उत्तराखंड आयुर्वेद की हृदयस्थली रही है. यहाँ जड़ी-बूटियों का खजाना मौजूद है. इसी को देखते हुए उत्तराखंड की सरकार ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बड़ा कदम उठाया है. सोमवार को उत्तराखंड के आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की मौजूदगी में केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, पतंजलि और आयुर्वेद विवि ने एक करार पर हस्ताक्षर किया. इस समझौते का उद्देश्य आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन, शोध और विपणन को बढ़ावा देना है. इसके अलावा आयुर्वेद विवि के परिसरों का भी विस्तार किया जा रहा है. इसी कड़ी में मंगलवार को कोटद्वार में विवि के चौथे कैंपस का उद्घाटन किया जाएगा. आयुष मंत्री डॉ.रावत ने इस कदम को उत्तराखंड के आयुर्वेद के लिहाज से क्रांतिकारी बताया.
समझौते की मुख्य बाते
- करार पर केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो.केएस चौहान, पतंजलि रिसर्च विंग के वाइस प्रेसीडेंट डॉ.अनुराग और आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अभिमन्यु कुमार ने हस्ताक्षर किया.
- परिषद के सहयोग से जहां शोध कार्य होंगे, वहीं पतंजलि विपणन में सहयोग करेगा.
- आयुर्वेद विवि एकेडमिक व शोध दोनों कार्य करेगा.
- आयुर्वेद विवि के परिसरों का विस्तार भी किया जाएगा.
- करार के मुताबिक राज्य में नर्सरी से लेकर गुणवान औषधियों के निर्माण तक के कार्य होंगे - प्रो.धीमान, महानिदेशक, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद
उत्तराखंड के आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने क्या कहा?
- आयुर्वेद को फिर से पहचान दिलाने की सरकार ने ठानी है और यह एमओयू इसी कड़ी का हिस्सा है.
- इस पहल से उत्तराखंड से पलायन को थामने में मदद मिलेगी, वहीं बंजर भूमि का उपयोग जड़ी-बूटियां उगाने में हो सकेगा.
- आयुर्वेदिक दवाओं का उत्पादन, शोध और विपणन के कार्याें में इस करार के बाद अब तेजी आएगी.
- उत्तराखंड में बड़ी संख्या में वैद्य आयुर्वेद से उपचार कर रहे हैं, उनके अनुभव और पारंपरिक ज्ञान का अभिलेखीकरण कर इस पर शोध किए जाएंगे.
- शोघ कार्याें के मद्देनजर परिषद चंबा हर्बल गार्डन को आयुर्वेद विवि को देगी. इसके एवज में परिषद को बागेश्वर जिले में कस्तूरा मृग फार्म के विस्तार को सरकार द्वारा भूमि दी जाएगी.