By NS Desk | 17-Mar-2021
शिलाजीत को एस्फाल्टम पंजबनियम, ब्लैक बिटूमिन, खनिज डामर, शिलामय आदि अनेक नामों से जाना जाता है। यह एक खनिज आधारित अर्क होता है। यह पीले-भूरे रंग से लेकर काले-भूरे रंग में पाया जाता है।
यह एक चिपचिपा या गोंद जैसा तत्व होता है। इसमें 80 से भी ज्यादा खनिज सम्मिलित पाए जाते हैं जिनमें मुख्यतः लोहा, जिंक, सीसा, तांबा, रजत आदि शामिल होते हैं। यह अपने बलवर्धक या पुष्टिकर गुणों के लिए जाना जाता है तथा ऊर्जा के स्तर एवं यौन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। यह बढ़ती उम्र की थकान,सामान्य थकान, सुस्ती व मधुमेह से पैदा थकान से तो राहत देता ही है साथ ही पुरुष बांझपन का उपचार भी भली-भांति करता है।
शिलाजीत शब्द का निकास संस्कृत शब्द 'शिलाजतु' शब्द से हुआ है जिसका अर्थ है- पर्वतीय 'टार' या 'डामर।' 'शिला' का अर्थ होता है-जिसमें चट्ट्न या पर्वत के गुण हों और 'जतु' का मतलब होता है-गोंद, लाख अथवा अन्य चिपचिपा तत्व। जबकि शिलाजीत के हिंदी अनुवाद का अर्थ होता है- दुर्बलतानाशक अथवा कमजोरी का नाश करने वाला। यह मुख्य रूप नेपाल,भूटान, रूस, मंगोलिया तथा उत्तरी चिल्ली के कुछ भागों में पायी जाती है। अतीत या प्राचीन काल में शिलाजीत का भारत एवं चीन में एक पारंपरिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता था।
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शिलाजीत मुख्यतः एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जानी जाती है। शेरपा लोग इसका सेवन अपने शरीर को शक्तिशाली एवं ऊर्जावान बनाए रखने वाले खास आहार के रूप में करते आए हैं। शिलाजीत की कायाकल्प करने वाली प्रकृति आमाशय या पेट की समस्याओं जैसे कि पीलिए आदि के उपचार मदद करती है। इसका प्रयोग एडिमा, किडनी की पत्थरी तथा अरुचि आदि कई रोगों के इलाज के लिए आंतरिक ऐंटीसेप्टिक के रूप में किया जाता है।
आयुर्वेद में शिलाजीत को लघु 'योगवाह' यानी एक ऐसी औषधि माना जाता है जो अन्य औषधियों की योग वाहिता में वृद्धि करती है। इसे पाचन संबंधी गड़बड़ी, बढ़ी हुई तिल्ली, तंत्रिकाओं की गड़बड़ी, क्राॅनिक श्वसनीशोथ आदि रोगों के इलाज के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है।
शिलाजीत को सामान्यतः इसकी त्रिदोषनाशक क्षमता के लिए जाना जाता है। यह एक अर्क या सत्व होता है तथा इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है। आयुर्वेद में शिलाजीत का पूरा लाभ उठाने के लिए उसे अन्य औषधियों जैसे कि त्रिफला आदि तथा उनके काढे में मिलाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।
इसका प्रयोग शरीर को आम या टोक्सिन से मुक्ति दिलाने के लिए भी किया जाता है जो खराब पाचन के कारण शरीर में जमा हो जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रक्त को साफ़ करने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसका सेवन प्रतिरोधी शक्ति को बढ़ाने, ऊर्जा देने, कामोत्तेजना को जगाने तथा वज़न कम करने में मदद करता है। शिलाजीत उन दवाइयों का प्रमुख घटक भी होती है जिनको यौन शक्ति, वीर्य वृद्धि तथा शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल को बढ़ाने के उद्देश्य से बनाया जाता है।
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एंटीऑक्साइजर्स यानी प्रतिऑक्सीकारकों से भरपूर होते हैं जो धातु आयनों उदाहरणतः लोहे आदि के अवशोषण में वृद्धि कर शरीर में पोषक तत्वों को रोके रखने की सामर्थ्य पैदा करते हैं। यह नए रक्त के निर्माण तथा शरीर में होने वाली ऑक्सीजन की कमी से भी बचाता है जो कई जटिल समस्याएं खड़ी कर सकती है।
1. थकान
आयुर्वेदिक मत- उम्र बढ़ने के कारण तंत्रिका तंत्र के विकार के फलस्वरूप यादाश्त की कमजोरी तथा व्यावहारिक बदलाव आना सामान्य समस्या माना जाता है। आयुर्वेद में अल्जाइमर की बीमारी को वात दोष के रूप में देखा जाता है। शिलाजीत का नियमित सेवन वात दोष को ठीक करता है। इसकी रासायनिक या उपचारात्मक प्रकृति तंत्रिका तंत्र की कमजोरी को दूर करती है तथा साथ ही उसकी कार्य प्रणाली को भी सुधारती है।
टिप्स: 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गुनगुने पानी में मिलाकर लें। इस उपाय को दिन में दो बार हल्का खाना खाने के उपरांत दोहराएं।
2. श्वसन मार्ग का संक्रमण
आयुर्वेदिक मत- आयुर्वेद में श्वसन मार्ग के संक्रमण को शरीर में उत्पन्न वात एवं कफ दोष को माना जाता है। जब बिगड़ा हुआ वात फेफडों में कफ से मिल जाता है तो श्वसन मार्ग में रुकावट उत्पन्न कर देता है। शिलाजीत वात- कफ के दोष निवारक होती है तथा इसी वजह से श्वसन मार्ग में वायु गमन में आई बाधा का निराकरण कर देती है। यह अपनी उपचारात्मक शक्ति के बल पर प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाती है।
टिप्स: 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गरम पानी के साथ दिन में दो बार भोजन के उपरांत लें।
3. कैंसर
आयुर्वेदिक मत- कैंसर एक तरह की दाहक या बिना दाहक वाली सूजन होती है जिसे ग्रंथि ( अतिरिक्त ऊतक वृद्धि) या अर्बुद ( बहुत अधिक ऊतक वृद्धि) के तौर पर जाना जाता है। यह शरीर में वात, पित्त और कफ के साथ अंतर्क्रिया करके कैसर की स्थिति पैदा करती है। ऊतकों की क्षति का कारण बनकर कोशिकाओं के पारस्परिक समन्वय को बिगाड़ देती है। शिलाजीत ऊतकों को क्षति से बचाने व कोशिकाओं के आपसी तालमेल को बनाए रखने में मदद कर सकती है क्योंकि इसमें गजब का बल तथा उपचारात्मक शक्ति मौजूद होती है।
4. भारी धातु विषाक्तता (हैवी मेटल टाॅक्सिटी)
शिलाजीत रक्त में उपस्थित विषैले तत्वों से मुक्ति दिलाने में भी मदद कर सकती है क्योंकि इसमें फोलिक तथा ह्यूमिक एसिड मौजूद पाए जाते हैं जो हानिकारक रसायनों तथा विषैले तत्वों जैसे सीसा, पारा आदि को सोखकर शरीर से बाहर निकाल देते
हैं।
5. अल्प-ऑक्सीयता या हाइपोक्सिया
आयुर्वेदिक मत- शिलाजीत लोहा (हीमोग्लोबिन का अभिन्न अंग) तथा अन्य ऐसे खनिज जो रक्त की ऑक्सीजन वहन क्षमता को बढ़ा सकते हैं उनके अवशोषण में वृद्धि करती है।
टिप्स: दिन में दो बार भोजन के उपरांत शिलाजीत के कैपसूल का सेवन करें।
शिलाजीत को विविध रूपों में सामान्य तापमान
(25 C°) शीतल व शुष्क स्थान पर सुरक्षित रखा जा सकता है।
1 शिलाजीत पाउडर: चिकित्सक के परामर्श के अनुसार 2-3 चुटकी शिलाजीत पाउडर का दिन में एक बार सेवन कर सकते हैं।
2 शिलाजीत कैपसूल: चिकित्सक के परामर्श के अनुसार दिन में एक-एक कैपसूल दिन में दो बार ले सकते हैं।
3 शिलाजीत की गोलियां: एक गोली दिन में एक बार चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लेनी चाहिए।
1. दूध के साथ शिलाजीत का सेवन
2 से 4 चुटकी शिलाजीत पाउडर को शहद या गुनगुने दूध में मिलाकर पीना चाहिए और दिनभर में हल्के भोजन के उपरांत इस उपाय को दो बार दोहराना चाहिए।
2. शिलाजीत कैपसूल
शिलाजीत के कैपसूल को भोजन के उपरांत गुनगुने दूध के साथ लिया जा सकता है। अगर मतली की शिकायत न हो तो खाना खाने के बाद दिन में दो बार लें।
3. शिलाजीत की गोलियां
शिलाजीत की गोली को खाना खाने के उपरांत गुनगुने दूध के साथ लें सकते हैं। अगर मतली की शिकायत न हो तो एक-एक गोली भोजन के उपरांत दिन में दो बार ले सकते हैं।
4. शिलाजीत की काली चाय
क) किसी बरतन में डेढ़ या दो कप पानी लें।
ख) इसमें आधा या एक चम्मच चाय पत्ती डालकर पांच मिनट तक उबालें।
ग) अब इसे छान लें।
घ) अब इसमें दो चुटकी शिलाजीत पाउडर डालकर अच्छे से मिला लें।
ङ) यह चाय सुबह खाना खाने से पूर्व पिएं। इसे पीने से शरीर दिनभर ऊर्जावान बना रहेगा तथा थकान छू मंत्र हो जाएगी।
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1. स्तनपान
ऐसे वैज्ञानिक साक्ष्य न के बराबर ही हैं जो यह साबित करते हों कि स्तनपान के दौरान शिलाजीत का सेवन कोई खास असर दिखाता है। अतः स्तनपान के दौरान इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करें या फिर बिलकुल ही न करें।
2. मधुमेह रोगी
शिलाजीत शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कम करती है। अतः मधुमेह के रोगियों को यह सलाह दी जाती है कि यदि शिलाजीत का सेवन करना पड़े तो ग्लूकोज के लेवल की बराबर जांच कराते रहें।
3. गर्भावस्था
ऐसे वैज्ञानिक साक्ष्य न के बराबर ही हैं जो यह साबित करते हों कि गर्भावस्था के दौरान शिलाजीत का सेवन अपना कुछ विशेष असर दिखाता है। इसीलिए इस अवस्था में इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करें या फिर बिलकुल ही न करें।
यह भी सलाह दी जाती है कि यदि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने के लिए दवाइयां ली जा रही हैं तो शिलाजीत के इस्तेमाल से पूर्व यूरिक एसिड लेवल की जांच अवश्य करा लें। क्योंकि इसके सेवन से यूरिक एसिड का लेवल बढ़ सकता है।
शिलाजीत शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति को बढ़ाती है और इसी कारण इसका सेवन करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह लेना अनिवार्य है। ऐसा न करने की स्थिति में यह प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित कई तरह की समस्याएं खड़ी कर सकती है, जैसे स्क्लेरोसिस यानी ऊतकों की दृढ़ता, स्वप्रतिरक्षित रोग, लूपस, रूमेटाइड आर्थ्राइटिस आदि। ये समस्याएं शरीर में भयंकर जटिलताएं पैदा कर सकती हैं। शिलाजीत शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ाती है।अतः इस कारण भी यह जोखिम पैदा कर सकती है।
आयुर्वेद में शिलाजीत को एक बहुत ही शक्तिशाली घटक माना जाता है। इसी कारण इसका बहुत अधिक मात्रा में सेवन पित्त दोष उत्पन्न कर जलन या प्रदाह का कारण बन सकता है। सिकल सेल्स अनेमिया, हेमोड्रोमेटोसिस आदि के रोगियों को तो इसके सेवन से परहेज़ ही करना चाहिए।
शिलाजीत को कभी भी अपरिक्व अथवा असंसाधित अवस्था में प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें धात्विक आयन,फ्री-रेडिकल्स, फंग्स यानी फफूंद आदि अनेक अशुद्धियां सम्मिलित पायी जाती हैं। ध्यान रहे कि ये अशुद्धियां आपको अस्पताल पहुंचा सकती हैं। इसके कुछ अन्य दुष्प्रभाव हैं- त्वचा पर पित्त का उभर आना, दिल व श्वसन की दर का बढ़ जाना, चक्कर आना आदि।
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प्र. क्या मैं शिलाजीत का अश्वगंधा के साथ प्रयोग कर सकता हूं?
उ. शिलाजीत तथा अश्वगंधा दोनों का एक साथ प्रयोग करने से पूर्व चिकित्सक का परामर्श लेना अनिवार्य है क्योंकि ये दोनों ही घटक बलवर्धक प्रकृति के होते हैं।
इन्हें पचाने तथा इनका लाभ उठाने के लिए शरीर को काफी दबाव सहन करना पड़ता है जिसमें पाचक अग्नि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पाचक अग्नि का प्रभाव अलग-अलग लोगों में अलग-अलग देखा जाता है।
प्र. क्या महिलाएं भी शिलाजीत गोल्ड कैपसूल का सेवन कर सकती हैं?
उ. हां, महिलाएं अपने बेहतर स्वास्थ्य या तन की थकान व सुस्ती से मुक्ति पाने के लिए इस कैपसूल का सेवन कर सकती हैं। यह वात दोष को दूर कर जोड़ों के दर्द में आराम देता है। इसका बलवर्धक व कायाकल्प करने वाला गुण महिलाओं की सेहत में सुधार लाता है। इसका सेवन सुबह भोजन के उपरांत किया जा सकता है।
प्र. क्या शिलाजीत का सेवन गरमी में कर सकते हैं?
उ. आयुर्वेदिक मत- इसके उपचारात्मक गुणों को देखते हुए इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में किया जा सकता है। यद्यपि इसकी तासीर बलवर्धक होती है तथापि यह सुपाच्य है। इसी कारण इसकी सीमित मात्रा का सेवन कभी भी कर सकते हैं।
प्र. क्या शिलाजीत हाई अल्टीट्यूड सेरीब्रल एडिमा (एचएसीई) में फायदेमंद होता है?
उ. एचएसीई की समस्या बहुत अधिक ऊंचाई पर निम्न वायुमंडलीय दबाव के कारण दिमाग में आने वाली सूजन होती है। शिलाजीत मस्तिष्क सहित पूरे शरीर से अतिरिक्त तरल को मुक्त करने का काम करती है। इसी वजह से यह शरीर में उत्पन्न सामंजस्य के अभाव, बेहोशी, सूजन आदि समस्याओं के निदान में काफी असरकारक सिद्ध हो सकती है।
प्र. शिलाजीत गोल्ड कैपसूल पुरुषों के लिए कैसे लाभप्रद है?
उ. आयुर्वेदिक मत- शिलाजीत का बलवर्धक या कायाकल्प करने वाला गुण शरीर में ऊर्जा लेवल की वृद्धि करता है और यौन-इच्छा को बढ़ाता है।
प्र. क्या शिलाजीत उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है?
उ. आयुर्वेदिक मत- हां, शिलाजीत तकनीकी तौर पर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है तथा उम्र बढ़ने के संकेतों यानी सूक्ष्म रेखाओं, झुर्रियों आदि में कमी लाती है। आयुर्वेद में इसका कारण वात दोष से उत्पन्न कोशिकाओं की गड़बड़ी को माना जाता है। शिलाजीत जो शक्तिवर्धक व उपचारात्मक गुणों से भरपूर होती है कोशिकाओं में होने वाली गड़बड़ी को नियंत्रित करके उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा धीमा कर देती है।
प्र. क्या शिलाजीत का सेवन सुरक्षित है?
उ. जिन लोगों में स्वास्थ्य से संबंधित कोई गंभीर समस्या न हो शिलाजीत का सेवन उन सबके लिए सुरक्षित है। भले ही यह तासीर में काफ़ी उत्तेजक या शक्तिवर्धक होता है फिर भी इसका संयत मात्रा में सेवन करने से कोई हानि नहीं होती है। शिलाजीत को इस्तेमाल करने से पूर्व इसे पूरी तरह से शुद्ध एवं संसाधित करने की जरूरत पड़ती है क्योंकि इसमें भारी धातुएं तथा फ्री-रेडिकल्स मिले रहते हैं। इनका सेवन शरीर पर हानिकारक प्रभाव अंकित कर सकता है। अक्सर यह भी देखने में आता है कि कुछ लोग शिलाजीत का प्रयोग अन्य औषधियों के साथ करते हैं। यहां इस बात का ध्यान रखें कि इस तरह के प्रयोग से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर ले लें।
प्र. क्या शिलाजीत रक्ताल्पता या एनीमिया का उपचार कर सकती है?
उ. हां, से रक्ताल्पता का उपचार संभव हो सकता है। इसका कारण यह है कि शिलाजीत में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट एवं अन्य शक्तिवर्धक घटक शरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों को निष्क्रिय करके शरीर से मुक्त कर देते हैं। यह शरीर से टोक्सिन या जीव विष को निकाल देता है। अतः कब्ज जैसी समस्या सदा दूर ही बनी रहती है और पाचन मजबूत बना रहता है। फिर भी इसके अनुपूरकों के सेवन का कुछ दुष्प्रभाव देखने में आ सकता है। ऐसे में चिकित्सक से संपर्क करें।
प्र. क्या शिलाजीत का पुरुषों की यौन-इच्छा पर कुछ असर होता है?
उ. विभिन्न शोध यह साबित करते हैं कि शिलाजीत का सेवन शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल को बढ़ाता है। यह एक कायाकल्प या पुनर्योवन देने वाली औषधि है जो शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि करती है। शरीर में टेस्टोस्टिरोन के लेवल के बढ़ जाने से यौन-इच्छा स्वतः ही जाग्रत होती है।
किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222