By NS Desk | 17-Dec-2019
Ayurvedic oil for cervical spondylitis
आयुर्वेद में नित नए प्रयोग हो रहे हैं. इसी कड़ी में सर्वाइकल स्पांडलाइटिस के उपचार के लिए आयुर्वेदिक औषधियों से बनी तेल बनी है जिससे सर्वाइकल स्पांडलाइटिस के रोगियों को काफी फायदा हो रहा है. इस तेल को डॉ. निधि शर्मा ने बनाया है और १०० से ज्यादा मरीजों पर इसका क्लिनिकल ट्रायल हो चुका है. इसी से संबंधित दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट -
एलोपैथ के लिए चुनौती बन चुकी बीमारी सर्वाइकल स्पांडलाइटिस के इलाज में 20 से ज्यादा आयुर्वेदिक औषधियों से बना तेल रामबाण साबित हुआ। मेरठ की डॉ. निधि शर्मा ने स्पांडलाइटिस के 100 से ज्यादा मरीजों पर शोध किया, जिसमें चौंकाने वाले परिणाम मिले। शोध को इंटरनेशनल जर्नल आफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस में प्रकाशित किया गया है। मरीजों को दर्द निवारक और स्टेरॉयड से भी निजात मिली। शोध को देशभर में कई कार्यशालाओं में प्रस्तुत किया गया।
महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज की पंचकर्म विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निधि शर्मा ने बताया कि सर्वाइकल स्पांडलाइटिस के मरीजों पर नस्य, पोटली, स्वेद और अभ्यंग-मालिश की चिकित्सा बेहद कारगर मिली। चरक संहिता और चक्रदत्त के वातरोग अधिकार खंड में इस तेल का जिक्र है, जो दशमूल, उड़द की जड़, रासना, अरंड मूल, निगरुन्डी समेत करीब 20 जड़ी-बूटियों से बनाया गया। इस तेल की दो-दो बूंद मरीज की नाक में डाली जाती हैं। साथ ही तिल के तेल और घी का पाक बनाकर इसमें सेंधा नमक मिलाते हुए सर्वाइकल स्पांडलाइटिस के मरीजों पर लेप किया गया।
मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 15 दिन में मरीजों का न सिर्फ दर्द दूर हुआ, बल्कि उनके बैठने की स्थिति भी सुधर गई। दक्षिण भारत में इस पद्धति से कारगर इलाज किया जा रहा है। सर्द मौसम में दर्द से परेशान मरीज : कंप्यूटर पर देर तक बैठने, ऑफिस वर्क करने वालों और उठने-बैठने के गलत तरीकों से रीढ़ की हड्डी के अंदर से गुजरती नसों पर दबाव बनता है। हाथ-पैर में झनझनाहट, सिर दर्द, गर्दन दर्द व चक्कर के रूप में सर्वाइकल स्पांडलाइटिस उभरता है। हेमंत और शिशिर ऋतु में वातविकार बढ़ने से मरीज परेशान होते हैं। डॉ. निधि ने बताया कि पंचकर्म के इलाज से मरीजों में बीमारी दोबारा नहीं उभरी। (साभार - दैनिक जागरण)