By NS Desk | 22-Feb-2019
- डॉ. कंचनलता वर्मा, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल, पटना
वेदों का भी वेद है आयुर्वेद मेरा संप्राप्ति का भेद है आयुर्वेद मेरा धन्वन्तरी का वास है आरोग्य का व्यास है अमरता की प्यास है निदानों का - हास है देवभूमि का आभास है पंचप्राणों का श्वास है आप्तो का उपदेश है साथ इसमें कुछ ख़ास है सारे सुखों का वैद्य है आयुर्वेद मेरा संहिताओं का संबंध है श्लोकों में छंद है पारद का बंध है द्रव्यगुण का गंध है बंटकर भी एक संघ है सारे जग को वंध है आयुर्वेद मेरा वेदों का भी वेद है आयुर्वेद मेरा प्रमेह के लिए प्रवास है स्थौलय में उपवास है |
मुख रोगों में मुखवास है मृत्युंजय श्वास है जीवन की नयी आस है परमात्मा का प्रयास है प्राचीन है किन्तु आज भी विश्वास है आयुर्वेद मेरा वेदों का भी वेद है आयुर्वेद मेरा चिकित्सा का मर्म है निष्काम कर्म है सेवा यही धर्म है सटीकता का धर्म है किन्तु बड़ा नस्त्र है आयुर्वेद मेरा वेदों का भी वेद है आयुर्वेद मेरा सिद्धांतों में अछेद है नियमों में अभेद है चिकित्सा में निषेध है कृत्रिमों का प्रतिषेध है और व्याधी का वैध है महाभूतों का महावेद है आयुर्वेद मेरा वेदों का भी वेद है आयुर्वेद मेरा |