हिमालया सर्पिना टैबलेट की जानकारी - Himalaya Serpina Tablet in Hindi
हिमालया सर्पिना टैबलेट एक हर्बल दवा है जो उच्च रक्तचाप के उपचार में मदद करती है। यह टेबलेट अश्वगंधा और सर्पगंधा जैसी जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है जो दिल के रक्तवाहिकाओं को शांत करने और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह टेबलेट ब्लड प्रेशर कम करने के साथ-साथ श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के इलाज में भी मदद करती है।
हिमालया सर्पिना टैबलेट के मुख्य तत्व - Himalaya Serpina Tablet Ingredients in Hindi
इस टैबलेट में उपस्थित जड़ी बूटियों में से कुछ मुख्य हैं जैसे कि सर्पगंधा, नागरमोथा, गुडूची और अमृता। इन जड़ी बूटियों में विशिष्ट गुण होते हैं जो शरीर के रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। यह टैबलेट इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने वाली एंटी-ऑक्सिडेंट प्रदान करती है। हिमालया सर्पिना टैबलेट के मुख्य तत्व इस प्रकार से है:
सर्पगंधा (Rauwolfia Serpentina): इस टैबलेट का मुख्य तत्व सर्पगंधा होता है, जो एक प्राकृतिक औषधि होती है जो उच्च रक्तचाप और तनाव को कम करने में मदद करती है।
जटामांसी (Nardostachys Jatamansi): यह एक औषधीय पौधा होता है जो तनाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह नींद को बढ़ाने और दिमाग की क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है।
ज्योतिष्मती (Celastrus Paniculatus): यह भी एक प्राकृतिक औषधि होती है जो तनाव को कम करने में मदद करती है और दिमाग की क्षमता को बढ़ाती है।
शंखपुष्पी (Convolvulus Pluricaulis): यह एक प्राकृतिक औषधि होती है जो दिमाग की क्षमता को बढ़ाती है।
जहरमोहरा (Delphinium Denudatum): इस औषधीय पौधे के फूलों से तैयार की जाने वाली एक प्रकार की चूर्ण होती है, जो तनाव को कम करने में मदद करता है।
हिमालया सर्पिना टैबलेट के फायदे - Himalaya Serpina Tablet Benefits in Hindi
हिमालया सर्पिना टैबलेट प्राकृतिक जड़ी बूटियों से बना हुआ आयुर्वेदिक दवा है जो उच्च रक्तचाप, मांसपेशियों में दर्द, घुटने के दर्द, खुजली और त्वचा के रोग जैसी कुछ समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। यह टेबलेट मुख्य तौर पर नागदोना, गुग्गुल और गुडूची जैसी जड़ी बूटियों से बना हुआ है जो संभवतः उपचार में मदद करते हैं। इसके अन्य फायदों में शामिल हैं:
स्वस्थ रक्तचाप: हिमालया सर्पिना टैबलेट में मौजूद जड़ी बूटियाँ रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
मांसपेशियों के दर्द को कम करना: इस टेबलेट में मौजूद नागदोना मांसपेशियों में दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
खुजली को कम करना: हिमालया सर्पिना टैबलेट त्वचा की खुजली को कम करने में मदद करता है।
श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर करना: इस टेबलेट में मौजूद गुग्गुल विशेष रूप से श्वसन संबंधी समस्याओं में उपयोगी साबित होता है।
पेट की समस्याओं में लाभ: हिमालया सर्पिना टैबलेट पेट की समस्याओं में लाभकारी होती है। यह पेट में गैस बनने से रोकती है और एसिडिटी को कम करने में मदद करती है।
पाचन शक्ति को बढ़ाना: हिमालया सर्पिना टैबलेट आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करती है। यह आपके शरीर को पोषण प्रदान करने में मदद करती है और आपके भोजन को अधिक उपचार्य बनाती है।
मलत्याग में सुधार: हिमालया सर्पिना टैबलेट मलत्याग में सुधार लाने में मदद करती है।
हिमालया सर्पिना टैबलेट के दुष्प्रभाव - Himalaya Serpina Tablet Side Effects in Hindi
हिमालया सर्पिना टैबलेट एक आयुर्वेदिक दवा है जो हार्ट और ब्लड प्रेशर समस्याओं के इलाज में प्रयोग किया जाता है। यह दवा सर्पिन नामक प्रोटीन के उत्पादन में मदद करता है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
हिमालया सर्पिना टैबलेट का इस्तेमाल सामान्यतः सुरक्षित होता है लेकिन कुछ लोगों को इसके सेवन से एलर्जी, उल्टी, चक्कर या अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
अधिकतर मामलों में, हिमालया सर्पिना टैबलेट के सेवन से संबंधित कुछ सामान्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि नींद आने में परेशानी, दस्त, गैस, उल्टी आदि।
इसलिए, इस दवा का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें और उन्हें अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताएं, ताकि वे आपको सही राह दिखा सकें।
हिमालया सर्पिना की खुराक - Himalaya Serpina Dosages in Hindi
हिमालय सर्पिना टैबलेट जो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए उपयोग की जाती है, उसकी सुझाई गई खुराक निम्नलिखित है।
सामान्यतः एक दिन में दो या तीन बार एक-एक टैबलेट का सेवन किया जाता है। आपके डॉक्टर द्वारा अलग-अलग स्थितियों और रोग के लिए भी अनुसूचित खुराक निर्धारित की जा सकती है।
इससे पहले और उसके बाद भोजन करना उचित होता है। इस दवा को पानी के साथ लेना उचित होता है।
यदि आप अपनी खुराक में कोई बदलाव करना चाहते हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। वे आपको सही खुराक की सलाह देंगे।
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लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने और लिवर को स्वस्थ रखने के लिए उपयोग किया जाता है। यह दवा हेपेटाइटिस, सिरोसिस, जैविक जहर और अन्य लिवर संबंधित विकारों के इलाज में भी उपयोग किया जाता है। इस दवा के मुख्य तत्व में भारत में उगायी जाने वाली हरड़ या कड़ी पत्ती का उपयोग किया जाता है।
लिव 52 का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना अनिवार्य है। यदि आपके पास किसी भी तरह की एलर्जी हो तो आपको इस दवा का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा यदि आप किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित हैं तो चिकित्सक के परामर्श के बिना इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
लिव 52 के मुख्य तत्व - Liv 52 Ingredients in Hindi
लिव 52 कई प्राकृतिक उत्पादों का मिश्रण होता है जो निम्नलिखित हैं:
हरितकी: यह पाचन को सुधारने और जीर्णाशय को स्थिर करने में मदद करता है।
ब्रह्मी: इसका उपयोग मस्तिष्क को शांत करने और मन को ताजगी देने के लिए किया जाता है।
भूम्यामलकी: यह एक प्राकृतिक विश्रामक होता है और लिवर को सुधारने में मदद करता है।
धनिया: यह एक प्राकृतिक उष्णता स्रोत होता है जो पाचन को सुधारता है और लिवर को सुधारता है।
निम्बू: यह विटामिन सी से भरपूर होता है और लिवर को सुधारता है जो इसे एक अधिक उपयोगी तत्व बनाता है।
हिमा: इसमें एक औषधीय पौधे से बना हुआ एक उत्तेजक होता है जो अपच और जीवन शैली के असंतुलन का संशोधन करने में मदद करता है।
दादिम: दादिम फल का प्रयोग लिवर की संरचना को स्थायी करने के लिए किया जाता है।
कसाणद्र: यह लिवर के लिए एक शक्तिशाली तंत्रिका है जो उसके विभिन्न कार्यों में सहायता प्रदान करती है।
अमलकी: अमलकी लिवर को संरचित रखने में मदद करती है।
लिव 52 के फायदे - Liv 52 Benefits in Hindi
लिव 52 एक आयुर्वेदिक औषधि है जो लिवर स्वस्थ रखने में मदद करती है। यह अनेक तरह की लिवर समस्याओं जैसे जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं, वायरल इंफेक्शन, अत्यधिक शराब पीने से उत्पन्न लिवर की क्षति और शरीर में मौजूद टॉक्सिनों के प्रभाव को कम करने में मदद करती है। इसके फायदे निम्नलिखित हैं:
लिव 52 लिवर समस्याओं के इलाज में मददगार है।
यह लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करता है और उसकी क्षमता को बढ़ाता है।
शराब पीने से होने वाली लिवर की क्षति को कम करता है।
लिवर के रोगों के इलाज में मददगार होता है।
लिवर की सामान्य सेहत और कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
लिवर के उचित काम करने में मदद करता है, जो शरीर में ऊर्जा का निर्माण करता है।
लिव 52 के नुकसान - Liv 52 Side Effects in Hindi
लिव 52 एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जिसे सामान्य रूप से सुरक्षित माना जाता है लेकिन कुछ लोगों में इसके उपयोग से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। लिव 52 के उपयोग से जुड़े कुछ सामान्य नुकसान निम्नलिखित हो सकते हैं:
दस्त: कुछ लोगों में लिव 52 का उपयोग करने से दस्त हो सकता है।
पेट दर्द: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से पेट दर्द हो सकता है।
चक्कर आना: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
अपच: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से अपच हो सकता है।
एलर्जी: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से एलर्जी हो सकती है।
खुजली: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से खुजली हो सकती है।
नींद न आना: कुछ लोगों में लिव 52 के उपयोग से नींद नहीं आती है।
लिव 52 से संबंधित सामान्य प्रश्न - Liv 52 FAQ's in Hindi
लिव 52 क्या है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन तंत्र को सुधारने, लिवर के लिए पोषक तत्व प्रदान करने और ताकत बढ़ाने में मदद करता है। इसे अक्सर लोग जिनके लिवर से संबंधित समस्याएं होती हैं, उन्हें लेते हैं।
लिव 52 कब ले ?
लिव 52 के खुराक की संबंधित जानकारी के लिए आप अपने चिकित्सक या दवा के पैकेट पर दी गई निर्देशों का पालन कर सकते हैं। आमतौर पर, इसे दिन में 2-3 बार खाने के बाद लेते हैं। वहीं, लिव 52 DS (डबल स्ट्रेंग्थ) की खुराक भी दिन में 2-3 बार होती है, लेकिन इसकी खुराक अधिक मजबूत होती है। ध्यान रखें कि आपको किसी भी दवा का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
लिव 52 से क्या फायदा होता है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्रमुख रूप से लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह दवा लिवर के रोगों जैसे जिगर के विकार, सिरोसिस, ज्वर, बदहजमी और अन्य उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।
मुझे लिव 52 कब खाना चाहिए?
लिव 52 की खुराक आमतौर पर अनुशंसित 1-2 गोलियों को दिन में दो बार खाने के बाद लेना होता है। आपको अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए कि आपको कितनी खुराक लेनी चाहिए।
क्या लिव 52 पाचन में सुधार करता है?
हाँ, लिव 52 पाचन संबंधित समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है। इस दवा में कई जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है जो आपके पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है।
लिव 52 कैसे काम करता है?
लिव 52 एक आयुर्वेदिक दवा है जो प्राकृतिक तत्वों से बनाई जाती है। यह दवा अमलतास, डाइगेस्टिव एंजाइम, ताल मखाना, कस्तूरी भँडार, घृतकुमारी, और भूम्यामलकी जैसी वनस्पतियों के मिश्रण से बनाई जाती है। यह लिवर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है। इस दवा के सेवन से लिवर की क्षमता बढ़ती है और यह जीवन शक्ति तत्वों की गुणवत्ता के कारण लिवर के फ़ंक्शन को सुधारने में मदद करता है। लिव 52 के सेवन से लिवर से नकारात्मक तत्वों का निकास होता है जो शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, यह एक उत्तम एंटीऑक्सिडेंट होता है जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के नुकसान से लिवर को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
लिव 52 की कीमत क्या है?
लिव 52 की कीमत विभिन्न दवा दुकानों और ऑनलाइन फार्मेसी स्टोर्स पर भिन्न होती है। इसकी कीमत देश और शहर के आधार पर भी भिन्न हो सकती है। यह दवा भारत में निम्नलिखित मूल्यों में उपलब्ध होता है:
लिव 52 सिरप (200 मिलीलीटर): 80 से 100 रुपए
लिव 52 टैबलेट (60 टैबलेट्स): 100 से 150 रुपए
लिवर के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?
लिवर के लिए कुछ लोकप्रिय आयुर्वेदिक दवाओं में यकृतप्लीहारी वटी, लिवोनिल टैबलेट, हिमालय लिव.52, पुनर्नवा मंडूर, सर्वेश्वरी वटी और कुमारी असव शामिल होते हैं। यदि आपको लिवर संबंधी समस्याएं हैं, तो सबसे अच्छा तरीका होता है कि आप एक विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
क्या फैटी लिवर में लिव 52 फायदेमंद है?
फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के लिवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। लिव 52 में मौजूद औषधीय गुण लिवर के स्वस्थ रखने में मदद करते हैं जिससे फैटी लिवर से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं। इसका उपयोग लिवर की स्वस्थता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है जो फैटी लिवर से जुड़ी समस्याओं में मददगार साबित हो सकता है।
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सच्चा प्यार और मोहब्बत यह एक ऐसा माया मृग (छल/झूठ) बनता जा रहा है जिसको पाने के लिए हर कोई उतावला है लेकिन जब इस ओर लोग बढ़ते हैं तब समझ आता है कि जिंदगी तो कुछ और ही है।
वैसे मेरी इस बात से बहुत से लोग भरोसा नहीं करेंगे या संभव है कि नाक-मुंह भी बना लें, खासकर के प्यार की चासनी में लिपटे या यूँ कहूं कि नहाये हुए वो लोग जिनके दिन की शुरुआत और अंत बाबू, सोना, जानू, I love you जैसे शब्दों से शुरू होती है या दिन के कई घंटे इसी तरह की चैट या कॉल में जाते हों! लेकिन यक़ीन मानिये जैसे-जैसे यह लेख आप पढ़ते जायेंगे तो निश्चित ही यह भरोसा तो आपको हो ही जायेगा कि जो विचार और सोच या रिश्ते लेकर आप चल रहे हैं उसपर एक बार गंभीरता से विचार करना कितना जरुरी है, कृपया एक बार गंभीरता से पूरे लेख को अवश्य पढ़ें!
इस लेख में बात शुरू करते हैं दुनिया के सबसे बड़े टॉपिक "मोहब्बत और सेक्स" से (यह बात कई तरह के रिसर्च में सिद्ध हो चुकी है की लोगों के लिए यही विषय सबसे पसंदीदा हैं), आम तौर पर इस संसार में मौजूद लगभग प्रत्येक प्राणी के जीवनचक्र का यह एक ऐसा पहलु है जिससे शायद ही कोई अछूता रहा हो, इससे न इंसान बचा और न जानवर!
जाहिर सी बात है कि जब इतने तरह के प्राणी और इतना बड़ा संसार इसी ओर भाग रहा है तो कुछ तो विशिष्ट होगा ही इसमें, वैसे यदि विज्ञान की भाषा में इसको कहें तो यह हमारे शरीर में मौजूद कुछ विशेष तरह के Hormones से जुड़ा हुआ है, और यदि आध्यात्म या आयुर्वेद की भाषा में कहें तो यह यह मानवीय संवेदनाओं, भावनाओं और जीवन की इच्छा से जुड़ा हुआ है।
अब जब बात रिश्तों की आती है , खासकर के जिसे आज के समय में विपरीत लिंग के साथ आकर्षण को प्रेम का नाम दे दिया गया है उसमें कई तरह के विकार या गलत भाव आ चुके हैं, यदि इसकी जड़ में जाएँ तो विज्ञान के हिसाब से इसके लिए जो सबसे बड़ा हॉर्मोन जिम्मेदार है वो है टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) इसे हम male (पुरुष) हॉर्मोन भी कहते हैं, यह हॉर्मोन आदमियों में या इस दुनिया के सभी तरह के नर चाहे वो गधा, घोड़ा, कुत्ता, हाथी, शेर आदि कोई भी हो उन सभी में मौजूद होता है जिसका काम है पुरुषों में सेक्स ड्राइव को बढ़ाना!
प्राकृतिक रूप से 99.99% पुरुषों में जब विपरीत लिंग के प्रति जब प्यार / मोहब्बत और इश्क़ जैसा कुछ भी आता है तो उसके दिमाग में शुरुआत से लेकर आगे तक अपने साथी के साथ सेक्स ही आकर्षण का सबसे पहला और अंतिम पहलु होता है, संभव है आप में से कुछ लोग इससे सहमत न हों लेकिन पुरुषों की यह प्राकृतिक स्थिति होती है और विज्ञान के कई रिसर्च भी यही सिद्ध करते हैं!
हालाकिं निश्चित रूप से अपवाद भी होते हैं और कई परिस्थितियों और रिश्तों के अनुरूप भी पुरुषों का व्यवहार बदल जाता है जैसे परिवार में मौजूद अन्य महिलाओं जैसे : माता, बहन, दादी, बेटी आदि के प्रति निश्चित रूप से पुरुषों के विचार और सोच अलग चलती है, लेकिन जैसे ही वह इन रिश्तों के दायरे के बाहर खड़ा होता है और उसे विपरीत लिंग का कोई दिखता है तो स्वतः ही उसका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन उसके ऊपर हावी होने लगता है, हालाँकि वर्तमान समय में यह सब इसलिए भी बहुत अधिक बढ़ा है क्योंकि आज के समय में सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से प्रत्येक तरह की सामग्री और अश्लीलता इतने सहजता से सभी के लिए उपलब्ध है कि लोगों ने इन बातों को ही सही दुनिया समझ लिया है साथ ही इस विषय पर सही एजुकेशन के नाम पर महज मजाक भर ही हमारे समाज के बीच में है। वहीं इसके विपरीत सात्विक (मन की बेहद ही प्रसन्न और संतुष्ट रहने वाली अवस्था) आचरण, सदाचार या ब्रह्म की चर्या जिसे ब्रह्मचर्य का नाम दिया गया इस सभी की भी व्याख्या लोगों ने अपने-अपने मन से करके ऐसी बना दी है कि इसे या तो मजाक का विषय समझा जाता है या फिर कुछ आदर्श पुरुषों की स्थिति की तरह देखा जाने लगा है!
वहीं दूसरी ओर जब हम महिलाओं की बात करते हैं तो उनमें प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हॉर्मोन शरीर के सेक्सुअल व्यवहार, मासिक चक्र आदि के लिए जिम्मेदार होता है, साथ ही यह हार्मोन महिलाओं में चिड़चिड़ापन, उदासी, चिंता आदि जैसे इमोशनल बदलावों के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसलिए ही जब महिलाएं अपनी मर्जी से किसी के साथ शारीरिक संपर्क में आती हैं तो उनके साथ बेहद ही ज्यादा भावनात्मक रूप से खुद को जोड़ लेती हैं और ऐसे पुरुष के लिए भी वे कुछ भी करने को तैयार हो जाती हैं!
महिलाओं और पुरुषों के इन्हीं अलग-अलग हॉर्मोन्स के कारण जो प्यार को लेकर ग्राफ की स्थिति बनती है वो कुछ इस तरह की होती है:
पुरुष जो आरम्भ में बेहद प्यार करने वाले, उतावले, अपनी प्रेमिका के लिए कुछ भी कर डालने की बात करने वाले आदि-आदि तरीके के आदर्श आचरण और व्यवहार करते हैं वे अचानक ही जैसे ही उनका मुख्य काम होता है अर्थात जैसे ही उनका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन से जुड़ा काम या यह संतुष्ट होता है मतलब उसका सेक्स से जुड़ा कार्य पूरा होता है वैसे ही वो रंग बदलना आरम्भ कर देता है। वह व्यक्ति धीरे-धीरे फिर कोई और की तलाश की ओर बढ़ जाता है या जिसके साथ है तो वह और अधिक आनंद प्राप्त नहीं कर पाता है। (निश्चित रूप से इस लेख में मेरे द्वारा लिखी जा रहीं बातें एक आदर्श स्थिति नहीं है बल्कि आज के विकृत हो चुके विचारों, परिस्थितियों और सामाजिक स्थिति है, लेकिन न चाहते हुए भी एक कटु सत्य ही है!) अर्थात पुरुषों का प्यार का ग्राफ जो शुरू में चरम सीमा पर या अपने टॉप स्तर पर था वो ऊपर से नीचे और नीचे से और धरातल यानी की निगेटिव की ओर बढ़ता जाता है। (हाँ यह संभव है कि कुछ पुरुषों में यह प्यार का ग्राफ एकदम तेज़ी से कुछ ही हफ़्तों या महीनों में नीचे चला जाता है और कुछ में नीचे जाने में कुछ वर्ष भी लगते हैं लेकिन वर्तमान समय के पुरुष स्वाभाव के अनुसार यह ग्राफ जाता नीचे ही है।)
जबकि इसके विपरीत महिलाओं की स्थिति एकदम अलग होती है, आरम्भ में उनके प्यार का ग्राफ एक सामान्य लेवल पर या बिल्कुल ही प्रारंभिक स्थिति में होता है, जो धीरे-धीरे कई तरह की स्थितियों और सामने वाले की ओर से किये जा रहे कई प्रयासों और आकर्षण से धीरे-धीरे बढ़ता जाता हैं और जब वे इस स्तर पर पहुँच जातीं हैं कि वे पुरुष के साथ शारीरिक संपर्क स्थापित कर लेती हैं तो वे किसी भी स्थिति में अपने उस प्यार करने वाले पुरुष के साथ ही रहना चाहती हैं। यहाँ तक कि वे उसके लिए घर-परिवार, माता-पिता आदि सभी को छोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं, अभी दिल्ली में हुआ श्रद्धा मर्डर केस इसका एकदम आदर्श उदाहरण है, कि आफताब नाम के लड़के के साथ उसकी लगातार हिंसा होती थी, रिश्ता बिगड़ता ही जा रहा था, लेकिन उस सबके बाद भी वो किसी न किसी बहकावे में आकर उस लड़के से अलग नहीं हो पा रही थी, यहाँ तक कि अपने परिवार और दोस्तों से भी अच्छी खासी दूरी बनाकर के रह रही थी, उसके पिता को उसके दोस्तों से बात करके या सोशल मीडिया के उसके अकाउंट से उसका हाल पता चलता था। हालाकिं लड़कियों से माता-पिता या परिवार के साथ सही से न जुड़ पाने को लेकर या अपनी बात खुलकर न कर पाने के कई और सामाजिक पहलु हैं जिन्हें हम इसी लेख में आगे पढ़ेंगे!
महिलाओं के प्यार का ग्राफ नीचे या बीच से ऊपर और उससे और ऊपर की ओर ही बढ़ता जाता है। और उनकी इन्हीं भावनाओं और पहलु के कारण उनमें शुरू होती है एक अजीब सी स्थिति जिसे साइकोलॉजी की भाषा में "Bad Faith" कहते हैं, वैसे तो इस शब्द की व्याख्या में कई लम्बे-लम्बे विचार लिखे गए हैं, लेकिन इस लेख के विषय के सन्दर्भ में यदि लिखूं तो इसका अर्थ यह है कि लड़कियां खुद को झूठी तसल्ली या झूठा भरोसा देना शुरू कर देती हैं, और अधिक सरल भाषा में कहूं तो रिश्तों में दिख रही समस्याओं को नज़रअंदाज करना आरम्भ कर देती हैं!
जैसे जब उनका पुरुष पार्टनर उनको कम समय देना शुरू करता है तो वे समझ नहीं पातीं या समझकर भी "Bad Faith" के भरोसे बैठी होती हैं शायद सब अच्छा हो जायेगा या शायद बेचारा काम में या परिवार में उलझ रहा है, या वो बहाने जो लड़का बनाना शुरू करता है या अलग-अलग इमोशनल तरीके से बहलाता है तो उसमें बिना दिमाग लगाए भरोसा करती चली जाती हैं!
आजकल के दौर में इस तरह कि स्थितियां सबसे ज्यादा लिव-इन रिलेशन में या लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में या लम्बे समय से प्यार में डूबे तथाकथित प्यार करने वाले युवाओं में ज्यादा दिखाई देती हैं, जिसके कई सामाजिक पहलु भी होते हैं!
जैसे लड़के-लड़की का अलग-अलग जाति (कास्ट) या धर्म का होना, यह आजकल की एक बहुत कॉमन समस्या है!
यह एक बड़ी समस्या तब और बन जाती है जब लड़का या लड़की में से कोई एक अपने माँ-बाप के साथ रह रहा होता है, क्योंकि ऐसे में उस लड़के या लड़की के ऊपर माता-पिता का इमोशनल प्यार या आज की भाषा में कहें तो अत्याचार चल रहा होता है, क्योंकि माँ या बाप या कभी-कभी दोनों को यह लगता है कि इस बच्चे को तो हमने बचपन से पाला है, बड़ा किया है और अचानक से कुछ महीनों से या सालों में मेरा यह बच्चा / बच्ची इस लड़की या लड़के से कनेक्ट हो गई है और अब यह हमारी जगह उसको ज्यादा तबज्जो कैसे दे सकता है!! कई बार यह स्थिति उन माँ-बाप के ईगो को हर्ट कर देता है जो वे या तो गुस्से में बातों के माध्यम से निकालते हैं या कई बार माँ-बाप या परिवार के लोग अपने झूठे अहंकार या झूठी सामाजिक इज्जत के नाम पर इतना गंभीरता से ले जाते हैं कि अपने ही बच्चे या बच्ची की हॉनर किलिंग तक पहुंच जाते हैं लेकिन ज्यादातर मामले स्लो पाइजन (धीमे जहर) के रूप में आगे बढ़ते हैं!
स्लो पाइजन वाली स्थिति ज्यादातर बार लड़कियों के साथ शादी के बाद ज्यादा होती है, इसकी एक बेहद बड़ी वजह उत्तर भारत में मुझे देखने को मिली वो है ऐसे रिश्तों में लड़के वालों के घर वालों की कई इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं जो वे लड़के के दवाब में उस समय तो नहीं बोल पाते लेकिन धीरे-धीरे जैसे ही कुछ समय बीतता है वो स्लो पाइजन के रूप में बाहर निकलती हैं, जैसे जब लड़का-लड़की लव मैरिज या इंटरकास्ट मैरिज कर लेते हैं तब शुरुआत शादी और परिवार के रीति-रिवाजों से शुरू होती है कि.... लड़की के घर वालों को तो ये नहीं पता वो नहीं पता!! इन्होने वो सम्मान नहीं किया!! ये गलत कर दिया...शुरू में प्यार में डूबे लोग इसको हँसते हुए नज़रअंदाज करते हैं!!
कई बार यह स्थिति अच्छे से दहेज़ न मिल पाने के कारण भी बनती है (हमारे देश में विशेषकर के उत्तर भारत में यदि किसी का लड़का थोड़ा सा पढ़-लिख जाता है या कुछ सही कमाने लगता है तो वो उनके लिए एक दुधारू गाय की तरह होता है, जिसे बाजार में कई तरह की बोली लगाकर लोग अपनी लड़कियों के लिए रिश्ता करने के लिए एक पैर पर तैयार खड़े होते हैं), लेकिन ऐसे आकर्षक पैसों से भरे ऑफर के बीच में जो माँ-बाप या परिवार इस काम में अपने बच्चे की लव मैरिज के चक्कर में चूक जाते हैं वे शादी के बाद बेहद अजीब-अजीब से तर्कों के साथ उनकी यह अधूरी इच्छा कई तरह की भड़ास के रूप में बाहर निकलती है और इसका पूरा सामना लड़की को अकेले ही झेलना पड़ता है! और इस स्थिति में कोढ़ में खाज वाली बात यह और होती है कि लड़की के घर वाले भी उसका साथ नहीं दे रहे होते क्योंकि लड़की ने अपनी जिद से शादी की होती है तो जिससे उसके खुद के माँ-बाप का पहले ही ईगो हर्ट हुआ होता है और ऐसी स्थिति देखकर उनको कहने या बातें सुनाने का मौका मिल जाता है कि तुम्हें तो हमने पहले ही मना किया था लेकिन तुमने हमारी बात कहाँ मानी...., कई बार तो लड़कियां खुल के अपने दिल की बात और स्थिति अपने माँ-बाप को इस कारण ही नहीं बताती क्योंकि वो ही स्वयं को इस स्थिति का जिम्मेदार मानती हैं और एक Bad Faith के सहारे खुद को समझातीं रहती हैं!
कुछ महिलाएं ऐसी स्थिति से बचने के लिए यह सोचती हैं कि शायद उनका बच्चा हो जायेगा तो ऐसा नहीं होगा, लेकिन अधिकांश हालातों में यह रुकता नहीं बस स्थिति एक अलग तरह की ढलान की ओर बढ़ जाती है जहाँ से ऊपर आना बेहद मुश्किल या यूँ कहें नामुमकिन सा होता है!!
अब ऐसे में वे लड़कियां ज्यादा खुशकिस्मत होती हैं जो शादी से पहले ही ऐसी किसी स्थिति का सामना करती हैं, जहाँ लड़के के घरवाले उसे किसी और जगह दवाब बनाने के लिए कह रहे होते हैं, वो भी यही कह रहा होता है कि बाबू तुमसे तो मैं दिल-जहाँ से प्यार करता हूँ लेकिन अब घर वालों को कैसे समझाऊं मैं नहीं समझ पा रहा, कई लड़के खुल के नहीं बोलते तो कई मन में उस लड़की से सही में पूरी तरह से ऊब चुके होते हैं और नए रिश्ते में एक नया साथी और पैसा दोनों ही उसको दिख रहा होता है ......कई हिम्मत करके यह बोल देते हैं कि मैं शादी नहीं कर सकता .... लड़कियों को इस स्थिति में तत्काल समझ जाना चाहिए कि यह एक अलार्म वाली स्थिति है लेकिन उनको लगता है कि नहीं ऐसा कैसे हो सकता है जो लड़का दिन रात मेरे पीछे दुम हिलाता था, या जो अभी भी मुझे चाहता है, या यह तो मेरे हुस्न या सुंदरता पर लट्टू था, अचानक इसको क्या हो गया (ऐसा ही वहम शायद दीपिका पादुकोण को रहा होगा लेकिन वो भी ऐसे ही टॉक्सिक रिलेशनशिप के चक्कर में डिप्रेशन में जा चुकी हैं, जिन लोगों को यह किस्सा पता नहीं तो वे गूगल अवश्य करें)..... किसी भी लड़की के लिए यह बात निश्चित रूप से ख़राब ही लगेगी कि उसके साथ हर तरह का समय बिताने के बाद यह लड़का अपने घर की या किसी स्थिति से अब पीछे हटने की बात कर रहा है, या कई बार लड़के पीछा छुड़ाने के लिए लड़ाई-झगड़ा, मार-पिटाई भी कर देते हैं ...
लेकिन इन सबके बाद भी लड़कियां कई बार यह सोचती हैं कि जिस लड़के के सामने उन्होंने अपना सबकुछ दे दिया अब कोई और उनको स्वीकार कैसे करेगा!! किसी और के सामने वो खुलकर कैसे बता पाएंगी कि उनका किसी के साथ रिश्ता था!! या अभी जो लड़का उनके साथ है वो इतना अच्छा है या देखने में इतना सुन्दर है या कोई और तर्क से सिर्फ यह सोचती हैं कि यह चला गया तो कोई दूसरा कैसे मिलेगा ...और इन्हीं सब कारणों, अपने हॉर्मोन और Bad Faith के आगे मजबूर होकर उस हिस्से की ओर आगे बढ़ जाती हैं जहाँ शुरू से ही उन्हें आगे न बढ़ने के कई indication उन्हें मिल रहे होते हैं, लड़कियों को अपने ऐसे कदम के चक्कर में समाज, परिवार और यहाँ तक की अपने जीवन के लिए देखे जाने वाले कई सपनों से समझौता या बगावत करनी पड़ती है लेकिन बस इस भरोसे से वो आगे बढ़ती जाती हैं कि उनके साथ कुछ गलत नहीं हो सकता और हकीकत कभी श्रद्धा मर्डर के रूप में तो कभी दहेज़ हत्या के रूप में तो कभी खुद जाकर सुसाइड जैसे भयावह कदम उठाने पड़ते हैं।
इस लेख में एक अंतिम बात और जोडू तो लड़कियों की फंतासी (Fantasy) की स्थिति भी कई बार गंभीर परिणामों को लेकर के आती हैं, क्योंकि हमारे भारत में लड़कियों को माँ-बाप या परिवार हमेशा बेहद देखरेख वाले तरीके से पालने की कोशिश करता हैं जैसे यह ड्रेस क्यों पहनी, इसके साथ क्यों जा रही हो, इतना क्यों खर्च कर रही हो, यह बनाना सीखो, ससुराल जाकर यह करना यहाँ नहीं चलेगा यह सब, या लड़की कमाने लगती हैं तो उसकी आमदनी पर नियंत्रण करते हैं, रात में यहाँ क्यों जा रही हो, यह क्यों कर रही हो वो क्यों कर रही हो आदि....आदि... ऐसे सब में लड़की के अंदर एक अनचाही फंतासी (Fantasy) बढ़ती जाती है कि जब शादी होगी तो यह करुँगी, वहां घूमूंगी, या कोई शादी से पहले मिल जाता है तो उससे उम्मीदें होती हैं कि वो ऐसा करेगा या उसके साथ ऐसा करुँगी!
शादी या प्यार की आरम्भिक स्थिति तो अच्छी लगती है, गाड़ियों या बाइक में बैठकर हाथ में हाथ डालकर घूमना या कुछ न कुछ जुगाड़ बनाकर पैसे इकट्ठे करके छोटे-मोटे ट्रिप प्लान करना या यादगार लम्हे गुजारना नए-नए प्रेमी युगलों को बेहद अच्छा लगता है लेकिन जब जिंदगी की हकीकत सामने आती है जिसमें रोज पेट भरने का जुगाड़ करना होता है, जिसमें एक-दूसरे के अलावा भी बहुत से काम और सपने पूरे करने होते हैं और किसी कारण से वो पूरे नहीं होते तो शुरू हो जाता है Bad Faith का खेल या कुछ सपनों को ख़त्म करने का काम और बस यहीं से रिश्तों की जटिलता समझ आनी शुरू हो जाती है।
वैसे ऊपर लिखा गया जो कुछ भी लिखा गया है वो किसी भी आदर्श रिश्ते में हो सकता है क्योंकि दुनिया में आदर्श रिश्ता जैसा कुछ नहीं होता, हाँ इतना जरूर है कि अच्छे रिश्तों में कड़वाहट इतनी नहीं होती कि बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है, हाँ संघर्ष तो होता है लेकिन जीवन में संघर्ष उतना ही होना चाहिए जो सहने लायक हो, गंभीर होती स्थिति को समय से पहले पहचानना ही समझदारी होती है अन्यथा भाग्य को, लोगों को दोष देना दुनिया में सबसे आसान काम है।
चलते-चलते ऐसी अप्रिय स्थितियों से बचने के लिए कुछ प्रैक्टिकल समाधानों को भी लिख रहा हूँ:
दुनिया में सबसे ज्यादा खुद को प्यार करें, और किसी भी चीज़ से ज्यादा अपने भविष्य के सपनों को सबसे ज्यादा सम्मान दें!
अपने जीवन का निर्धारण किसी और के भरोसे या हाथों करने से पहले खुद के हाथों से करें, अर्थात सबसे पहले अपने लिए सोचें, अपने जीवन और अपने करियर के लिए निर्धारित सपनों के लिए सोचें।
चाहें कोई प्राणों से भी ज्यादा प्यारा क्यों न हो उसपर भरोसा एक तय दायरे में ही करें, और साथ ही स्वयं से झूठ या स्वयं को झूठी तसल्ली बिल्कुल न दें, स्वयं के जीवन की स्थिति का आंकलन 100% ईमानदारी के साथ करें!
अपने माता-पिता, परिवार, मित्र या किसी भी अन्य पर एक सीमा तक ही भरोसा करें, अंत में वे भी एक इंसान हैं और वे भी इमोशन के साथ जीते हैं, संभव है कि वे आपका अच्छा ही सोचेंगे लेकिन सबकुछ ही अच्छा सोचेंगे या करेंगे ऐसा हमेशा सही नहीं होता।
अपने जीवन में किसी के भरोसे ख़ुशी पाने से पहले अपने आपको इतना प्यार दें किसी से कुछ न मिले तब भी ख़ुशी के लिए किसी का मोहताज न होना पड़े!
इमोशनल रहें, भावनाओं में बहें, अपने भरोसे या श्रद्धा को खूब कायम रखें लेकिन तर्क का भी उतना ही इस्तेमाल करें जितना आपके लिए कुछ और जरुरी है।
जीवन में कुछ भी करने से पहले अपने स्वयं के लिए एक अपनी क्षमताओं और उन क्षमताओं से कुछ ज्यादा एक लक्ष्य जरूर निर्धारित करें!
सकारात्मक साहित्य और अच्छे विचारों वाले लेखकों को लगातार पढ़ें!
जीवन में तकदीर के भरोसे न रहें क्योकिं ज्यादातर बार तकदीर हमारे किये गए कार्यों के भरोसे बैठी होती है और जीवन में हमें वैसे ही परिणाम मिलते हैं जो काम हम करते हैं। (जो बोया जाता है वो काटना ही पड़ता है, यह प्रकृति का और कर्म का अटल नियम है)
हो सके तो किसी बात का यदि आप अकेले निर्णय नहीं ले पा रहे हैं तो ऐसे लोगों से परामर्श अवश्य लें जिनसे आपको लगता है कि अच्छा समाधान या सुझाव मिल सकता है!
ऐसे कामों में समय ज्यादा दें जो आपके जीवन में बेहतर लाभ दे सकते हैं, सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा समय खर्च करने से बचें!
श्रीमदभगवत गीता के अध्याय 13 के इन श्लोकों में सम्पूर्ण जीवन का सार है, हालाँकि सिर्फ इतने से बहुत कुछ समझ में आ जाये यह कठिन है, लेकिन भगवत गीता का नियमित अध्ययन आपको बहुत सी समस्याओं के समाधान प्राप्त करने में निश्चित मदद करेगा ! इसलिए जब भी समय मिले श्रीमदभगवत गीता का अध्ययन अवश्य करें!
अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् । आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः ॥ ८ ॥
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्कार एव च । जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम् ॥ ९ ॥
असक्तिरनभिष्वङ्ग: पुत्रदारगृहादिषु । नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ॥ १० ॥
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी । विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि ॥ ११ ॥
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम् । एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ॥ १२ ॥
भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि: विनम्रता, अभिमान का त्याग (दम्भहीनता), अहिंसा, सहिष्णुता, सरलता, ज्ञानवान व्यक्ति को गुरु मानकर उनसे सीखना, पवित्रता, स्थिरता, आत्मसंयम, इन्द्रियतृप्ति के विषयों का त्याग करना, अहंकार का अभाव, जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था तथा रोग के दोषों की अनुभूति, वैराग्य, सन्तान, स्त्री, घर तथा अन्य वस्तुओं की ममता से मुक्ति, अच्छी तथा बुरी घटनाओं के प्रति समभाव, ईश्वर (भगवान कृष्ण) के प्रति निरन्तर अनन्य भक्ति, एकान्त स्थान में रहने की इच्छा, जन समूह से विलगाव, आत्म-साक्षात्कार की महत्ता को स्वीकारना, तथा परम सत्य की दार्शनिक खोज - इन सबको मैं ज्ञान घोषित करता हूँ और इनके अतिरिक्त जो भी है, वह सब अज्ञान है।
इस लेख में मेरी ओर से कोशिश की गई है कि तथ्यों, तर्कों और जीवन में सैकड़ों लोगों से मिले अनुभवों के आधार पर ही विचारों को संकलित करके आप सभी को साझा करूँ, वैसे अभी भी इस विषय पर लिखने को इतना कुछ है कि एक बड़ा संकलन तैयार किया जा सकता है, और साथ ही मेरे पुरुष मित्रों को लेकर भी बहुत कड़ा लिखा हूँ जिसके लिए दिल से खेद हैं लेकिन क्योंकि लेख का जो विषय है उसके इर्द-गिर्द ईमानदारी से लिखने का प्रयास किया है, लेकिन यह वादा है कि मानवीय रिश्तों और उनके व्यवहारों के ऊपर मेरी ओर से यह श्रंखला अब लगातार जारी रहेगी जिसमें पुरुषों के भावनात्मक पहलुओं पर भी गहराई से लिखूंगा!
आशा है कि आप सभी को इस लेख में दिए गए विचार सही लगे होंगे, यदि किसी विषय, तथ्य या विचार से आपकी कोई असहमति है या आपके पास भी इस लेख के विषय के इर्द-गिर्द कुछ और विचार या अनुभव साझा करने हों तो मुझे मेरी ईमेल [email protected] पर अवश्य लिखकर के भेजें, आपके सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी!
आपका !
आयुर्वेदाचार्य डॉ. अभिषेक !!
The timing of food intake can affect weight loss in several ways. Eating at regular intervals throughout the day, rather than skipping meals or having large gaps between meals can help regulate hunger and prevent overeating.
Eating a larger breakfast, a moderate lunch, and a smaller dinner has also been shown to be beneficial for weight loss. In addition, eating a healthy snack before bedtime can help prevent late-night snacking, which can lead to weight gain. However, it is important to note that overall calorie intake and balance of macronutrients are more important than the timing of meals for weight loss.
Breakfast
Eating a nutritious breakfast within the first hour of waking can jumpstart metabolism and provide energy for the day. It regulates our hunger hormones and keeps us fuller and pleased for longer. Skipping breakfast can lead to overeating later in the day and slow metabolism. No matter what, don't skip meals. Skipping breakfast is frequently linked to a number of unhealthy indicators, including weight gain and decreased glucose metabolism. People frequently find that eating breakfast reduces impulsive snacking and prepares the body for a day of healthy nutrition. Your metabolism can be boosted for the day by having a well-balanced breakfast that includes high-fiber foods like berries and a decent source of protein like Greek yogurt.
Lunch
Although lunch should be your largest meal of the day, the timing of lunch seems to have the least impact on weight loss (along with breakfast if consumed). This relates to the fact that the body is more effective earlier in the day at digesting food, burning calories, and controlling hormones thanks to those circadian rhythms. Eating a balanced lunch that includes protein, whole grains, and vegetables can help control hunger and keep energy levels steady throughout the afternoon. Skipping lunch can lead to overeating or making poor food choices later in the day. According to studies, the best time to eat lunch is between 12 and 2 p.m. We must, of course, keep in mind that we are all unique, so this may not apply to everyone. If you're busy or distracted, skipping lunch could be tempting, but it might lead to issues later in the day. By depriving your body of energy, skipping lunch might leave you feeling groggy or sleepy. Furthermore, you may become unusually hungry in the afternoon, leading to overeating at your final meal. Finally, listening to your internal cues to identify your hunger level and making the right option is the best strategy.
Dinner
Eating a light dinner that is low in calories and high in nutrients can help with weight loss. Eating a heavy dinner close to bedtime can cause weight gain as the body is less active and burns fewer calories during sleep. Eating a late dinner may also disrupt sleep, which can lead to weight gain. The ideal time for your last meal of the day is at least three to four hours before you go to bed. A late meal or eating too late at night may increase your risk of obesity and metabolic disturbances like dyslipidemia and hyperglycemia, according to studies. Those who consumed more calories at dinner than they did at breakfast had more pronounced insulin resistance. This result implies that cutting back on dinnertime calories may eventually help lower insulin resistance. Soup, grilled chicken or fish, a big bowl of salad, multigrain roti with palak paneer, or boiling chana masala are all acceptable options for dinner.
For those attempting to reduce weight, meal timing is a crucial component. All of the major food categories should be present in a balanced meal for you. Keep all food groups in your diet. If you want to reduce weight, choose little, regular meals rather than 3 large ones. Between meals, consume a healthy drink or a healthy snack. Also, keep track of the time you consume each meal. (Dr. Rohini Patil, MBBS, Nutritionist and CEO of Nutracy Lifestyle)
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In the early period of the development of Ayurveda, Ashwini Kumars had a great reputation as miraculous wonderful Vaidyas. Chyawan was the descendant of Rishi Maharishi Bhrigu (who was a great personality scholar and who made birth charts of millions of people which is still authentic today). When Chyawan Rishi became very old, he prayed to Ashwini Kumars for his youth recovery. Ashwini Kumars prepared a divine medicine for Sage Chyawan, due to which Rishi Chyawan again attained the youth stage. This divine medicine is called Chyawanprash after the name of Chyawan Rishi.
For this, the Ashwini Kumars discovered eight medicinal plants of Ashtavarga and performed the miracle of making Chyawan Rishi's grumpy, old body young again.
भार्गवश्च्यवन कामी वृद्धः सन् विकृतिं गतः।
वीर्य वर्ण स्वरोयेत कृतोऽश्रिभ्या पुनर्युवा॥ (Bhava Prakash, 1-3)
According to Ayurveda, Chyawanprash is necessary along with medicines given for the diagnosis of weakness, chronic cold and cough including lung and tuberculosis. In Chyawanprash, herbs that increase immunity, Amla, Giloy, and Ashtavarga are in abundance, Chyawanprash also proves to be very helpful in the development of memory, intelligence, and body.
Chyawanprash also known as Chyavanaprasam is an effective supplement with almost 50 ingredients to fight bacteria(disease-causing), improves the digestion process, strengthens your body internally, helps in blood purification, and prevents catching minor infections. Chyawanprash is manufactured by the renowned ayurvedic companies Dabur, Baidyanath, Zhandu, Multani, Shri Shri, dhootapapeshwar. Its scientifically proven herbs are bilya, amla, brahmi, pippali, yashtimadhu, and Gokshura. Chyawanprash is a non-drowsy formula with no alcohol.
Ayurveda Doctors consider Chyawanprash to be an excellent Ayurvedic formulation to help keeps you fit by protecting you from day-to-day ailments like cough and cold. It is 100% Ayurvedic and safe and available in awaleha form in the market. This awaleha dosage depends on the gender, weight, age, and condition of the patient. So let's start this article in which you will get complete information about Chyawanprash.
Chyawanprash Ingredients
Awaleha Prakarana composition, each 100g is prepared from:
Bilya
Amla
Brahmi
Pippali
Yashtimadhu
Gokushura
Patala
Agnimotha
Gambhari
Shyonaka
Shalaparni
Prishniparni
Brihati
Kantkari
Karkatshringi
Draksha
Guduchi
Haritaki
Bala
Tamalaki
Vasa
Jiwanti
Shati
Musta
Pushkara
Kakanasika
Mashaparni
Mudgaparni
Vidari
Punarnava
Utpala
Sukshmaila
Agaru
Shweta Chandan
Riddhi
Vriddhi
Meda
Mahameda
JIvaka
Rishabhak
Kakoli
Kshirkakoli
Ghirta
Tila
Sharkara
tvakpatra
Sukshamaila
nagkesra
Abhrak Bhasma
Tamala
Vamsha
Akarkarabha
Lavanga
Kumkum
Chyawanprash Benefits
Chyawanprash Benefits for Immunity
According to Ayurveda, Chyawanprash strengthens the immune system by meeting our caloric requirements and giving us instant energy. It eliminates the negative impacts of insufficient food in the necessary nutrients and thus prevents Karshya disease caused by malnutrition. Therefore, the Balya property or quality of Chyawanprash to give us strength increases our immunity and strengthens our immune system.
Chyawanprash Benefits for Kids
The Ayurvedic point of view holds that the Rasayana properties, i.e. the rejuvenating properties of Chyawanprash which fight against degeneration and aging caused by the passage of time, and the Balya property of Chyawanprash help improve the immunity of children and helps to grow healthy individuals.
Chyawanprash Benefits for Brain
Ayurveda, taking a different route, also shows that Chyawanprash has far-reaching consequences for the brain. Ayurveda is of the opinion that poor memory correlates with Kapha inactivity, or it can also occur if Vatadosha is aggravated in people. Daily consumption of Chyawanprash can undo VataDosha aggravation and improve brain functioning. Ultimately, the Medhya properties of Chyawanprash also help improve our intelligence.
Chyawanprash Benefits for Acidity
According to the Ayurvedic point of view, Chyawanprash relieves us from acidity because it possesses Deepan and Pachan properties, which respectively refer to the appetizer and digestive properties of Chyawanprash.
Chyawanprash Benefits for Asthma
Ayurvedists also claim that Chyawanprash can relieve asthma by reducing its symptoms like coughing and shortness of breath. Asthma, which is known as Swas Rog in Ayurvedic parlance, is caused by a blockage in the airways, which in turn results from Kapha and Vata doshas, which are the two doshas associated with asthma in the world of asthma. Ayurveda. Chyawanprash helps balance Kapha and removes excess mucus from our lungs, thus providing a remedy for asthma.
Taking two to three tablespoons of chyawanprash daily for two to three months can go a long way in controlling asthma.
Chyawanprash Benefits for Cold
Chyawanprash is considered one of the best-known remedies for cough and common cold. In the Ayurvedic dictionary, cough is known as Kapha disorder. The rejuvenating properties of Chyawanprash or its Rasayana properties allow for the removal of the accumulation of mucus in the respiratory tract, which is the main cause of cough. Thus, it helps control Kapha disorder and strengthens our lungs. Mixing chyawanprash with honey and taking it daily before meals in winter can help prevent cough.
Chyawanprash Side Effects
Prescriptions have been reported to be very beneficial in the treatment of countless health conditions, but you still need to consume them in the prescribed amount. Excessive intake without consulting a doctor can cause indigestion, flatulence, bloating, diarrhea, and bloating.
Chyawanprash Dosage
The recommended dosage of Chyawanprash is for:
Adult: 1 teaspoonful(approx 12g) twice a day
Children: Half teaspoonful (approx 6g) twice a day
Best when followed by milk, for the correct dosage consult your Ayurveda doctor.
Chyawanprash Shelf Life
Chyawanprash shelf life is 36 months from the manufacturing date.
Chyawanprash Storage & Safety Information
Chyawanprash storage and safety information are:
Read the label carefully before use
Use under medical supervision
Store in a cool and dry place
Chyawanprash Price
Rs. 340 (1kg)
Frequently Asked Questions
Q. What is Dabur Chyawanprash?
Ans. Chyawanprash is also known as Chyavanaprasam is an effective supplement with almost 50 ingredients to fight with bacteria(disease-causing), improves the digestion process, strengthens your body internally, help in blood purification and prevents catching minor infections.
Q. Who is the manufacturer of Dabur Chyawanprash?
Ans. Dabur Chyawanprash is manufactured by the renowned ayurvedic company Dabur Pharmaceutical LTD.
Q. How to use Chyawanprash?
Ans. You can use chyawanprash with the milk., for the correct use consult your Ayurveda doctor.
Q. Is Chyawanprash safe?
Ans. Yes, Chyawanprash effective Ayurvedic awaleha provides 50 ingredients to fight bacteria(disease-causing), improves the digestion process, strengthens your body internally, helps in blood purification, and prevents catching minor infections.
Q. What is Chyawanprash used for?
Ans. Chyawanprash Ayurvedic formula which is used to fight with bacteria(disease-causing), improves the digestion process, strengthens your body internally, helps in blood purification, and prevents catching minor infections.
Q. Does the Chyawanprash work?
Ans. Chyawanprash may play a beneficial role in improving the digestion process, strengthening your body internally, and helps in blood purification.
Q. How much Chyawanprash can you take?
Ans. The recommended dosage of Chyawanprash is for:
Adult: 1 teaspoonful(approx 12g) twice a day
Children: Half teaspoonful (approx 6g) twice a day
Best when followed by milk, for the correct dosage consult your Ayurveda doctor.
Q. Is Chyawanprash effective?
Ans. Yes, Chyawanprash is an effective awaleha.
Q. Does Chyawanprash have any side effects?
Ans. Prescriptions have been reported to be very beneficial in the treatment of countless health conditions, but you still need to consume them in the prescribed amount. Excessive intake without consulting a doctor can cause indigestion, flatulence, bloating, diarrhea, and bloating.
Q. Is the use of Chyawanprash safe for the stomach?
Ans. Chyawanprash is considered safe for the stomach.
Q. Can I take Chyawanprash with lukewarm water?
Ans. Yes, you can take Chyawanprash with lukewarm water.
Q. Is Chyawanprash addictive or habit-forming?
Ans. No, addictive or habit-forming is produced by Chyawanprash.
Q. Is the use of Chyawanprash safe for children?
Ans. Chyawanprash effect for children is safe.
Chyawanprash Reference
Charak Samhita
https://www.dabur.com/in/en-us/ayurvedic-herbal-products/dabur-chyawanprash
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6571565/
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6571565/
Diwali is the time of year when we completely overindulge in unhealthy bingeing. Festivals not only call for a party, but they also provide us with an excuse to eat a variety of delectable dishes and sweets. You must have eaten your fair share of delicacies. While indulging in your favourite food, it is also important to maintain a healthy balance. Binge eating at a festival also means your body is filling up on toxins, which can make you feel sick or lethargic.
Here are five ways to help your body detoxify efficiently post-festival shared by Dr. Archana Batra, a Nutritionist, Certified Diabetes Educator & Physiotherapist.
Keep Yourself Hydrated
Water is necessary for many reasons, including infection prevention, organ function, nutrient delivery to cells, body temperature regulation, joint lubrication, and so on. Furthermore, drinking purified water is one of the most important things you can do to help your body flush out toxins. The importance of staying hydrated to flush out toxins cannot be overstated. Water consumption at regular intervals throughout the day is essential for keeping our metabolism active. If you're feeling lazy, keeping a water bottle on hand is the best way to remind yourself to drink water.
Avoid Sugary Foods
Avoid artificial sugar for at least one to two weeks after the festival to heal yourself and get back on track with a healthy lifestyle. Say no to sugary foods such as sweets, bakery items, colas, and so on. This gives your body time to heal and recover. You can make a detox shake with plant-based protein powder to help your liver function properly. You can also make a veggie scramble with avocado cooked in coconut oil.
Indulge in Exercising
A healthy mind can only exist in a healthy body. The flurry of celebrations, visits to friends and relatives, and sleepless nights have an impact on mental health as well. Even a few minutes of yoga or meditation practice will ensure the proper alignment of a healthy mind and body. You should always begin with lighter workout sessions rather than jumping right into the intense ones. Go for a walk, take in some fresh air, run around, and burn off the toxins and excess fat in your body. A good workout will improve your immunity and mood, making you feel more resilient and healthy.
Add More Fibre to Your Diet
High-fibre foods are essential for bowel health. During the holiday season, we eat anything and everything. As a result, after the festivities, your diet should be high in fibre. Beans, lentils, chia seeds, oranges, pears, apples, carrots, cauliflower, oatmeal, quinoa, almonds, and more are the plant-based options. If festivals are your cheat days, you must make amends with your body when you return to normal days. It will aid in the maintenance of your health.
Get Enough Sleep
Adequate sleep is essential for overall health and the natural detoxification of the body. A good night's sleep allows your brain to organise itself and eliminate the toxic waste products that it has absorbed throughout the day. Avoiding excessive computer screen use, adhering to a sleep cycle, and limiting blue light exposure just before bedtime can all help improve sleep patterns. (N. Lothungbeni Humtsoe)
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