By Dr Abhishek Gupta | 16-May-2019
सवाल- मेरे गले में रात को सोने के बाद कफ बनता है। दिन में भी गले में खरखराहट बनी रहती है। जांच कराने पर कोई तकलीफ नहीं निकली। किस वजह से ऐसा हो रहा है और इसके क्या उपाय हैं?
जवाब - आपके प्रश्न में कई ऐसी जानकारियां हैं जो मौजूद नहीं हैं, जैसे आपको यह समस्या कब से है ? आपका पाचन कैसा है? आपकी उम्र कितनी है? किसी तरह का व्यसन आप करते है या नहीं? किसी खाने की चीज़, तेज़ महक, घूल-धुएं से आपको एलर्जी तो नहीं है? आपको किसी अन्य तरह का कोई रोग जैसे शुगर या बी.पी. की कोई शिकायत तो नहीं है आदि?
जितना भी आपके प्रश्न से समझ में आ रहा है संभवतः यह अधिक कफ की विकृति के कारण हो रहा है, शरीर में जब हम ऐसे आहार-विहार का सेवन नियमित रूप से करते हैं जो शरीर में कफ बढ़ा देता है, ऐसे में यह समस्या होना स्वाभाविक होती है।
इसके लिए सबसे पहले आप दिन में 2-3 बार 1 कप गुनगुने पानी में 1/2 चम्मच सैंधा नमक मिलाकर सेवन करें, इसके अतरिक्त तुलसी, इलाइची, गिलोय, अदरख एवं मुलेठी को बराबर मात्रा में मिलाकर (सभी को लगभग 1/4 चम्मच या 1 ग्राम की मात्रा में लें) 1 गिलास पानी में डालकर उबालें, उबलकर जब आधा रह जाए तब छानकर इसे चाय की तरह पियें। इसे आप दिन में 2 बार ले सकते हैं।
अपने सीने पर सरसों के तेल को हल्का सा गर्म करके उसमें थोड़ा सैंधा नमक मिलाकर हल्के हाथों से मालिश करें, इससे आपके शरीर में कफ बनना कम होगा व इससे तत्काल लाभ भी मिलेगा।
कफ की समस्या में दूध का सेवन भी नहीं करना चाहिए, यदि आप नियमित रूप से दूध पीते हैं तो दूध में हल्दी व सौंफ मिलकर उसको उबाल लें, सामान्य तापमान पर आने के बाद उसका सेवन करना चाहिए।
अपने आहार में दही, मठ्ठा, छाछ, क्रीम युक्त दूध व सादा दूध, लाल मिर्च, अचार, खटाई, शराब, तली-भुनी चीजें, मैदा से बने पदार्थ, आइस क्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स, ठंडा पानी, चावल, पूड़ी-पराठें, मक्खन, घी, मिठाई आदि का सेवन न करें। ए. सी., कूलर, पंखा आदि की सीधी हवा से बचें यह सभी शरीर में कफ को बढ़ाते हैं।
2 दिन में लाभ न होने पर तत्काल अपने निकट के चिकित्सक से परामर्श करें। आयुर्वेद में इस तरह की समस्या में स्थाई समाधान संभव हैं, यदि यह समस्या आपको लम्बे समय तक बनी रहती है तो आपको एलर्जिक टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए। लम्बे समय तक ऐसे लक्षण tb की समस्या के कारण भी हो सकते हैं, इसलिए ऐसे लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें!
( डॉ. अभिषेक गुप्ता )
(मूलतः दैनिक भास्कर में प्रकाशित )