polycystic ovary syndrome (pcos) : dr simeen bawdekar
पूरे विश्व में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम - पीसीओएस (polycystic ovary syndrome - pcos) के मामले तेजी से बढे हैं. एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक महिला पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (pcos) से प्रभावित होती है. स्त्रियों में पायी जाने वाली यह एक खतरनाक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो रिप्रोडक्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. अनियमित जीवनशैली और खराब खान-पान की वजह से आजकल कम उम्र की युवतियां भी बड़ी संख्या में इस बीमारी से ग्रस्त होने लगी हैं. समय पर इसका इलाज शुरू न होने पर स्वास्थ्य संबंधी दूसरी परेशानियां जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, चिंता और अवसाद, स्लीप एप्निया, दिल का दौरा, मधुमेह आदि बीमारियाँ भी हो सकती है. इसी मुद्दे पर निरोग स्ट्रीट ने डॉ. सिमीन बावडेकर से बात की और आयुर्वेद में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के उपायों पर बात की. उसी बातचीत का संक्षिप्त अंश और वीडियो -
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पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) : डॉ. सिमीन बावडेकर
आयुर्वेद में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) का वर्णन
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) स्त्रियों में तेजी से फैलती बीमारी है जो सिर्फ भारत में ही नहीं बाहर के देशों में भी तेजी से फ़ैल रहा है. सुनने में पीसीओएस बीमारी नयी लगती है. लेकिन आयुर्वेद में इसका वर्णन हजारों वर्षों पहले ही कर दिया गया है. कश्यप जी ने रेवती कल्पध्याय में किया है जिसमें बताया गया है कि हर महीने एक पुष्प बाहर तो निकलता है लेकिन वो निष्फल हो जाता है. पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के कारण जो अनार्तव (irregular menses) की समस्या होती है, उसी से जोड़कर ही कश्यप संहिता में ये बात कही गयी है. इसका कारण अनियमित जीवनशैली बताया गया है. लेकिन इसका कोई निश्चित निदान वहां भी नहीं बताया गया है.
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पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के लक्षण
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से अनार्तव के अलावा ब्लड प्रेशर व शूगर लेवल में उतार-चढ़ाव, वजन बढ़ना, मुंहासे, चेहरे पर पुरुषों की तरह बाल आना आदि लक्षण आना शुरू हो जाता है. इस दौरान ज्यादा गुस्सा आना और चिड़चिड़ापन आदि भी बढ़ जाता है. स्वभाव लालची और ईर्ष्यालु भी हो सकता है. व्यवहार में ये सब परिवर्तन पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के दौरान बहुत आम है. इसके अलावा सबसे ज्यादा दिखाई देने वाली समस्या बालों का कम होना है. सिर के बाल बहुत पतले या फिर बहुत कम हो जाते हैं.
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पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के कारण
खराब खान-पान (dirty food habits) : पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की एक प्रमुख वजह खराब खान-पान है. जंक फूड और फास्ट फूड लगातार खाने से pcos के होने का खतरा बढ़ जाता है. प्रिजर्व फूड, रिफाइन तेल और रेड मीट का अधिक सेवन इसके खतरे को और अधिक बढ़ा देता है. खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होना भी इसके होने का कारण हो सकता है. अल्कोहल के अत्यधिक सेवन से भी pcos की समस्या हो सकती है. कमर्शियल मीट और डेयरी प्रोडक्ट व प्लास्टिक के बोतल का इस्तेमाल भी नुकसानदेह है.
रजस्वला प्रक्रिया : रजस्वला के नियमों का पालन आजकल नहीं किया जाता है. इसलिए भी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के मामले बढ़ रहे हैं. कह सकते हैं कि हार्मोन में असंतुलन और अनियमित मासिक धर्म पीसीओएस होने का प्रमुख कारण है. मासिक धर्म के दौरान ज्यादा काम (heavy work during menstruation) और चिंता और तनाव (anxiety and stress) भी इसका कारण हो सकता है.
कसरत की कमी : आजकल कामकाजी महिलाओं की संख्या ज्यादा हो गयी है और भागदौड़ की जिन्दगी में वे अपने लिए बिलकुल समय नहीं निकाल पाती. ऐसे में किसी भी तरह का योग, ध्यान या व्यायाम वे नहीं कर पाती जिससे pcos होने का खतरा बढ़ जाता है.
आयुर्वेद के माध्यम से पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) का निदान
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के लक्ष्ण दिखते ही इसका इलाज शुरू कर आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेना बेहद जरुरी होता है. इसके लिए सबसे पहले किसी एक्सपर्ट डॉक्टर की राय लेनी चाहिए. डॉक्टर सोनोग्राफी के लिए लिख सकते हैं, जिससे पूरी तस्वीर साफ़ हो जाती है. यदि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम आपको है तो आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा इसका उपचार शुरू करना चाहिए. पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के लिए आयुर्वेद द्वारा सुझाए उपाय -
रजस्वला परिचर्या : आयुर्वेद के हिसाब से बताई गयी रजस्वला प्रक्रिया को अपनाना बेहद जरुरी है क्योंकि इस बीमारी की जड़ में रजस्वला प्रक्रिया का बाधित होना ही है. पूरे महीने न सही तो कम से कम पांच दिन (जब ब्लीडिंग होती है) रजस्वला प्रक्रिया को अपनाना जरुरी है. जानबूझकर रजस्वला प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा उत्पन्न करने की आयुर्वेद अनुमति नहीं देता. हाइजीन का विशेष ख्याल रखने की भी जरुरत है.
खान-पान की शैली में सुधार (healthy food habit) : खान-पान में पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों का समावेश कर इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है. जंकफूड, फास्टफूड, सॉफ्ट ड्रिंक और अल्कोहल आदि से दूरी में ही भलाई है. दालचीनी, कड़ी पत्ता, हल्दी और हींग आदि का इसमें बहुत अच्छा रोल है. इनका सेवन करना चाहिए. याद रखिये आपके घर के किचन के मसाले की डिब्बी में ही बहुत सारे उपचार छुपे हुए हैं.
वजन कम रखना : वजन कंट्रोल में करना जरुरी है. योग और प्राणायाम इसमें मदद कर सकता है. बहुत अधिक खाने (overeating) से बचना भी जरुरी है.
प्राकृतिक चीजों का उपयोग : ज्यादा से ज्यादा उन चीजों का इस्तेमाल कीजिये जिसमें पंचमहाभूत के तत्व अधिक हो जो नैसर्गिक चीजों से आपको जोड़े रखे. ये चीजें शरीर का संतुलन बनाये रखती है.
तनाव से दूरी बनाये : पीरियड के दौरान शारीरिक और मानसिक परेशानियों से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए.
आयुर्वेद की दवाइयाँ : आयुर्वेद में बहुत सारी अच्छी दवाइयां है जिससे पीसीओएस में बहुत ज्यादा फायदा हो सकता है. चिकित्सक की राय लेकर इसे लिया जा सकता है.
पंचकर्म सबसे बेहतर उपाय : pcos के उपचार के लिए पंचकर्म में छुपा है सबसे बेहतर निदान. इसे करवाने से सारा टॉक्सिन निकल जाता है. इसके अलावा शरीर में मौजूद अवरोध भी निकल जाते हैं. इसके तहत वमन, विरेचन और बस्ती चिकित्सा को बताया गया है.
योग और व्यायाम : pcos से बचने या इससे राहत पाने के लिए सबसे जरुरी है जीवन को अनुशासित रूप से जीना. इसके लिए जरुरी है कि नियमित योग और व्यायाम किए जाएँ. तेज क़दमों से चलना इसके लिए अच्छा व्यायाम है. इसके अलावा सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उज्जायी, कपालभाती, सर्वांगासन, वज्रासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, उष्ट्रासन, पश्चिमोत्तासन, पद्मासन आदि योग व आसन के जरिए भी इससे छुटकारा पाया जा सकता है. योग और व्यायाम का अच्छा परिणाम निकलता है. खासकर आसनों का रीप्रोडक्टिव सिस्टम पर सकरात्मक असर पड़ता है और इन्हें करने में भी महज से तीन से पांच मिनट का समय निकलता है. सूर्य नमस्कार तीन सूर्य नमस्कार से शुरू करके बारह सूर्य नमस्कार तक कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रखे कि पीरियड के दौरान कोई भी भारी काम न करे. कसरत भी नहीं करे. हाँ प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, कपालभाती आदि जरुर कर सकते हैं.