कमरदर्द के लक्षण, कारण और उपाय

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By NS Desk | 12-Sep-2020

back pain

कमरदर्द (Lumbago) : अक्सर सभी घरों की महिलाओं में इस समय सबसे ज्यादा तकलीफदेह जो रोग है वो है कमर दर्द। यह एक बीमारी तो नही लेकिन रोजमर्रा की छोटी-छोटी विकृत आदतों से रीढ़ की निचली हड्डियों में sleep disc हो जाती है जो व्यक्ति को काफी तकलीफ देने वाली होती है। आज इसी रोग को विस्तार से जानते है।

लक्षण (कैसे पहचाने) :
-लगातार कमर में दर्द होना मुख्य लक्षण है।
-उठते बैठते समय चुभन जैसा दर्द।
-कोई भी काम करने में तकलीफ
-दिनभर थकान व बैचेनी
-कमर के नीचे भारीपन
-दर्द की वजह से नींद में कमी
 
कमरदर्द के कारण :
-वजन अधिक होने की वजह से कमर पर ज्यादा बोझ
-अधिक समय तक बैठकर काम करनेवाले व्यक्ति
-अचानक कोई भारी वस्तु उठा लेना
-नियमित इस तरह का कोई काम जो कमर पर दबाव डालता हो
-कोई चोट लगने की वजह से
-महिलाओं में अधिकतर मासिक धर्म मे गइ़बड़ी की वजह
-वयानुसर हडडियों की गुणवता में कमी होना
-मासिक धर्म में अधिक रक्त निकलने की वजह से
-गर्भिणी में
-स्त्रियों में डिलीवरी होने के बाद सही पथ्य का पालन न करना
-कभी कोई चोट या आघात की सही तरिके से ईलाज न करना
-महिलाएं यदि डिलीवरी के बाद डॉक्टर के बताए नियमो के पालन न करने की वजह से ।
 
डॉक्टर को दिखाने का समय :
-शौच के लिए बैठने में कमर पर तकलीफ
-एकबार बैठने पर उठने में तकलीफ
-दिनभर थकान महसूस
-पैरों में सूनापन या झुनझुनी महसूस होना
-चलने में ,उठकर बैठने में दर्द, ,तो तुरंत वैदय या चिकित्सक के पास जाएं।
 
कौन-कौन सी जांच करवाना जरूरी :
-X-ray- कमर की सन्धियों का X-ray करवाना जरूरी है ,इससे यह पता लगेगा कि उस स्थान पर कोई विकृति तो नही हुई है।
-MRI
-रक्त जांच- रक्त कमी, Uric Acid या अन्य कोई इंफेक्शन का पता लगाने के लिए।
-Bone Mass Density. अस्थियों की गुणवता जांचने के लिए
-कमर दर्द न हो इसके लिए क्या करे
-नियमित हल्का व्यायाम करे
-मालिश करवाते रहे
-पोषण युक्त भोजन ले
-चोट लगने पर तुरन्त उपचार करे
-डिलीवरी के बाद ठीक से नियमो का पालन करे
 
कमर दर्द में घरेल इलाज :
कमर दर्द से पीड़ित लोगों को कब्ज को दूर करने के लिए एरंड तैल(Castor oil) से बढ़कर कोई दवा नहीं।
1 kg एरड तैल ,100 gm अजवाइन, 50 gm लहसून और 100 gm बेसन को घोलकर उसकी छोटी छोटी पकौड़ी तल लें। ठंडा होने पर छान लें इस तैल को। चम्मच सुबह-शाम खाली पेट दूध में मिलाकर पिएं और दर्द की जगह मालिश भी करें।
अपने शरीर प्रमाण व बल के अनुसार वजन बना कर रखे व पूर्ण विश्राम करें।
स्पंज के टुकड़े को ऊपर लिखे गर्म तैल में इबो कर दर्द की जगह पर 15 से 20 मिनिट रोज सेक करे।
शोंठ 1 चम्मच ,15 gm गुड़ में मिलाकर सुबह शाम खाकर ऊपर से गर्म पानी पिरयें।
मेथी एक चम्मच सुबह शाम गर्म पानी से फांके।
कोई चोट लगी हो तो तुरंत अच्छे से उसका उवचार करवाये।
सावधान, अगर इन सब का प्रयोग करने पर भी कुछ दिनों में आराम न मिलता हो तो तूरंत वैदय या डॉक्टर की सलाह ले।
 
आहार
यह खाएं -गेंहू की रोटी हलवा, दूध ,घी, माष, कृलथी, मसूर की दाल ,बादाम , पिस्ता ,चिरौंजी,किशमिश, मुनक्का ,सेब ,अंगूर ,आम ,पपीता अमरूद , बैंगन ,बथुआ ,पालक,लौकी ,करेला तोरई का सेवन करना चाहिए।
यह न खाए - ठन्डी चीजे ,आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स, राजमाष, चने ,केला,मैदे की बनी वस्तुए।
 
विहार
नियमित हल्का व्यायाम करें। पैदल चले।
शरीर को गर्म रखे।
शरीर का भार अनुपात में रखे।
कठिन शैय्या पर सोये।
बैठने और खड़े होने का posture ठीक रखे, झुक कर बैठने, खड़े होने और कुर्सी पर टेढ़ा होकर बैठने से आपको दर्द बढ़ेगा।  दर्द ठीक होजाने के बाद भी कोई वजन उठाने से बचे।
डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।