By Ram N Kumar | 18-May-2019
Setup a Successful Ayurveda Business in Hindi
स्वास्थ्य क्षेत्र में आयुर्वेद क्रांति के लिए बिजनेस सेटअप का मूलमंत्र / SETUP A SUCCESSFUL AYURVEDA BUSINESS IN HINDI
प्राकृतिक चिकित्सा में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी और जागरूकता के कारण आयुर्वेद इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है. इसी का परिणाम है कि वर्ष 2022 तक इसके 50,000 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान लगाया जा रहा है. यही वजह है कि आयुर्वेद व्यवसाय में रूचि रखने वाले लोगों की संख्या हाल के वर्षों में काफी बढ़ी है.स्वास्थ्य के लिहाज से आयुर्वेद दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह 100 प्रतिशत सुरक्षित है और इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता. हमारे ऋषि मुनियों द्वारा लिखित आयुर्वेद के ग्रंथों में उदाहरण समेत इसका जिक्र मिलता है जो एक तरह से अकाट्य है. यही वजह है कि ढेरों युवा उद्यमी आयुर्वेद व्यवसाय को अपनाकर लाभ कमा रहे हैं. देशी-विदेशी कंपनियां भी इसमें खासी रूचि ले रहे हैं और कई बड़ी कंपनियां इसमें प्रवेश कर रही है. आलम ये है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति भी आयुर्वेद को साथ लेकर चल रहा है. मेदांता जैसे देश के बड़े अस्पतालों में आयुर्वेद का विभाग अलग से खोला जा रहा है. इससे इसके बढ़ते महत्व का अंदाजा आप सहजता से लगा सकते हैं. लेकिन इससे आयुर्वेद के मानकों में भी परिवर्तन हुआ है और अब इसे विश्व स्तरीय बनाने पर जोर है. प्रमाणिक और गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेद दवाइयों को लेकर भी नियम सख्त हुए हैं. इसलिए यह जरुरी हो गया है कि आयुर्वेद व्यवसाय के क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले जरुरी होमवर्क कर ले ताकि आपकी व्यावसायिक सफलता की राह में कोई बाधा न आए.
सफल आयुर्वेद व्यवसाय के लिए जरुरी सेटअप
बाज़ार की पहचान :
सफल व्यवसाय के लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी होता है कि उसका बाज़ार कहाँ हैं जिसे उसे केन्द्रित करना है. आयुर्वेद भी उसका अपवाद नहीं है. लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना है कि आपके जो संभावित ग्राहक है उन्हें कैसे बेहतर से बेहतर सेवायें दी जा सके.
वेबसाईट और डिजिटल उपस्थिति :
वर्तमान युग डिजिटल मीडिया का है. इसलिए अपने व्यवसाय की मजबूत उपस्थिति डिजिटल मीडिया पर जरुरी है ताकि आपकी पहुँच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हो सके. इसके लिए सबसे पहले आप एक वेबसाईट बना सकते हैं. यहाँ अपनी मार्केटिंग रणनीतियों को आप शामिल कर सकते हैं. मसलन आप ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह के लुभावने ऑफर दे सकते हैं.
एनएबीएच मान्यता :
स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पीटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) की मान्यता जरुरी है. आयुर्वेद क्लिनिक या उससे संबंधित सेवाओं को शुरू करने से पहले एनएबीएच (nabh) से मान्यता ले लेनी चाहिए. यह अनिवार्य भी है और इसके अपने फायदे भी हैं.
हेल्थकेयर बीमा :
हेल्थकेयर सेक्टर में बीमा एक जरुरी विषय है. हालाँकि आयुर्वेद को बीमा कवरेज का लाभ काफी कम मिलता है. लेकिन कुछ बीमा कवरेज ऐसे हैं जिसमें आयुर्वेद को भी कवर किया गया है. इसके लिए जरुरी है कि किसी पेशेवर बीमा फर्म के संपर्क में रहे जो आपको आयुर्वेद बीमा कवर के बारे में सही जानकारी देते रहे.
पेटेंट :
आयुर्वेदिक दवाओं का अपना एक प्राचीन इतिहास है और ये अपने आप में अलग भी है. लेकिन इन दवाओं का पेटेंट कराना आसान नहीं है. हालाँकि भारत सरकार ने पेटेंट कानूनों में हाल में कई संशोधन किए हैं ताकि पेटेंट दवाओं के दुरूपयोग को रोका जा सके.
फ्रेंचाइजी :
आयुर्वेद क्लिनिक या फार्मेसी की शुरुआत करना चाहते हैं तो फ्रेंचाइजी मॉडल भी एक बढ़िया विकल्प है. निरोग स्ट्रीट समेत कई ऐसी कंपनियां है जो आयुर्वेद क्लिनिक की फ्रेंचाइजी देती है. इनसे फ्रेंचाइजी लेकर भी सफल आयुर्वेद व्यवसाय की शुरुआत की जा सकती है.
निष्कर्ष : आयुर्वेद के बिजनेस में असीम संभावनाएं है और इसमें व्यवसाय के दृष्टिकोण से कई आयामों को खोजना अभी बाकी ही है. आयुर्वेद 5,000 साल का लंबा सफर तय कर चुका है. पहले दवाएं वैद्यों द्वारा बनाई जाती थी लेकिन आधुनिक दवाइयां बड़े-बड़े ब्रांड बनाते हैं. वैसे आयुर्वेद का क्षेत्र बहुत व्यापक है और इसलिए इसमें संभावनाएं भी बहुत अधिक है. हाल के दिनों में आयुर्वेद को लेकर लोगों की अभिरुचि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसमें बड़ी संख्या में वे लोग भी हैं जिन्होंने एलोपैथ के दुष्प्रभाव को झेला है. यही वजह है कि आयुर्वेद का व्यवसाय वर्तमान में ट्रेंड में है और बिजनेस के जानकार इसका भविष्य उज्जवल मान रहे हैं. तो फिर देर किस बात की है. आयुर्वेद में आपकी दिलचस्पी है तो आप भी यह बिजनेस शुरू कर सकती है.
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