लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के विशेषज्ञों के अनुसार, आंखों और पैरों के आसपास सूजन, एनीमिया और कभी-कभी सिरदर्द और उल्टी, क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) के शुरूआती चेतावनी संकेत हो सकते हैं।
नेफ्रोलॉजी विभाग के कार्यवाहक प्रमुख प्रो विश्वजीत सिंह ने कहा कि क्रोनिक किडनी रोग का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाना मुश्किल है क्योंकि इसके छिपे हुए लक्षण हैं। लगभग 60 प्रतिशत रोगी बीमारी के अंतिम चरण में जान पाते हैं। उस समय तक, डायलिसिस या अंग प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प बचता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी को अंगों (विशेषकर आंखों और पैरों) में सूजन, कम हीमोग्लोबिन, कभी-कभी सिरदर्द और उल्टी होती है, तो नेफ्रोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए, खासकर अगर उन्हें उच्च रक्तचाप या मधुमेह है।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि यदि किसी रोगी का प्रारंभिक अवस्था में निदान किया जाता है, तो इसे दवाओं द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है।
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ लक्ष्य कुमार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में क्रोनिक किडनी रोग की संख्या बढ़ रही है क्योंकि भारत में हर तीसरे व्यक्ति को उच्च रक्तचाप है। इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक नहीं जानते कि उन्हें यह बीमारी है।
और अन्य जो जानते हैं, केवल 50 प्रतिशत ही अपनी दवाएं लेते हैं। इसलिए, लगातार उच्च रक्तचाप के कारण, गुर्दे की छोटी रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
डॉ कुमार ने कहा कि हालांकि, स्वस्थ आहार, तनाव प्रबंधन और नियमित व्यायाम का पालन करके लोग क्रोनिक किडनी रोग से बच सकते हैं।
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Swelling around the eyes and legs, anaemia and occasional headache and vomiting, could be early warning signals of chronic kidney disease (CKD), according to experts at Lucknow's King George's Medical University (KGMU).
Officiating head of nephrology department Prof Vishvajeet Singh said: "Chronic kidney disease is hard to detect in its early stages because of its veiled symptoms. Nearly 60 per cent of the patients come at the end-stage of disease. By that time, dialysis or organ transplant is the only option left."
He cwarned that if anyone witnessed swelling in limbs (especially eyes and legs), low haemoglobin, occasional headache and vomiting, he or she must consult a nephrologist, especially if they have hypertension or diabetes too.
"If a patient is diagnosed at an early stage, it can be managed by medicines," said Prof Singh.
Nephrologist Dr Lakshya Kumar said" "Chronic kidney disease numbers are increasing over the years because every third individual in India has hypertension. Of these more than 60 per cent do not know that they have it.
And others who know, only 50 per cent end, up taking their medicines. Hence, due continuous high blood pressure, the tiny blood vessels in the kidneys get damaged."
However, people could avoid chronic kidney disease through following a healthy diet, stress management and regular exercise, Dr Kumar added.
Chief medical superintendent, Prof S.N. Shankhwar informed that low haemoglobin or severe anaemia could be because kidneys are not producing enough of the hormone erythropoietin.
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Patna, Aug 17 (IANS) Four persons including 3 minors died in Bihar's Nawada district on Monday night. They were suffering from anaemia and also had symptoms of typhoid.This was the second such incident in the last one week. Earlier, three children died in the same district.The deceased were identified as Rinki Kumari, Karisma Kumari, Lado Kumari and their aunt Sonam Devi. All of them were residents of Baratandi village. Another minor girl named Vibha Kumari is battling for her life in RIMS Pawapuri."As soon as we learnt about the incident, a medical team was rushed to the village. I also visited the place and directed the medical team to give corona vaccine to every villager," said Yashpal Meena, district magistrate of Nawada."Preliminary medical reports revealed that the patients were suffering from anaemia. Their haemoglobin was low and it resulted in typhoid. The victims were admitted in Sadar hospital Nawada. As their condition was not improving, the doctors referred them to PMCH for better treatment. The family members of the victims refused to go there for treatment," said a senior officer of the medical team.--IANS ajk/bg
एनीमिया की परिभाषा - Anemia Defination in Hindi
सामान्य भाषा में शरीर में खून की कमी होने की एनीमिया कहा जाता है लेकिन चिकित्सीय परिभाषा के अनुसार एनीमिया वह अवस्था है जिसमे रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा अर्थात लाल रक्त कणिकाओं की संख्या सामान्य से इतनी कम हो जाए की वह उस व्यक्ति की शारीरिक आवश्यकता को भी पूर्ण न कर पाए।
आयुर्वेद में एनीमिया - Anemia in Ayurveda
एनीमिया स्वतंत्र व्याधि होने के साथ साथ कई व्याधियों जैसे ख़ूनी बवासीर, रक्तप्रदर, डेंगू , मलेरिया या अन्य कोई व्याधि जिसमे रक्त का क्षय होता हो, उनमें उपद्रवस्वरुप भी देखने को मिलता है। वैसे तो एनीमिया बहुत छोटी सी व्याधि प्रतीत होती है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह सबसे गंभीर वैश्विक सार्वजनिक समस्याओं में से एक है। आयुर्वेद में इसे पाण्डु नाम से कहा जाता है , जो मुख्य रूप से पित्त ( भ्राजक पित्त ) तथा पितवर्गीय रक्त की दुष्टि या अल्पता से होता है।
एनीमिया के लक्षण - Anemia Symptoms in Hindi
त्वचा नख नेत्र का वर्ण पीला सफ़ेद हो जाना
थोड़ा सा काम करने पर ही पूरे शरीर में कमजोरी का अनुभव होना
सांस फूलना
नेत्र के आस पास सूजन होना
हृदय गति का बढ़ जाना
स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाना
घबराहट होना
हमेशा नींद आते रहना
पिंडलियों , कमर और पैरों में दर्द होना
ठंडी चीजे पसंद न होना।
एनीमिया के कारण - Anemia Causes in Hindi
किसी बीमारी के चलते या किसी अन्य कारण की वजह से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं या हीमोग्लोबिन का कम मात्रा में बनना या अधिक मात्रा में लाल रक्त कणिकाओं का नष्ट होना।
भूखा रहना
लौह युक्त आहार का सेवन बिलकुल न करना या कम मात्रा में करना।
रक्तस्रावजन्य बीमारियों जैसे रक्तार्श , रक्तपित्त , रक्तप्रदर , हीमोफिलिया आदि से ग्रसित होना।
पाचन शक्ति का कम होना।
यकृत सम्बंधित कोई विकार होना।
शक्ति से अधिक व्यायाम करना।
दिवास्वपन( सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक किसी भी समय सोना।
दुर्घटना होने या आघात लगने पर अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव हो जाना।
अत्यधिक मात्रा में खट्टे , मिर्च मसालों वाले तथा नमक युक्त आहार का सेवन करना।
आये हुए मल - मूत्र आदि के वेगों को रोकना।
मिट्टी खाना।
एनीमिया डायग्नोसिस - Anemia Diagnosis
सी बी सी ( कम्पलीट ब्लड सेल काउंट )
बोन मेरो एनालिसिस
एनीमिया से बचने के लिए हमें क्या-क्या खाना चाहिए?
पाचन तंत्र को अच्छा बनाये रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करे।
अपने आहार में रक्त को बढ़ाने वाले भोज्य पदार्थो जैसे पालक , किसमिस , अनार , चुकुन्दर , आंवला , छुहारे आदि को शामिल करे।
गेहूं , यव तथा मूंग , अरहर , मसूर की दाल का सेवन करे।
खाना बनाने के लिए आयरन के बर्तन का प्रयोग करे।
पचने में आसान भोजन का सेवन करे।
एनीमिया में क्या न करे?
मिर्च मसालो युक्त भोजन का सेवन अधिक मात्रा में न करे।
दिवास्वपन न करे।
अधिक मात्रा में अल्कोहल का सेवन न करे।
नॉन वेज, अंडा तथा पचने में भारी और अपच करने वाले आहार का सेवन न करे।
एनीमिया के घरेलू उपाय ? - Anemia Home Remedies in Hindi
२५-३० किसमिश लेकर उनको रात भर पानी में भिगो दे और सुबह नाश्ते में खा ले।
दूध के साथ ख़जूर और भीगे हुए अंजीर का सेवन करे।
२-३ चम्मच मेथी में बीज लेकर रात में भिगो दे और फिर सुबह इस भीगी हुए मेथी में चावल बनाकर उसमे सैंधा नामक मिलकर लगभग एक महिने तक सेवन करे।
काले तिल को २-३ घंटे तक गर्म पानी में भिगो कर उसका पेस्ट बना ले फिर इस पेस्ट में गुण और शहद मिलाकर दूध से ले।
तक्र का सेवन करे।
एनीमिया से संबंधित प्रश्न और उत्तर - Anemia Related FAQs in Hindi
प्रश्न - क्या एनीमिया एक आनुवंशिक विकार है?
उत्तर - सभी तो नहीं लेकिन कुछ एनीमिया आनुवंशिक होते है जैसे सिक्क्ल सेल एनीमिया , थलेसिमिआ आदि ।
प्रश्न - यदि समय से एनीमिया का उपचार न किया जाये तो क्या कॉम्प्लीकेशन्स हो सकते है?
उत्तर - यदि समय से एनीमिया का उपचार न कराया जाये तो ह्रदय और फेफड़ो सम्बन्धी विकार होने का खतरा बढ़ जाता है।
प्रश्न - एनीमिया का मुख्य लक्षण क्या है?
उत्तर- एनीमिया का मुख्य लक्षण है थोड़ा सा काम करने पर ही कमजोरी का अनुभव होना , आँखों के सामने अँधेरा छा जाना।
प्रश्न - गर्भावस्था के दौरान होने वाले एनीमिया कौन से है?
उत्तर- गर्भावस्था के दौरान मुख्य रूप से होने वाले एनीमिया है - आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया , फॉलेट डेफिशियेंसी एनीमिया , विटामिन बी की कमी से होने वाला एनीमिया।
प्रश्न - गर्भावस्थाजन्य एनीमिया के क्या क्या कॉम्प्लीकेशन्स हो सकते है?
उत्तर- गर्भवस्थाजन्य एनीमिया का यदि समय रहते उपचार न किया जाये तो इसकी वजह से विभिन्न प्रकार की जन्म्जात विकृति जैसे इस्पीना बाइफिडा जो की एक प्रकार की न्यूरल टियूब विकृति है हो जाती है और साथ ही समय पूर्व प्रसव होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है।
प्रश्न -आयुर्वेद में एनीमिया के लिए क्या उपचार है?
उत्तर-आयुर्वेद में एनीमिया का वर्णन पाण्डु नाम से आया है और इसके उपचार के लिए तीक्ष्ण वमन और विरेचन कराने को कहा गया है।
Read in English ► Anemia: Symptoms, Causes, and Treatment
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