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आयुर्वेद के अनुसार आंवला के फायदे और नुकसान हिंदी में - Ayurveda ke Anusar Amla ke Fayde aur Nuksan in Hindi

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By NS Desk | 06-Mar-2021

Amla

आंवला का परिचय - Introduction of Amla

आंवला जिसे अमलखी, आंबला, औला,आनला आदि नामों से जाना जाता है एक पादप आधारित पोषक तत्वों से भरपूर भारतीय गूजबेरी है और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट की आपूर्ति का समृद्ध स्रोत है। आंवला पाचन तंत्र में सुधार करता है तथा एसिडिटी के उपचार में मदद करता है। यह मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए काफी प्रभावकारी साबित होता है, क्योंकि यह रक्त शर्करा के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह आयु वृद्धि या बुढापे के संकतों ,जैसे कि बालों के सफ़ेद होने की रोकथाम में सहायता करता है और प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ाता है। आयुर्वेद के अनुसार आंवला एक सर्वाधिक प्रभावशाली रासायनिक टानिक जो त्वचा को कांतिमय बनाने, रक्त को शुद्ध करने तथा दृष्टि संवेदना के सुधार में खास मदद करता है।

आंवले का उपयोग विविध प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसकि उपभोग मुख्यतः मुरब्बे, भारतीय मसालों एवं कैंडी, विभिन्न प्रकार के जूस, आदि में किया जाता है और साथ ही इसके कच्चे फलों का सेवन भी खूब होता है।

रासायनिक संघटन - Chemical Composition

आंवले में विटामिन सी उच्च स्तर पर मौजूद होता है और साथ ही इसमें एलगीटेनिंस ,जैसे एंबलीकेनिंस ए (37%), एंबलीकेनिंस बी (33%), प्युनिग्लुकोनिन (12%) तथा पेडुनकुलगिन (14%) आदि की उच्च सघनता के कारण इसका स्वाद बहुत अधिक तिक्त होता है। आंवले में संयुक्त रूप से, फाइलानेंबीनिन ए, प्युनिकेफोलिन,फाइलानेंबलिन , पोलिफेनोल्स मौजूद पाए जाते हैं।

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आंवले की कुछ परिलब्धियां या उसके लाभ - Some Perks of Amla or Its Benefits

आंवले में मौजूद कुछ लाभप्रद गुण जिनसे विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार में मदद मिलती है उनका वर्णन नीचे दिया गया है-

● अपच के उपचार में मदद
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत-
आंवला पाचक अग्नि में वृद्धि करके पेट से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए असरकारक सिद्ध होता है। यह अपने दीपन या क्षुधावर्धक एवं सौम्य विरेचक गुणों के फलस्वरूप मल उत्सर्जन को सरल बनाता है 

● मोटापे के उपचार में मदद
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत-
आंवला अपनी दीपन या क्षुधावर्धक और पाचन तथा पाचन संबंधी प्रकृति के कारण उपापचय को सुधार कर शारीरिक वज़न को कम करने या मोटापे को घटाने में मदद करता है।

● उच्च कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करने में मदद
आधुनिक वैज्ञानिक विशेषज्ञों का मत-
आंवला उच्च कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने खास तौर के असरकारक सिद्ध होता है। लिपिड तथा कोलेस्ट्रॉल के उपापचयन में पीपीएआर एक प्रमुख माल्क्यूल होता है। यह इसका विस्तार करके समग्र कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है तथा कोलेस्टेरीन, लिपोप्रोटिन कोलेस्टेरीन, ट्रीग्लाइसेराइड्स की निम्न सघनता का कारण बनता है।

● पेचिस या अतिसार के उपचार में मदद
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत-
आंवला अपनी कसाय या स्तम्मक प्रकृति के फलस्वरूप अतिसार को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह पाचन मार्ग की सर्पण मांसपेशियों के स्केल्स बैक संकुचन तथा उनकी दर्द को नियंत्रित करने में मदद करता है।

● अस्थिसंधिशोथ के उपचार में मदद
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत-
आयुर्वेद में डिडेनेरेटिव ज्वाइंट डिसिज या रोग को संधिवात के रूप में जाना जाता है
यह वात की गड़बड़ी का कारण होती है तथा जोड़ों के दर्द और सूजन का कारण बनती है। आंवले में वात की गड़बड़ी को ठीक करने वाले गुण मौजूद पाए जाते हैं जो वात को संतुलित करके जोडों के दर्द और सूजन में आराम देते हैं।

● जोड़ों के दर्द के उपचार में मदद
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत-
आंवला वात की गड़बड़ी के कारण उत्पन्न जोड़ों के दर्द व सूजन में आराम देता है। आंवले में मौजूद वातहर गुण इस दर्द तथा सूजन से राहत देता है।

● मधुमेह के उपचार में मदद
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत-
आंवला अपनी कसाय या स्तम्मक और रसायन संबंधित प्रकृति के फलस्वरूप मैक्रोमोलेक्यूल मेटाबोलिज्म  को नियंत्रित करके ग्लूकोज के लेवल को कम करने में मदद करता है।

● डायरिया के उपचार में मदद
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत-
आंवला अपनी शीत तथा कसाय या स्तम्मक प्रकृति के फलस्वरूप नाल सर्पण मांसपेशियों के संकुचन को पूर्व स्थिति में लौटा कर इस तरह के लक्षणों में राहत देता है।

● आंखों की समस्याओं से उपचार में मदद
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत-  आंवला आंखों से संबंधित कई समस्याओं,जैसे अश्रू बनना,लालिमा,जलन,खुजली आदि को नियंत्रित करती है और आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है। आंवले में उपस्थित टैन्निस आंखों में तरल के दबाव को कम करके मधुमेह के कारण उत्पन्न कैटरेक्ट तथा आंखों की रोशनी की हानि को नियंत्रित करने में मदद करता है। अपने एंटीमाइक्रोबियल, प्रतिरोधक तथा एंटी-इनफ्लेमेट्री गुणों की वजह से आंवले को आंखों का प्राकृतिक टानिक समझा जाता है।

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आंवले के उपयोग से संबंधित उपाय - Measures Related to the Use of Amla

आयुर्वेदिक मत 
1.आंवले के जूस का चिकित्सक द्वारा निर्देशित मात्रा से अधिक मात्रा में या अधिक लंबे समय तक किया गया सेवन त्वचा की जेरोट्स का कारण बन सकता है।

2. यदि शरीर में आम (विषैले अपशिष्ट) का जमाव अधिक मात्रा में हो तो भी आंवले के सेवन से परहेज करना चाहिए।

3. कफ की स्थिति, जैसे कि खांसी आदि की स्थिति में भी आंवले के सेवन से बचना चाहिए।

4.आंवले की शीतल तथा स्तम्मक प्रकृति को देखते हुए यह भी सलाह दी जाती है कि इसके जूस को रात के समय नहीं पीना चाहिए।

 

आंवले की उपयुक्त मात्रा - Suitable Quantity of Amla

• आंवले का जूस- दिन में एक या दो बार 3-4 चम्मच जूस का सेवन करना चाहिए।
• आंवले का पाउडर- एक-चौथाई या आधा चम्मच का दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं।
• आंवले का कैपसूल- एक या दो कैपसूल का दिन में दो बार सेवन करें।
• आंवला कैंडी- दिनभर में 2-3 कैंडी से ज्यादा का सेवन न करें।
• आंवले की गोलियां- एक या दो गोलियां दिन में दो बार लें।
• आंवले का पेस्ट- आधा या एक चम्मच अथवा फिर अपनी आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते हैं।
• आंवले का तेल- 2-3 बूंदें या फिर अपनी आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते हैं।

 

आंवले के उपयोग - Usage of Amla

● आंवले के कच्चे फल
क. आंवले के 2-3 कच्चे फल लें।
ख. अब इन पर चुटकी भर नमक छिड़क लें।
ग. इसका सेवन खाना खाने से पहलें करें ताकि एसिडिटी की समस्या से बचा जा सके।

● आंवले का जूस
क. 3-4 चम्मच आंवले का जूस लें।
ख. अब इसमें थोड़ी-सी मात्रा में पानी डालकर भोजन से पहले दिन में एक या दो बार पिएं।
ग. रात के समय,विशेषतः सर्दी की रात में तो इसका सेवन बिलकुल ही न करें।

● आंवले का चूर्ण
क. एक-चौथाई या आधा चम्मच आंवला चूर्ण लें।
ख. दोपहर या रात के भोजन से पहले शहद या पानी के साथ लें।

● आंवले के कैपसूल
क. 1-2 आंवला कैपसूल लें।
ख. इसे दिन में दो बार खाना खाने से पहले या बाद में पानी के साथ लें।

● आंवले की गोलियां
क. 1-2 आंवले की गोलियां लें।
ख. इन्हें दिन में दो बार खाना खाने से पहले या बाद में पानी के साथ लें।

● आंवले की कैंडी
क. आंवले की दो-तीन कैंडी लें।
ख. इनका सेवन खाना खाने से पहले या बाद में करें।

● आंवले का मुरब्बा
क. आंवले के बीस फल लें और उन्हें छिल लें।
ख. इन्हें एक-दो कप पानी में डालकर 10 मिनट तक उबालें।
ग. अब दो कप पानी में दो कप चीनी डालकर एक बरतन में गाढ़ी चाशनी तैयार कर लें।
घ. उसके बाद पके हुए आंवले इस चाशनी में डाल दें।
ङ. इसे 1-2 घंटे तक रखा रहने दें ताकि आंवले चाशनी को ठीक से अवशोषित कर लें।
च. इसके उपरांत आपका आंवले का मुरब्बा तैयार हो जाता है और आप इसका दोपहर या रात के भोजन के पहले या बाद में उपभोग कर सकते हैं।

● आंवले की चटनी
क. आधा कप आंवला लें।
ख. इसमें एक कप कटा हुआ धनिया तथा 3-4 मिर्च डाल लें।
ग. इसमें चुटकी भर हींग तथा स्वाद के अनुसार नमक भी मिला लें।
ङ. अब इस आंवले की चटनी का भोजन के साथ उपभोग करें।

● आंवले, गाजर व चुकंदर का जूस
क. 1-2 आंवले, दो गाजर तथा एक चुकंदर लें तथा उनको छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
ख. अब समस्त घटकों को जूसर में डाल लें।
घ. इनका जूस तैयार करके छान लें।
ङ. इसमें आधा नींबू निचोड़ लें और अपने स्वादानुसार नमक डाल लें।
च. इस जूस को दोपहर के भोजन के उपरांत पीने से पाचन क्रिया में खास सुधार आएगा।

● आंवले का पेस्ट
क. 2-3 आंवले लेकर उन्हें उबाल लें तथा फिर उनका बीज निकाल कर पीस लें और पेस्ट बना लें।
ख. इस पेस्ट में वनस्पति तेल मिला लें।
ग. इसे 30-40 मिनट तक त्वचा पर लगाएं और उसके बाद गुनगुने पानी से धो लें।
घ. यह उपाय दिन में एक बार करें।

● आंवले का तेल
क. अपने सिर के बालों को घने व लंबे बनाने के लिए सप्ताह में दो या तीन बार आंवले के तेल को सिर पर इस्तेमाल करें।
ख. गंभीर स्थिति में इसका प्रयोग रोज भी कर सकते हैं।

● आंवले का पाउडर
क. एक-दो चम्मच आंवले का पाउडर लें।
ख. इसमें पानी मिलाकर मुलायम पेस्ट बना लें।
ग. इसे 30-40 मिनट तक प्रभावित भाग पर लगाएं और फिर गुनगुने पानी से धो लें।
घ. यह उपाय दिन में एक बार करें।

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आंवले के उपयोग से बनाए जाने वाले विविध खाद्य-पदार्थ - Various foods made using Amla

1. मवनीकई नेल्लिकई चितृन्ना (कच्चे आम तथा गूजबेरी राईस)- आंवले और कच्चे आम के मेल से बहुत ही स्वादिष्ट चावल बनते हैं जिनकी लज्जत अनूठी होती है।
2. आंवला मुरब्बा– गूजबेरी  से बनी मिठाई अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक हो जाती है। छिले या कटे आंवले चाशनी में मिलाकर व उनमें इलायची डालकर स्वादिष्ट बनाया जाता है। ऐसे मसालेदार भोज्य- पदार्थ आपकी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इन्हें सर्दी के महीनों में बनाकर रखा जा सकता है।
3. आंवले का मसाला या छौंक- आंवले के साथ सौंफ व  अन्य मसाले मिलाकर बढ़िया तथा अनूठी लज्जत वाला छौंक या मसाला तैयार हो सकता है और इसका स्वाद भी उंगलियां चाटते रह जाने वाला साबित होता है।
4. आंवले का अचार- कुछ खास मसालों या अन्य घटकों को मिलाकर आंवले के अचार को मात्र चालीस मिनटों में तैयार किया जा सकता है। यह अचाक काफी स्वादिष्ट और अनूठी लज्जत वाला होता है। आप इसका उपभोग अपने दैनिक आहार में कर सकते हैं।
5. आंवले की चटनी के साथ शकरकंद की फ्राइज- आप शकरकंद की पतली फांके या स्लाइस काट कर और उन्हें तल कर उनको आंवले से तैयार की गयी चटनी के साथ खा सकते हैं या अपने मेहमानों आदि को परोस सकते हैं। इस प्रकार आप आंवले से बनाए गए  स्वादिष्ट खाद्य-पदार्थों से अपने आसपास के लोगों को भी प्रभावित कर सकते हैं।

 

आंवले के पारंपरिक उपयोग - Traditional uses of Amla

● पाक संबंधित उपयोग
भारत में प्रतापगढ़  गूजबेरी के सबसे बड़े भरतीय उत्पादकों तथा आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। इस क्षेत्र में आंवले को नमक, तेल तथा मसालों में परिरक्षित करके रखा जाता है। आंवले को पीसकर अनेक खाद्य-पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। प्रतापगढ़ में आंवले को चाशनी में डालकर तरह-तरह की मिठाइयां या अन्य मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं। ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार इसे कभी अवचूर्ण के रूप में उपभोग किया जाता था। इंडोनेशिया के बतक स्पेस द्वीप पर इसकी  भीतरी छाल को मछली के होलैट नामक शोरबे में मिलाकर उपचारात्मक उपयोग में लिया जाता है।

● पारंपरिक औषधीय उपयोग
प्राचीन भारतीय उपचार में इसके ताजा तथा सूखे फलों का चौकोर उपाय (सक्वेयर मिजर्रस) के रूप में प्रयोग किया जाता था। इस पौधे के सभी भागों, जैसे –फल, बीज, पत्तियां,  जड़,  छाल तथा फूलों को विभिन्न आयुर्वेदिक उपचार के लिए उपयोग किया जाता रहा है।

● अन्य उपयोग
आंवले का इस्तेमाल शैंपू, स्याही, बालों पर लगाने वाले तेल आदि में भी होता है।

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आंवले से संबंधित प्रश्नोत्तर - Amla Related FAQ's

प्र. आंवले के विपरीत उपयोग कौन-कौन से हैं?
उ.
आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आंवला शैंपू तथा रंग बनाने के व्यवसाय में प्रयोग होता है। इसे चटनी, कैंडी, ड्राइड चिप्स, अचार, जेली, चूर्ण या पाउडर आदि बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। आंवले के सार को स्याही में इस्तेमाल करते हैं और इसकी लकड़ी को छोटे विस्फोटकों में प्रयोग किया जाता है।

प्र. आंवले को भंडारित करने का क्या तरीका है?
उ.
वैज्ञानिक मतानुसार- आंवले के फल का एक निश्चित मौसम होता है तथा इसी कारण यह सारा साल उपलब्ध नहीं हो पाता है। अतः इसीलिए इसके भावी उपभोग को ध्यान में रखते हुए फ्रोजन करके या फिर सूखा कर सुरक्षित भंडारित किया जाता है।

प्र. प्रतिदिन कितने आंवलों का सेवन करना उचित रहता है?
उ.
वैज्ञानिक मतानुसार- प्रतिदिन 1-2 आंवलों का सेवन करना उचित रहता है। इसके अलावा आप इसे अपनी आवश्यकतानुसार भी ले सकते हैं। आप इसका सेवन कच्चे फल या फिर जूस के रूप में भी कर सकते हैं। फिर भी इसके सेवन की मात्रा को निर्धारित करने के लिए चिकित्सक का परामर्श लेना अनिवार्य है।

प्र. क्या हम कच्चा आंवला खा सकते हैं?
उ.
वैज्ञानिक मतानुसार- हां, हम कच्चा आंवला खा सकते हैं। हम इसे जूस या पेस्ट के रूप में उपभोग कर सकते हैं। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें पानी में घुलनशील विटामिन, आयरन, आटोमेटिक नंबर 20 आदि उपलब्ध पाए जाते हैं।

प्र. क्या आंवला ह्रदय के लिए अच्छा होता है?
उ.
आयुर्वेदिक मत- आंवले में ह्रदय को सुरक्षित रखने के सब गुण मौजूद पाए जाते हैं। यह शरीर में पाचक अग्नि की वृद्धि करके उच्च स्टेरॉयड अल्कोहल को नियंत्रित करता है जिससे ह्रदय चुस्त-दुरुस्त बना रहता है।

प्र. क्या आंवला चिकित्सकीय उपचार की विशेषता या अनिवार्यता वाली स्वास्थ्य-समस्याओं को नियंत्रित कर सकता है?
उ.
वैज्ञानिक मतानुसार- आंवला अल्जाइमर और पार्किंसन की बीमारियों के उपचार में खास मदद कर सकता है,क्योंकि यह एंटी-कोलिनेस्ट्रेज गतिविधि दर्शाता है। आंवले में संयुक्त रूप से निरोधक तथा एंटी-इनफ्लेमेट्री गुण मौजूद पाए जाते हैं जो फ्री-रेडिकल्स से लड़ते हैं तथा इनफ्लेमेट्री मेडिटेटर्स का निरोध कर पश्च मस्तिष्क की हानि से बचाव करता है तथा मनोवैज्ञानिक लक्षणों में सुधार करता है।

प्र. क्या आंवले में यकृत को संरक्षित करने या हेपाटाइटोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं?
उ.
आयुर्वेदिक मत- आंवला शरीर में पाचक अग्नि की वृद्धि करता है और इसी वजह से लिवर या यकृत की कार्य प्रणाली में सुधार आता है। यह अपनी रसायन संबंधित प्रकृति के कारण लिवर सेल्स की क्षति से बचाव भी करता है। यह लिवर को शरीर से विषैले तत्वों को मुक्त करने के लिए भी प्रेरित करता है।

प्र. क्या आंवला एपिथीलियम डक्ट से संबंधित समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है?
उ.
आयुर्वेदिक मत- आंवला शरीर की पाचन अग्नि में वृद्धि करके एपिथीलियम डक्ट से संबंधित समस्याओं के निदान में मदद करता है। अपने सौम्य विरेचक गुणों के कारण यह मल उत्सर्जन को सरल बनाने का काम भी करता है। 

प्र. क्या आंवला हड्डियों से संबंधित समस्याओं के उपचार में मदद करता है?
उ.
वैज्ञानिक मतानुसार- हड्डियों से संबंधित समस्याएं, जैसे कि पैथालॉजी अस्थि कोशिकाओं की बढ़ी हुई गतिविधियों का परिणाम होती है जो हड्डियों से खनिज की सांद्रता पाने के लिए उनको घिसा देती हैं। आंवला अपने एंटी- ओस्टियोक्सेस्टिक तथा एंटी- रीसोर्टिव गतिविधियों के लिए जाना जाता है जो हड्डियों से होने वाली खनिज की हानि को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। सूजन से संबंधित रोगों  में आंवला जोड़ों के बीच में टीसू कुशन का संरक्षण कर उनकी गति को आसान बनाता है।

प्र. क्या खाली पेट आंवले का उपभोग सेहत के लिए फायदेमंद होता है?
उ.
आयुर्वेदिक मत- हां, आंवले का सेवन खाली पेट किया जा सकता है,क्योंकि इसमें  शीत तथा त्रिदोष को शांत करने वाले गुण मौजूद पाए जाते हैं। अतः इसका खाली पेट सेवन करने से यह एसिडिटी की समस्या का निराकरण करता है।

प्र. क्या हम कच्चा आंवला खा सकते हैं?
उ.
आयुर्वेदिक मत- हां, कच्चे आंवले का उपभोग किया जा सकता है।इसका स्वादकसाय (स्तम्मक) होता है तथा इसे नमक लगाकर खा सकते हैं।

प्र. क्या आंवला पीलिया रोग के लिए उपयोगी होता है?
उ.
आयुर्वेदिक मत- हमारे शरीर में पीलिया रोग का कारण त्रिदोष की गड़बड़ी बनती है जिसके कारण लिवर की कार्य प्रणाली बेहद कमजोर हो जाती है। आंवले की त्रिदोष शामक तथा रसायन या पुनरुद्धार वाली प्रकृति त्रिदोष को संतुलित करके इस रोग से राहत देती है।

प्र. क्या मैं अपना वज़न कम करने के लिए आंवले का उपभोग कर सकता हूं?
उ.
आयुर्वेदिक मत- शरीर का वज़न उसमें आम या वसा का जमाव हो जाने से बढ़ता है। यह आम एक तरह का विषैला अपशिष्ट होता है जो कमजोर पाचन के कारण शरीर में एकत्र हो जाता है।
आंवला अपनी दीपन या क्षुधावर्धक और पाचन प्रकृति के फलस्वरूप शरीर में को नियंत्रित करता है और इस तरह शरीर का वज़न कम होता है।

प्र. पित्त की थैली की पत्थरी की रोकथाम हेतु मैं आंवले का उपयोग कैसे करूं?
उ.
आयुर्वेदिक मत- शरीर में पित्त की थैली पत्थरी का कारण त्रिदोष का असंतुलन बनता है। आंवले के फल या उसके जूस के रूप में सेवन करने से पित्त की थैली की पत्थरी का बनना रूक जाता है, क्योंकि आंवला त्रिदोष की गड़बड़ी को ठीक करने में समर्थ होता है।

प्र. क्या हम अश्वगंधा, ब्राह्मी और आंवले का संयुक्त रूप से सेवन कर सकते हैं?
उ.
आयुर्वेद के अनुसार- आंवले, अश्वगंधा तथा ब्राह्मी को पृथक-पृथक रूप में सेवन करना ही अच्छा होता है, क्योंकि ये तीनों रसायन तथा कायाकल्प करने वाले गुणों से भरपूर होती हैं। यदि आपका जठरीय तंत्र मजबूत है तो इन तीनों को संयुक्त रूप से भी लिया जा सकता है। यदि आपका पाचन सही है तो इन तीनों के मिश्रण का सेवन आपको अनेक प्रकार के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने वाला साबित होगा।

प्र. आंवला त्वचा के लिए कैसे लाभप्रद है?
उ.
आयुर्वेदिक मत- अपनी रोपन तथा रसायन संबंधित प्रकृति के कारण त्वचा के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होता है। यह शरीर में त्रिदोष को शांत करके त्वचा से संबंधित  समस्याओं तथा उसकी सूजन से राहत देता है। यह अपनी कसाय या स्तम्मक प्रकृति के फलस्वरूप तेलीय त्वचा से छुटकारा भी दिलाता है।

प्र. आंवला बालों के लिए कैसे फायदेमंद होता है?
उ.
आयुर्वेदिक मत- आंवला अपने दीपन या उपचारात्मक, रसायन या कायाकल्प करने वाले गुणों के फलस्वरूप बालों को स्वस्थ रखने या उन्हें पोषण देने में खास मदद करता है। यह बालों की हानि से बचाता है। इसकी शीत तथा स्तम्मक प्रकृति बालों की वृद्धि में योग देती है और  साथ ही शुष्कता तथा रूसी से रा भी छुटकारा दिलाती है।
टिप्स:
1 पांच-छह आंवले लें।
2 इनके बीज निकाल कर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
3 एक कप वनस्पति तेल लें।
4 इसमें आंवले मिला लें।
5 अब आंवलों के काला पड़ने तक इस मिश्रण को आग पर पकाएं।
6 अब गैस बंद करके इसे ठंडा होने दें।
7 इसे छानकर एक बोतल में रख लें।
8 इस तेल का सप्ताह में दो  बार सिर के बालों पर इस्तेमाल करें। इससे बाल गिरना बंद होंगे और साथ ही उनका सफेद होना भी नियंत्रित होगा।

प्र. क्या आंवला घाव के भरने में मदद कर सकता है?
उ.
वैज्ञानिक मतानुसार आंवले के जूस का सीमित उपयोग घावों को भरने तथा उनकों संक्रमण से बचाने में खास मदद करता है। आंवला शरीर में इनफ्लेमेट्री मेडिटेटर्स को नियंत्रित करके दर्द में आराम भी दिलाता है।

संदर्भ:

http://www.ayurveda.hu/api/API-Vol-1.pdf
https://main.ayush.gov.in/sites/default/files/Ayurvedic%20Pharmacopoeia%20of%20India%20part%201%20volume%20IX.pdf
https://www.netmeds.com/health-library/post/amla-benefits-uses-for-hair-and-health-conditions-supplements-and-recipes
https://www.researchgate.net/publication/287524229_Current_trends_in_the_research_of_Emblica_officinalis_Amla_A_pharmacological_perspective
https://globalresearchonline.net/journalcontents/v24-2/25.pdf
https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2451865419302625

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।