By NS Desk | 19-Mar-2021
रीठा औषधीय गुणों से समृद्ध होता है तथा इसका भारत व दक्षिण एशिया में खूब प्रयोग होता है। इसका वैज्ञानिक नाम सैपिंडस मुकोरोसी है। यह सैपिंडसिया या सोपबेरी परिवार की एक पादप प्रजाति है। इसका मूल या उत्पत्ति स्थान महाराष्ट्र,कोंकण तथा गोआ को माना जाता है। यह एक पतझड़ी पेड़ होता है तथा हिमालय के तराई क्षेत्र तथा मध्य पर्वतीय भागों में उगता पाया जाता है। इस पेड़ का महत्व इसके फलों के कारण है जो औषधियां तथा साफ-सफाई से संबंधित उत्पाद बनाने के काम आते हैं। प्राचीन भारतीय औषधि विज्ञान यानी आयुर्वेद में इसे बहुत अधिक महत्व दिया जाता है और इसका इस्तेमाल विविध रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। इसमें अनेक ऐसे तत्व मौजूद पाए जाते हैं जो रोगों के निवारण तथा शरीर से विषाक्तता या विष को हटाने में मदद करते हैं और जिनका लाभ हजारों सालों से उठाया जा रहा है।
बहुपयोगी औषधि रीठे को विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे- अरीठा ( हिंदी में), कुंकुदूकायाचेत्तु (तेलुगु में), अंतुवल्कई(कन्नड़ में), पन्नाकोट्टई( तमिल में), कवक्कय(मलयालम) आदि। आयुर्वेद में इसे 'आरीष्ठक' के नाम से जाना जाता है।अंग्रेजी में इसे सोपनट या सोपबेरी कहते हैं। इनके अलावा भी इस औषधि के अनेक नाम हैं, जैसे फारसी में 'फुनाके', संस्कृत में 'रख्तबीजिन' आदि।
यह भी पढ़े► आयुर्वेद के अनुसार शहद के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar shahad ke Fayde aur Nuksan in Hindi
अतीत में तुलसी, अश्वगंधा आदि उन औषधियों का प्रतिस्थापन हुआ करती थीं जिन्हें हम आजकल बाज़ार से खरीदते हैं।उस काल में विविध रोगों के इलाज के लिए ये खास औषधियां हुआ करती थीं। रीठे का मुख्य रूप से बालों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसका शिरोवल्क या सिर की खाल पर विशेष असर देखने को मिलता है। रीठे में शरीर से विष को खींचने या दूर करने का गुण भी होता है और इसी कारण इसका प्रयोग सर्प दंश का उपचार करने के लिए भी किया जाता है।
रीठे में निहित विभिन्न घटक जैसे सैपोकिंस, जैनिन, ओलियोनिक एसिड, सोपिंडक एसिड, सैपिंडोसाइड ए तथा बी आदि विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने में सक्षम हैं। रीठे में साफ-सफाई के लिए उपयोगी तत्व या गुण भी मौजूद पाए जाते हैंऔर इसीलिए यह बालों, त्वचा व कपडों आदि की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग माइग्रेन,एग्जिमा व श्वसन संबंधित समस्याएं दूर करने के लिए करते हैं। इसकी जड़ें तथा छाल कफनिस्सारक तथा तापाहर प्रकृति की होती है और इसके फल कटु एवं तीक्ष्ण होते हैं। इसी वजह से ये कृमिनाशक का काम करते हैं तथा कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।
रीठा अनेक तरह से लाभप्रद है।इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह कफ दोष का निवारण करता है और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह आंतों में मौजूद कीडों का अच्छे से इलाज करता है और इसी कारण आयुर्वेद में इसे कृमिनाशक के रूप में जाना जाता है। यह एक ऐसी औषधि है जिसका हजारों सालों से आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर प्रयोग होता आया है। रीठे का इस्तेमाल त्वचा रोगों के इलाज से लेकर धुम्रपान की आदत छुड़ाने तक के लिए किया जाता रहा है। इसका प्रयोग एग्जिमा तथा अन्य त्वचा रोगों के उपचार हेतु किया जाता है। इसका विषनाशी गुण सांप या बिच्छू का विष दूर करने में मदद करता है। कई वैज्ञानिक शोध यह भी साबित करते हैं कि रीठा कैंसर की रोकथाम में भी सहायक होता है। यह कैंसर फैलाने वाली कोशिकाओं की वृद्धि को रोककर कैंसर से राहत दिला सकता है। कुछ लोग इसका प्रयोग धुम्रपान की तलब शांत करने के लिए करते हैं तो कुछ माइग्रेन के उपचार के लिए।
यह भी पढ़े► आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Shilajit ke Fayde aur Nuksan in Hindi
आयुर्वेदिक तथा आधुनिक वैज्ञानिक दोनों ही प्रकार की पद्धतियों मे इसका प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
● आंत्र कृमि
आंतों में मौजूद कृमियों की वृद्धि अग्नि की कमी का कारण बनती है। चूंकि रीठा तिक्त या तीक्ष्ण प्रकृति का होता है इसीलिए यह कृमियों के नष्ट करने का वातावरण उत्पन्न करता है और व्यक्ति को उनसे छुटकारा मिल जाता है। सालों से रीठे का प्रयोग मनुष्य तथा जानवरों के अंदर पलने वाले कृमियों को नष्ट करने के लिए एक औषधि के रूप में प्रयोग हो रहा है।
● दमा और अन्य श्वसन रोग
रीठे की मदद से श्वसन रोगों के कारण उत्पन्न होने वाली बेचैनी तथा सांस फूलने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आयुर्वेद में वात तथा कफ दोष को दमा तथा सीओपीडी का प्रमुख कारण माना गया है। बिगड़ा हुआ वात फेफडों में कफ से मिल जाता है तो श्वसन मार्ग में रुकावट आती है जिससे सांस फूलने लगती है। रीठे में त्रिदोषनाशक गुण होते हैं। इसी कारण यह इस दोष का निराकरण कर देता है और साथ ही अपनी गरम तासीर की वजह से फेफडों में मौजूद अतिरिक्त श्लेष्मा को निकाल देता है।
● एग्जिमा तथा त्वचा शोथ संबंधित अन्य रोग
रीठे का इस्तेमाल एग्जिमा, खाज-खुजली तथा त्वचा की संवेदनशीलता जैसी समस्याओं के उपचार हेतु भी किया जाता है। रीठे के एंटीइंफ्लेमेट्री एवं एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा की जलन,खुजली,घावों आदि का इलाज करने में काफ़ी मददगार साबित होते हैं। इसके द्वारा कुष्ठ रोग का उपचार भी संभव है।
● मोटापा और पेट का अफारा
कमजोर पाचन अग्नि शरीर में आम का जमाव कर मेदाधातु के असंतुलन पैदा कर मोटापे का कारण बनती है। रीठा उपापचय में सुधार करके संचरण प्रणाली को बाधा मुक्त बनाता है। इसकी गरम या उष्ण तासीर के कारण भी मोटापे से राहत मिलती है। शरीर में वात दोष या वात की गड़बड़ी पाचक अग्नि की कमी का कारण बनती है। फलतः पाचन खराब हो जाता है और पेट में गैस बनने लगती है। रीठा अपनी उष्ण प्रकृति के कारण अग्नि को सुधारता है , वात दोष को ठीक करता है और पेट गैस से छुटकारा देता है।
● सूजनरोधी प्रभाव
रीठे में प्रति-प्रदाहक या सूजनरोधी गुण मौजूद पाए जाते हैं तथा इसी कारण यह जोड़ों व मांसपेशियों के दर्द तथा त्वचाशोथ जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। इसमें उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट विविध रोगाणुओं जैसे ई-कोली, साल्मोनेला आदि की वृद्धि पर अंकुश लगाकर प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
● स्कैल्प तथा बालों से जुड़ी अन्य समस्याएं
रीठे के पादप में सरफैक्टेंट सैपोनिन नामक तत्व मौजूद होता है जो झागदार या साबुन के समान गुण पैदा करता है। इसी कारण रीठे को सोपबेरी का नाम दिया जाता है। यह बालों में जमा धूल,मिट्टी व तेल की सफाई में मदद करता है। रीठे में कई महत्वपूर्ण विटामिन एवं सैपोनिन भी होते हैं और इसीलिए यह सिरोवल्क या सिर की खाल को खास पोषण देता है तथा बालों को चमकदार बनाता है। साथ ही यह सिर की खाल की शुष्कता से राहत दिलाता है एवं बालों की जड़ों को मजबूत करता है। इसके फल एंटीऑक्सीडेंट और एंटीफंग्ल गुणों से भरपूर होते हैं और सिर की खाल के संक्रमण, रूसी तथा जुओं आदि से निजात दिला सकते हैं।
● सर्प दंश
इस औषधि में प्रचुर मात्रा में एंटीवेनम यानी विष को दूर करने का गुण पाया जाता है। अतः इसका प्रयोग सांप या बिच्छू के ज़हर का उपचार करने के लिए भी किया जाता है।
यह भी पढ़े► आयुर्वेद के अनुसार दालचीनी के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Dalchini ke Fayde aur Nuksan in Hindi
रीठा मुख्यतः पाउडर या चूर्ण के रूप में मिलता है। यह गोलियों के रूप में बहुत ही कम मिलता है और उन्हें भी तोड़कर उनका पाउडर बनाकर ही इस्तेमाल करना पड़ता है। इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि यह अत्यंत शक्तिशाली व गरम तासीर वाली औषधि है तथा इसका अधिक मात्रा में सेवन करना वर्जित माना जाता है। इसकी उपयुक्त मात्रा या खुराख आवश्यकतानुसार आधा से एक चम्मच तक ही हो सकती है तथा इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना भी अनिवार्य समझा जाता है।
रीठे का प्रयोग शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने तथा शरीर से विषैले तत्वों को हटाने के लिए किया जा सकता है। इसे गुलाब जल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा निखर जाती है। बालों को रूसी, जुओं आदि से छुटकारा दिलाने तथा उन्हें रेशम से मुलायम बनाने के लिए इसे आंवले व सिकाकाई में मिलाकर लेप के रूप में बालों पर लगाना चाहिए। इस लेप को 5-6 घंटों तक बालों पर लगाए रखने के बाद धो लेना चाहिए। यह क्रिया सप्ताह में 1 या 2 बार दोहराने मात्र से अच्छे परिणाम सामने आते हैं।
रीठे के पाउडर को 2-3 गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह से उबाल कर त्वचा पर इस्तेमाल करने से खुजली की समस्या से राहत मिलती है। रीठे का प्रयोग सुंदरता या सौंदर्य को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। इसके लिए इसको चीका मिट्टी एवं पानी में मिलाकर इसका चेहरे पर लेप करना चाहिए। चेहरे की त्वचा को साफ करने या उससे तेल हटाने के लिए इसे ठंडे पानी में मिलाकर उस पानी से चेहरा धोना चाहिए। यह विधि चेहरे की गंदगी को हटाने के साथ-साथ मुहांसों में भी आराम देगी। रीठे के पाउडर का गरम पानी में लेप या पेस्ट तैयार करके घुटनों तथा पेशियों पर इस्तेमाल करने से दर्द में आराम मिलता है। रीठा आर्थ्राइटिस के कारण हड्डियों व जोडों में होने वाले दर्द से राहत देता है।
आप रीठे की मदद से अपने पूरे घर की सफाई कर सकते हैं।इसकी दो बेरियों को पीसकर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर लें और फिर उसे शीशे, घर के फर्श, बरतन आदि को धोने में प्रयोग करें। इसमें किसी तरह की गंध नहीं होती है। अतः आप इसमें खुशबूदार तेल आदि मिला सकते हैं। रीठे से तैयार तरल साबुन की मदद से कार,आभूषणों आदि की धुलाई की जा सकती है। रीठे की बेरियों को पीसकर कर घोल भी तैयार किया जा सकता है। बेरियों को पीसकर पानी में आधा घंटा तक उबाल लें। इस तरह उनमें मौजूद सैपोनिंस अच्छी तरह से पानी में मिल जाएगा। उसके बाद उसे ठंडा होने दें और फिर कपड़े में से छान लें। अब इसमें खुशबूदार तेल आदि मिला कर किसी जार या स्प्रे बोतल में सुरक्षित रख लें। यह घोल आपके बालों के लिए तो खास अच्छा साबित नहीं होगा मगर आप इसका प्रयोग अपने पालतू पशु पर शैंपू की तरह कर सकते हैं। रीठे से तैयार डिटर्जेंट का प्रयोग पालतू पशु के बिस्तर या फिर खिलौने आदि को धोने के लिए किया जा सकता है। यह अपने कीटनाशक गुणों के कारण पशु को पिस्सू, खिचड़ी आदि से छुटकारा दिलाने में अच्छी मदद कर सकता है।
यह भी पढ़े► आयुर्वेद के अनुसार आंवला के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Amla ke Fayde aur Nuksan in Hindi
रीठे में विरंजच तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद पाए जाते हैं। अतः इसका संवेदनशील त्वचा पर इस्तेमाल वर्जित है, क्योंकि यह लालिमा तथा जलन का कारण बन सकता है। यदि इसके इस्तेमाल से बालों में खुजली का अनुभव हो तो इसका प्रयोग तुरंत बंद कर देना चाहिए।
रीठे में कीटनाशक प्रकृति के तत्व मौजूद पाए जाते हैं और इसी कारण यह आंखों की लालिमा तथा पलकों की सूजन का कारण बन सकता है। रीठे का सबसे खतरनाक दुष्प्रभाव इसके कारण होने वाला गर्भपात माना जाता है। अतः गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेद विशेषज्ञ इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में तथा बहुत ही सीमित समय तक करने की सलाह देते हैं। इसका अधिक मात्रा में सेवन इसकी उष्ण प्रकृति के कारण शरीर व आंतों की दाह का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ यदि शरीर में बहुत पसीना आता हो या पित्त बनता हो तो रीठे का सेवन गड़बड़ी पैदा कर सकता है।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रीठे का सेवन नहीं करना चाहिए और अगर करना भी पड़े तो चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि अपनी गरम तासीर के कारण यह गर्भपात का कारण बन सकता है।
यह भी पढ़े► आयुर्वेद के अनुसार फिटकरी के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Fitkari ke Fayde aur Nuksan in Hindi
प्र. हम रीठा कहां से प्राप्त कर सकते हैं?
उ. रीठा बाजार में आसानी से मिल जाता है। यह बाजार में अपने शुद्ध रूप के अतिरिक्त साबुन,शैंपू आदि उत्पादों के रूप में मिलता है। रीठे फल भी मिलते हैं जिनका आप अपनी इच्छानुसार प्रयोग कर सकते हैं। रीठे को पीसकर इसके पल्प या लुग्दी को पानी में उबालकर व ठंडा करके उपयोगी उत्पाद में बदला जा सकता है।
प्र. क्या रीठा वानस्पतिक है ?
उ. रीठा एक पादप आधारित या वानस्पतिक उत्पाद है। यह शाकाहारी प्रकृति का होता है तथा इसके पल्प या लुग्दी को इस्तेमाल में लिया जाता है। इस पल्प या लुग्दी को पाने के लिए इसके फल को पीसना पड़ता है और इसका प्रयोग सुरक्षित है।
प्र. क्या अन्य औषधियों के उपभोग के दौरान रीठे का सेवन कर सकते हैं ?
उ. रीठे का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ किया जा सकता है। होमियोपैथिक दवाइयों के दौरान भी इसका सेवन कर सकते हैं क्योंकि इसमें किसी तरह के हानिकारक रसायन उपस्थित नहीं होते हैं। विटामिनों तथा ओमेगा 3 के अनुपूरकों के साथ भी इसका सेवन संभव है। मगर विदेशी या एलोपैथिक दवाइयों के साथ इसका सेवन चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए क्योंकि यह एक शक्तिशाली औषधि है।
प्र. क्या रीठा बालों का झड़ना रोक सकता है?
उ. वैज्ञानिक तौर पर रीठा इस समस्या का अकेले ही निदान नहीं कर सकता है। इसमें फेनिन या झागदार घटक मौजूद पाए जाते हैं और इससे नियमित रूप से सिर धोने से शिरोवल्क या सिर की खाल काफी स्वस्थ हो जाती है। मगर आयुर्वेद के मुताबिक़ रीठा सिर की रूसी को खत्म कर बालों के झड़ने की समस्या को नियंत्रित कर सकता है। यह त्रिदोष की समस्या को हल करके भी बालों की वृद्धि में योग देता है।
प्र. क्या रीठा बालों को सफेद होने से रोक सकता है?
उ. ऐसा विश्वास किया जाता है कि रीठे को आंवले तथा सिकाकाई में मिलाकर तैयार की गयी औषधि बालों की सफेदी को नियंत्रित करने के साथ-साथ कई अन्य फायदे भी देती है। आंवला एक रंजक कारक होने के कारण बालों को काला भी करता है। इसका पित्त दोषनाशक गुण बालों को उनके मूल रंग में बनाए रखने में मदद करता है। वैज्ञानिक शोध साबित करते हैं कि ये तीनों औषधियां बालों के लिए काफी गुणकारी होती हैं और इसी कारण महत्वपूर्ण व लोकप्रिय उत्पादों में इनका प्रयोग होता है।
https://main.ayush.gov.in/sites/default/files/Ayurvedic%20Pharmacopoeia%20of%20India%20part%201%20volume%20IX.pdf
http://www.ayurveda.hu/api/API-Vol-1.pdf
https://www.researchgate.net/publication/282355415_FORMULATION_AND_EVALUATION_OF_POLYHERBAL_ANTIDANDRUFF_POWDER_SHAMPOO
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/22983291/
https://ijpsr.com/bft-article/sapindus-mukorossi-areetha-an-overview/?view=fulltext
https://www.researchgate.net/publication/267698560_Sapindus_mukorossi_areetha_An_overview
http://www.scielo.br/scielo.php?script=sci_arttext&pid=S0036-46652012000500007