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Let’s start the healing journey with authentic Ayurveda & Ayurveda expert that will rejuvenate the body, mind & soul
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कभी-कभी हमें अपने आप भविष्य में होनेवाली घटना के बारे में कुछ संकेत मिलते है । वो अच्छे भी हो सकते है और बुरे भी । अगर सभी घटनाओं के संकेत हमे मिल जाते तो शायद अपने साथ कुछ खराब हम होने ही ना दे ! मगर यह संभव नही है । और इसीका नाम जिंदगी है... जिंदगी ऐसे अनगिनत आश्चर्योंसे भरी है तभी तो उसका मजा आता है वरना सब को बोरींग लगता ।
अपने शरीर और रोगों के बारे में मगर एक अच्छी बात है । आगे होने वाले बड़े प्रॉब्लम या रोगों की कुछ एक छोटी सी झलक हमे पहले दिखाई देती है। और उससे भी बढ़िया बात यह है की अगर हम उनपर विचार करके अपने आप में कुछ बदलाव करेंगे तो आगे होने वाली हानी जरूर टाल सकते है ।
आज सब तरफ दिखनेवाले Neuropathy के बारे में अधिक जानकारी लेते है । जिससे हम अपने आपको और अपने मित्र तथा परिवार जनोंको इससे होने वाले नुकसान से जरूर बचा सकते है । कुछ देर तक एक जगह पर बैठने पर पैरो में झनझनाहट होना वैसे तो आम बात है । और अगर हम कुर्सीपर बैठकर पैर नीचे लटक रहे हो तो यह लक्षण बहुत ही जल्दी आ जाते है । पर अगर यह लक्षण चौबीसो घंटे रहे, साथ में उनकी तीव्रता ज्यादा हो तो अच्छी बात नहीं है । इसे ही Peripheral Neuropathy कहते है । यह एक लक्षण है जो अनेक रोगों के कारण उत्पन्न होता है। किसी भी कारणवश नसों में कमजोरी आए या उनके कार्यों में कमी आए तो उसे Neuropathy कहते है । शरीर के किसी भी भाग की नसें चोट या किसी रोग की वजह से क्षतीग्रस्त होती है ।
पुरे शरीर से मस्तिष्क की ओर संदेश वहन करना और मस्तिष्क से फिर पूरे बदन में, यह काम हमारी Nervous System का है । इस आवागमन में ही बाधा उत्पन्न होने से यह रोग होता है । यह हो गई टेक्निकल बात । हमे जो लक्षण दिखाई देते है उनमें से कुछ इसप्रकार है । हाथ और पैरो में सेन्सेशन कम होना मतलब थंडा गरम महसूस होने की ताकद कम होना । वहाँ कलर थोडा काला हो जाता है । किसी किसी को बेहद कमजोरी महसूस होती है । कभी हल्कासा दर्द होता है तो ज्यादा दिन होनेपर वो बहोत बढ जाता है । खडा रहने में, चलने में भी दिक्कत आती है । जैसा की उपर बताया पचनसंस्था, मुत्रवह संस्था भी इससे बाधीत हो सकती है और उनके हिसाब से लक्षण मिलते है । किसी को चुभने जैसी पिडा भी होती है ।
यह रोग होने के बहोत से कारण है । मगर सबसे ज्यादा डायबेटीस से हमारे यहाँ यह प्रॉब्लम होता है । शराब इत्यादी लतों के कारण भी बहुत ज्यादा लोगों को यह तकलीफ होती है । एक जगह पर बैठकर काम करना, वजन ज्यादा होना, व्यायाम ना करना, यह भी इसके कारण है । शुगर, बीपी या अन्य किसी रोग की दवाइयाँ लगातार लेना यह भी एक मुख्य कारण है । खड़े रहकर काम करना, मल मुत्र वेग को रोकना, हमेशा अँसीडीटी या अपचन रहना यह भी इनके कारण है।
यह एक lifestyle disorder है । और जब तक हम जीवनशैली ठिक नही करेंगे इसे नही रोक पाऐंगे । आयुर्वेद में स्पष्ट रूप से कहा है की, अगर किसी रोग को रोकना हो या कम करना हो तो सबसे पहले ‘निदान परिवर्तन करो‘ मतलब उनके कारणों को रोको । उपर मोटे तौर पर Neuropathy के कारण बताए है। उनको एकत्रित रूप से अगर हम देखे तो उनको रोकने उपाय भी हमे स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे। जैसे की शराब, चाय, तंबाखु, बीडी जैसी आदतों से दूर रहकर Heathy lifestyle को अपनाना जरूरी है । जिनमें सुबह जल्दी उठना, नियमित व्यायाम और योग करना, दिनमें दो बार ही खाना खाना, समय पर सोना, सदा आनंद में रहना, Positive विचार रखना, वजन बढने न देना जैसी चीजों का समावेश होता है । खाने में ज्यादातर घर में पकाए हुए खाने का ही इस्तमाल करना । ऑरगॅनीक खेती उत्पाद भी बहोत ही लाभदायी है । सभी व्हीटामिन इत्यादी की कमी ना हो इसके लिए अपने इलाके में आने वाले फल हमेशा खाने चाहीए जैसे आम, जामुन, संत्रा इत्यादी ।
नही, इसको रोकना संभव है मगर एक बार उसके तीव्र लक्षण दिखने लगे तो उसको ठिक करना मुश्कील है।
यह एक Lifestyle disorder होने की वजह से सीर्फ कोई एक दवा से उसपर विजय पाना संभव नहि।
नियमीत व्यायाम, प्राणायाम, दिनचर्या, पाँव कुछ देर ऊँचा रखना, आपके आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा दिए तेल से हल्की मालीश और सेक ये तुरंत लाभकारी एवं लंबा फायदा करनेवाले इलाज है।
हाँ, अगर हम उसको सही ढंग से ना समझे और उसके अनुसार कार्य ना करे तो यह बिमारी बढती जाती है।
हाँ, हमेशा लेने वाली कोई भी दवा शरीर के लिए हानीकारक है उनमें अँन्टासीड, पेनकिलर भी समाविष्ट है।
नुकसान नुकसानही होता है चाहे वह किसी भी चीज से हो! हा ट्रीटमेंट में उस कारण को रोकना जरूरी है इसलिए उसमें जरूर अंतर है।
हाँ। आम तौर पर पैर के ज्यादा पेशंट होते है पर शरीर के किसी भी अंग को यह बिमारी प्रभावित कर सकती है ।