By NS Desk | 06-Feb-2022
देश में कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो वर्षों में प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर की जांच में 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। एसआरएल लेबोरेट्रीज की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
एसआरएल ने विश्व कैेंसर दिवस के मौके पर जारी इस रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी के चलते देश में प्रोस्टेट कैंसर की जांच में 34 प्रतिशत की कमी आई है। इससे पहले साल 2021 में भी इसकी जांच कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर तक भी नहीं पहुंच सकी है और इसके आंकड़े 2016 से भी कम पाए गए हैं।
एसआरएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद के ने एक बयान में कहा, महामारी ने लोगों की स्वास्थ्य योजनाओं, नियमित जांच और मौजूदा स्थितियों की निगरानी पर विराम लगा दिया है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता है कि गैर-कोविड बीमारियों पर भी पूरा ध्यान दिया जाए।
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के बाद दूसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है और कैंसर से होने वाली मौतों का पांचवां प्रमुख कारण है। देश में प्रोस्टेट कैंसर के औसत वार्षिक मामले प्रति 100,000 में 5.0-9.1 के बीच है। सभी प्रोस्टेट कैंसर में से 85 प्रतिशत का पता देर से स्टेज तीन और चार में चलता है।
असामान्य प्रोस्टेट कैंसर के अधिकतम मामले 85 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 36 प्रतिशत देखे गए हैं और इसके बाद 61 से 85 वर्ष में 24 प्रतिशत मामले पाए गए हैं।
इसके अलावा, देश के पूर्वी और उत्तरी हिस्से में 21 प्रतिशत असामान्य प्रोस्टेट कैंसर मामले उच्चतम रहे जबकि सबसे कम मामले दक्षिण में 15 प्रतिशत दर्ज किए गए।
यह भी पढ़े► महामारी के कारण 90 प्रतिशत लोगों की कुछ हद तक आंखों की रोशनी चली गई: विशेषज्ञ