By NS Desk | 28-Feb-2020
International conference on standardization of AYUSH terminology concluded in Delhi
आयुर्वेद, यूनानी और सिद्धा मेडिसिन के निदान-शास्त्र तथा उसकी शब्दावली के मानकीकरण पर दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज नई दिल्ली में "पारंपरिक चिकित्सा (टीएम) निदान-शास्त्र संबंधी डेटा के संग्रह और वर्गीकरण पर नई दिल्ली घोषणा" को लागू करने के साथ संपन्न हुआ।
इस सम्मेलन में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को लेकर 16 भागीदार देशों में शामिल हैं- श्रीलंका, मॉरीशस, सर्बिया, कुराकाओ, क्यूबा, म्यांमार, इक्वेटोरियल गिनी, कतर, घाना, भूटान, उज्बेकिस्तान, भारत, स्विट्जरलैंड, ईरान, जमैका और जापान।
यह सम्मेलन पारंपरिक चिकित्सा के निदान और शब्दावली के मानकीकरण के लिए समर्पित व्यापक स्तर की भागीदारी के संदर्भ में सभी महाद्वीपों को शामिल करने वाला अब तक का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय आयोजन है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन – एसईएआरओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह के 25 फरवरी, 2020 को उद्घाटन संबोधन से सम्मेलन के लिए माहौल तैयार हो गया। इसमें 21वीं सदी की सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान में टीएम सिस्टम की शक्ति और उनके महत्व को रेखांकित किया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहायक महानिदेशक डॉ. समीरा असमा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुई। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य में टीएम सिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए डेटा और साक्ष्य के रणनीतिक उपयोग की क्षमता पर जोर दिया। आयुष सचिव डॉ. राजेश कोटेचा ने उद्घाटन सत्र में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के प्रयास में भारत में पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के योगदान के बारे में बताया।
सम्मेलन में चर्चा के विषयों में शामिल हैं:
पारंपरिक चिकित्सा की गणना और वर्गीकरण में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
· टीएम सिस्टम के लिए आईसीडी को अपनाना और उनका कार्यान्वयन करना।
· स्वास्थ्य प्रणालियों में पारंपरिक चिकित्सा की प्रासंगिकता और विनियमन।
· जापान के प्रोफेसर केनजी वतनबे द्वारा टीएम डेटा और डिजिटल स्वास्थ्य के बारे में वैश्विक तस्वीर प्रस्तुत की गई। इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य में टीएम को अपनाने पर मुख्य रूप से जोर दिया गया और विभिन्न प्रतिभागियों द्वारा देश के दृष्टिकोण प्रस्तुत किए गए।
घाना सरकार के उप-स्वास्थ्य मंत्री श्री अलेक्जेंडर कोडो कोम एब्बन और कुराकाओ की स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती सुज़ैन कैमेलिया रोमर ने विचार-विमर्श में नेतृत्व की भूमिका निभाई और दुनिया भर में टीएम सिस्टम के प्रचलन को आगे बढ़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी और नए सांख्यिकीय उपकरणों को अपनाने की जोरदार वकालत की।
सम्मेलन वैचारिक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के दायरे में अंतर्राष्ट्रीय बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी) के विस्तार के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में सफल रहा, जिसमें सभी देश एक समान हैं। इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि आईसीडी के पारंपरिक चिकित्सा अध्याय के दूसरे मॉड्यूल पर काम तेज किया जाना चाहिए और इसके लिए हिस्सेदारी रखने वाले देशों के सहयोगात्मक प्रयासों की जरूरत है। आईसीडी के टीएम अध्याय में शामिल करने के लिए आयुर्वेद, यूनानी और सिद्धा प्रणालियों की उपयुक्तता भी इंगित की गई थी।
नई दिल्ली घोषणा में स्वास्थ्य देखभाल के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पारंपरिक चिकित्सा के लिए देशों की प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया। इसने आगे चलकर डब्ल्यूएचओ के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण में आयुर्वेद, यूनानी और सिद्धा जैसे पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को शामिल करने का अवसर मांगा, जो दुनिया भर में स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए मानक नैदानिक उपकरण है।