By NS Desk | 16-May-2019
मुद्दा : कैंसर के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि 2020 तक तकरीबन 1.5 करोड़ लोगों को कीमोथेरेपी की जरुरत पड़ेगी. इसके लिए 1 लाख नए चिकित्सकों की भी जरुरत पड़ेगी. भारत में भी बड़ी संख्या में चिकित्सकों की जरुरत पड़ेगी क्योंकि यहाँ भी कैंसर के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. शहर तो शहर अब गाँव में भी कैंसर तेजी से पांव पसार रहा है.
ऑपरेशन के बाद कैंसर के बैक्टीरिया को ख़त्म करने के लिए रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी दी जाती है. कीमोथेरेपी कैंसर के बैक्टीरिया वाली कोशिकाओं के साथ-साथ स्वस्थ्य कोशिकाओं को भी नष्ट कर देता है. इससे शरीर पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए कीमोथेरेपी के बाद चिकित्सक की भूमिका अहम होती है ताकि उसकी सलाह से कीमोथेरेपी के असर को कम किया जा सके.
आयुर्वेद चिकित्सक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है. कई अनुसंधानों में यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि चिकित्सकीय निर्देश में प्राकृतिक और आयुर्वेदिक चीजों के उपयोग से कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट को बहुत हद तक कम किया जा सकता है. इसके लिए जरुरी है कि कैंसर अस्पताल में आयुर्वेद के डॉक्टरों की भी नियुक्ति की जाए.
डॉ. अखिलेश भार्गव ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखते हैं - " कैंसर अस्पताल में आयुर्वेद के डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करना आवश्यक है. इसके अलावा देश के आयुर्वेद अस्पताल और कॉलेजों में कैंसर यूनिट की स्थापना भी जरुरी है. यहाँ कीमोथेरेपी के असर को कम से कम करने की कोशिश की जा सकती है. जरुरत पड़ने पर आयुर्वेद डॉक्टर की इससे संबंधित ट्रेनिंग भी दी जा सकती है. इससे कैंसर के मरीज को काफी फायदा होगा.