By NS Desk | 14-Feb-2019
आयुर्वेद जीवन का विज्ञान है. कहावत है कि ये मुर्दे में भी जान फूंक सकता है जिसका अभिप्राय है कि आयुर्वेद बीमार से बीमार या कह लीजिये कि मरणासन्न व्यक्ति को भी ठीक करने की क्षमता रखता है. लेकिन यदि कोई मृत व्यक्ति को जीवित करने की चाहत आयुर्वेद चिकित्सा से करे तो इसे क्या कहेंगे? हाल ही में एक ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश में सामने आया है जब एक बड़े पुलिस अधिकारी द्वारा अपने मृत पिता का एक महीने से आयुर्वेदिक इलाज कराने का मामला प्रकाश में आया है. मीडिया में मामला उछलने के बाद हंगामा मचा और प्रशासन भी सकते में आ गया. वही दूसरी तरफ बुधवार को दिए गए अपने बयान में पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि उनके 84 वर्षीय पिता को बीते महीने 14 जनवरी को भोपाल के एक अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था, उनका अब इलाज आयुर्वेदिक तरीके से किया जा रहा है. मीडिया के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह एक निजी मामला है. मुझे नहीं पता अस्पताल के लोगों ने क्या कहा, लेकिन जब उन्होंने हाथ खड़े कर दिए तो हम अपने पिता को घर ले आए और आर्युवेदिक डॉक्टर से उनका इलाज करा रहे हैं.
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हालांकि जब पुलिस अधिकारी से कहा गया कि क्या हम उनके पिता से मिल सकते हैं तो उन्होंने साफ मना कर दिया. दरअसल पूरा मामला एक महीने पुराना है जब आईपीएस अफसर राजेन्द्र कुमार मिश्रा के पिता का अस्पताल में देहांत हो गया. बंसल अस्पताल की तरफ से डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया. लेकिन राजेन्द्र कुमार मिश्रा चमत्कार की आस में पिता को घर ले आए और न जाने किस उम्मीद में उनका आयुर्वेदिक इलाज कराने लग गए. अफवाह ये भी है कि वे पिता को जीवित कराने के लिए तंत्र-मंत्र भी करवा रहे थे. मामला तब प्रकाश में आया जब एक महीने से रखे शव के सड़ने और उसकी बदबू से वहां तैनात दो स्टाफ बीमार पड़ गए. पुलिस भी इस मामले में अबतक कुछ नहीं कर पा रही. एक तो पुलिस के आला अधिकारी का मामला और दूसरा किसी ने इस संदर्भ में शिकायत नहीं की है.
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