By NS Desk | 11-Jan-2019
टेलीविजन और अखबारों में अक्सर आयुर्वेद को लेकर ऐसे-ऐसे दावे वाले विज्ञापन दिखाई देते हैं जिसे देखकर हैरान होना लाजमी है. इन विज्ञापनों में असाध्य बीमारियों के शर्तिया इलाज का दावा किया जाता है. मसलन कैंसर का शर्तिया इलाज, दो माह में गंजेपन से मिलेगी मुक्ति, 1 हफ्ते में वजन बढ़ाता है ये चमत्कारी चूर्ण आदि जैसे विज्ञापनों से टीवी और अखबार भरे रहते हैं. लेकिन अब ऐसे भ्रामक विज्ञापन करने वालों की अब ख़ैर नहीं क्योंकि आयुष मंत्रालय ने इनसे सख्ती से निपटने की तैयारी कर ली है.
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी कर आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध के औषधियों के भ्रामक विज्ञापनों जैसे कैंसर का शर्तिया इलाज, सेक्स की ताकत बढाने, लंबाई बढ़ाने, बाल मजबूत करने, मोटापा घटाने, डायबिटीज को छू मंतर करने वाले जैसे विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. ऐसा करने पर आयुर्वेदीय औषधि निर्माता का अमुक विज्ञापित औषधि का निर्माण लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा.
21 दिसम्बर 2018 को जारी नयी अधिसूचना के अनुसार अब प्रत्येक आयुर्वेदीय औषधि निर्माता यदि अपनी औषधि का विज्ञापन करना चाहता है तो उसे विज्ञापन के लिए राज्य सरकार के औषधि लाइसेंस प्रदाता से अनुमति लेनी होगी. मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से उस आयुर्वेद औषधि निर्माता को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने को कहा है. यह विशिष्ट पहचान संख्या तभी जारी की जायेगी, जब मिर्माता यह सुनिश्चित करेगा कि उसका विज्ञापन नियम संख्या 120, औषधि एवं प्रसाधन नियमावली के अनुरूप ही है.
इस अधिनियम में वर्तमान में तरह तरह के उत्पादों का भ्रामक प्रचार कर रहे निर्माताओ को तीन माह का समय दिया गया है कि वो अपने निर्माण स्थल के राज्य सरकार से “ विज्ञापन हेतु नियमानुरूप “ विशिष्ट पहचान संख्या “ प्राप्त करे और नये विज्ञापन करे. विज्ञापन देने वाला निर्माता यदि पूर्ण पता नहीं देता तो आवेदन रद्द कर दिया जाएगा. गौरतलब है कि ऐसे विज्ञापनों में अक्सर सिर्फ मोबाइल नंबर होता है. अश्लील विज्ञापनों के लिए भी कोई जगह नहीं होगी.