केंद्र सरकार पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय बजट में यह इस बार दिखाई दिया जब आयुष मंत्रालय को पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 15 फीसदी अधिक का बजट दिया गया।
वर्तमान वित्त वर्ष में आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी , सिद्ध और होम्योपैथी के लिए 1,939।76 करोड़ तय किया गया है जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित 1,692।77 करोड़ से 14।59 फीसद अधिक है। सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए नयी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के लिए 40 करोड़ आवंटित करने का प्रस्ताव रखा है।
कोलकाता के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी के लिए 50 करोड़ रूपये निर्धारित किये गये हैं। आयुष निर्गत प्रणाली को मजबूत करने के लिए केंद्र ने 92।31 करोड़ का प्रस्ताव रखा है। सरकार ने 2018-19 में इसके लिए 71।36 करोड़ तय किया था जिसे बाद में संशोधित कर 101।86 करोड़ कर दिया गया था।