मधुमेह : दीमक की तरह शरीर को खोखला करने वाली बीमारी - Diabetes and Ayurveda : Cause, Diagnosis and Cure in Hindi
मधुमेह (डायबिटीज) रोग बड़ी तेजी से फैल रहा है. इसका कारण बीज दोष अर्थात आनुवांशिक के अतिरिक्त हमारी बदलती जीवनशैली है. हमारे जीवन में शारीरिक श्रम की कमी मानसिक श्रम की अधिकता असंयमित अप्थयाहार का अधिक सेवन हमारी जठराग्नि को मंद का पाचन एवं मेटाबालिज्म को दूषित कर देता है तथा हमारी च्यापचय की प्रक्रिया अस्त-व्यस्त हो जाती है , फलस्वरूप मधुमेह की तरह के मेटाबालिक रोग पनपते हैं. यह रोग दीमक की तरह शरीर को खोखला करता जाता है, अतः इसके लिए प्रारम्भ से सचेत रहने की जरुरत है. परंतु इसमें घबड़ाने या तनाव पालने की आवश्यकता नहीं है. यदि आप जीवनशैली में थोड़ा परिवर्तन करेंगे तथा डॉक्टर के बताये आहार-विहार का सेवन करेंगे एवं सुनाये टोटकों को छोड़ कर चिकित्सक की सलाह से नियमित दवाई लेंगे तो तथा पथ्य-अपथ्य का ईमानदारी से पालन करेंगे तो आप न केवल इस रोग से बचे रहेंगे. जब आपका रक्त शर्करा नियंत्रण में रहेगा तो आप स्वस्थ और दीर्घायु जीवन व्यतीत कर सकते हैं. कहीं भी गड़बड़ होने पर यह पुनः बढ़ जाती है.
मधुमेह क्यों होता है? - Diabetes Causes in Hindi
मधुमेह उन्हें होता है जो मीठे एवं नये अन्न का अधिक सेवन करते हैं जिन्हें सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं तथा शारीरिक श्रम बिल्कुल नहीं करते तथा व्यायाम भी नहीं करते. अर्थात जिन लोगों के जीवन में शारीरिक श्रम या व्यायाम को स्थान नहीं होता, उन्हें मधुमेह का खतरा होता है.
अग्नाशय (पेनक्रियाज) दे स्त्रवित होने वाला इन्सुलिन जब मात्रा या गुणवत्ता में कम होता है तो उसे मधुमेह होता है अर्थात इन्सुलिन के कम होने पर ब्लड शूगर की मात्रा बढ़ती है.
आजकल तनाव भी मधुमेह का सहायक कारण है.
कुछ औषध जैसे स्टेरॉयड (steroid) मधुमेह का जनक हो सकता है.
अनेक बार गर्भिणी स्त्री को गर्भावस्था में अस्थायी मधुमेह हो सकता है परन्तु प्रसव के बाद रक्त में ग्लूकोज की मात्रा पूर्ववत हो जाती है.
मधुमेह दो प्रकार का होता है - Diabetes Types in Hindi
1- इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज iddm type1
इस प्रकार के मधुमेह में इन्सुलिन का निर्माण नहीं होता. अतः रोगी को इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन देकर ही चिकित्सा की जाती है.
2- नॉन इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज nddm type 2
यह वयस्कों में पायी जाती है. इसमें औषध द्वारा चिकित्सा हो सकती है.
3- सैकेंडरी डायबिटीज : किसी अन्य रोग या औषध के प्रतिकूल प्रभाव के कारण होने वाला मधुमेह.
मधुमेह के सामान्य लक्षण : Diabetes Symptoms
1- अधिक बार मूत्र आना
2- भूख अधिक लगना
3- प्यास अधिक लगना
4- पिंडलियों में दर्द होना
5- वजन कम होना
6- शरीर में कमजोरी महसूस होना
7- घाव का देर से भरना
8- जनजांगों में खुजली
9- नेत्र ज्योति का कम होना. जल्दी-जल्दी चश्में का नंबर बदलना.
10- यौन शक्ति का ह्रास
11- हाथ-पैर में जलन, सूई सी चुभना
यदि उपरोक्त लक्षणों में अधिकतर लक्षण आपको मिलते हैं तो मधुमेह के बारे में जरुर जांच कराएं तथा चिकित्सक से सलाह लें. यदि खड़े होने पर बैठने को मन करे तथा सोने का हमेशा मन करें तो मधुमेह हो सकता है. पेशाब में अधिक बदबू हो, मुख में हर समय मैल घुला जैसा लगे तो भी इस रोग के बारे में सोंचना चाहिए.
मधुमेह का निदान - Diabetes Diagnosis
मधुमेह का निदान रक्त में ग्लूकोज की मात्रा नाप कर किया जाता है. रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) की मात्रा सामान्य से अधिक होने पर
दस घंटे या पूरी रात के उपवास के पश्चात फास्टिंग रक्त शर्करा 104 mg/dl. से अधिक होना.
भोजन के दो घंटे के बाद p.p. रक्त शर्करा 150mg/dl. से अधिक हो .
यदि रैंडम ब्लड शूगर 200 से अधिक है तो मधुमेह की संभावना है.
जी.टी.टी तथा ग्लाईकोसिलेटिड हिमोग्लोबिन परीक्षण द्वारा भी निदान निश्चित होता है.
यदि मधुमेह की चिकित्सा ठीक तरह नहीं ली जाती तथा पथ्य-अपथ्य का ध्यान नहीं रखा जाता तो रक्त शर्करा का स्तर शरीर में बहुत अधिक बढ़ जाता है जो घातक है. इसे हाईपर ग्लाइकोसीमिया कहते हैं.
इसको डायबिटीज कोमा के नाम से निदान किया जाता है इसका तुरन्त इलाज कराना चाहिए तथा बड़े अस्पताल में जहाँ गुर्दे रोग विशेषज्ञ भी हो इलाज कराएं.
इन लक्षणों को देखकर घातक हाइपर ग्लाइकोसीमिया के बारे में जानें - Hyper glycosemia Symptoms in Hindi
1- बहुत अधिक प्यास लगना
2- अधिक खाने की इच्छा होना
3- बार-बार अधिक पेशाब आना.
4- हांफना, सांस लेने में कठिनाई.
5- उल्टी होना, जी मिचलाना.
6- पेट फूलना व पेट में दर्द.
7- शरीर में पके फलों की गंध आना.
इस प्रक्रिया में कभी-कभी भयंकर परिस्थिति आ जाती है. अतः भ्रामक विज्ञापनों के चक्कर में कभी न पड़े तथा दवाई व परहेज न छोड़े.
दवाई कम या अधिक चिकित्सक की सलाह से करें. विशेषकर एलोपैथिक दवाई जिसे अधिक लेने से कभी-कभी रक्त शर्करा इतनी कम हो जाती है कि घातक एवं मारक स्थिति आ जाती है.
इन लक्षणों को देख कर हाइपोग्लाइसीमिया का अनुमान लगाएं
1- हाथ पैर ठंढे होना
2- शरीर अचानक अधमरा सा होने लगे
3- शरीर में ठंढा पसीना आने लगे
4- आँखों के सामने अंधेरा छाना
5- अचानक टांगों में कमजोरी
6- दिल जोर-जोर से धड़कना
7- घबराहट
8- सिर चकराना
9- मन में असमंजस की स्थिति की स्थिति होना
यह स्थिति आने पर तुरंत बिना समय बर्बाद किए चीनी, ग्लूकोज या शरबत दे. लक्षण शुरू होने पर तुरन्त कुछ भी मीठा हो खा लें. यह तरीका घातक अवस्था नहीं आने देता. तुरन्त अस्पताल ले जाएँ. डॉक्टर को बुलाने में समय बर्बाद न करें.
यह खतरा आयुर्वेदिक दवाई के साथ नहीं होता. इसकी अधिक मात्रा भी लेने से रक्त शर्करा का स्तर एक दम कम नहीं होता. यह एक खूबी है आयुर्वेदिक दवाई की.
आयुर्वेद में इसके नियंत्रण के लिए जीभ पर कंट्रोल करने की बात कही है.
भिक्षु की तरह अभिमान त्याग कर जीने की बात का निर्देश दिया है अर्थात चारों तरफ घूम-घूम कर रूखा-सूखा व अल्प कैलोरी भोजन लेने की सलाह दी है.
मधुमेह का चिकित्सा सिद्धांत - Diabetes Treatment in Hindi
1- ब्लड शुगर को कम करना.
2- इन्सुलिन बनाने वाली निष्क्रिय कोशिकाएं उत्तेजित करना
3- शरीर में बल ऊर्जा की वृद्धि करना
4- पाचन व धातुपाक (मैटाबालिज्म) को ठीक करना
5- रोग के कम्पलीकेशन को रोकना
इसके लिए जीवनशैली में परिवर्तन, खान-पान में परिवर्तन के साथ औषध का सम्यक मात्रा में प्रयोग निरंतर कराना जरुरी है.
आहार में षडरस (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) होते हैं कटुतिक्त कषाय रस अधिक सेवन करें तो मधुमेह में लाभ होता है. यदि सामान्य जीवन में ये छः रस निरंतर सेवन करे तो मधुमेह जैसे रोग कम होंगे. अक्सर हम मीठा खट्टा, नमकीन खाते हैं, कड़वा, तीखा, कषैला नहीं खाते. जब मधुमेह हो जाता है तो ये ही खाने होते हैं. मीठा बंद हो जाता है. अम्ल लवण भी कम करना पड़ता है अतः षडरस युक्त आहार ले अन्यथा मधुमेह होने पर नीम, करेला, आंवला, मेथी जैसे पदार्थ खाने पड़ते हैं. ये मधुमेह नियंत्रण में महत्वपूर्ण भी है. आयुर्वेद में अर्धबल व्यायाम की वकालत करते हुए नियमित योग एवं व्यायाम का निर्देश इस रोग की चिकित्सा में बताया है.
मधुमेह रोगी के लिए पथ्यापथ्य - Diabetic Patient Diet in Hindi
पथ्य (जो खा सकते हैं)
पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई, चना, सरसों साग, सेम फली, ग्वार फली, सहिजने फली, फ्रेंच बीन्स, मूंगरे, छोलिया, परवल, टिंडा, लौकी, तोरई, कुंदरू,करेला, गोभी, मटर, बैंगन, भिण्डी, शिमला मिर्च, सीताफल, ककड़ी, खीरा, मूली, शलजम, गाँठ गोभी, पत्ता गोभी, नींबू, टमाटर, प्याज, लहसुन, सलाद पत्ता, कढी पत्ता, आंवला, कच्चा केला, कच्चा आम, कच्ची हल्दी, पुदीना, हरा धनिया, भूने चने, काली जीरी, जौ, मेथी दाना (भिंगोकर), भूनी अलसी, भूना बाजरा.
दाल - सोयाबीन, अंकुरित दालें, मूंग दालें, मूंग बड़िया, बेबी कोर्न, मूंग साबूत, चना दाल, अरहर दाल, मोठ, मसूर दाल, मूंग दाल, काला चना, राजमा, काबुली चना, लोबिया, मटरा, दलिया.
फल - सेब, पपीता, नाशपाती, अमरुद, मौसमी, फीका तरबूज, आलूबुखार, आडू, बेर, लौकाट, कीवी, फीका खरबूजा, पनीर, छाछ, डबल टोंड दूध, फीकी चाय व कॉफी, नींबू पानी एवं नारियल पानी.
अपथ्य (जो नहीं खा सकते)
चीनी, शक्कर, गुड़, मिश्री, बताशे, बूरा, मिठाई सभी प्रकार की गज्जक, मुनक्का, खजूर, किशमिश, केक, पेस्ट्री, मीठे बिस्कुट, चाकलेट, जैम, जैली, मीठी चटनी, मीठा अचार, च्वयनप्राश, शहद, दही, कोक, मीठी चाय, मीठी कॉफी, शीतल पेय, मैंगो शेक, चीकू शेक, बनाना शेक, शरबत, गुलाब शरबत, खस शरबत, बदाम शरबत, ठंढाई, लीची, केला, आम, अंगूर, अनानास, चीकू, शरीफा, शकरकंदी, कचालू, रतालू, आलू, डिब्बाबंद चीजें, फास्ट फूड.
कभी-कभी खा सकते हैं - ब्रेड, आलू, चावल, तले हुए पदार्थ, नमकीन, मैदा से बने पदार्थ एवं निर्देशित,सूखे मेवे और फल.
व्यायाम : सुबह -सायं सैर करें, अर्धबल व्यायाम जरुर करें
प्राणायाम : अनुलोम - विलोम, कपाल भाति, भ्रस्त्रिका करें.
आसन : धनुरासन, भुजंगासन, अर्द्धमत्यासन, व्रजासन, पवनमुक्तासन, शवासन, गोमुखासन करें.
मधुमेह में आयुर्वेद दवाई की उत्कृष्टता - Ayurvedic Medicines best for Diabetes
इसमें कभी भी हाइपोग्लेसीमिया का अर्थात रक्त शर्करा कम होने का खतरा नहीं होता.
यह मेटाबोलिजम को ठीक करती है.
बढ़ी रक्त शर्करा को सामान्य लाने का कार्य करती है.
यह इन्सुलिन की गुणवत्ता बढ़ाती हैं.
यह इन्सुलिन स्त्रवित करने वाली कोषाओं को उत्तेजित करती है.
यह मधुमेह की घातक अवस्था को होने से रोकती है.
यह शरीर की ऊर्जा बल की वृद्धि कर रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है.
उचित मात्रा में सम्यक आयुर्वेदिक औषध कोई विषाक्त प्रभाव नहीं डालती.
मधुमेह के 30 प्रतिशत रोगी बिना औषध के केवल मात्र योग, व्यायाम एवं आहार-विहार में परिवर्तन कर अपनी ब्लड शूगर को सामान्य दायरे में रखते हैं. 40 प्रतिशत रोगी विभिन्न प्रकार की दवाइयां लेकर रक्त शर्करा नियंत्रण में रखते हैं.
30 प्रतिशत रोगी औषध एवं इन्सुलिन आदि लेने के बाद भी रोग को नियंत्रण नहीं कर पाते तथा रोग जटिल एवं जीर्ण होता जाता है.
आयुर्वेद मधुमेह विज्ञान में निम्न एकल द्रव्यों का मधुमेह हर के रूप में वर्णन है
करेला, विजयसार, जामुन, गुड़मार, दालचीनी, मेथी, नीम, करंजमज्जा, मंजीठ, गिलोय, पनीरडोडी, कालीजीरी, गमज्जवा, तेजपत्र, हल्दी, आंवला, शिलाजीत, इन्द्र्यव
उपरोक्त जड़ी-बूटी न केवल आयुर्वेद के ग्रंथों में मधुमेह रोग की चिकित्सा प्रबंध के लिए निर्देशित है वरन वैज्ञानिकों ने भी अनेक शोधों के द्वारा मधुमेह चिकित्सा में उपयोगी पाया ऐसी रिपोर्ट अनेक जनरल में प्रकाशित हो चुकी है. जैसे करेले में पाए जाने वाले 19 एमिनो एसिड इन्सुलिन में पाए जाने वाले एमिनों एसिड की संख्या से मिलते हैं इसी कारण इसे प्लांट इन्सुलिन कहते हैं. विजय सार एवं दारू हल्दी में क्रमशः एपीकेटाचीन एवं बरबैरिन तत्व मधुमेह में रक्त शर्करा स्तर में कमी लाते है. मेथी गुडमार शर्करा अवशोषण मंद करके रक्त शर्करा को एक दम नहीं बढ़ने देते तथा इनमें पाए जाने वाले तत्व धातुपाक को नियमितकर रक्त शर्करा को कम करते हैं एवं रक्त की चर्बी भी कम करते हैं. शिलाजीत में पाए जाने वाले मैगनीश, मैग्नीशियम, क्रोमियम घटक द्रव्यों के कारण मधुमेह के उपद्रवों को रोका जा सकता है तथा शरीर को बल वर्ण एवं ऊर्जा प्राप्त होती है. स्वर्ण भस्म, वंग भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्मों के योगों से न केवल मधुमेह में लाभ मिलता है वरन रोग प्रतिरोधक शक्ति एवं बल ऊर्जा प्राप्त होती है. इन द्रव्यों के अनेक मिश्रण योग भी उपलब्ध होते हैं. शास्त्रीय योगों में बसंतकुसुमाकर रस, बसंत तिलक रस, चंद्रप्रभा वटी, मधुमेहारि, मधुनाशिनी आदि के साथ कुछ सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं ने भी आयुर्वेदीय योग मधुमेह की चिकित्सा के लिए विकसित किए हैं उनकी उत्कृष्टा एवं निरापदता वैज्ञानिक मापदंडों पर भी सत्यापित की गयी है.
दीर्घकालिक अनियंत्रित मधुमेह की घातक समस्याएं - Uncontrolled Diabetes Problems in Hindi
अनियंत्रित मधुमेह लंबे समय तक रहने से रक्त नलिकाएं एवं नसें प्रभावित होती है. फलस्वरूप रक्त चाप का बढ़ना, ह्रदय विकार, गुर्दे की बीमारी या स्ट्रोक होने का ख़तरा बढ़ जाता है. आँख की रेटिना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
यह रोग शरीर के हर अंग एवं संस्थान पर अपने घातक दुष्प्रभाव डालता है. लीवर, किडनी, हार्ट, रक्तवाहनी, नाड़ी, आदि सभी अंगों की क्रियाशीलता कम करता है. नपुंसकता एवं मधुमेह जन्य फोड़े, गैंगरीन जैसी अवस्था आकर टांग कटने तक की नौबत आ जाती है.
संक्षेप में तीन मुख्य जटिलताएँ है जो लंबे समय तक अनियंत्रित रक्त शर्करा के रहते होती है.
1- मधुमेह जन्यवृक्क शोथ (diabetic nephropathy)
2- मधुमेह जन्य रेटीना विकार (diabetic retinopathy)
3- मधुमेह जन्य नाड़ी विकार (diabetic neuropathy)
चुकी हर चिकित्सा की पद्धति की अपनी सीमा होती है. यदि रक्त शर्करा 250 mg/dl. से अधिक है तो आयुर्वेद औषध के साथ एलोपैथिक दवाई लेने में कोई हर्ज नहीं होता.
मधुमेह में उपयोगी आसन - Yogasan for Diabetes in Hindi
आसन : कटिचक्रासन, व्रजासन, भुजंगासन, अर्द्धमत्य्सयेंद्रासन, पश्चिमोत्तासन, शलभासन, धनुरासन, गौमुखासन, मूंडाकासन, पादह्स्तासन .
प्राणायाम : भ्रस्त्रिका, उज्जायी, नाड़ी, शुद्धि, भ्रामरी.
सूर्य नमस्कार एवं ध्यान. ध्यान रहे यह आसन योगाचार्य की देखरेख में ही करें.
मधुमेह रोगी को ख़ास हिदायतें - Diabetes Precautions in Hindi
1- अपने वजन को संतुलित रखो.
2- खुद को भूखे न रखो, आप पथ्य में खाने वाली चीजों ले सकते हैं.
3- दिन में 3 भारी भोजन की जगह 5-6 बार हल्का भोजन करें.
4- हल्का व्यायाम आपकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा होना चाहिए.
5- व्रत एवं पार्टियों से परहेज करें.
6- अगर ब्लड प्रेशर ज्यादा है तो नमक तथा वे चीजें जिनमें बेकिंग पाउडर या सोडा है, वह नहीं लेनी.
7- खाना बनाने के लिए उबालना, भूनना, भाप के साथ खाना बनाना जैसे तरीके इस्तेमाल करें जिससे घी कम से कम मात्रा में इस्तेमाल हो.
8- रोटी, ब्रेड और दलिया में कच्ची सब्जियां या अंकुरित दालें डाल कर लें.
9- सादी दही की जगह, घीया, खीरा और प्याज का पतला रायता लें.
10- गाय का दूध या डबल टोंड दूध ही इस्तेमाल करें. इसी दूध से दही, पनीर और चाय बनाएं.
11- केला, चीकू, अंगूर, आम और खजूर नहीं लेने हैं.
12- सेब, संतरा, नाशपाती, आडू, पपीता, जामुन, अमरुद, मौसंबी ले सकते हैं.
13- सोयाबीन की बड़ियाँ/ दालें/ आटा इस्तेमाल करें.
14- 45 मिनट की सैर जरूरी.
15- यदि चिकित्सा करते हुए भी ब्लड शुगर 400 mg/dl. के करीब है तो चिकित्सक विशेषज्ञ की सलाह लें.
डायबिटीज के रोगियों के लिए डायट चार्ट -
(आयुर्वेद पर्व 2018 में प्रकाशित बुकलेट से साभार)
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