By NS Desk | 10-Dec-2021
चाय/कॉफी हमारे पाचन को विकृत करती है। चाय कषाय रस प्रधान होती है और इसके कारण यह स्रोतसों को संकुचित करती है।
चाय हमारे जीवन का ऐसा हिस्सा बन चुकी है कि जिसे भारतीय समाज की आहार व्यवस्था से अलग करना अब लगभग असंभव है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के चिकित्सकों ने चाय और कॉफी की महिमा मंडन में इसे एंटी ऑक्सीडेंट (Anti Oxidant) , Nervine Stimulant और न जाने क्या क्या लिख दिया वहीं भारतीय वैद्य समाज ने इसके रासायनिक संगठन से परे इसके शरीर में आभ्यंतर उपयोग के गुण, कर्म और प्रभाव के आधार पर इसको "अपथ्य" माना है। तर्क दृष्टि से सोचे तो जहर में भी विटामिन, खनिज आदि पोषक तत्व होते ही हैं पर जब शरीर से उसका संयोग होता है तो मृत्युकारक होता तब उसके विटामिन, खनिज पोषण नहीं देते। चाय भी मंद जहर ही है।
आज यदि आप कई रोगों के कारणों की पड़ताल करेंगे तो चाय /कॉफी या तो मूल कारण होता है या सहायक कारण। मैंने कई रोगियों की चिकित्सा में जैसे ही चाय का सेवन वर्जित किया, औषधि का प्रभाव शीघ्रता से दिखा और ठीक होने की अवधि भी घट गई। यूरोपीय देशों में भले ही चाय का सेवन वहां के लोगों को लाभ देता हो भारत के लोगों की तासीर पर चाय फिट नहीं बैठती।
चाय सीधा सीधा रस धातु को विकृत करती है और पित्त को उत्तेजित कर शरीर की पूरी metabolism को खराब करती है। यह हमारे जठर रस को Coagulate करके जठर रस की खाने को पचाने की क्षमता को कमजोर करती है साथ ही पाचन स्रावों के निकालने की मात्रा को असंतुलित कर देती है। यह ठीक वैसे ही है जैसे किसी दूध से भरे बर्तन में आप एक दो बूँद नींबू के रस की निचोड़ दीजिये, पूरा का पूरा दूध फट जाएगा ठीक वैसे ही चाय/कॉफी भी हमारे पाचन को विकृत करती है।
चाय कषाय रस प्रधान होती है और इसके कारण यह स्रोतसों को संकुचित करती है। चाय सेवन करने वालों के Liver से होने वाले स्राव कम हो जातें जिससे कई खनिज, विटामिन का अवशोषण कम हो जाता है। आप किसी भी पाचन संबंधी रोग से ग्रसित हों, चिकित्सक के पास जाने के पूर्व एक बार चाय/कॉफी का सर्वथा त्याग करके देखें, हो सकता है आपको चिकित्सा की आवश्यकता ही न पड़े।
चाय/कॉफी हमारी जीवनशैली में ऐसा रम गया है कि घर आये मेहमान को हम बिना चाय पिये जाने ही नहीं देते, और तो और यदि वो कहे कि वह पीकर आया है तो उसे आधा कप तो चल जाएगी कह एक और पिला देते हैं। कभी कभी सोचता हूँ कि काश चाय की भी जुबान होती और चाय भी बोल पाती तो वह खुद कहती कि मैं भी जहर से कम नहीं, पीना है तो पियो तो भी लोग उसे छोड़ते नहीं।
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अच्छा आपने एक बात गौर की होगी, आप यदि घर आये मेहमान से चाय पीने का आग्रह नहीं करेंगे तो वह घर जाकर यही कहता है "देखो चाय का भी नहीं पूछा"। समाज में व्याप्त इस धारणा से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि चाय के साथ हमनें अपना सम्मान भी जोड़ लिया है। सुबह खाली पेट चाय तो समझ लीजिए कि आप हर कप के साथ अपनी आयु के 6 घंटे कम रहे हैं।
आप एक ही परिवार के ऐसे दो लोगों के स्वास्थ्य की तुलना करके देखें जो खाना तो एक जैसा ही खाते पर उनमें से एक चाय पीता और एक न पीता हो। आप को चाय के नुकसान का उत्तर मिल जाएगा। वैसे चाय के ऊपर पूरी की पूरी एक छोटी सी किताब लिखी जा सकती है। लेकिन आप कम शब्दों में अधिक समझने की बुद्धि रखते हैं तो आज से ही चाय/कॉफी को अपने निजी, पारिवारिक, व्यवसायिक जीवन से दूर कर दीजिए। मैं यदि इस देश का प्रधानमंत्री होता तो हमारे देश के स्वास्थ्य को खोखला कर रही चाय कॉफी पर तुरंत प्रतिबंध लगा देता।
मधुमेह रोगी जब चिकित्सा के लिए आते हैं तो उनके मुँह से एक बात सुनने में आती है कि वो अब बिना शक्कर की चाय पीने लगे हैं, उनको नहीं पता कि शक्कर से बड़ा जहर तो चाय पत्ती में होता है।
बेहतर होगा यदि महिलाएं इस सत्य को जान लें कि उनकी रस दृष्टि ही उनमें आर्तव जन्य व्याधियों को पैदा कर रही है और इस रस दृष्टि में Fast food के अतिरिक्त एक कारण चाय भी है तो हम करोड़ो महिलाओं के स्वास्थ्य को बचा कर उनके जीवन को खुशहाल कर सकते हैं। महिलाएं सबसे ज्यादा शिकार होती हैं एनीमिया और बाल झड़ने की समस्या की, दोनों का सामान्य से कारण है दिन में 3-4 चाय। ( वैद्य संकेत मिश्रा के फ़ेसबुक वॉल से साभार)
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