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आयुर्वेद के अनुसार धनिया के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Dhania ke Fayde aur Nuksan in Hindi

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By NS Desk | 23-Mar-2021

Dhania ke Fayde aur Nuksan in Hindi

धनिया का परिचय - Introduction of Coriander in Hindi

धनिया एक पादप आधारित औषधि है तथा इसकी एक अलग ही महक और लज्जत होती है। सामान्यतः धनिए के सूखे बीजों का उपयोग विभिन्न रोगों तथा स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है। धनिए का तीखा और मीठा स्वाद भोजन और अन्य खाद्य-पदार्थों को विशेष सुवास या लज्जत प्रदान करता है। धनिया पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है तथा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट  तत्व शरीर को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए रक्षा कवच का काम करते हैं। 

धनिया विभिन्न प्रकार के त्वचा रोगों, जैसे – मुहांसों, फुंसियों, काले धब्बों आदि के उपचार में मदद करता है। धनिए के जूस तथा इसकी पत्तियों के पेस्ट में गुलाब जल मिलाकर प्रभावित भाग  पर लगाने से  शीतलता का अनुभव होता है तथा मुहांसों, सूजन व त्वचा से संबंधित अन्य समस्याओं में आराम मिलता है। इसके एंटीबैक्टीरियल तथा  स्तभंक गुणों के कारण इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। धनिए के पानी या  इसके पानी में भिगोए हुए बीज थायराइड के उपचार हेतु उपयोग किए जाते हैं क्योंकि उनमें विटामिन तथा खनिज प्रचुर मात्रा में मौजूद पाए जाते हैं। धनिए की पत्तियां पचने में आसान होती हैं और अपने वातहर गुणों की वजह से डायरिया,  ,बावेल स्पाज्म, अफारा आदि में राहत देते हैं। दैनिक आहार में धनिए का उपभोग उदर संबंधित अनेक समस्याओं  से छुटकारा दिलाता है। इसमे मौजूद एंटीस्पाजमोडिक गुण मांसपेशियों की ऐंठन कम करते हैं और साथ ही उदर संबंधित दर्द कम करते हैं। इसके मूत्र त्याग एवं मूत्रवर्धक गुण किडनी की पत्थरी  से मुक्ति दिलाने में मददगार साबित होते हैं। धनिए का अत्यधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस कारण अति संवेदनशील त्वचा के मामले में त्वचा की जलन या प्रदाह की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
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धनिए के अन्य क्या-क्या नाम हैं? - What are the Other Names of Coriander in Hindi?

संसार के विभिन्न भागों में धनिए को विभिन्न नामों से जाना जाता है। इसका सामान्य वैज्ञानिक नाम कोरियंड्रम स्टीवुम है। इसके अलावा इसे धनिया,  कोरियंडर, धाने,धुई, कोठिमबीर, धनीवाल, धनवल, धनियाल, किशनीज आदि नामों से भी जाना जाता है।

विभिन्न प्रकार के उपचार में धनिए के फायदे - Benefits of Coriander in Various Types of Treatment in Hindi

अब तक अनेक ऐसे शोध हो चुके हैं जो धनिए के फायदों या इसके लाभप्रद प्रभावों के विषय में बहुत कुछ दर्शाते हैं। बीमारी चाहे अधिक घातक हो या कम धनिया उसके उपचार में एक उत्प्रेरक का काम करता है। यह अनेक प्रकार के रोगों या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, जैसे- मुहांसों,  आंतो के शोथ, कृमि संक्रमण, पाचन समस्याओं आदि के उपचार में वरदान साबित होता है। यहां धनिए के कुछ लाभप्रद उपयोग दिए गए हैं।

• भूख को जगाना या जाग्रत करना
धनिया फ्लेवोनायड के रूप में समृद्ध होता है तथा भूख को जगाने का काम करता है। धनिए में लिनालूल तत्व मौजूद पाए जाते हैं जो तंत्रिका संचारी गतिविधि तथा भोजन की खपत में  वृद्धि कर भूख को बढ़ाने में योग देते हैं।

• मांसपेशियों की ऐंठन के उपचार में मदद 
धनिए के वातहर तथा एंटीस्पाजमोडिक गुण मांसपेशियों की ऐंठन या पेशी आकुंचन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा धनिए के सेवन से अपच के कारण उत्पन्न जठरीय गतिविधि तथा दर्द से राहत भी मिलती है।

• कृमि संक्रमण से राहत
धनिए में कृमिनाशक गुण मौजूद पाए जाते हैं जो कृमि के अंडों की उत्पत्ति को रोककर कृमियों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

• जोड़ों के दर्द का उपचार 
धनिए का पेस्ट बनाकर प्रभावित या दर्द वाले भाग पर लगाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। धनिए में सिनिऑल तथा लिनोलिक एसिड समृद्ध मात्रा में निहित होता है और इसी कारण यह एंटीरूहेमैटिक, एंटीआथ्राइटिक गतिविधि दर्शाता है व इसमें एंटीइंफ्लेमेट्री गुण मौजूद पाए जाते हैं। इसके ये सभी गुण संयुक्त रूप से जोड़ों के दर्द तथा सूजन में आराम देते हैं।
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धनिए की मदद से रोगों/स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार - Treatment of Diseases with the help of Coriander in Hindi

धनिए के उपयोग से निम्न कुछ रोगों या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का उपचार किया जा सकता है।

•आंखों की रोशनी
आयुर्वेद- आंखों की खराब या कमजोर रोशनी का कारण शरीर में पित्त की गड़बड़ी होती है। धनिए की ताजा पत्तियों का जूस पित्त की गड़बड़ी को ठीक करके आंखों की रोशनी को बढ़ाता है।
धनिए के जूस के सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखें स्वस्थ व नीरोग बनी रहती हैं।

• पाचन संबंधित समस्याएं 
आयुर्वेद- धनिए में पाचन व दीपन गुणों के अतिरिक्त यह उष्ण या गरम प्रकृति का भी होता है और  इसी कारण यह पाचन संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए उत्तम माना जाता है। धनिए का सेवन पाचन  में  सुधार लाता है तथा भूख को बढ़ाता है। पाचन संबंधित समस्याओं, जैसे मतली, एसिडिटी,  डायरिया आदि के उपचार के लिए धनिए के क्वाथ का छाछ के साथ दिन में दो बार सेवन करना चाहिए।
जले हुए या जख्म पर इसका पेस्ट लगाने से संक्रमण से बचाव होता है।
 
• कब्ज
आयुर्वेद-
आयुर्वेद के अनुसार धनिया कब्ज का उपचार नहीं करता है। धनिए में ग्राही या अवशोषण संबंधित गुण मौजूद होते हैं जो  डायरिया तथा कमजोर पाचन के उपचार में मदद कर सकते हैं। अतः धनिया कब्ज का निवारण नहीं करता है। पाचन में सुधार हेतु खाना खाने के बाद धनिए के पाउडर का सेवन शहद में करना चाहिए। इसका उपयोग पाचन संबंधी समस्याओं व पेट की गड़बड़ी,जैसे  कि आंतों के रोग,अपच,अफारे आदि के उपचार हेतु  किया जाता है।

• गले से संबंधित समस्याएं 
आयुर्वेद-
प्रदाह तथा खांसी का कारण मुख्यतः शरीर में उत्पन्न कफ दोष की गड़बड़ी बनती है। श्लेष्मा बनती है तथा श्वसन मार्ग में मल जमा हो जाता है और  इसी कारण श्वसन मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।  उष्ण तथा कफ निवारक गुण श्वसन मार्ग की रुकावट को दूर करते हैं और तथा श्लेष्मा के जमाव से छुटकारा दिलाते हैं। धनिए में उपस्थित एंटीइंफ्लेमेट्री गुणों के कारण इसका उपयोग गले की गड़बड़ी को ठीक करने के लिए पारंपरिक रूप से किया जाता है।

• थायराइड 
आयुर्वेद-
हमारे शरीर में उत्पन्न वात तथा कफ की गड़बड़ी ही थायराइड का कारण बनती है। यह एक हार्मोन संबंधी असंतुलन है। धनिए का वात एवं कफ निवारक गुण थायराइड के हार्मोन की  उत्पत्ति को नियंत्रित करके थायराइड की समस्या का निवारण करता है। भोजन के उपरांत धनिए के पाउडर को शहद में मिलाकर खाना फायदेमंद रहता है। धनिए के पानी के सेवन से थायराइड के उपचार में मदद मिलती  है। इसमें मौजूद  विटामिन बी1,बी2 व बी3 काफ़ी फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा इसमें निहित खनिज भी थायराइड से अच्छी राहत प्रदान करते हैं। धनिए के पानी का प्रतिदिन खाली पेट सेवन करने से अच्छा लाभ मिलता है।

• नाक से संबंधित समस्याएं 
आयुर्वेद-
कफ की  गड़बड़ी के कारण नासिक्य  मार्ग में श्लेष्मा  बनती है। धनिए की उष्ण तथा कफ निस्सारक प्रकृति नाक की समस्याओं से छुटकारा दिलाती है। इसके अलावा इसके ग्राही,  कसाय  या पित्त निवारक गुण नाक से होने वाले रक्त स्राव को नियंत्रित करते हैं और मल या श्लेष्मा को पिघलाते हैं।
धनिया प्राकृतिक रक्त स्तंभक यंत्र होता है और इसी कारण नाक के प्रभावित भाग पर इसके रस का इस्तेमाल करने से जलन व सूजन में आराम मिलता है। धनिया नाक के दर्द तथा क्षोभ को कम कर सकता है। धनिया नाक से होने वाले रक्त स्राव का उपचार भी कर सकता है।

आयुर्वेद द्वारा निर्देशित मात्रा के अनुसार धनिए के विविध प्रकार 
आयुर्वेदिक उपचार में धनिए के विभिन्न रुपों का उपयोग होता है, जैसे- बीज, ताजा पत्तियां, पाउडर, क्वाथ या शरबत आदि। इनमें से धनिए का प्रत्येक रूप एक भिन्न प्रकार के औषधीय टानिक तैयार कर सकता है या  विभिन्न प्रकार के रोगों या समस्याओं के उपचार के लिए बाह्य तौर पर प्रभावित भाग पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि आप धनिए के उपयोग की उचित मात्रा के बारे में अपने चिकित्सक का परामर्श नहीं ले पाते हैं तो इसे निम्न निर्देशानुसार उचित मात्रा में उपभोग कर सकते हैं।
 
आंतरिक उपभोग या सेवन 
• धनिया चूर्ण या पाउडर: दोपहर तथा रात के भोजन के उपरांत आधा चम्मच धनिया पाउडर दूध या शहद के साथ लेना चाहिए।
• धनिया क्वाथ: एक-चौथाई या आधा चम्मच धनिया पाउडर को दो कप पानी में मिला लें। अब इसकी आधी मात्रा बाकी रहने तक उबालें। अब इसे छान लें  तथा इसके 4-5 चम्मच पानी या छाछ में डालकर पिएं। इसे दिन में एक बार भोजन से पूर्व पीना चाहिए।
• धनिए के बीज: पाचन व नाक से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए 1-2 चम्मच धनिए के बीज या फिर उनके पाउडर अथवा शरबत का सेवन किया जा सकता है।
• धनिए की पत्तियां: धनिए की ताजा पत्तियों का सब्जी में  या फिर उनका रस निकाल कर सीधे सेवन किया जा सकता है। त्वचा के दाग-धब्बों तथा प्रदाह से मुक्ति पाने के लिए इसके रस को शहद या पानी में पीना उचित रहता है। यदि आप चिकित्सक से संपर्क करते हैं तो इसका सेवन उनके परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए।

बाह्य उपयोग 
•धनिया पाउडर: एक-चौथाई या एक चम्मच धनिया पाउडर को गुलाब जल में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इसे सूजन, जले हुए तथा मुहांसों आदि के उपचार के लिए 2-4 घंटों तक प्रभावित भाग पर लगाएं।
• धनिए की पत्तियों का पेस्ट: गुलाब जल तथा शहद में बनाया गया इसकी पत्तियों का पेस्ट आधा से एक चम्मच की मात्रा में दिन में 2-3 बार चेहरे, गरदन तथा माथे पर लगाना चाहिए।
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धनिए के दुष्प्रभाव - Side effects of Coriander in Hindi

जहां धनिए में अनेक प्रकार के अनूठे औषधीय गुण मौजूद पाए जाते हैं, वहीं इसके कुछ दुष्प्रभाव भी देखे जाते हैं। इसके दुष्प्रभाव ज्यादातर इसके अधिक मात्रा में सेवन के कारण ह्रदय से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त लोगों, गर्भवती महिलाओं, मधुमेह रोगियों, स्तनपान कराने वाली महिलाओं में देखने को मिलते हैं। अतः विज्ञान  तथा आयुर्वेद दोनों के विशेषज्ञ धनिए के उपयोग से पूर्व चिकित्सक के परामर्श लेने की सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त त्वचा पर धनिए का अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से त्वचा की संवेदनशीलता,  प्रदाह या त्वचा के काला पड़ने जैसी समस्याएं आड़े आ  सकती है।

धनिया से संबंधित आयुर्वेदिक केयर के विभिन्न प्रकार - Different Types of Coriander Related Ayurvedic Care

• धनिया पाउडर 
धनिया पाउडर के रूप में भी उपलब्ध होता है। इसे बीजों को पीस कर तैयार किया जाता है तथा इसका इस्तेमाल कई प्रकार के रोगों की रोकथाम या उनके जोखिम को कम करने के लिए करते हैं। ऐसे कुछ प्रमुख रोग हैं- मधुमेह, त्वचा संबंधित समस्याएं आदि।
टिप्स: आप अपने चिकित्सक के परामर्शानुसार धनिए पाउडर का सेवन शहद में मिलाकर कर सकते हैं। आप धनिए के पाउडर का उपयोग इसका क्वाथ बनाने के लिए भी कर सकते हैं।

• धनिए का क्वाथ
पाचन तंत्र में सुधार तथा त्वचा से संबंधित कई समस्याओं के उपचार हेतु आप धनिए के बीजों या पाउडर की चाय या उसका क्वाथ बनाकर भी पी सकते हैं।
टिप्स:

  • किसी बरतन में दो कप पानी उबाल लें।
  • इसमें 1-2चम्मच धनिए के बीज या पाउडर मिला लें ।
  • अब अच्छी तरह से मिला लें।
  • अब इसे आधी मात्रा में शेष बचने तक उबालें।
  • इस मिश्रण के 4-5 चम्मच छाछ में मिलाकर पी लें।
  • एसिडिटी, मतली तथा डायरिया जैसे रोगों के उपचार के लिए प्रतिदिन एक कप खाना खाने से पहले पिएं।

• धनिया पाउडर का शहद के साथ सेवन
धनिए पाउडर का सेवन दोपहर या रात के भोजन के बाद शहद में मिलाकर करें। इन दोनों का संयुक्त रूप से सेवन मूत्र संबंधित समस्याओं के निदान व  पाचन तंत्र में सुधार लाने में बहुत मदद करेगा।
टिप्स: एक-चौथाई या आधा चम्मच धनिया पाउडर का सेवन एक चम्मच शहद में मिलाकर कर करें।

• धनिया शरबत 
धनिए का शरबत काफ़ी लाभप्रद तथा स्वादिष्ट होता है। इसे धनिए के बीजों से तैयार किया जाता है तथा इसका सेवन पाचन संबंधी समस्याओं,  इरिटेबल बावेल सिंड्रोम, त्वचा से जुड़ी समस्याओं आदि के उपचार के लिए किया जाता है।
टिप्स: एक या दो चम्मच धनिए के बीज रातभर के लिए एक गिलास पानी में भीगो कर रख दें। धनिए के बीजों को उसी पानी में मसल लें। दिन में दो बार इस शरबत के 4-6 चम्मच पिएं।

धनिए की ताजा पत्तियों का पेस्ट 
धनिए के पेस्ट का इस्तेमाल बाह्य प्रयोग किया जाता है, जैसे कि मुहांसों, त्वचा के संक्रमण आदि का उपचार करने के लिए।
टिप्स: धनिए की ताजा पत्तियां लें तथा उन्हें पीसकर मुलायम पेस्ट बना लें। इसमें शहद, दूध ,गुलाब जल आदि अच्छी तरह से मिला लें। इसे प्रभावित भाग पर 10-15 मिनटों के लिए लगाएं और इस प्रक्रिया को प्रत्येक सप्ताह दोहराएं। ऐसा करने से बेहतर परिणाम मिलेंगे। धनिए के पेस्ट का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए सीधे जोड़ों की मालिश के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं।
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धनिए के उपयोग को लेकर कुछ खास सावधानियां - Some Special Precautions Regarding the Use of Coriander in Hindi

धनिए के उपयोग से पूर्व उसे विभिन्न रोगों के उपचार हेतु प्रयोग करते समय जिन सावधानियों का पालन करना चाहिए उनके बारे में जान लेना भी अनिवार्य है। चिकित्सक के परामर्श या संपर्क के बिना यदि धनिए के जूस का प्रयोग आंखों पर करें तो निम्नलिखित सावधानियां अवश्य रखें।

श्वास संबंधित समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए 
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक़- धनिए के उपभोग से पूर्व चिकित्सक का परामर्श अवश्य लेना चाहिए, क्योंकि धनिए की पत्तियां  शीत या ठंडी प्रकृति की होती है।

मधुमेह के रोगियों के लिए 
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक़-
धनिया लगातार निम्न रक्त शर्करा स्तर का कारण बनता है। अतः यदि आप मधुमेह की दवाइयों के साथ-साथ धनिए का सेवन भी कर रहे हैं तो अपने रक्त शर्करा के स्तर की नियमित जांच कराते रहें।

ह्रदय रोगियों के लिए 
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक़-
धनिया निम्न रक्तचाप का कारण बनता है और इसीलिए यदि आप उच्च रक्तचाप की दवाइयां खाने के साथ-साथ धनिए का भी सेवन कर रहे हैं तो अपने रक्तचाप की नियमित जांच कराते रहें।

एलर्जी या अति संवेदनशील त्वचा की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए 
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक़- आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक़ धनिया बहुत ही गरम या उष्ण प्रकृति का होता है और इसीलिए अति संवेदनशील त्वचा या त्वचा से जुड़ी एलर्जी वाले लोगों को धनिए पाउडर का इस्तेमाल दूध या गुलाब जल में मिलाकर करना चाहिए।
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धनिए से जुड़े प्रश्नोत्तर - Coriander Related FAQ's in Hindi

प्र. धनिए में निहित विभिन्न तत्व कौन-कौन से हैं?
उ.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ धनिए में कई तरह के एसेंशियल ऑयल उपस्थित होते हैं, जैसे – लिनालूल ए-पाइनीन, वाई- तारपीन,  कैम्फर या कपूर, जिरनिऑल, जिरनाइल असेटेट आदि। धनिए में विभिन्न प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स ,विटामिन के तथा विटामिन सी प्रचुर मात्रा में मौजूद पाए जाते हैं। इसके अलावा धनिया आहारी फाइबर, मैंगनीज़, आयरन, मेग्नीशियम आदि के रूप में भी काफी समृद्ध होता है। इसमें सेहत को लाभ पहुंचाने वाले और भी बहुत से गुण पाए जाते हैं, जैसे यह कृमिनाशक, उत्प्रेरक, उपशामक, एंटीमाइक्रोबियल,  एंटीकोनवुलसंट,वातहर आदि। यह सुगंधित,  मूत्रवर्धक, मधुमेहरोधी और प्रतिऑक्सीकारक भी होता है।

प्र. बाजार में धनिया किन-किन रूपों में उपलब्ध है?
उ.
धनिया मुख्यतः पत्तियों और बीजों के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके ये दोनों रूप बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। ये सुपरमार्केट तथा किराने की दुकान पर सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं। धनिए की ताजा पत्तियां तथा इसके बीज भोजन में सुगंध या लज्जत देने के लिए प्रयोग की जाती हैं। उपभोग के लिए इसे विभिन्न रूपों में बदल लिया जाता है।

प्र. आंखों की जलन के उपचार के लिए धनिए के उपयोग का क्या तरीका है?
उ.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ आंखों की जलन का उपचार धनिए के क्वाथ से किया जा सकता है। इसके कुछ लेकर पानी में आधी मात्रा में शेष बचने तक उबालें। इस क्वाथ से आंखों को धोने से किसी भी प्रकार की एलर्जी या आंखों की जलन का इलाज संभव हो जाएगा।

प्र. क्या धनिए का उपयोग मुहांसों को नियंत्रित करने में मदद करता है ?
उ.
मुहांसे काले धब्बे होते हैं जिन्हें धनिए का जूस आसानी से कम कर सकता है। धनिया अपने कसाय तथा स्तंभक गुणों के लिए विख्यात है और इसीलिए इसके जूस या पेस्ट को सूजन तथा मुहांसों के उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है। धनिए की पत्तियों के जूस या पेस्ट में हल्दी पाउडर मिला लें। इसका उपयोग प्रभावित भाग पर कीजिए तथा मुहांसों के ठीक होने तक यह प्रक्रिया दोहराते रहिए।

प्र. क्या धनिया पित्तिका या ददोरों का उपचार कर सकता है?
उ.
धनिया शीत या ठंडी प्रकृति का होता है और इसीलिए यदि धनिए की पत्तियों के पेस्ट या जूस का इस्तेमाल प्रभावित भाग पर किया जाता है तो यह त्वचा की जलन, प्रदाह तथा पित्तिका या ददोरों के इलाज में कारगर सिद्ध होता है।

प्र. धनिया सिर दर्द के मामले में कैसे लाभप्रद होता है?
उ.
धनिया सिर दर्द का उपचार कर सिर को शीतलता का एहसास कराता है। धनिया अपनी शीत या ठंडी प्रकृति के कारण माथे पर इसका पेस्ट या जूस लगाने से सिर दर्द में शीघ्र  ही आराम मिल जाता है।

प्र. धनिए का पानी विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार में कैसे मदद करता है?
उ.
धनिए का पानी शरीर तथा स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। धनिए के पानी का प्रातः काल सेवन करने से आति रक्त दाब , ज्वर, सिर दर्द,  थायराइड आदि के उपचार में मदद मिलती है। कुछ अन्य रोग या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, जैसे फंग्ल व माइक्रोबियल संक्रमण, कोलेस्ट्रॉल, किडनी की समस्याएं,  त्वचा से जुड़ी दिक्कतें आदि भी इसके पानी के सेवन से ठीक हो जाती हैं।अपने वातहर गुणों के कारण यह यादाश्त में सुधार लाता है, पाचन की कमजोरी को दूर करता है व आंखों की रोशनी बढ़ाता है।

आयुर्वेदिक अध्ययन के मुताबिक धनिए के पानी में उष्ण या गरम, दीपन या क्षुधावर्धक एवं पाचन संबंधी गुण मौजूद पाए जाते हैं जो भूख को बढ़ाते हैं तथा पाचन प्रक्रिया को मजबूत करते हैं। इसके अतिरिक्त इसकी उष्ण तथा कफ को संतुलित करने की प्रकृति श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे – खांसी, जुकाम,  अस्थमा आदि की रोकथाम करती है।
धनिए के पानी के सेवन का तरीका:
• एक या दो चम्मच धनिए के बीज एक गिलास पानी में मिला लें।
• इन बीजों को एक पूरी रात पानी में भिगो कर रखें।
• इस पानी के 4-6 चम्मच का सेवन दोपहर या रात के भोजन से पहले करें।

प्र. धनिया बच्चों की खांसी की रोकथाम में कैसे सहायक होता है?
उ.
ऐसे ठोस साक्ष्य मौजूद नहीं हैं जो यह दर्शाते हों कि धनिए का सेवन बच्चों की खांसी की रोकथाम में कुछ खास मदद करता है। जबकि इसके इलाज के लिए धनिए का पारंपरिक तौर उपयोग किया जाता रहा है।
बच्चों में खांसी होने का कारण कफ दोष होता है। खांसी श्वसन मार्ग में श्लेष्मा या मल जमा हो जाने से उसकी रुकावट का परिणाम होती है। धनिए के बीज अपनी उष्ण तथा कफ निस्सारक प्रकृति के कारण इस श्लेष्मा या मल से छुटकारा दिलाकर खांसी के उपचार में योग देते हैं।

प्र. क्या धनिए का प्रयोग शरीर के कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने के लिए कर सकते हैं?
उ.
धनिया शरीर में बुरे या हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर या लेवल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाता है। शरीर में जमा अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल मल के साथ शरीर से बाहर मुक्त हो जाता है।

प्र. क्या धनिया चिंता को कम करने में मदद करता है?
उ.
धनिया में उपस्थित एनेक्सोलियटिक प्रभाव मांसपेशियों को आराम देने में सहायक होता है और  इसका अवसादक प्रभाव चिंता के लेवल को कम करने में मदद करता है।

संदर्भ:

http://www.ayurveda.hu/api/API-Vol-1.pdf
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/23818772/
http://www.ijplsjournal.com/issues%20PDF%20files/july2010/2..pdf
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4152784/
https://www.researchgate.net/publication/236879895_Nutritional_and_medicinal_aspects_of_coriander_Coriandrum_sativum_L_A_review
https://www.easyayurveda.com/2013/03/04/coriander-seed-and-leaves-health-benefits-complete-ayurveda-details/
https://www.planetayurveda.com/library/dhanyaka-coriandrum-sativum/
https://www.ayurvedacollege.com/blog/corianderthewealthy/

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।