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सोनभद्र में 'सोना' ही नहीं, बीमारियों का भी खजाना है

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By NS Desk | 23-Feb-2020

diseases in sonbhadra

सोनभद्र बीमारियों का खजाना (चित्र सौजन्य - न्यूज़24 )

सोनभद्र, 23 फरवरी | उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला कथित सोना भंडार की वजह से भले ही एक हफ्ते से सुर्खियां बटोर रहा हो, लेकिन यहां वायु और जल प्रदूषण से 269 गांव के लगभग 10,000 ग्रामीण फ्लोरोसिस बीमारी से ग्रस्त होकर अपंग हो गए हैं।

सोनभद्र जिला इस समय सोना के कथित भंडार को लेकर देश दुनिया में सुर्खियां बटोर रहा है, लेकिन 60 फीसदी आदिवासी जनसंख्या वाले इस जिले के 269 गांव के करीब दस हजार व्यक्ति खराब गुणवत्ता की हवा और फ्लोराइड युक्त पानी पीने से फ्लोरोसिस नामक बीमारी से ग्रस्त होकर अपंग हो गए हैं। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के हस्तक्षेप के बाद भी राज्य सरकार या जिला प्रशासन कोई कारगर कदम नहीं उठा सका है।

चोपन विकास खंड के पडरच गांव पंचायत की नई बस्ती के रामधनी शर्मा (55), विंध्याचल शर्मा (58), सलिल पटेल (18), गुड्डू (15), शीला (20), चिल्का डाड गांव के सुनील गुप्ता (35), ऊषा (16) तो सिर्फ बानगी हैं। इसके अलावा कचनवा, पिरहवा, मनबसा, कठौली, मझौली, झारो, म्योरपुर, गोविंदपुर, कुशमाहा, रास, पहरी, चेतवा, जरहा जैसे इस जिले के 269 ऐसे गांव हैं, जहां खराब गुणवत्ता की वायु और फ्लोराइड युक्त पानी पीने से करीब दस हजार व्यक्ति अपंग हो गए हैं या अपंग होने की कगार पर हैं।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'वनवासी सेवा आश्रम' से जुड़े पर्यावरण कार्यकर्ता जगत नारायण विश्वकर्मा बताते हैं, "सेंटर फॉर साइंस नई दिल्ली की एक टीम ने 2012 में यहां आकर लोगों के खून, नाखून और बालों की जांच की थी जिसमें पारा की मात्रा ज्यादा पाई थी और फ्लोरोसिस नामक बीमारी होना बताया था।"

विश्वकर्मा ने बताया, "साल 2018 के नवंबर माह में स्वास्थ्य महानिदेशक की पहल पर एक शिविर लगाया गया था, जिसमें यहां के व्यक्तियों के मूत्र जांच के दौरान फ्लोराइड एक मिलीग्राम प्रति लीटर के बजाय 12 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया था, जो 11 मिलीग्राम ज्यादा था।"

विश्वकर्मा ने यह भी बताया, "वायु की खराब गुणवत्ता और पानी में फ्लोराइड की शिकायत एनजीटी में याचिका दायर कर की गई थी, लेकिन प्रशासन एनजीटी के निर्देशों का भी पालन नहीं कर रहा है।"

सुप्रीम कोर्ट में यहां के आदिवासियों के हक-अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता अश्विनी दुबे कहते हैं, "राज्य सरकार यहां खनिज और वन संपदा का दोहन कर राजस्व वसूल करती है और माफिया वैध और अवैध तरीके से खनन करते हैं, लेकिन आदिवासी आज भी चोहड़ (नाले) का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।"

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) म्योरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. फिरोज आंबेदिन ने रविवार को आईएएनएस से कहा, "यह क्षेत्र फ्लोराइड प्रभावित है, हम पीड़ित लोगों को कैल्शियम की गोली खाने की सलाह देते हैं। इसमें शुद्ध पानी व आंवला के सेवन से राहत मिलती है। अभी तक इसके इलाज की खोज नहीं हुई है। (आर. जयन)

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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।