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आयुर्वेद में गॉल ब्लैडर स्टोन का उपचार, पढ़िए डॉ.अभिषेक गुप्ता की केस स्टडी

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By NS Desk | 27-Feb-2019

Treatment of Galbladder Stone in Ayurveda

Treatment of Galbladder Stone in Ayurveda

गॉल ब्लैडर स्टोन या पित्ताशय की पथरी को अमूमन सर्जरी के द्वारा ही निकाला जाता है. आम धारणा है कि गॉल ब्लैडर स्टोन का एकमात्र उपाय सर्जरी ही है और किसी भी औषधि से यह ठीक नहीं होता. लेकिन ऐसा नहीं है, आयुर्वेद चिकित्सा में गॉल ब्लैडर स्टोन का औषधियों द्वारा उपचार संभव है. इसी मुद्दे पर आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अभिषेक गुप्ता ने केस स्टडीज पेश की थी जो 'ब्रह्म आयुर्वेद' पत्रिका में प्रकाशित भी हुई थी. उसी केस स्टडीज को हम यहाँ पुनः प्रकाशित कर रहे हैं.

गॉल ब्लैडर स्टोन पर वैद्य अभिषेक गुप्ता की केस स्टडी : Vaidya Abhishek Gupta Case Study

आयुर्वेद से गॉल ब्लैडर स्टोन का उपचार : Gall Bladder Stone Ayurvedic Treatment in Hindi : चिकित्सा जगत में एक धारणा है कि गॉल ब्लैडर स्टोन कभी औषधि से ठीक नहीं होते। आयुर्वेद हो या आधुनिक चिकित्सा जगत, इसके चिकित्सक हमेशा इस रोगी को ऑपरेशन कराने की सलाह देते हैं लेकिन विगत कुछ वर्षों में ऐसे गंभीर रोग सिर्फ आयुर्वेद औषधियों से ठीक हुए हैं। ऐसे ही कुछ रोगियों का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं जो पित्ताशयश्मरी और ग्रेड-3 के प्रोस्टेट में लाभ प्राप्त कर सामान्य जीवन यापन कर रहे हैं।

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रोगी संख्या 1 : 22 मिलीमीटर का स्टोन

  • हमारे पास जब यह रोगी आयी तो उनके गालब्लेडर स्टोन में 22 मिलीमीटर का एक स्टोन था. सामान्यतः 4 - 5 मिलीमीटर के स्टोन के रोगी ज्यादा होते हैं जो आयुर्वेद औषधियों से ठीक हो जाते हैं.
  • लेकिन ये रोगी जब हमारे यहाँ आयी थी तो इतना बड़ा स्टोन देखकर लगा कि पता नहीं, इस रोगी में क्या परिणाम आएगा।
  • इस रोगी को कभी - कभी उल्टी और उदर में दर्द होता था जिसके लिए वह एलोपैथ की दवाएं ले लेती थी।
  • इस रोगी का नाम राधा गोयल उम्र - 38 वर्ष थी. रोगी को अन्य कोई विशेष शारीरिक समस्या नहीं थी।
  • रोगी हमारी यहां 30-01-2014 को आयी थी. उन्होंने अपने उदर का अल्ट्रासाउंड दिनांक 28 - 01 - 2014 को कराया।
  • ​एलोपैथ के चिकित्सक को दिखाने पर उन्होंने ऑपरेशन कराने के लिए कहा, लेकिन रोगी ऑपरेशन नहीं कराना चाहती थी।
  • वह जब मेरे पास आयी थी तब मैंने उन्हें बताया कि इस रोग में सामान्यतः 8-10 माह में स्टोन / अश्मरी निकल जाता है लेकिन आपका स्टोन काफी बड़ा है, इस कारण से कितना समय लगेगा, यह अभी नहीं कह सकते।
  • रोगी को चिकित्सा आरम्भ करने के लिए मैंने उसे आश्वस्त किया और कहा कि आप चिकित्सा आरम्भ होने के 2-3 माह बाद अपना अल्ट्रासाउंड दुबारा करवाईयेगा.
  • यदि उसमें स्टोन कम आएगा तो आप औषधियों का सेवन लगातार करते रहना, अन्यथा आप ऑपरेशन तो कभी भी करवा सकते हैं. रोगी सहज रूप से तैयार हो गयी.
  • उन्होंने 2 माह की औषधियों के सेवन के बाद अपना अल्ट्रासाउंड 14-04-2014 को कराया जिसमें उनके स्टोन का आकार पहले से घटकर 13.6 मिलीमीटर रह गया।
  • रोगी अपने स्टोन के आकार को लेकर काफी खुश थी व उनकी अन्य शारीरिक समस्याएं - उलटी व पेट दर्द भी पूरी तरह से बंद था.
  • उसके बाद रोगी ने 3 माह के बाद पुनः अपना अल्ट्रासाउंड दिनांक 17-07-2014 को करवाया जिसमें उनके स्टोन का आकार 4.6 मिलीमीटर रह गया.
  • रोगी ने इसके बाद 3 माह और आयुर्वेदिक औषधि ली और वर्तमान में उन्हें किसी भी तरह की कोई शारीरिक समस्या नहीं है.
  • रोगी ने अपना नया अल्ट्रासाउंड नहीं कराया क्योंकि उन्हें कोई तकलीफ नहीं है. अपने शारीरिक लक्षणों के आधार पर अपना अल्ट्रासाउंड कराने की वह इच्छुक भी नहीं है.

रोगी संख्या 2 : 4-5 मिलीमीटर के मल्टीपल स्टोन

उपरोक्त रोगी की तरह इस रोगी को भी गालस्टोन की समस्या थी. रोगी की उम्र 64 वर्ष. नाम रवि शर्मा है. इनको 4-5 मिलीमीटर के मल्टीपल स्टोन थे तथा साथ में ग्रेड-3 की प्रोस्टेट वृद्धि की समस्या भी थी. उनकी बढ़ी हुई प्रोस्टेट का आकार 56.50 था. साथ में उनको किडनी में 36 मिलीमीटर का छोटा सा स्टोन भी 15 वर्षों से थी जिसके लिए वे नियमित रूप से एलोपैथ की दवा ले रहे थे. इनको पेशाब भी प्रोस्टेट के कारण कभी-कभी रूक-रूक के आता था. यह रोगी हमारे यहाँ 22-10-2014 को आए थे उनकी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट 18-10-2014 को आयी थी. इस रोगी को हमने रोग की गंभीरता व स्थिति के विषय में बता दिया था व रोगी को दो माह की औषधियों के सेवन के बाद पुनः अल्ट्रासाउंड करवाने को कहा था. रोगी ने औषधियों के प्रभाव को जानने के लिए अपना अल्ट्रासाउंड 1 माह में ही दिनांक 19-11-2014 को करवा लिया उसमें रोगी का किडनी स्टोन निकल गया व प्रोस्टेट का आकार 56.50 से घटकर 52.92 हो गया था व गालस्टोन के आकार में भी थोड़ी सी कमी आयी थी जो कि अब 3-5 मिलीमीटर पर थे. मैंने रोगी को धैर्य रखकर औषधियों का सेवन करने को कहा व 2 माह के बाद ही अल्ट्रासाउंड कराने को कहा. रोगी 21-01-2015 को अल्ट्रासाउंड करवाकर हमारे पास आए जिसमें रोगी के के गालस्टोन का आकार मात्र 1.5 मिलीमीटर पर आ गया व् प्रोस्टेट का आकार ग्रेड-2 पर आ गया जिसका आकार अब 42 से 29 हो चुका है.

गॉल ब्लैडर में आयुर्वेद से लाभ -  Benefits of Ayurveda in Gaul Bladder

इन दोनों रोगियों की रोग स्थितियों और अवस्थाओं में सामान्यतः ऑपरेशन कर दिया जाता है. लेकिन आयुर्वेद की विशिष्ट शक्तियों से न सिर्फ यह दोनों रोगी ठीक हुए अपितु इसी तरह के कई रोगियों को लाभ मिल रहा है.गालस्टोन की चिकित्सा पर कार्य करना मैंने कई वर्ष पूर्व करना प्रारंभ किया था. तब से अब तक कई रोगियों में मुझे लाभ मिला है इस रोग की जब मैंने चिकित्सा प्रारम्भ की थी तब एक सामान्य बात को सोचकर चिकित्सा करना प्रारम्भ किया था और जब इस तरह से कई रोगियों पर इस चिकित्सा का लाभ हुआ है तो अब मेरा विश्वास दृढ हो गया है कि जो सोचकर इस रोग में चिकित्सा आरम्भ की थी, वह एकदम सही थी. आप सभी जानते है कि गालब्लेडर में बाइल (पित्त) जूस इकठ्ठा होता हैं जो कि शरीर के पाचन व चयापचय की प्रक्रियाओं को करने में सहायता प्रदान करता है. गालब्लैडर एक छोटी सी थैली की तरह हमारे लीवर से जुड़ा होता है. जिसमें बाइल इकठ्ठा होता है व इस बाइल का स्त्राव धीरे-धीरे शरीर में होता रहता है. इस बाइल में विभिन्न तरह के पीएच, आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम आदि तत्व होते हैं. जो शरीर की विभिन्न गतिविधियों में सहायक होते हैं. लेकिन जब गालब्लैडर में मौजूद बाइल में उत्तेजना की कमी होती है तो उसमें मौजूद कैल्शियम व् अन्य भारी तत्व गालब्लैडर के बाहर नहीं निकल पाने जिससे यह तत्व धीरे-धीरे गालब्लैडर में इकठ्ठे होते जाते हैं. जो कि गालस्टोन/पथरी/ अश्मरी का आकार ले लेते हैं. इसलिए इस स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए जब मैंने पित्त को उत्तेजित करने वाली औषधियों का प्रयोग किया व स्टोन को बाहर निकालने व तोड़ने के लिए औषधियों का प्रयोग किया.

क्या आहार ले:
इस रोग में रोगी को टमाटर, पत्ता, गोभी, पालक, मूंगफली, तली भूनी चीजों, मिर्च मसालेदार खाना, राजमा, छोले, बैगन, अमरुद आदि का सेवन बंद कराएं. खाने में आलिव ऑइल का प्रयोग करें.
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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।