औषधीय गुणों से भरपूर सहजन
सहजन (drumstick or moringa) भारतीय मूल का पौधा है, लेकिन औषधीय गुणों के कारण यह अब पूरी दुनिया में पहुँच चुका है. इसकी खासियत है कि जल जमाव वाली ज़मीन को छोड़कर यह सभी तरह की ज़मीन में आसानी से उग जाता है. सहजन के पौधे लगाने के 4 से 6 महीने के अंदर फली देना शुरू कर देता है. यह साल में दो बार फली देता है.
सहजन एक ऐसा फली है जो औषधीय गुणों से भरपूर है. इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा (moringa oleifera) है. इसे सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है। सहजन की फली की स्वादिष्ट सब्जी बनती है. लेकिन इसका पूरा पेड़ ही पोषक तत्वों से भरपूर है और पत्तियां, छाल आदि सभी का अलग-अलग तरीके से उपयोग किया जाता है. पानी को साफ़ करने और हाथों की सफाई के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है.
आयुर्वेद में सहजन के प्रयोग से 300 बीमारियों का उपचार बताया गया है. इसके फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. यह अपने आप में संपूर्ण आहार है जिसके उपयोग से शरीर में सभी प्रकार की तत्वों की कमी की पूर्ति की जा सकती है. सहजन में संतरे से सात गुना अधिक विटामिन सी, गाजर से चार गुना अधिक विटामिन ए, दूध से चार गुना कैल्शियम, केले से तीन गुना अधिक पोटैशियम और दही की तुलना में तीन गुना अधिक प्रोटीन मिलता है. सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाएँ तैयार की जाती है।
रक्त शुद्ध करता है
सहजन की पत्तियां खून की सफाई करने में सक्षम है. इसका रस पीने से रक्त शुद्ध होता है. साथ ही साथ शरीर में मौजूद हानिकारक अवयव भी पेशाब के रास्ते निकल जाता है.
त्वचा रोगों में फायदेमंद
सहजन में ऐसे पौष्टिक गुण है जो इसे पॉवरफुल एंटीबॉयोटिक बनाती है. इसके सेवन से त्वचा रोगों में फायदा मिलता है. इसे जूस या सूप के रूप में सेवन कर सकते हैं.
दिल की बीमारी में फायदेमंद
दिल की बीमारियों में सहजन की पत्तियों के रस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। ये पेट के अंदरुनी हिस्सेफ में अतिरिक्ती कोलेस्ट्रॉ ल को अवशोषित करने में मदद करता है।
ब्लड शूगर को नियंत्रित करने में सहायक
सहजन ब्लड शूगर को भी बड़े प्रभावी तरीके से नियंत्रित करता है. सहजन के पत्तेस में 'राइबोफ्लेविन' नामक तत्व पाया जाता है जो डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक होता है.
संक्रामक रोगों से बचाता है
सहजन में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसी गुण के कारण यह संक्रमण के खतरों को कम करता है. गर्भवती महिलाओं को संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए उन्हें सहजन खाने की सलाह दी जाती थी. माहवारी संबंधी परेशानियों में भी काफी मददगार साबित होता है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
सहजन में संतरे से सात गुना अधिक विटामिन सी पाया जाता है. यही वजह है कि सहजन हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर बीमारियों से हमें सुरक्षित रखता है.
कब्ज की समस्या में फायदेमंद
सहजन का सूप पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाने का काम करता है. इसमें मौजूद फाइबर्स कब्ज की समस्या नहीं होने देते हैं.
चेहरा चमकाए
सहजन में विटामिन बी, प्रो विटामिन, बीटा-कैरोटीन और प्रोटीन आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। सहजन की हरी पत्तियों को पीसकर चेहरे एवं बालों में लगाने से लाभ मिलता है।चेहरे की चमक बढ़ती है.
सेक्स लाइफ के लिए बेहतर
सहजन के सूप के नियमित सेवन से सेक्सुअल हेल्थ बेहतर होती है. यह महिला और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से उपयोगी है. पुरुषों में यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने और वीर्य को गाढ़ा करने में मददगार है।
लेकिन सहजन का अधिक प्रयोग से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी पैदा हो सकती है. इसलिए इसका प्रयोग संतुलित ही करना चाहिए.
सहजन का सूप बनाने की विधि ?
1- सहजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट ले.
2- दो कप पानी उबलने के लिए डाले.
3- पानी जब उबलने लगे तो इसमें कटे हुए सहजन को डाले.
4- धीमी आंच पर पकने दे.
5- पानी जब आधा बचे तब सहजन की फलियों के बीच का गुदा निकाले और उपरी हिस्से को निका दे. आपका सूप तैयार है.
6- अल्प मात्रा में नमक और काली मिर्च मिलाकर अब आप इसे पी सकते हैं.
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