भोपाल. मध्यप्रदेश के कई आयुर्वेदिक और आयुष कालेजों में सीटें खाली होने के बावजूद वेटिंग वाले प्रत्याशियों को न लिए जाने का मामला अब गरमा रहा है. इस संबंध में स्थानीय मीडिया भी लगातार ख़बरें छाप रहा है. इस संबंध में दैनिक भास्कर ने अपने सहयोगी डीबी स्टार के सौजन्य से आज इसकी विस्तृत खबर छापी है. उस रिपोर्ट के मुताबिक़ राजधानी के सरकारी आयुष कॉलेज समेत प्रदेश में कुल सात सरकारी आयुष कॉलेज हैं. इनमें से चार में पीजी कोर्स संचालित होता है. इसी तरह प्रदेश में निजी आायुष कॉलेजों की संख्या 19 है जिनमें से मात्र तीन कॉलेजों में पीजी करवाया जाता है. इस बार काउंसलिंग के बाद भी निजी कॉलेजों में 50 फीसदी से ज्यादा सीट्स खाली रह गई हैं.
दूसरी तरफ आयुष विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय के आदेश के बाद ही काउंसलिंग कराई जा सकती है. सेकंड काउंसलिंग की अनुमति मिलने के बाद ही पीजी मान्यता वाले निजी व सरकारी आयुष कॉलेजों की सीटें भर पाएंगे.
उधर प्रवेश से वंचित प्रतीक्षा सूची वाले छात्रों की मांग है कि आयुष मंत्रालय दूसरे दौर की काउंसलिंग करवाए, जिससे वे भी एडमीशन ले सकें. सरकारी कॉलेजों में प्रवेश की एक मुख्य वजह भी सामने आई. सरकारी आयुष कॉलेजों से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे छात्र-छात्राओं को शासन स्टायपेंड देता है. इसमें स्टूडेंट को फर्स्ट ईयर में 40 हजार, सेकंड ईयर में 42 हजार व थर्ड ईयर में 44 हजार रुपए मिलते हैं. यही वजह है कि बीएएमएस पास आउट स्टूडेंट पीजी कोर्स के लिए सरकारी कॉलेजों को प्राथमिकता देते हैं.
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