By Dr Pushpa | 21-Nov-2019
SESAME OIL BENEFITS : (SOURCE - GETTY IMAGES)
तिल का तेल (SESAME OIL) : तिल का तेल औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यही वजह है कि आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में भी इसका उपयोग होता है। इसमें ढेरों पोषक तत्व है जिसकी वजह यह हमारे शरीर के लिए गुणकारी है। तिल का तेल विटामिन ई का एक स्रोत है। उसके अलावा इसमें मैग्नीशियम, तांबा, कैल्शियम, लोहा, जस्ता और विटामिन बी6 भी पाया जाता है। तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। यह किसी भी रोग से लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना प्रारंभ कर देता है।
तिल का वानस्पतिक नाम सिसेमम इण्डिकम (Sesamum indicum Linn) है। इसको अंग्रेजी में सीसेम जिनजली (Sesame Gingelli) कहते हैं। भारत में तिल के तेल को अलग - अलग नामों से पुकारा जाता है। आइये जानते हैं कि तिल का तेल के उपयोग के क्या - क्या फायदे हैं ?
तिल का तेल बालों के लिए बेहद फायदेमंद है। ये बालों का झड़ना कम करके बालों को प्राकृतिक रूप से काला करने में मदद करता है। रुसी (dandruff) को कम करता है और नियमित उपयोग से बालों को चमक प्रदान करता है। तिल का तेल बालों को भीतर से पोषण देने का काम करता है। एक तरह से तिल का तेल बालों के लिए वरदान की तरह है। इससे बालों को संपूर्ण पोषण मिलता है और यह बालों को भीतर से पोषित करके उनकी जड़ों को मजबूत करने का काम करता है।
तिल का तेल त्वचा के लिए भी काफी उपयोगी साबित होता है। यह प्राकृतिक मॉइस्चकराइज़र की तरह काम करता है और त्वचा की नमी बनाये रखता है। साथ ही त्वचा को निखारता भी है। सर्दियों में इसे चेहरे पर भी लगाया जा सकता है। यह आपको सूरज की किरणों से भी बचाता है। इसमें ऐंटीऑक्सीमडेंट और विटामिन ई मौजूद होते हैं, जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाकर सनस्क्रीन का काम करते हैं। तिल का तेल गाढ़ा होने के कारण इससे मालिश करने पर यह तेल त्वचा में आसानी से मिल जाता है जिससे त्वचा को अंदर से पोषण मिलती है। तिल से बने तेल से नियमित मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन की प्रक्रिया सही रहती है और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत होती है। इसके तेल की रोज़ाना मालिश से लगभग हर तरह के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। त्वचा की नमी भी लौट आती है। तिल में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जिसके कारण यह किसी भी तरह के घाव को जल्द ही ठीक कर देता है। इसके अलावा किसी भी सूजन में आराम देता है और सोराइसिस और एक्जिमा जैसी त्वचा की परेशानियों को दूर करने में भी मदद करता है। इसके अलावा जले हुए स्थान पर देशी घी और कपूर के साथ मिलाकर लेप लगाने से भी फायदा होता है।
तिल का तेल मानसिक तनाव या डिप्रेशन से लड़ने में मदद करता है। नियमित रूप से तिल का सेवन कर मानसिक समस्याओं से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है। इसमें नियासिन नाम का विटामिन होता है जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
सूखी खांसी को ठीक करने में भी यह कारगर सिद्ध होता है. सूखी खांसी होने पर तिल को मिश्री व पानी के साथ सेवन करने से काफी लाभ मिलता है। इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके, गुनगुने रूप में कान में डालने पर कान के दर्द में आराम मिलता है।
तिल के तेल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। यही वजह है कि यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है।
छोटे बच्चोंऑ की तिल के तेल से मालिश करने से उनके शारीरिक विकास में मदद मिलती है। तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड मौजूद होते हैं जो बच्चों की हड्डियों के विकास को बढ़ावा देते हैं। तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता है। इसके अलावा यह मांस-पेशियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
दांतों के लिए भी तिल फायदेमंद है। सुबह शाम ब्रश करने के बाद तिल को चबाने से दांत मजबूत होते हैं, साथ ही यह कैल्शियम की आपूर्ति भी करता है। इसके अलावा मुंह में छाले होने पर, तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर लगाने पर छाले ठीक हो जाते हैं।
तिल को कूटकर खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती। तिलबीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो चयापचय को बढ़ाता है।
फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए तिल का तेल खासा उपयोगी साबित होता है. फटी एड़ियों पर तिल का तेल लगाने से दरारें जल्दल भरती है।
तिल हृदय के मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें कैल्सियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम होता है जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है।
तिल के तेल में आयरन/लौह तत्व की बहुत अच्छी मात्रा पायी जाती है. इसी वजह से एनीमिया या अन्य लोहे की कमी वाली समस्याओं में ये काफी कारगर सिद्ध होता है।
(लेख का उद्देश्य जानकारी देना है। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले। )
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