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हिमालय-जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया सेनेटाइजर

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By NS Desk | 18-Mar-2020

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पालमपुर (हिमाचल प्रदेश)| कोरोनावायरस के बढ़ते प्रभाव के बीच सेनेटाइजर की भारी मांग हो रही है। हालात यह है कि मनमाने कीमत पर इसको खरीदा और बेचा जा रहा है। बाजार में ब कई नकली सामग्रियों की भी खबरों आ रही हैं। ऐसे में सही सेनेटाइजर जैसे उत्पादों की मांग बढ़ रही है। इसको देखते हुए हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित हिमालय-जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) के वैज्ञानिकों ने एक नया हैंड-सेनेटाइजर विकसित किया है। इस हैंड सेनेटाइजर में प्राकृतिक गंध, सक्रिय चाय घटक और अल्कोहल की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निदेशरें के अनुसार उपयोग की गई है। ध्यान रहे कि इस उत्पाद में पेराबेंसए ट्राईक्लोस्म, सिंथेटिक खुशबू और थेलेटेस जैसे रसायनों का उपयोग नहीं किया गया है।

आईएचबीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि इस हैंड सेनेटाइजर में प्राकृतिक गंध, सक्रिय चाय घटक और अल्कोहल की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निदेशरें के अनुसार उपयोग की गई है। इसकी एक खास बात है कि इस उत्पाद में पेराबेंस, ट्राईक्लोस्म, सिंथेटिक खुशबू और थेलेटेस जैसे रसायनों का उपयोग नहीं किया गया है।

हैंड सेनिटाइजर के व्यावसायिक उत्पादन के लिए मंगलवार को आईएचबीटी ने पालमपुर की ही कंपनी ए.बी. साइंटिफिक सॉल्यूशन्स के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के अनुसार आईएचबीटी हैंड सेनिटाइजर के उत्पादन की अपनी तकनीक इस कंपनी को हस्तांतरित कर रहा है।

ए.बी. साइंटिफिक सॉल्यूशन्स के पास अपना एक मजबूत मार्केटिंग नेटवर्क है। यह कंपनी इस हैंड सेनेटाइजर के व्यावसायिक उत्पादन के लिए पालमपुर में एक केंद्र स्थापित करेगी और देशभर के सभी प्रमुख शहरों में सेनिटाइजर और अन्य कीटाणुनाशकों का विपणन करेगी।  (आईएएनएस)

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।