By NS Desk | 03-Jun-2019
दिल्ली. निरोग स्ट्रीट डायलॉग (3) : आयुर्वेद की सही जानकारी लेने के लिए श्रद्धा, समर्पण, संस्कृत और संहिताओं का ज्ञान जरुरी है. भाषा से भाव बदल जाता है और भाव बदलने से मतलब बदल जाता है. इसलिए संस्कृत में आयुर्वेद को समझना जरुरी है. पहले गुरु-शिष्य की परम्परा थी. उस परम्परा में गुरु जंगलों में ले जाकर शिष्य को विविध औषधियों की पहचान कराते थे. लेकिन अब गुरु-शिष्य की परम्परा नहीं रही. इससे प्रैक्टिकल अनुभव कम मिलता है. यह आज के आयुर्वेद की पढ़ाई में एक बड़ी कमी है जिसे दूर करने की जरुरत है. यह बातें चरक आयुर्वेद क्लासेस के डायरेक्टर डॉ. बी. एम. त्रिपाठी ने दिल्ली में हुए निरोग स्ट्रीट के तीसरे आयुर्वेद डायलॉग के दौरान कही.
वे चरक संहिता पर बोल रहे थे. इस आयुर्वेद डायलॉग में प्रकाश इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद के डॉ. चंद्रशेखर बंगरवार ने भी शिरकत की और इस संदर्भ में कई महत्वपूर्ण बातें रखी. इस दौरान सवाल जवाब भी हुए. पूरी बातचीत को फेसबुक पर भी लाइव किया गया. आयुर्वेद डायलॉग की शुरुआत में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के डॉ. गोविंद पारीक को भी याद किया गया. गौरतलब है कि चंद दिनों पहले ही उनका आकस्मिक निधन हो गया था. कार्यक्रम से जुड़ा स्लाइड शो -