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स्वस्थ्य रहना है तो पानी पीते समय आयुर्वेद की इन बातों का जरुर रखे ध्यान !

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By NS Desk | 28-Apr-2020

drinking water rules

पानी पीने का तरीका

आयुर्वेद द्वारा पानी पीने का सही नियम एवं भ्रांतियों से निवारण : हर व्यक्ति स्वस्थ रहना चाहता है परंतु छोटी छोटी महत्वपूर्ण बातें नही पता होने के कारण वह रोगग्रस्त होकर कष्ट झेलता है अगर हम स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो और स्वयं एवं प्रियजनों को स्वस्थ रहने में मदद कर सकते है,और समाज में पानी पीने के नियम के प्रति फैली भ्रांति को दूर कर के समाज कल्याण में योगदान दे सकते है। आज हम आपको पानी पीने के सामान्य नियम बता रहे है जो आपको स्वस्थ रहने के लिये अनिवार्य है। जाने पानी पीने का सही तरीका और पानी पीने के फायदे के बारे में।

भ्रांतियां एवं पानी पीने का आयुर्वेद के नियम
भ्रांति 1 - आमतौर पर जनसामान्य में भ्रांति होती है कि पानी सुबह उठकर पीना चाहिये,गर्म ठंडा या खाने के पहले बाद में आदि आदि आज हम आपको पानी पीने के सामान्य नियम बता रहे है जो आपको स्वस्थ रहने के लिये अनिवार्य है।

आयुर्वेद का विज्ञान हमे बतलाता है कि सुबह उठकर बिना कुल्ला किये ही जल ग्रहण करना चाहिए अब ये जो नियम है वह है उस व्यक्ति के लिये जो ब्रह्म मुहूर्त में उठा हो और जिसका खाना पच गया हो,और जन सामान्य में अधिकाँश लोग 7 बजे से 10 बजे तक उठकर एक साथ 1 गिलास से 2 लीटर तक पानी एक साथ पी जाते है जो कि गलत है और बहुत सारी बीमारियों की जड़ साबित होता है। कभी कभी ऐसा होता है कि जिनको सालों से इतना जल ग्रहण करने की आदत हो जाने की वजह से उनका शरीर इस तरह से ढल जाता है कि उन लोगो को नुकसान नही होता है ,तब भी ऐसे लोग जो बीमारी का इंतजार कर रहे है उनको धीरे धीरे अपनी इस गलती का सुधार करना चाहिये।

जल ग्रहण की आयुर्वेद विधि
* ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर यदि आप जल ग्रहण करते है तब वह आपको घूंट - घूंट कर लार को मिला कर पीना चाहिये क्योंकि लार जो कि हमारे शरीर मे रोज 3 लीटर बनती है वो हमारे लिये बहुत लाभदायक है।
*ब्रम्ह मुहूर्त में शीतल जल के अलावा दूध,मधु,घृत या दो दो को मिलाकर या सब मिलाकर लेना रसायन यानि उम्र को थामने का कार्य करता है। इसमे भी जिनका वजन बड़ा हो शहद ,जिनकी गर्मी बड़ी है वो दूध और घृत या सामान्य व्यक्ति सब मिलाकर ले सकता है।

भ्रांति 2 - फ्रिज का ठंडा या चिल्ड पानी ठंडक देगा।

आयुर्वेद दृष्टिकोण
आयुर्वेद में बताया गया है कि इतना ठंडा पानी जिनसे दांत जड़ हो जाये वो नही पीना चाहिये,सामान्य बुद्धि से विचार करने पर हम जान सकते है हमारा शरीर गर्म है और ठंडा पानी पीने के बाद पेट मे जाकर उसको गर्म ही होना है जबकि ठंडा पानी पीने पर शरीर को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी उसको सामान्य करने के लिये जिससे और गर्मी बाद जाएगी।

सही विधि- गर्मी के दिनों में मटके जितना ठंडा पानी चाहे वो फ्रिज का हो पीना लाभदायक है।

भ्रांति 3- वाटर प्यूरीफायर का पानी पीना लाभदायक है।
सही विधि- वाटर प्यूरीफायर का उपयोग करते समय हम पानी का टीडीएस(पानी मे घुलनशील पोषक तत्व) की जांच अवश्य कर ले अथवा कम या ज्यादा होने पर गम्भीर रूप से बीमार पड़ सकते है,और अगर हम प्यूरीफायर का जल ग्रहण करते है तब हमारे शरीर मे इसकी आदत हो जाएगी और सामान्य पानी पीने पर हम उसको पचा नही पाएंगे और हमारा गले की बीमारी आसानी से हो जाती है,अर्थात हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी।

भ्रांति 4 - हमे कितना पानी पीना चाहिये कोई कहता है सामान्यतः अधिक पानी पीना 2 से 4 लीटर पीना चाहिये ये भ्रांति है।

आयुर्वेद दृष्टिकोण- 
हम सबका शरीर और पृकृति अलग है इसलिये ये नियम स्थाई नही हो सकता,सामान्य नियम है जब प्यास लगे घूंठ घूंठ कर प्यास बुझने तक पानी पीना चाहिये।

भ्रांति 5 - क्या हमें गर्म होने पर ठंडा पानी मिलाना और ठंडा होने पर सामान्य पानी मिलाकर पानी पीना चाहिये?

आयुर्वेद  दृष्टिकोण- दो तरह के जल को कभी मिलाना नही चाहिये ऐसा जल को उपयोग करने पर विकृति पैदा होती है क्योंकि दोनों जल की सूक्ष्म सरंचना अलग हो जाती है,आयुर्वेद 1 कदम और आगे जाकर बताता है कि अगर हम दो अलग जगह का भी पानी पीते है तब वो तभी पियें जब पहले ग्रहण किये जल का पाचन हो जाये।

भ्रांति 6 - भोजन के साथ जल लेना या नही लेना इस बारे में भी बहुत भ्रांतियां रहती है।

सही विधि- सुबह के भोजन के समय फलों का रस,दोपहर के समय मे खाने के साथ प्यास लगने पर ताजा छाछ या मट्ठा और रात्रि में प्यास लगने पर भोजन के बीच मे पानी लेना चाहिए पर आधा या एक घूंठ जरूरत पड़ने पर ,अधिक मात्रा में बिल्कुल नही।
भोजन के आधे घण्टे पहले या आधे घण्टे बाद प्यास लगने पर इच्छानुसार जल पिया जा सकता है।फलों का रस या छाछ न होने पर साधारण जल का उपयोग कर सकते है।

भ्रांति 7- अधिकांश लोग प्रश्न पूछते एवं बताते है कि हम रोज गुनगुना पानी सुबह पीते है क्या ये सही है?

आयुर्वेद दृष्टिकोण-
सभी लोगो को गुनगुना पानी पीने की आवश्यकता नही होती है कई बार जिनकी पृकृति गर्म वाली यानी पित्त पृकृति जो कि अग्नि महाभूत का प्रतिनिधि वाले लोग है उनको बहुत नुकसान करती है संक्षेप में असिडिटी जिनको है उनको बहुत नुकसान होता है।

आयुर्वेद विधि-
सामान्य नियम यह है कि सुबह सामान्य कमरे के तापमान वाला पानी पीना चाहिये।

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अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
ऐसी परिस्थिति जिनमे अल्प(कम)जल ही ग्रहण करना है।
1,भूख कम लगने पर
2,रक्त की कमी होने पर
3,पाचन ठीक न हो।
4,दस्त या अतिसार होने पर
5,शरीर मे सूजन हो
6 मधुमेह
7 प्रतिश्याय(झुकाम)

शीतल जल किसको ग्रहण करना चाहिए
1,चक्कर आने पर
2,बेहोशी में
3,उल्टी होने पर
4,गर्मी लगने पर
5,शरीर मे जलन और रक्त विकार में।

गुनगुना जल किसको ग्रहण करना चाहिए
1,भूख बढ़ाने के लिये
2,पाचन के लिये
3,गले की बीमारी में
4,मूत्र कम आने पर
5,झुकाम खांसी में
6,नए ज्वर में

वैद्य(डॉ)आशीष कुमार
(सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी,स्वास्थ्य विभाग,मध्य प्रदेश )
आयुर्वेद पंचकर्म एवं पाँचभौतिक चिकित्सालय,ग्वालियर 9076699800

 

 

 

 

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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।