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आयुर्वेद के क्षेत्र में बिहार का इतिहास गौरवशाली - फागू चौहान, राज्यपाल, बिहार

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By NS Desk | 03-Jan-2020

ayurveda and bihar

बिहार में आयुर्वेद को लेकर संभावनाएं

पटना। आयुर्वेद के क्षेत्र में बिहार का इतिहास गौरवशाली है। आयुर्वेद चिकित्सा में बिहार की अग्रणी भूमिका रही है। राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि उक्त बातें राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज सभागार में हर्बोमिनरल दवाओं के मानकीकरण से जुड़े राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्राचीन नालंदा विवि का प्रारंभ ही आयुर्वेद संकाय से हुआ था। नालंदा विवि के पहले कुलपति रसशास्त्र के विद्वान नागार्जुन हुए, जिनके कार्यकाल में रस औषधियों का व्यापक विकास हुआ। प्राचीन नालंदा विवक में सोना आदि खनिज पदार्थो से औषधियां बना कर स्वस्थ्य और दीर्घायु जीवन के लिए शोध व अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था की गई। यहां पूरी दुनिया के लोग ज्ञान प्राप्त करने आते थे।

राज्यपाल ने कहा कि च्यवन ऋषि की जन्मभूमि और कर्मस्थली भी बिहार की ही भूमि थी, जिन्होंने औषध निर्माण के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया था। उनके बनाये फार्मूले के आधार पर दवा का उपयोग आज भी देश और विदेश में हो रहे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति भारतीय वैदिक संस्कृति से जुड़ी है। विश्व की जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां आज है, सबकी जननी किसी न किसी रूप में हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ही है।

राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद के अध्ययन के लिए संस्कृत भाषा का अध्ययन जरूरी है। संस्कृत हमारे ज्ञान-विज्ञान की समृद्ध भाषा है, जो आज के कंप्यूटर युग में तकनीकी तौर पर भी विकिसित है। छात्रों को संस्कृत मनोयोग से अध्ययन करना चाहिए, ताकि आयुर्वेद ग्रंथों के अध्ययन में उन्हें आसानी हो। राजकीय आयुर्वेद कॉलेज पटना अपने स्थापना काल से ही रस औषधियों के निर्माण, शोध एवं अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में अव्वल रहा है। इस कॉलेज के अनेक पूर्व और वर्तमान आयुर्वेद आचार्यो ने रसशास्त्र एवं औषधि निर्माण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है।

( स्रोत - भास्कर )

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।