सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण होता है। एक तरफ कड़कड़ाती ठंढ तो दूसरी तरफ शरीर को ऊष्मा देती गुनगुनाती धूप। दोनों का ही अपना अलौकिक आनंद है। आयुर्वेद में इस काल को विसर्ग काल माना गया है। मतलब इसमें शरीर में बल और ऊर्जा का संवर्धन होता है। यही वजह है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्दियाँ सेहत बनाने की ऋतु है। लेकिन यदि आहार और विहार में मौसम के अनुकूल परिवर्तन न किया जाए तो सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य पर भारी भी पड़ सकता है। पेश है इसी विषय पर सुविख्यात वैद्य (डॉ.) सुनील आर्य ( एम.डी.-आयुर्वेद) का यह आलेख -
शास्त्रीय दृष्टिकोण से भले ही हम वर्ष भर में छह ऋतुएँ (शिशिर,बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत) गिनते हों पर समझ में पांच ही ऋतुएँ आती हैं - सर्दी, गर्मी, बरसात पतझड़ और बसंत। सर्दियों का मौसम अपने - आप में ख़ास होता है और इस मौसम का नाम सुनते ही दीपावली से होली के बीच का मौसम हमारे मन में कौंधता है। इस मौसम में कड़ाके की ठंढ पड़ती है, कोहरे की चादर सी तन जाती है और कभी-कभी सूरज देवता छुट्टी पर भी चले जाते हैं. लेकिन जब सूर्य देवता प्रकट होते हैं तो गुनगुनाती धूप का आनंद लेने से अपने आप को कोई भी रोक नहीं पाता।
हम सब जानते हैं कि सूर्य की तरफ थोड़ी झुकी पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती-घूमती एक साल में सूर्य के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी करती है तो ही मौसम में बदलाव होता है और जब पृथ्वी सूर्य से थोड़ा दूर हो जाती है तो सूर्य का ताप कम मिलने से सर्दियों का मौसम आ जाता है। वर्ष भर मौसम बदलने का क्रम धीरे-धीरे इस प्रकार होता रहता है कि हमारा शरीर उस बदलाव के अनुसार ढलता रहता है और कोई ख़ास कठिनाई नहीं आती और जो समस्याएं आती भी हैं या आ सकती हैं उनका उपचार या बचाव मौसम की विशेषताओं को शरीर की रचना और क्रियात्मकता को समझ कर आसानी से किया जा सकता है।
सर्दियाँ सेहत बनाने की ऋतु : Health in Winter Season in Hindi
स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्दियाँ सेहत बनाने की ऋतु है। आयुर्वेद में इस समय को विसर्ग काल माना गया है। मतलब इसमें शरीर में बल और ऊर्जा का संवर्धन होता है इसके विपरीत गर्मियों को आदान काल माना जाता है जिसमे सूर्य के ताप में वृद्धि के कारण शरीर में बल और ऊर्जा की हानि होती है और यह प्रत्यक्ष में देखा भी जाता है।
सर्दियों के मौसम में आयुर्वेद में कही दो ऋतुओं का समावेश है। हल्की और लुभावनी सी ठण्ड वाली हेमंत ऋतु और तेज़ कड़ाके की ठण्ड वाली शिशिर ऋतु। हेमंत ऋतु में शरीर आम तौर पर स्वस्थ रहता है। शरीर के वात पित्त कफ आदि दोष आमतौर पर शांत रहते हैं , अग्नि (पाचक अग्नि भी धातु अग्नि भी) मजबूत रहने से बढ़िया भूख , बढ़िया पाचन , भरपूर ऊर्जा और रोग प्रतिरोधी क्षमता अच्छी बनी रहती है।
ठंढ की वजह से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव
ब्लड प्रेशर, हृदयरोग और अस्थमा
लेकिन ठंडे मौसम के कुछ अन्य प्रभाव भी होते हैं जिनका स्वास्थ्य पर असर होता है जैसे शीत के कारण चमड़ी के नीचे की रक्तवाहिकाएं सिकुड़ती हैं (पेरिफरल वासोकॉन्सट्रिक्शन ) जिससे ब्लड प्रेसर और ह्रदय रोगियों को दिक्कत होती है और उसी कारण से आर्थराइटिस के रोगियों मे जोड़ों-माँसपेशियों में सूजन व अकड़न बढ़ने की सम्भावना बढ़ जाती है।
मोटापा और मधुमेह
बाहरी ठण्ड से लड़ने के लिए शरीर को अधिक ऊर्जा की जरुरत होती है इसलिए चयापचय (मेटाबोलिज्म) अपने आप बढ़ जाता है। कैलोरी-खपत बढ़ने से मांग बढ़ती है, परिणामस्वरूप भूख बढ़ती है और वज़न बढ़ जाता है साथ ही दिन छोटे और रातें बड़ी होने के चलते शारीरिक श्रम करने की अवधि घट जाती है, इसलिए मोटापा व मधुमेह रोगियों को विशेष सावधान रहने की जरुरत होती है।
मूत्र संक्रमण और कब्ज
ऐसे ही पसीना कम या ना आने से प्यास भी कम लगती है,पानी कम पीया जाता है ,मूत्र निर्माण भी कम होता है जिससे मूत्र संक्रमण और कब्ज़ होने की संभावना रहती है। सर्दियों में कोहरे की वजह से दमा, खांसी और जुकाम (अस्थमा साइनस ब्रोंकाइटिस) के रोगियों का संकट बढ़ जाता है और वैसे भी इस प्रकार की एलर्जी ठण्ड से बढ़ती ही है।
टॉन्सिल का संक्रमण
बच्चों में टॉन्सिल का संक्रमण सर्दियों में बार-बार हो जाता है और खासतौर पर नवजात शिशुओं के लिए पहली ठण्ड में बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।ठण्ड के चलते शरीर ताप का घटना (हाइपोथरमिआ) जानलेवा हो सकता है।
सर्दियों में चूँकि विविध प्रकार की खाद्य सामग्री गर्मियों के मुक़ाबले ज़्यादा उपलब्ध होती हैं और भूख भी ज़्यादा लगती है, इसलिए खाने मे आनंद भी ज़्यादा आता है। यही कारण है कि वजन बढ़ाने के इच्छुक लोगों के लिए सर्दियाँ बहुत अनुकूल रहती है।
पोषक तत्वों से भरपूर भोजन
सर्दियाँ निश्चित रूप से स्वास्थ्यवर्धक होती है पर अपने खान-पान और रहन-सहन में थोड़ी सावधानी रखकर इसमें होने वाले रोगों से बचा जा सकता है।
- सर्दियों के मौसम में ठण्ड से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहने जाते हैं, साथ ही भीतरी गर्मी भी पर्याप्त बनी रहे इसके लिए उष्ण व पौष्टिक आहार की जरुरत होती है । जैसे बाजरा इस मौसम में खाया जाने वाला पोषक तत्वों से भरपूर अद्भुत अनाज है | यह प्रोटीन कैल्शियम, लोहा, ज़िंक ,एंटीऑक्सिडेंट्स ,कई तरह के विटामिन बी ,रेशा (फाइबर) का अच्छा स्त्रोत है। इसकी रोटियां घी गुड़ के साथ स्वादिष्ट होने के साथ साथ ऊष्मा और पोषण का अच्छा माध्यम है और अच्छी बात यह है कि गरम होने के बावजूद एसिडिटी भी नहीं करता है। इसकी खीर, खिचड़ी, चूरमा या भूनकर भी भोजन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- इसी प्रकार मूंगफली भी पर्याप्त पोषण देती है।
- तिल तो जैसे है ही सर्दियों का आहार।
- बादाम ,अंजीर,अखरोट ,खजूर इत्यादि मेवे खनिजों से भरपूर होने के साथ साथ रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में उपयोगी हैं।
- इसी प्रकार शहद व गुड़, चीनी का बेहतर विकल्प होने के अलावा ऊष्मा और पोषण भी देते हैं।
- मेथी, गाजर,चुकंदर,बथुआ,पालक,शकरगंदी , सिंघाड़ा सर्दियों खूब मिलने वाली शाक सब्ज़ियां हैं और शरीर को स्वस्थ रखने में इनका योगदान सदियों से हम जानते हैं।
मसालों का प्रयोग
लहसुन ,अदरक ,हल्दी,काली मिर्च ,आमला ,अलसी आदि हमारे घरों मसालों के तौर पर प्रयोग होती ही है लेकिन सर्दियों में होने वाले वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव में ये अद्भुत रूप से लाभप्रद साबित हैं
ठंढ से बचाव
- ऋतु विरुद्ध आचरण से बचा जाना चाहिए, जैसे बहुत ठण्ड होने पर ठन्डे पानी से नहाना, शीतल पेय अथवा आइस क्रीम का सेवन।
- तेज़ ठण्ड का सामना करने से बचना चाहिए।
- ह्रदय रोगियों को बहुत ठण्ड में प्रातः भ्रमण का समय बदल लेना चाहिए।
- अस्थमा रोगियों को घने कोहरे में प्रातः भ्रमण में सावधानी बरतनी चाहिए।
- शरीर ताप को बनाये रखने के लिए पर्याप्त कपड़े पहनने चाहिए।
त्वचा की देखभाल
सर्दियों में त्वचा स्वाभाविक रूप से खुश्क हो जाती है और खुजली की समस्या बढ़ जाती है इसलिए पर्याप्त जल/तरल का सेवन, तेल मालिश रोज़ाना अथवा साप्ताहिक जैसी भी सुविधा हो अवश्य करनी चाहिए।
तरल पेय का सेवन
उष्ण पेय के रूप में अदरक,तुलसी,जीरा,मुलेठी का फांट / चाय उपयोगी रहते हैं जबकि अधिक मात्रा में कॉफ़ी या चाय शरीर के जलीयांश को कम कर देने से ज़्यादा उपयोगी नहीं होती। सब्जियों के सूप इसका स्वस्थ विकल्प हो सकते हैं। गुनगुना पानी पीते रहने से गले से शुरू होने संक्रमणों से काफी बचाव रहता है।
व्यायाम और धूप
- कसरत करने का श्रेष्ठ मौसम सर्दियाँ ही है। वज़न बढ़ाना हो तो भी और बढ़ने ना देना हो तो भी व्यायाम बेहद जरुरी है।
- जब अवसर मिले तब खुले बदन धूप का सेवन करना चाहिए क्योंकि यही विटामिन डी का एकमात्र भरपूर स्त्रोत है।
(डॉ सुनील आर्य, एम.डी.-आयुर्वेद का यह आलेख उनके सोशल मीडिया वॉल से साभार लिया गया है जिसे कुछ संशोधनों के साथ यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है)
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