By NS Desk | 29-Apr-2022
आयुर्वेद ग्रंथों में पीपल को अश्वत्थ कहा जाता है और इसके कई चिकित्सीय उपयोग भी बताएं गए हैं। किसी भी औषधि का किस तरह से चिकित्सीय उपयोग होता है यह बात उस द्रव्य या औषधि में निहित गुण रस वीर्य विपाक कर्म और प्रभाव पर निर्भर करती है। चूँकि पीपल को आचार्य चरक ने मूत्र संग्रहणीय वर्ग, कषाय स्कन्ध वर्ग में, आचार्य सुश्रुत ने न्यग्रोधादि में और भावप्रकाश ने क्षीरिवृक्ष, पंचवल्कल वर्ग में रखा है।
इसका विशेष उपयोग तो मूत्र संग्रहणीय कर्म के लिए, रक्त शोधन, घावों को धोने आदि के लिए ही विशेष रूप से किया जाता है। इसके काढ़े का प्रयोग वातरक्त की चिकित्सा में जब रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है में किया जाता है परंतु आयुर्वेद की औषधियों में इसके गुण कर्मो के आधार पर कई अन्य रोगों में उपयोग करने की युक्ति का विधान है तो हम ऐसे में जहाँ पीपल में निहित गुणों का प्रयोग किया जा सके उन बीमारियों में वैकल्पिक रूप से प्रयोग कर सकते हैं।
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पीपल का प्रयोग हॄदय रोगों में करने में भी यही युक्ति है, मतलब हॄदय रोगों में ब्लॉकेज (Blockage) का मुख्य कारण रक्त में वसा की वॄद्धि होने से होता है और यह वसा की वृद्धि ग्रहणी रोग का उपद्रव कहा जा सकता है। इसलिए पीपल का प्रयोग ग्रहणी को ठीक करते हुए उन हॄदय रोगों में किया जा सकता हैं जिनमें रोगी को वसा की अधिकता ग्रहणी के कारण हुई हो। परंतु वातज हॄदय रोगों में पीपल का प्रयोग उचित नहीं क्योंकि रुक्ष और कषाय होने से और अधिक वात की वृद्धि करेगा ।
उक्त परिस्थितियों के अनुसार यदि कफज और पित्तज हॄदय रोग है तो सहायक औषध के रूप में या मुख्य औषधि के अभाव में विकल्प के रूप में चिकित्सक की देखरेख में किया जा सकता है और इससे परिणाम मिलने की संभवना भी 30 से 40 % तो है।
पीपल की पत्तियों से लेकर पंचाग सभी उपयोगी है और इसका प्रयोग घाव को धोने और भरने में किया जा सकता है, पत्तियों के प्रयोग से ज्यादा इसकी छाल और फल, पुष्पकली का उपयोग प्रचलन है। जहाँ पर व्रण से स्राव हो रहा हो उस घाव की सफाई और स्राव रोकने में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
वातरक्त में भी इसका अच्छा लाभ देखने को मिलता है। इसके फल का प्रयोग पित्त शांति कर पेट साफ करने में किया जाता है। इसकी कली का प्रयोग त्वचा के रंग को निखारने में भी किया जाता है। मुंह मे छाले होने पर पीपल की त्वचा का प्रयोग करते हैं। पीपल की पत्तियों और त्वचा को जलाकर मंजन बनाने के रूप में करते हैं।
(वैद्य संकेत मिश्र, वरिष्ठ समुदाय प्रबंधक (Senior Community Manager), निरोगस्ट्रीट)
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