By NS Desk | 26-Dec-2020
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने शोध के बाद एंटी बैक्टीरियल धूपबत्ती बनाने का दावा किया है जिसे पेटेंट कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है। विश्वविद्यालय के अनुसार यह 72 घंटे तक किसी भी कमरे को बैक्ट्रिया मुक्त रख सकता है। अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट -
देहरादून। आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने प्राकृतिक तत्वों से एंटी बैक्टीरियल 'धृपम केक' (धूपबत्ती) तैयार किया है। विवि का दावा है कि इसकों एक बार जलाने पर 72 घंटे तक बैक्टीरिया नहीं पनपते हैं। विवि ने इसे पेटेंट के लिए भेजा है।
प्राथमिक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि एक कर किसी कमरे में इसे जलाया जाए तो अगले 72 घंटे तक वहां बैक्टीरिया पैदा नहीं होते।
विवि. के विशेषज्ञों ने कुणजा, धुनेर, जटामासी, गुगल, सफेद सरसों, रक्त चंदन, देवदार, राल व अन्य जड़ी बूटियों से इसका निर्माण किया है।
इसका आकार दफ्तरों में पुराने समय में इस्तेमाल होने वाली मेज की घंटी जैसा बनाया गया है। इसके बीच में एक छेद है, जहां कपूर डालकर जलाया जाता है।
इसका धुआं पूरी तरह एंटी बैक्टीरियल होता है। कुलपति प्रो. सुनील जोशी ने बताया कि विशेषज्ञों ने लंबे अनुभव के बाद इसे तैयार किया है। आंतरिक प्रयोगशाला में इसके इस्तेमाल के प्रभावों का अध्ययन किया गया, जो बेहद सकारात्मक रहा है।
इसके आलावा आयुर्वेद विवि ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ओजस क्वाथ भी तैयार किया है जिसे बच्चों को पिलाया जाएगा। कुलपति प्रो. सुनील जोशी के बताया कि आयुर्वेद विवि ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ओजस क्वाथ तैयार किया है। इसमें कई तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। सरकार को प्रस्ताव दिया गया है कि बच्चों को सुबह और शाम ओजस क्वाथ पिलाया जाए। विवि इसके लिए मुफ्त क्वाथ उपलब्ध कराने को भी तैयार है। (स्रोत - मूलतः दैनिक जागरण अखबार के उत्तराखंड संस्करण में प्रकाशित)