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आयुर्वेद के अनुसार गिलोय के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Giloy ke Fayde aur Nuksan in Hindi

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By NS Desk | 22-Mar-2021

Giloy ke Fayde aur Nuksan in Hindi

गिलोय का परिचय - Introduction of Giloy in Hindi

गिलोय जिसे अमृता और गुडुची के नाम से भी जाना जाता है शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली एक अद्भुत औषधि है। दिल के आकार की इसकी पत्तियां पान के पत्तों के समान दिखती हैं। तीक्ष्ण स्वाद वाली गिलोय रक्त में ग्लूकोज के लेवल को कम करती है तथा उपापचय को सुधारने के साथ ही शरीर के वज़न को कम करने में मदद करती है। इसका सेवन चूर्ण, चाय,गोलियों, जूस,सत्व आदि कई रूपों में किया जा सकता है। इसका जूस प्रतिरोधी शक्ति को बढ़ाता है तथा इसमें उपस्थित ज्वरनाशक तत्व ज्वर  की समस्या का समाधान करते हैं। गिलोय शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या में वृद्धि करता है तथा इसीलिए इसे डेंगू की अचूक दवा माना जाता है। गिलोय त्वचा तथा बालों को भी स्वस्थ बनाती है। इसका सेवन विषैले तत्वों से मुक्ति दिला कर बालों और त्वचा को सेहतमंद बनाता है। शरीर के प्रभावित भाग पर इसका लेप भी किया जा सकता है। इसमें त्वचा का कायाकल्प करने की शक्ति मौजूद होती है तथा यह कोलैजन लेवल को बढाता है।

गिलोय के अन्य क्या-क्या नाम हैं? - What Other Names Does Giloy Have in Hindi?

गिलोय को विविध क्षेत्रों में विविध नामों से पुकारा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम टिनोस्पोरा कार्डिफोलिया है। इसके कुछ अन्य नाम इस प्रकार हैं जैसे- गुडुची,मधुपर्णी,अमरुता,अमृत वल्लरी,छिन्नरुआ,चक्रलक्षणिका,सोमवली,रसायनी,देवनिर्मिता,गुलवेल,वत्सनी,ज्वरारी,बहुचिन्ना,अमृता आदि।

गिलोय के फायदे (गिलोय के शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी लाभ) - Giloy Ke Fayde in Hindi

गिलोय को शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक उपयोगी माना जाता है। इसके कुछ चमत्कारिक लाभ इस प्रकार हैं- 

• गिलोय से डेंगू ज्वर का उपचार 
गिलोय में एंटीइंफ्लेमेट्री तथा एंटीपाइराइटिक यानी ज्वरनाशक तत्व उपस्थित पाए जाते हैं जो डेंगू के इलाज में मदद करते है। गिलोय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और साथ ही प्लेटलेट्स की संख्या में वृद्धि भी करती है। इसी कारण यह डेंगू का इलाज करने में सक्षम है।

• कोलेस्ट्रॉल लेवल को घटाने में सहायक 
गिलोय के दीपण तथा पाचन संबधी गुण शरीर में कोलेस्ट्रॉल की उत्पत्ति पर रोक लगाते हैं। यह उपापचय में सुधार लाती हैं और साथ ही विषेले तत्वों को शरीर से बाहर कर कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने मे मदद करती है।
टिप्स: शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को घटाने के उद्देश्य से गिलोय का 1-2 चम्मच जूस पानी में मिलाकर लेना चाहिए।

• गाउट के रोग में फायदेमंद 
गठिया अथवा गाउट एक वात रोग होता है और इसका कारण शरीर में उत्पन्न होने वाला वात दोष ही बनता है। गिलोय शरीर में वात दोष को खत्म कर देती है तथा इस गठिया रोग से छुटकारा दिलाती है।

• अतिसार का उपचार 
गिलोय में पाचन प्रणाली को मजबूत करने वाले गुण मौजूद पाए जाते हैं जो पाचन संबंधित कमजोरी को दूर कर अतिसार के उपचार में मदद करते हैं।
टिप्स: एक-चौथाई या आधा चम्मच गिलोय पाउडर का सेवन गरम पानी में खाना खाने के उपरांत दिन में दो बार करें।

• घाव या जख्म भरने में सहायक  
त्वचा से संबंधित कई समस्याओं जैसे एलर्जी, घाव, प्रदाह तथा अन्य रोगों का उपचार भी गिलोय की मदद से संभव है। आयुर्वेद के अध्ययन साबित करते हैं कि इसमें रोपण अथवा उपचारात्मक, कसाय या स्तम्मक गुण प्रचुर मात्रा में  मौजूद पाए जाते हैं और इसीलिए यह समस्त त्वचा रोगों जैसे कि संक्रमण, घावों आदि के इलाज के लिए अच्छी मानी जाती है।
टिप्स: गिलोय की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें तथा इसे शहद या गुलाब जल में मिलाकर त्वचा के प्रभावित भाग पर लगाएं।

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• रूमेटाइड आर्थ्राइटिस में लाभप्रद 
आर्थ्राइटिस शरीर में दर्द और सूजन का कारण बनता है। गिलोय में उपस्थित प्रोइनफ्लेमेट्री तथा साइटोकिंस की उत्पत्ति का गुण आर्थ्राइटिस की सूजन से राहत प्रदान करता है। चूंकि रूमेटाइड आर्थ्राइटिस एक स्वप्रतिरक्षित रोग है तथा यह शरीर की प्रतिरोधकता को प्रभावित कर सकता है इसीलिए इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को गिलोय का सेवन चिकित्सक की सलाह के उपरांत ही करना चाहिए।

• वज़न एवं मोटापा को घटाने में सहायक 
मोटापा शरीर में मेदाधातु की गड़बड़ी एवं विषैले तत्वों के जमा हो जाने का परिणाम होता है। इसका मुख्य कारण है हमारा उलटा-सीधा खान-पान तथा बिगड़ी हुई जीवन-शैली। गिलोय का सेवन शरीर की पाचक अग्नि को बढ़ाता है और शरीर में जमा विष या आम को नियंत्रित करता है जिस कारण मोटापा तथा वज़न कम हो जाते हैं।

• आंखों की समस्याओं का समाधान 
गिलोय रोपण, कसाय एवं उपचारात्मक या स्तम्मक गुणों से भरपूर होता है और इसी वजह से आंखों से संबंधित कई समस्याओं जैसे- जलन, लालिमा, खुजली आदि से छुटकारा दिलाता है।
टिप्स: किसी बरतन में पानी लेकर उसमें गिलोय की कुछ पत्तियां उबाल लें और  फिर ठंडा होने दें। अब इस पानी को पलकों पर लगाएं तथा कुछ समय  तक लगा रहने दें व फिर धो लें।

• बालों का हानिकारक प्रभावों से बचाव 
गिलोय कड़वी या तीक्ष्ण, कसाय अथवा स्तम्मक प्रकृति की होती है तथा इसके यही गुण बालों को कई तरह के हानिकारक प्रभावों एवं रूसी आदि से बचाते हैं। इसके अलावा इसका रासायनिक गुण बालों की वृद्धि में सहायक होता है।
टिप्स: गिलोय की पत्तियों को गुलाब डल में पीसकर बढ़िया लेप तैयार कर लें।इसे बालों पर अच्छी तरह से लगाएं तथा दो या तीन घंटे तक लगा रहने दें और फिर शैंपू से सिर को धोएं।

• गिलोय द्वारा रोगों/ स्वास्थ्य-समस्याओं का उपचार 
यहां हम वैज्ञानिक एवं आयुर्वेदिक तौर पर गिलोय की मदद से विभिन्न रोगों के उपचार के विषय में जानेंगे।

• ज्वर
आयुर्वेद- गिलोय ज्वरनाशक या एंटीपाइराइटिक गुणों से भरपूर होती है। शरीर में ज्वर का कारण वह आम या टॉक्सिन (जीव विष) बनता है जो पाचन की गड़बड़ी से शरीर में जमा हो जाता है। गिलोय का  सेवन भूख को बढ़ाता है और पाचन तंत्र में  सुधार लाता है  जिसके परिणामस्वरूप आम की मात्रा में कमी आती है और शरीर की  प्रतिरोधी शक्ति में वृद्धि होती है। यह स्थिति ज्वर से राहत दिलाने वाली  होती है। इसका रसायन संबंधी गुण भी ज्वर के उपचार में सहायक होता है।

• डायबिटिज मेलिटस टाइप-1 तथा टाइप-2
आयुर्वेद-
 आयुर्वेद मनुष्य में डायबिटिज या मधुमेह को वात दोष का परिणाम मानता है। खराब पाचन तंत्र तथा आम या टोक्सिन (जीव विष) इंसुलिन के स्राव को बाधित करता है। इसके अलावा वात दोष का अग्नाशय की कोशिकाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मगर गिलोय अपनी दीपन या क्षुधावर्धक प्रकृति के फलस्वरूप टोक्सिन का लेवल कम करता है और इसके सेवन से इंसुलिन का स्राव सामान्य हो जाता है व साथ ही पाचन तंत्र भी सुधर जाता है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होने के कारण रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित होता है जिस कारण मधुमेह से राहत मिलती है। 
टिप्स: टाइप 1व टाइप 2 के मधुमेह के रोगियों को प्रतिदिन एक गिलास पानी में आधा चम्मच गिलोय पाउडर को मिलाकर पीना चाहिए।

• हेय फिवर या परागज ज्वर
आयुर्वेद-
 हेय फिवर सामान्यतः कफ दोष का परिणाम होता है, क्योंकि इस दोष की वजह से शरीर में टोक्सिन या आम जमा हो जाता है। गिलोय पाचन तंत्र व प्रतिरोधी क्षमता में सुधार कर शरीर को संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है तथा इस तरह समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
टिप्स: एक चौथाई या आधा चम्मच गिलोय पाउडर का शहद में मिलाकर सेवन करें। यह उपाय प्रतिदिन दोपहर या रात के भोजन के उपरांत करना चाहिए।

• कैंसर
आयुर्वेद-
 आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ दोष ही कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का कारण बनते हैं। गिलोय में  त्रिदोष नाशक गुण मौजूद पाया जाता है तथा इसके सेवन से इस गड़बड़ी में  कमी आती है। इसके साथ ही इसका रसायन संबंधी गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। फलतः इसका सेवन कैंसर की रोकथाम में योग देने वाला माना जाता है।
टिप्स: कैंसर की रोकथाम के उद्देश्य से 2-3 चम्मच गिलोय जूस का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए।

• लिवर (यकृत) की क्षति
आयुर्वेद-
 हमारे शरीर में पाचन अग्नि की गड़बड़ी लिवर की बीमारियों का कारण बनती है। गिलोय इस अग्नि को बढ़ा कर भोजन को ठीक से पचाने में योग देता है। इसके अलावा इसका दीपन या क्षुधावर्धक या पाचक गुण पाचन मार्ग की सफाई कर उसमें उपस्थित टोक्सिन या जीव विष से मुक्ति  दिलाता है। अतः इस प्रकार  लिवर के रोगों से छुटकारा मिलता है।

• दमा अथवा खांसी 
आयुर्वेद-
 गिलोय के सेवन से खांसी का  सफलतापूर्वक इलाज संभव है। आयुर्वेद के अनुसार खांसी कफ की गड़बड़ी का परिणाम होती है। श्वसन नाल में श्लेष्मा जमा होने के कारण खांसी होती है। गिलोय कफ को संतुलित कर फेफडों व श्वसन नाल से श्लेष्मा को निकाल देता है। इसके अलावा इसकी गरम या उष्ण प्रकृति के कारण भी खांसी में राहत मिलती है। गिलोय गोबलेट यानी चषक कोशिकाओं की उत्पत्ति को कम कर देती है जिसके परिणामस्वरूप दमे के संचय में भी कमी आ जाती है।

• आर्थ्राइटिस 
आयुर्वेद-
 शरीर में पाचन अग्नि की गड़बड़ी टोक्सिन या जीव विष के संचय का कारण बनती है जिसका परिणाम शारीरिक सूजन एवं दर्द होता है। गिलोय अपने दीपन या पाचन संबंधी गुणों की वजह से शरीर में आम या टोक्सिन यानी जीव विष की मात्रा को कम कर देती है। फलतः शरीर को सूजन व दर्द से आराम मिलता है।
इस प्रकार अस्थि तथा उपास्थि यानी कॉर्टिलेज की क्षति की रोकथाम होती है तथा इस रोग से राहत मिलती है। ध्यान रहे कि गठिया के रोगी को चिकित्सक की देखरेख में ही गिलोय का सेवन करना चाहिए।
टिप्स: दिन मे एक बार पानी के साथ गिलोय के चूर्ण या गोलियों का सेवन करें।

• श्वसन संबंधित समस्याएं 
आयुर्वेद-
 आयुर्वेद के अनुसार शरीर में उत्पन्न  वात एवं कफ दोष श्वसन संबंधित रोगों का कारण बनते हैं। गिलोय फेफडों से अतिरिक्त श्लेष्मा को दूर करके कफ दोष का निवारण करती है। वात-कफ दोष के परिणामस्वरूप श्वसन मार्ग में रुकावट पैदा हो जाती है तथा सांस लेने में दिक्कत आती है। गिलोय के असर से इस समस्या का सफलतापूर्वक समाधान हो जाता है। गिलोय अनेक प्रकार के संक्रामक रोगों के प्रति सुरक्षा कवच का काम करती है और श्वसन से जुड़े रोगों से राहत देती है।

● त्वचा संक्रमण 
आयुर्वेद-
 त्वचा से संबंधित कई समस्याओं जैसे कि एलर्जी, घाव, जलन या सूजन आदि को गिलोय के इस्तेमाल से सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद के अध्ययन के मुताबिक गिलोय का रोपन या उपचारात्मक गुण त्वचा को स्वस्थ बनाने में काफी लाभप्रद सिद्ध हो सकता है।
टिप्स: त्वचा को स्वस्थ या सेहतमंद बनाने के लिए इसके तेल को प्रभावित भाग पर प्रत्यक्षतः इस्तेमाल किया जा सकता है। गिलोय के पाउडर को गुलाब जल, शहद, दूध तथा केले में मिश्रित करके भी चेहरे,गरदन व अन्य प्रभावित भागों पर लगाया जा सकता है।

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आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की उचित मात्रा - According to Ayurveda Proper Amount of Giloy in Hindi

गिलोय का आयुर्वेदिक उपचार हेतु जूस, चाय, चूर्ण या पाउडर, गोली, सत्व आदि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। गिलोय का सेवन खाद्य-पदार्थों के रूप में या दूध के साथ भी किया जा सकता है। इसका क्वाथ के रूप में भी उभपोग किया जा सकता है। अगर आप चिकित्सक से परामर्श लेकर इसका सेवन करने में असमर्थ हैं तो फिर इसके सेवन को निम्न निर्देशानुसार कीजिए।

● गिलोय पाउडर: विविध स्वास्थ्य समस्याओं के निदान हेतु एक चौथाई या आधा चम्मच गिलोय पाउडर का सेवन दिन में दो बार करें। बाहरी प्रयोग के लिए आधा चम्मच पाउडर को गुलाब जल में मिलाकर इस्तेमाल करें।

● गिलोय का रस: विविध रोगों से छुटकारा पाने के लिए 2-3 चम्मच गिलोय के रस को पानी में मिलाकर लें।

● गिलोय की गोलियां: दिन में दो बार गिलोय की 2-3 गोलियां भोजन के उपरांत पानी से ले सकते हैं।

● गिलोय का तेल: गिलोय के तेल का उपयोग बाह्य तौर पर त्वचा संबंधी समस्याओं या फिर कान दर्द आदि के लिए प्रयोग किया जा सकता है। दिनभर में 1-2 चम्मच तेल का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

● गिलोय के कैपसूल: विविध स्वास्थ्य समस्याओं के निदान हेतु गिलोय के एक या दो कैपसूल का सेवन दिन में एक या फिर दो बार किया जा सकता है।

● गिलोय सत्व: चुटकी भर यानी मामूली-सी मात्रा में गिलोय सत्व का दिन में दो बार सेवन करें। अगर आप चिकित्सक से संपर्क करते हैं तो इसकी मात्रा का सेवन उनके परामर्श के मुताबिक ही करें। 

गिलोय से संबंधित आयुर्वेद केयर(परिचर्या) विविध प्रकार - Miscellaneous Types of Ayurveda Care Related to Giloy in Hindi

●गिलोय पाउडर
बाजार में गिलोय का पाउडर भी मिलता है जिसे सूखी गिलोय को पीसकर तैयार किया जाता है। इसे कब्ज व त्वचा से संबंधित कई समस्याओं के निदान हेतु प्रयोग किया जा सकता है।
टिप्स:- अपने चिकित्सक के परामर्श के अनुसार आप गिलोय का सेवन दूध या पानी में या फिर चाय अथवा लड्डू के रूप में भी कर सकते हैं।
गिलोय पाउडर का सेवन निम्न प्रकार से कर सकते हैं- 

  • आधा चम्मच गिलोय पाउडर शहद या पानी में मिलाएं।
  • और लंच व डिनर के बाद दिन में दो बार लें।

● गिलोय के लड्डू 
तेल या पाउडर के बजाय गिलोय का मिठाई के रूप सेवन ज्यादा रुचिकर लगता है और साथ ही यह अन्य की अपेक्षा ज्यादा असरदार भी होता है।
टिप्स

  • गिलोय पाउडर लें और उसे आटे में मिला लें।
  • आप स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें नमक, काली मिर्च तथा कोई अन्य चीज भी मिला सकते हैं।
  • इन सब चीजों को अच्छे से मिलाकर लोइयां बना लें।
  • फिर इन्हें गेंद के आकार के गोल-गोल लड्डुओं का रूप दें।
  • अब इन्हें 10-12 दिनों के लिए सुरक्षित रख लें या फिर इनका तुरंत सेवन करें।

● गिलोय के कैपसूल 
आप गिलोय के पाउडर की जगह पर इसके कैपसूल का सेवन भी कर सकते हैं। विविध समस्याओं के निदान हेतु दिन में 1-2 कैपसूल का सेवन करें।

● गिलोय की गोलियां 
गिलोय की गोलियां भी आती हैं।इनका  सेवन आप निम्न तरीके से कर सकते हैं।
टिप्स: गिलोय की एक-एक गोली दिन में दो बार दोपहर एवं रात के भोजन के बाद गरम पानी या शहद के साथ अथवा अपने चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लें।

● गिलोय का जूस
गिलोय का सेवन जूस के रूप में भी किया जा सकता है। गिलोय की कुछ ताजा पत्तियों को पानी में पीसकर जूस तैयार कर लें। इस जूस को आप इसी रूप में भी पी सकते हैं और चाहें तो 1-2 चम्मच जूस को पानी में मिलाकर प्रतिदिन खाली पेट पी सकते हैं।

● गिलोय की चाय
आप गिलोय का सेवन चाय के रूप में भी कर सकते हैं। यह गिलोय के सेवन का सबसे साधारण तरीका है और कई तरह के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है।

  • बरतन में पानी लेकर उबाल लें।
  • उबलते पानी में चाय की पत्तियां डाले।
  • चाय का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें दूध भी मिला सकते हैं।
  • अब इसमें एक चम्मच गिलोय पाउडर मिला लें।
  • ठीक से घोलें और दवा समझ कर पी लें।

● गिलोय का क्वाथ
रक्त, पीलिया या पाचन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए गिलोय चूर्ण को क्वाथ के रूप में भी ले सकते हैं।
टिप्स

  • बरतन में 2 कप पानी को उबालें।
  • उसमें एक चम्मच गिलोय पाउडर डालें।
  • अब इसे ठीक से पानी में घुलने दें।
  • मिश्रण को आधा रहने तक उबालें।
  • अब 1-2 चम्मच लें और उसमें पानी मिला लें।
  • प्रतिदिन भोजन से पूर्व एक कप पी लें।

बाह्य उपयोग हेतु
त्वचा संबंधित समस्याओं के निदान हेतु तथा उसे स्वस्थ या सेहतमंद बनाने के लिए गिलोय चूर्ण व तेल का बाह्य तौर पर प्रयोग किया जाता है।

● अपरिपक्व गिलोय 
गिलोय की पत्तियों को गुलाब जल में  पीसकर पेस्ट बना लें और इसका प्रयोग त्वचा के प्रभावित भाग पर करें। कुछ समय तक लगा रहने दें और फिर धो लें। इससे चेहरे की त्वचा साफ तथा चिकनी बन जाती है।

● गिलोय का पाउडर 
गिलोय पाउडर का शहद या गुलाब जल में पेस्ट बनाकर इस्तेमाल करना चाहिए। इसको दाग-धब्बे हटाने के लिए फेस पैक या त्वचा पैक के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
टिप्स

  • गुलाब जल में आधा या एक चम्मच गिलोय पाउडर मिला लें।
  • इसे चेहरे या गरदन के प्रभावित भाग पर इस्तेमाल करें।
  • इस पैक को 5-7 मिनट तक लगा रहने दें।
  • जब पूरी तरह से सूख जाए तो ताजा पानी से धो लें।
  • अब चेहरे को सूखाकर इस मोशराइजर्स का इस्तेमाल करें।

● गिलोय का तेल
चेहरे तथा गरदन पर गिलोय के तेल की मालिश करने से त्वचा नम तथा स्वस्थ्य बनती है।

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गिलोय के दुष्प्रभाव - Side Effects of Giloy in Hindi

भले ही गिलोय में अनेक प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक गुण मौजूद पाए जाते हैं फिर भी इसके कुछ दुष्प्रभाव भी देखे जाते हैं। इस तरह के दुष्प्रभाव मुख्यतः  उदर संबंधित समस्याओं से ग्रस्त लोगों   गर्भवती महिलाओं, मधुमेह के रोगियों, स्तनपान कराने वाली महिलाओ आदि में देखे जाते हैं। विज्ञान व आयुर्वेद दोनों ही क्षेत्रों के विशेषज्ञ इसके निर्देशित या सीमित मात्रा में सेवन करने की सलाह देते हैं। चिकित्सक के परामर्शानुसार इसके सेवन हेतु निम्न सावधानियों   का पालन करना अनिवार्य है।

गिलोय के इस्तेमाल से संबंधित सावधानियां - Precautions Related to The Use of Giloy in Hindi

● मधुमेह के रोगियों के लिए 
विज्ञान विशेषज्ञों का मत-
 विज्ञान विशेषज्ञों के मुताबिक़ गिलोय शरीर में निम्न रक्त शर्करा लेवल का कारण बन सकती है। अतः यदि आप गिलोय का नियमित रूप से सेवन कर रहे हैं तो अपने ब्लड शुगर लेवल की नियमित रूप से जांच कराते रहें।

● गर्भवती महिलाओं के लिए 
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत- 
गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक देखभाल और सावधानियां रखने की जरूरत होती है। गिलोय की तासीर अत्यधिक गरम या उष्ण होती है और  इसी कारण इस अवस्था में इसका सेवन चिकित्सक की देखरेख में ही करना ही उचित रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ गर्भावस्था में गिलोय का सेवन करना वर्जित माना जाता है। फिर भी यदि इसका सेवन करना भी पड़े तो चिकित्सक की सलाह के अनुसार या उसकी देखरेख में ही करना अच्छा रहता है।

● स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए गिलोय का सेवन सुरक्षित मानते हैं। मगर फिर भी इसका सेवन करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह लेना अनिवार्य है।

● अति संवेदनशील त्वचा वाले लोगों के लिए 
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत- एलर्जी व अति संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को गिलोय का इस्तेमाल दूध, गुलाब जल या शहद आदि के साथ करना चाहिए। इसका कारण यह है कि यह अपनी गरम या उष्ण प्रकृति की वजह से अकेले प्रयोग करने से एलर्जी पैदा कर सकता है।

● अगर आप कोई अन्य दवाई ले रहे हैं तो यह सावधानी रखें 
गिलोय प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है और उसे और अधिक सक्रिय बनाती है।अतः इसका सेवन प्रतिरोधी शक्ति को बढ़ाने वाली दवाइयों के साथ न करें।  

● सावधानी से संबंधित अन्य उपाय 
स्वप्रतिरक्षित रोग से पीड़ित व्यक्ति को गिलोय का सेवन करने से पहले चिकित्सक का परामर्श अवश्य लेना चाहिए। स्वप्रतिरक्षा गड़बड़ी के अंतर्गत संधिशोथ, ल्यूप सिस्टम, एरिथोमाटोस्स आदि की समस्याएं आती हैं। गिलोय प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है। अतः यदि व्यक्ति स्वप्रतिरक्षित रोग से पीड़ित होता है तो उसकी प्रतिरोधक शक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है जिससे शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। गिलोय ब्लड शुगर लेवल में  परिवर्तन का कारण बनती है। इसीलिए सर्जरी से कम से कम दो सप्ताह पहले तक गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।

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गिलोय से संबंधित प्रश्नोत्तर - Giloy Related FAQ's in Hindi

प्र. गिलोय का सत्व कैसे बनाते हैं?
उ. 
आयुर्वेद के अनुसार किसी भी औषधीय पौधे की पत्तियों से निकाला गया उसका क्षार उसका सत्व कहलाता है। 

  • गिलोय का सत्व विभिन्न प्रकार के लाभ देता है तथा इसे निम्न प्रकार से बना सकते हैं।
  • गिलोय के तने को कूट-पीसकर रातभर के लिए पानी में भिगो कर रख दें।
  • अगले दिन गिलोय के तने बेहद नरम हो जाएंगे। अब इन्हें उसी पानी अच्छे  से पीस लें। उसके बाद कुछ देर के लिए रख दें तथा स्टार्च को बरतन की तली में बैठने दें।
  • अब साफ पानी की ऊपरी परत को सावधानी से अलग कर दें।
  • अब गिलोय का सत्व प्राप्त करने के लिए इसे सूखने दें।

प्र. गिलोय का काढा तैयार करने का तरीका क्या है?
उ.
 गिलोय का काढा तैयार करने का तरीका है- 
1. एक चम्मच गिलोय पाउडर लें।

  • उसे दो कप पानी में उबाल लें
  • जब तक इसका एक-चौथाई भाग शेष बचे उबालते रहें।
  • अब इसे ठंडा करके पिएं।

2. गिलोय की ताजा पत्तियों को पानी में उबालें तथा इसका एक-चौथाई भाग शेष रहने तक उबालते रहें। फिर इसे छानकर ठंडा कर लें।

प्र. क्या गिलोय तथा आंवले के मेल से बना जूस लाभप्रद होता है?
उ.
 गिलोय तथा आंवले को मिलाकर तैयार किया जूस सुबह के समय पीना काफी लाभप्रद होता है। इसे रात के समय पीने की सलाह नहीं दी जाती है। इसे खाली पेट पीना अच्छा लाभ देता है।

प्र. गिलोय की पत्तियों के क्या लाभ हैं?
उ.
 गिलोय की पत्तियां अनेक प्रकार के रोगों के उपचार में काम आती हैं जिनमे आर्थ्राइटिस का रोग भी शामिल है। गिलोय का जूस शरीर से टोक्सिन या जीव विष को निकालने में मदद करता है और त्वचा को सेहतमंद बनाने के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसके अलावा इसकी पत्तियां पाचन क्रिया को भी सुधारती हैं। गिलोय का दीपन या पाचन संबंधी गुण पाचन प्रक्रिया को सुधार कर अनेक रोगों से छुटकारा दिलाता है। इसका सेवन मतली या अरुचि को दूर करता है। इसकी उपचारात्मक प्रकृति त्वचा संबधी समस्याओं जैसे कि दाह, शुष्कता, सूजन आदि से निजात दिलाती है। अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इसकी पत्तियां बालों से संबंधित कई समस्याओं का निराकरण भी कर सकती हैं।

प्र. क्या गिलोय की पत्तियों का सेवन सुरक्षित है?
उ.
 गिलोय का पत्तियों का सेवन लाभप्रद होता है तथा इसकी पत्तियों को चबाने से भी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

प्र. क्या  गिलोय का जूस तनाव से राहत देता है?
उ.
 गिलोय के पौधे में उपस्थित एडाप्टोजेनिक गुण नर्वस तंत्र को ठीक करके चिंता एवं मानसिक तनाव से राहत दिलाता है और दिमाग को शांति  देता है।
आयुर्वेदिक अध्ययन के मुताबिक तनाव या चिंता की उत्पत्ति शरीर में वात दोष के पैदा हो जाने पर होती है। गिलोय वात दोष को मिटाकर तनाव से आराम दिलाता है।
टिप्स: तनाव को खत्म करने के लिए प्रतिदिन सुबह खाली पेट दो या तीन चम्मच गिलोय जूस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए।

प्र. क्या गिलोय किडनी के अफ्लैटोक्सिकोसिस के दौरान लाभप्रद होता है? 
उ.
 आयुर्वेद के अध्ययन के मुताबिक- गिलोय का रसायन संबंधी गुण किडनी की परेशानियों से छुटकारा दिलाता है। शरीर में उपस्थित टोक्सिन या जीव विष को दूर करता है और साथ ही रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। इसी कारण किडनी की कार्य प्रणाली में सुधार आता है।

प्र. क्या गिलोय का सेवन स्वप्रतिरक्षित रोग की स्थिति में सही रहता है?
उ. 
यदि आप स्वप्रतिरक्षित रोग से पीड़ित हैं तो गिलोय का सेवन चिकित्सक के परामर्श के उपरांत ही करें। स्वप्रतिरक्षित की गड़बड़ी के अंतर्गत कई तरह की समस्याएं आती हैं जैसे-संधिशोथ, सिस्टेमैटिक ल्यूपस, एरिथोमाटोस्स आदि। गिलोय प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है और इसी कारण यह अत्धिक उत्तेजित होकर शरीर पर हानिकारक प्रभाव अंकित कर सकती है।

प्र. बच्चों के लिए गिलोय कितनी सुरक्षित है?
उ.
 यदि गिलोय का बहुत कम या नियंत्रित मात्रा में सेवन किया जाए तो यह बच्चों के लिए सुरक्षित रहती है। इसके सेवन से पाचन तंत्र में सुधार आता है और कुछ अन्य लाभ भी मिलते हैं। इसकी मदद से बच्चों के ज्वर का उपचार भी संभव है।

प्र. क्या गिलोय का जूस वज़न कम करने में सहायक होता है?
उ.
 शरीर में मेदाधातु की गड़बड़ी से आम या टोक्सिन जमा हो जाता है और यही  मोटापे एवं वज़न बढ़ने कारण बनता है। यह सब हमारे खान-पान की गलत आदत तथा आधुनिक जीवन शैली का परिणाम है। गिलोय अपनी उष्ण या गरम प्रकृति की वजह से पाचन अग्नि  में सुधार लाता है और शरीर से आम या टोक्सिन को बाहर करता है। इसी के परिणामस्वरूप मोटापा घटता है व वज़न कम हो जाता है।

प्र. क्या गिलोय पीसीओएस (PCOS) का उपचार कर सकता है?
उ.
 ऐसा कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिलता कि गिलोय पीसीओएस का इलाज कर सकता है। फिर भी यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर पीसीओएस से पीड़ित व्यक्ति को राहत प्रदान करता है।

प्र. गिलोय के काढ़े का सेवन कितनी समयावधि के बाद करना उचित रहता है?
उ.
 गिलोय के काढ़े का सेवन क्ई रोगों के उपचार हेतु फायदेमंद होता है। मगर इसके काढ़े का सेवन चिकित्सक के द्वारा नियत समयावधि के बाद ही करना चाहिए, क्योंकि की अलग-अलग रोगों में इसकी अलग-अलग समयावधि हो सकती है।

प्र. क्या खाली पेट गिलोय का जूस पिया जा सकता है?
उ. 
यदि गिलोय के जूस को खाली पेट पिया जाए तो वह कई रोगों से छुटकारा दिला सकता है, जैसे कि लिवर की समस्याएं, तनाव, ज्वर आदि।
टिप्स: प्रतिदिन सुबह दो या तीन चम्मच गिलोय का जूस खाली पेट पीना चाहिए।

प्र. क्या गिलोय का सेवन कब्ज का कारण बन सकता है?
उ. 
सामान्यतः गिलोय का सेवन कब्ज कारण नहीं बनता है मगर फिर भी यदि पहले से ही कब्ज रहती हो तो इसका सेवन गरम पानी से करना चाहिए।

प्र. क्या गिलोय का इस्तेमाल प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाने के लिए कर सकते हैं? 
उ.
 गिलोय में प्रतिरोधी शक्ति को बढ़ाने वाले समस्त गुण मौजूद पाए जाते हैं। गिलोय में मौजूद मैग्नोफ्लोरिन लिम्फोसाइट्स नामक प्रतिरक्षा को बढ़ाने वाली कोशिकाओं को सक्रिय करने में मदद करते हैं। ये प्रतिरक्षा को बढ़ाने वाली कोशिकाएं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती हैं और एक सुरक्षा कवच का काम करती हैं। गिलोय के रासायनिक तथा उपचारात्मक गुण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और रोगाणुओं की वृद्धि को रोककर रोगों से  बचाव भी करते हैं। टिप्स: प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए दिन में दो बार, दोपहर एवं रात के भोजन के उपरांत दो या तीन चम्मच गिलोय जूस का सेवन पानी के साथ करें।

प्र. क्या गिलोय पाचन तंत्र में सुधार लाता है?
उ. 
वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक इसके तने में एमिलेज का सार जो श्वेतसार को शर्करा में बदलता है प्रचुर मात्रा में मौजूद पाया जाता है। यह स्टार्च को पचाने में योग देता है और संपूर्ण पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। गिलोय में दीपन या पाचन गुण तो होता ही है साथ ही यह तासीर में उष्ण भी होता है। इसी वजह से यह पाचन संबंधी समस्याओं का निराकरण करता है और पाचन प्रणाली में सुधार लाता है। पाचन तंत्र में सुधार लाने के लिए गिलोय के काढ़े का सेवन दिन में दो बार करना चाहिए। एसिडिटी, मतली, अतिसार आदि समस्याओं से राहत मिलेगी। 

प्र. क्या  गिलोय श्वसन संबंधित समस्याओं से लड़ने में मदद करता है?
उ.
 गिलोय में प्रचुर मात्रा में माइक्रोबियल तत्व उपस्थित पाए जाते हैं जो श्वसन संबंधित रोगों के इलाज में मदद करते हैं। अतः गिलोय संक्रमण फैलाने वाले विषाणुओं को मारकर श्वसन संबंधी रोगों से बचाव करने हेतु एक रक्षा कवच का काम करता है। आयुर्वेद के मुताबिक़ श्वसन संबंधी रोगों का कारण वात एवं कफ दोष बनता है। गिलोय वात-कफ दोष को मिटाकर फेफडों से अतिरिक्त श्लेष्मा या मल को निकाल देता है। वात-कफ के कारण श्वसन मार्ग में रुकावट पैदा हो जाती है जिससे सांस लेने में दिक्कत आती है। गिलोय इस समस्या का निदान कर देता है।

प्र. क्या गिलोय का सेवन प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है?
उ. 
गिलोय में मौजूद फाइटोकैमिकल्स जो एक तरह के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और  अपने इम्यूनोमोड्युलेट्री यानी प्रतिरोधकता बढ़ाने वाल

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।