) का निर्माण करती है और आगे की धातू निर्माण जैसे कि अस्थि (हड्डियों) के निर्माण को अवरुद्ध करती है। अत्यधिक रूप से बढी हुई मेद धातू कफ के कार्यों में अवरोध उत्पन्न करती हैं।
दूसरी ओर, जब आम सभी शारीरिक चैनलों को अवरुद्ध करता है तो यह वात दोष में असंतुलन पैदा करता है। वात दोष पाचन अग्नि (जठराग्नि) को उत्तेजित करता रहता है, जिससे भूख में वृद्धि होती है इसलिए व्यक्ति अधिक से अधिक भोजन करता है। मेद धात्वाग्नि मांद्य (कमजोर वसा चयापचय) के कारण अनुचित या असामान्य मेद धातु बनती है, जो मोटापे का मूल कारण है।
अतः मोटापा या स्थौल्य एक ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति मेद(फैटी टिश्यू) और मांस के अत्यधिक विकास के कारण काम करने में असमर्थ होता है और उसके नितंबों, पेट और स्तनों के अधिक विकास के कारण शारीरिक विघटन खराब हो जाता है।
मोटापे के कारण
मोटापा एक ऐसी अवस्था है जिसमें त्वचा तथा आंतरिक अंगों के आस-पास वसा का अत्यधिक संचय हो जाता है। जब लोग अधिक वसायुक्त भोजन करते हैं तथा शारीरिक श्रम नहीं करते तब शरीर में जरूरत से ज्यादा कैलोरी संचित हो जाती है जो वजन बढने का कारण है। कई अन्य कारण भी मोटापा बढाते हैं जैसे कि गर्भावस्था, ट्यूमर, हार्मोनल विकार और कुछ दवाएं जैसे साइकोटिक ड्रग्स, एसट्रोजन्, कॉर्टिकॉ-स्टेरायड्स और इंसुलिन।
आयुर्वेद तथा आधुनिक चिकित्सा प्रणाली दोनो ने मोटापे को कई कारणो की वजह से उत्पन्न माना है। मोटापे के आयुर्वेद में निम्न कारण बताये गए हैं-
अध्यशन (दोपहर के भोजन या रात के खाने के बाद दोबारा भोजन लेना)
अति बृन्हण (अति पोषण)
गुरु आहार सेवन (कठिनाई से पचने वाला भोजन करना)
मधुर आहार सेवन (मीठी वस्तुओं का सेवन)
स्निग्ध भोजन सेवन (कफ बढाने वाला भोजन करना)
अव्यायाम (व्यायाम न करना)
अव्यवाय (यौन गतिविधियों की कमी)
दिवा स्वप्न (दिन में सोना)
अतिस्नान सेवन
बीज दोष (आनुवान्शिक कारण)
अग्निमांद्य (पाचक अग्नि में कमी होना)
मोटापे के लक्षण
मोटापा व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे ग्रसित व्यक्ति न सिर्फ शरीरिक रूप से परेशान रहता है, बल्कि मानसिक रूप से भी वह हीन भावना का शिकार हो कर अवसाद में जा सकता है। इसके सामान्यतः निम्न लक्षण होते हैं-
अतिस्वेद [अत्यधिक पसीना आना]
श्रमजन्य श्वास [हल्के परिश्रम पर सांस फूलना]
अति निंद्रा [अत्यधिक नींद आना]
कार्य दौर्बल्यता [भारी काम करने में कठिनाई]
जाड्यता [आलस्य]
अल्पायु [लघु जीवन काल]
अल्पबल [शक्ति में कमी]
शरीर दुर्गन्धता [शरीर की दुर्गंध]
गदगदत्व [अस्पष्ट आवाज]
क्षुधा वृद्धि (अत्यधिक भूख)
अति तृष्णा [अत्यधिक प्यास]।
मोटापे का निदान
वैसे तो मोटापे के निदान के लिये बहुत से वर्गीकरण हैं। लेकिन बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) पर आधारित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का वर्गीकरण व्यापक रूप से स्वीकृत है। व्यक्ति के वजन(किलोग्राम में) को उसकी लम्बाई(मीटर में) के वर्ग द्वारा विभाजित कर बीएमआई निकाला जाता है। यह लम्बाई और आकार के आधार पर व्यक्ति के आदर्श वजन का अनुमान लगाता है।
18.5 से ले कर 24.9 तक बीएमआई सामान्य माना जाता है। 25 या इससे ऊपर बीएमआई वाल्रे मोटापे की श्रेणी में आते हैं।
मोटापे के सामान्य उपाय
मोटापा दूर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है इसके कारणों को दूर करना। यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर की आवश्यकता से अधिक कैलोरी लेने की वजह से होती है। आयुर्वेद में, मोटापे का इलाज केवल वजन घटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि चयापचय प्रक्रियाओं को ठीक कर आम को कम करके तथा वात-कफ के कार्य को नियमित कर अतिरिक्त वसा को कम किया जाता है।
चयापचय को ठीक करने के साथ-साथ पाचन अग्नि बढाने तथा स्रोतस शोधन के लिये, आहार की आदतों में सुधार करना और तनाव को कम करना महत्वपूर्ण है। इसके लिये निम्न कुछ उपाय घर में सरलता से किये जा सकते हैं-
लंघन- लंघन यानी ऐसे उपाय जो शरीर में हल्कापन लाये। जैसे-
ऊष्ण जल सेवन- सुबह उठने के पश्चात गर्म पानी का सेवन करें, यह न सिर्फ शरीर में लघुता लायेगा बल्कि आम पाचन भी करेगा।
उपवास- सप्ताह में एक दिन उपवास का सेवन करें। इस अवधि में आप मूंग की दाल का पानी या नारियल का जूस इत्यादि ले सकते हैं।
नियमित व्यायाम- माथे पर पसीना आने तक दैनिक नियमित रूप से व्यायाम जरूरी है। सुबह नियमित रूप से 30 मिनट तक पैदल चलें व व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार व्यायाम करे। इसमें योगासन भी सहायक हैं, जैसे- सूर्य नमस्कार, धनुरासन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन, पस्चिमोत्तानासन, ताड़ासन इत्यादि।
आम पाचन- आम की उपस्थिति में वजन कम करना बेहद मुश्किल है। इस कारण से लोग सीमित भोजन का सेवन करते हुए भी अपना वजन कम करने में असफल रहते हैं। इसलिए पहले आम से छुटकारा पाना महत्वपूर्ण है.
आम को खत्म करने के लिये पहले उन कारणों से बचना है जो आम की उत्पत्ति कर रहे हैं। पिछला भोजन ठीक से पचने से पहले खाने से बचें। आसानी से पचने वाला तथा मात्रा में कम भोजन खाएं। ठंडा या बासी भोजन न करें।
इसके लिये सौंफ और गुनगुने पानी का सेवन लाभदायक है।
अदरक भी आम पाचन में सहायक है। आप इसका काढा बना कर पी सकते हैं।
हल्दी, काली मिर्च जैसे मसाले अपने आहार में नियमित रूप से शामिल करें।
इसबगोल और त्रिफला को रोजाना रात को सोने से पहले लें। एक कप गर्म दूध में एक चम्मच घी मिलाकर पीना भी सहायक होता है।
कफ दोष शमन- मोटापे में कफ दोष बढ जाता है। इसके संतुलन के लिये निम्न उपाय अपनाये-
अपने आहार में मिर्च, सरसों के बीज और अदरक जैसे तीखे मसालों का उपयोग करें।
शहद को छोड़कर मीठे पदार्थों से बचें। रोजाना एक चम्मच या दो (लेकिन अधिक नहीं) शहद का सेवन करे। इसे सादा पानी में मिला कर पी सकते हैं।
तिक्त रस(कड्वा) सेवन- कफ दोष के शमन के लिये कड्वी चीज़ों को अपने आहार में शामिल करिये जैसे गिलोय, नीम, करेले का जूस इत्यादि।
गुरु अपतर्पण- यानी ऐसा आहार लेना जो भूक को भी शांत कर दे व मोटापा भी न बढाये।
इसके लिये जौ बेहद कारगर उपाय है. जौ का नमकीन दलिया या इसके आटे की रोटी का प्रयोग करे।
चावल का मांड- आयुर्वेद में इसे बनाने के लिये 14 गुना जल डाल कर चावल का मांड बताया गया है। इसमे आप अपने स्वाद के अनुसार हींग और सेंधा नमक डाल सकते हैं।
क्या खाएं और किससे बचें
अस्वास्थ्यकर आहार से शरीर में वसा ऊतक(फैटी टिश्यू) का निर्माण होता है जिसके परिणामस्वरूप मोटापा होता है। इसलिए पर्याप्त फाइबर युक्त स्वस्थ आहार का सेवन, सक्रिय जीवन शैली को अपनाना और तनाव और थकान को प्रबंधित करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करना अधिक वजन / मोटापे की रोकथाम के लिए आवश्यक है। इसके लिए जीवन शैली में निम्न संशोधन किये जा सकते हैं-
नियमित समय पर भोजन करें।
पीने के लिए गर्म पानी का उपयोग करें।
सेहतमंद खाद्य पदार्थ जैसे - यव(जौ), हरा चना (मूंग की दाल), करेला, शिग्रू(ड्रमस्टिक), आंवला, अनार लें।
भोजन में तक्र(छाछ) का प्रयोग करें।
तली हुई के बजाय उबली हुई और बेक्ड सब्जियाँ प्रयोग करे।
आहार और पेय में नींबू शामिल करें। प्रातः काल एक गिलास गर्म पानी में एक नीम्बू का रस निचोड कर पिये, इसमे चीनी या नमक न मिलाये।
कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे लौकी का जूस, सब्जियों का सूप इत्यादि।
अधिक मीठा, अधिक डेयरी उत्पाद, तले हुए और तैलीय पदार्थ, फास्ट फूड से दूर रहे।
भोजन में नमकीन भोजन या अत्यधिक नमक न ले।
मदिरा पान और धूम्रपान से बचें।
दिन में सोना सर्वथा त्याग दे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
1)मोटापा किन कारणों से होता है?
मोटापा कई कारणों से होता है। मुख्य कारण हैं-
क)आनुवन्शिक कारण ख) ज़रुरत से ज़्यादा भोजन करना ग)हाइपोथायरायडिज्म और कुशिंग सिंड्रोम जैसी कुछ हार्मोनल स्थितियां मोटापे का कारण बन सकती हैं। कुछ दवाओं से भी मोटापा हो सकता है।
2) क्या मोटे लोगों को जल्दी मौत का खतरा है?
मोटे लोगों को जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल संबंधी रोग होने का खतरा होता है। ये रोग व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
3) वज़न घटाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
शारीरिक गतिविधि में वृद्धि, स्वस्थ आहार में बदलाव और अपने चिकित्सक से मिल कर प्रति सप्ताह 1 से 2 पाउंड वज़न कम करने का लक्ष्य रखें। वजन घटाने के लिये अपने आहार और दिनचर्या को ज़्यादा मुश्किल न बनाये। नियमित रूप से व्यायाम करें व मिताहार(नपा-तुला भोजन) करें।
New Delhi, Oct 6 (IANS) The Health Ministry on Tuesday said that insurance claim of Rs 50 lakh each was paid to the kin of 95 frontline healthcare workers who succumbed to the coronavirus disease, while 176 claims were still under process.Addressing a press briefing, Health Ministry Secretary Rajesh Bhushan said: "In 95 cases of death of healthcare workers across the country, insurance money of Rs 50 lakh each has been paid. There are 176 claims which are being processed by the nodal insurance company. Out of these, 79 claims are yet to be received from various states."Following the pandemic, the central government had made a provision for insurance cover under the Pradhan Mantri Garib Kalyan Package for healthcare providers and community health workers, who may have to be in direct contact and take care of COVID-19 patients and thus at risk.The scheme also covers private hospital staff, retired volunteers, staff of urban local bodies, and contract, daily wagers, ad-hoc and outsourced staff requisitioned by state and central hospitals as well as autonomous hospitals etc.The Indian Medical Association has asserted that 515 doctors -- 492 males and 23 females -- have died in the line of duty while treating COVID-19 patients.--IANSaka/tsb/bg
New Delhi, Sep 15 (IANS) The central government on Tuesday extended the Pradhan Mantri Garib Kalyan package insurance scheme for health workers fighting COVID-19 for another 180 days. It was announced on March 30 for a period of 90 days and was extended further for 90 days.This Central Sector Scheme provides an insurance cover of Rs 50 lakh to health care providers, including community health workers, who may have to be in direct contact and care of COVID-19 patients and therefore at risk of being infected. It also includes accidental loss of life on account of contracting COVID-19.The scheme also covers private hospital staff, retired, volunteers, local urban bodies, contract, daily wage, ad-hoc, outsourced staff requisitioned by states and central hospitals and autonomous hospitals of central, states and UTs, AIIMS and INIs and hospitals of central ministries drafted for COVID-related responsibilities.The insurance provided under this scheme is over and above any other insurance cover being availed of by the beneficiary.There is no age limit for this scheme and individual enrolment is not required. The entire amount of premium for this scheme is being borne by the Ministry of Health and Family Welfare, Government of India.The benefit or claim under this policy is in addition to the amount payable under any other policies. The Ministry of Health and Family Welfare has collaborated with the New India Assurance (NIA) Company Limited for providing the insurance amount based on the guidelines prepared for the scheme.Till date, under the scheme, a total of 61 claims are processed and paid. 156 claims are under examination by New India Assurance (NIA) Company Limited, and in 67 cases claim forms are yet to be submitted by the states.The scheme shows the commitment of the Union government to ensure the welfare and well-being of the health workers who have been on the forefront of the fight against the pandemic. It is due to their selfless service and dedication to work, that India has been able to sustain its fight against COVID and continue to sustain its low mortality rate (1.64 per cent), which is among the lowest globally (3.19 per cent as on date).--IANSaka/kr
New Delhi, Sep 15 (IANS) The Central government has made a provision under the Pradhan Mantri Garib Kalyan package for the frontline health workers fighting the Covid-19 battle.The scheme provides an insurance cover of Rs 50 lakh to the healthcare providers and community health workers, who may have to be in direct contact and care of Covid-19 patients and at risk of being impacted by this.It will also include accidental loss of life on account of contracting Covid-19.Minister of State (Health and Family Welfare) Ashwini Kumar Choubey stated this in a written reply in the Rajya Sabha.The scheme also covers private hospital staff, retired volunteer, local urban bodies, contract, daily wage, ad-hoc, outsourced staff requisitioned by states and central hospitals and autonomous hospitals of central, states and UTs, AIIMS and INIs, hospitals of Central Ministries drafted for Covid-19 related responsibilities.The insurance provided under this scheme would be over and above any other insurance cover being availed of by the beneficiary.In addition for treatment of those affected by COVID, Government is implementing Ayushman Bharat -- Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana (AB-PMJAY) to provide health cover of Rs. five lakh per family per year for secondary and tertiary care hospitalization to around 10.74 crore poor and vulnerable families, approx. 50 crore Individuals, as per Socio-Economic Caste Census (SECC) data.To effectively cover Ayushman Bharat -- Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana beneficiaries for testing and treatment of Covid-19, packages for 'Testing for Covid-19' and 'Treatment of Covid-19' have been notified.--IANSaka/in
Dear Patron, Please provide additional information to validate your profile and continue to participate in engagement activities and purchase medicine.