• Home
  • Blogs
  • NirogStreet Newsआर्थिक सर्वेक्षण में स्वास्थ्य सेवा पर अधिक खर्च करने की सिफारिश

आर्थिक सर्वेक्षण में स्वास्थ्य सेवा पर अधिक खर्च करने की सिफारिश

User

By NS Desk | 29-Jan-2021

health care

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को स्वास्थ्य सेवा, इसकी पहुंच और सामथ्र्य पर अधिक सार्वजनिक खर्च की जरूरत पर जोर दिया।

केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश की। समीक्षा के अनुसार, एक राष्ट्र का स्वास्थ्य व्यापक स्तर पर अपने नागरिकों की समान, सस्ती और विश्वसनीय स्वास्थ्य व्यवस्था तक पहुंच पर निर्भर करता है।

नेशनल हेल्थ अकाउंट्स के अनुसार, 2017 में राज्यों द्वारा स्वास्थ्य सेवा पर 66 प्रतिशत खर्च किया गया।

हेल्थकेयर बजट के संदर्भ में, भारत अपने सरकारी बजटों में स्वास्थ्य के लिए प्राथमिकता वाले 189 देशों में 179वें स्थान पर आता है। यह अन्य देशों और डोनेशन पर आश्रित रहने वाले हैती और सूडान जैसे देशों के समान ही है।

सर्वेक्षण में कहा गया है, प्रति व्यक्ति खर्च करने वाले राष्ट्रों में आउट-ऑफ-पॉकेट (ओओपी) खर्च कम होता है, जो वैश्विक स्तर पर सही भी है। इसलिए, ओओपी खर्च को कम करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक सार्वजनिक व्यय की आवश्यकता है।

आर्थिक समीक्षा 2020-21 राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में की गई संकल्पना के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाओं पर सार्वजनिक व्यय को जीडीपी के एक प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 से तीन प्रतिशत करने की मजबूती के साथ सिफारिश करती है। इसके अनुसार, इससे अपनी जेब से होने वाला व्यय (ओओपी), समग्र स्वास्थ्य व्यय का 65 प्रतिशत से घटकर 35 प्रतिशत हो सकता है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि वित्तीय परिप्रेक्ष्य से भारत दुनिया में ओओपी के सबसे ऊंचे स्तर वाले देशों में से एक है, जो प्रत्यक्ष रूप से भारी व्यय और गरीबी में योगदान कर रहा है।

समीक्षा संकेत करती है कि हालिया कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य क्षेत्र और उसके अर्थव्यवस्था के अन्य प्रमुख क्षेत्रों के साथ संबंध को रेखांकित किया है। इसमें सलाह दी गई कि भारत को महामारियों के प्रति प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाने के लिए स्वास्थ्य अवसंरचना कुशल होनी चाहिए। भारत की स्वास्थ्य नीति में निरंतर उसकी दीर्घकालिक प्राथमिकताओं पर जोर रहना चाहिए।

इसके साथ ही कहा गया है कि हेल्थकेयर कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयास में भारत को देश में स्वास्थ्य सेवा पहुंच और सामथ्र्य में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए।

सर्वेक्षण ने सुझाव दिया कि भारत की स्वास्थ्य सेवा नीति को अपनी दीर्घकालिक प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साथ ही भारत को महामारियों के प्रति प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाने के लिए स्वास्थ्य अवसंरचना कुशल होनी चाहिए। भारत की स्वास्थ्य नीति में निरंतर उसकी दीर्घकालिक प्राथमिकताओं पर जोर रहना चाहिए।

वर्तमान कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान मिले सबकों के आधार पर, आर्थिक समीक्षा में देश में कोने-कोने में स्वास्थ्य सेवाएं देने की चुनौतियों से पार पाने के लिए दूरस्थ चिकित्सा को पूर्ण रूप से अपनाए जाने की वकालत की गई है। दूरदराज के स्थलों तक स्वास्थ्य सेवाएं देने एक वैकल्पिक चैनल के रूप में तकनीक सक्षम प्लेटफॉर्म की भूमिका के प्रदर्शन में कोविड-19 महामारी से मिली सहायता का उल्लेख करते हुए व्यापक स्तर पर डिजिटलीकरण और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस के साथ विभिन्न तकनीक कुशल प्लेटफॉर्म की क्षमताओं के दोहन की सिफारिश की गई है।

वहीं सबसे गरीब वर्ग को उपचार पूर्व और उपचार के बाद देखभाल के रूप में असमानता दूर करने के साथ ही संस्थागत डिलिवरी में खासी बढ़ोतरी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की महत्वपूर्ण भूमिका देखते हुए समीक्षा में सिफारिश की गई है कि आयुष्मान भारत योजना के साथ सामंजस्य में एनएचएम को भी जारी रखा जाना चाहिए।  (आईएएनएस)

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।