सभ्यता के विकास के साथ मनुष्य शारीरिक रूप से निष्क्रिय हो गया है। आधुनिकीकरण, संपन्नता, विज्ञान और तकनीकी विकास के फलस्वरूप आधुनिक जीवन शैली गतिहीन होती जा रही है। बढ़ती निष्क्रिय जीवनशैली के साथ आहार में बदलाव ने कई देशों में मोटापे की महामारी को जन्म दिया है। शारीरिक गतिविधि में कमी के साथ वसा और गुरु आहार द्रव्यों की भोजन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। औद्योगिकीकरण और आर्थिक प्रगति में उन्नति के साथ साथ आज कल अधिक से अधिक नौकरियां सिर्फ ऑफिस डेस्क तक सिमट के रह गई हैं तथा आहार के पैटर्न में बदलाव के साथ चीनी और वसा के सेवन में वृद्धि हो रही है। इस सबके कारण ही मोटापे तथा इससे जुडी समस्याओं में वृद्धि हुई है। तो आइये जानते हैं मोटापा क्या है, इसके कारण तथा इससे कैसे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है।
विषय - सूची
- मोटापा क्या है
- मोटापे के कारण
- मोटापे के लक्षण
- निदान
- मोटापे के सामान्य उपाय
- क्या खाएं और किससे बचें
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
मोटापा क्या है?
आयुर्वेद में आचार्य चरक ने अष्ट निंदित पुरुष का वर्णन किया है तथा इनमे भी इन दो रोगों का विशेष रूप से वर्णन किया है- अतिस्थूल(अधिक मोटा) तथा अतिकार्श्य(अधिक पतला)। इनमें अतिस्थूल(अधिक मोटे) व्यक्ति को इसके जटिल व्याधिजनन और उपचार के कारण अतिनिंदित माना गया है। आयुर्वेद में मोटापे को स्थौल्य या मेदोरोग कहा गया है। यह संतर्पणोत्थ विकारो (अति पोषण के कारण होने वाला रोग) के अंतर्गत आता है। आयुर्वेद में शारीरिक व मानसिक संतुलन को ही स्वास्थ्य की परिभाषा दी गयी है। इसके अनुसार, मोटापा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मेद धातु (फैटी टिश्यू) की विकृति/ वृद्धि की होती है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, किसी भी अन्य बीमारी की तरह, मोटापा गलत भोजन के सेवन या अनुचित आहार की आदतों और जीवनशैली के विकास के साथ शुरू होता है, जिसके परिणामस्वरूप पाचन अग्नि की समस्या होती है, जो आगे जा कर आम को बढ़ाती है। बढे हुए आम के कारण चयापचय प्रक्रिया विचलित हो कर अधिक मेद धातू (फैटी टिश्यू) का निर्माण करती है और आगे की धातू निर्माण जैसे कि अस्थि (हड्डियों) के निर्माण को अवरुद्ध करती है। अत्यधिक रूप से बढी हुई मेद धातू कफ के कार्यों में अवरोध उत्पन्न करती हैं।
दूसरी ओर, जब आम सभी शारीरिक चैनलों को अवरुद्ध करता है तो यह वात दोष में असंतुलन पैदा करता है। वात दोष पाचन अग्नि (जठराग्नि) को उत्तेजित करता रहता है, जिससे भूख में वृद्धि होती है इसलिए व्यक्ति अधिक से अधिक भोजन करता है। मेद धात्वाग्नि मांद्य (कमजोर वसा चयापचय) के कारण अनुचित या असामान्य मेद धातु बनती है, जो मोटापे का मूल कारण है।
अतः मोटापा या स्थौल्य एक ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति मेद(फैटी टिश्यू) और मांस के अत्यधिक विकास के कारण काम करने में असमर्थ होता है और उसके नितंबों, पेट और स्तनों के अधिक विकास के कारण शारीरिक विघटन खराब हो जाता है।
मोटापे के कारण
मोटापा एक ऐसी अवस्था है जिसमें त्वचा तथा आंतरिक अंगों के आस-पास वसा का अत्यधिक संचय हो जाता है। जब लोग अधिक वसायुक्त भोजन करते हैं तथा शारीरिक श्रम नहीं करते तब शरीर में जरूरत से ज्यादा कैलोरी संचित हो जाती है जो वजन बढने का कारण है। कई अन्य कारण भी मोटापा बढाते हैं जैसे कि गर्भावस्था, ट्यूमर, हार्मोनल विकार और कुछ दवाएं जैसे साइकोटिक ड्रग्स, एसट्रोजन्, कॉर्टिकॉ-स्टेरायड्स और इंसुलिन।
आयुर्वेद तथा आधुनिक चिकित्सा प्रणाली दोनो ने मोटापे को कई कारणो की वजह से उत्पन्न माना है। मोटापे के आयुर्वेद में निम्न कारण बताये गए हैं-
- अध्यशन (दोपहर के भोजन या रात के खाने के बाद दोबारा भोजन लेना)
- अति बृन्हण (अति पोषण)
- गुरु आहार सेवन (कठिनाई से पचने वाला भोजन करना)
- मधुर आहार सेवन (मीठी वस्तुओं का सेवन)
- स्निग्ध भोजन सेवन (कफ बढाने वाला भोजन करना)
- अव्यायाम (व्यायाम न करना)
- अव्यवाय (यौन गतिविधियों की कमी)
- दिवा स्वप्न (दिन में सोना)
- अतिस्नान सेवन
- बीज दोष (आनुवान्शिक कारण)
- अग्निमांद्य (पाचक अग्नि में कमी होना)
मोटापे के लक्षण
मोटापा व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे ग्रसित व्यक्ति न सिर्फ शरीरिक रूप से परेशान रहता है, बल्कि मानसिक रूप से भी वह हीन भावना का शिकार हो कर अवसाद में जा सकता है। इसके सामान्यतः निम्न लक्षण होते हैं-
- अतिस्वेद [अत्यधिक पसीना आना]
- श्रमजन्य श्वास [हल्के परिश्रम पर सांस फूलना]
- अति निंद्रा [अत्यधिक नींद आना]
- कार्य दौर्बल्यता [भारी काम करने में कठिनाई]
- जाड्यता [आलस्य]
- अल्पायु [लघु जीवन काल]
- अल्पबल [शक्ति में कमी]
- शरीर दुर्गन्धता [शरीर की दुर्गंध]
- गदगदत्व [अस्पष्ट आवाज]
- क्षुधा वृद्धि (अत्यधिक भूख)
- अति तृष्णा [अत्यधिक प्यास]।
मोटापे का निदान
वैसे तो मोटापे के निदान के लिये बहुत से वर्गीकरण हैं। लेकिन बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) पर आधारित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का वर्गीकरण व्यापक रूप से स्वीकृत है। व्यक्ति के वजन(किलोग्राम में) को उसकी लम्बाई(मीटर में) के वर्ग द्वारा विभाजित कर बीएमआई निकाला जाता है। यह लम्बाई और आकार के आधार पर व्यक्ति के आदर्श वजन का अनुमान लगाता है।
18.5 से ले कर 24.9 तक बीएमआई सामान्य माना जाता है। 25 या इससे ऊपर बीएमआई वाल्रे मोटापे की श्रेणी में आते हैं।
मोटापे के सामान्य उपाय
मोटापा दूर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है इसके कारणों को दूर करना। यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर की आवश्यकता से अधिक कैलोरी लेने की वजह से होती है। आयुर्वेद में, मोटापे का इलाज केवल वजन घटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि चयापचय प्रक्रियाओं को ठीक कर आम को कम करके तथा वात-कफ के कार्य को नियमित कर अतिरिक्त वसा को कम किया जाता है।
चयापचय को ठीक करने के साथ-साथ पाचन अग्नि बढाने तथा स्रोतस शोधन के लिये, आहार की आदतों में सुधार करना और तनाव को कम करना महत्वपूर्ण है। इसके लिये निम्न कुछ उपाय घर में सरलता से किये जा सकते हैं-
- लंघन- लंघन यानी ऐसे उपाय जो शरीर में हल्कापन लाये। जैसे-
- ऊष्ण जल सेवन- सुबह उठने के पश्चात गर्म पानी का सेवन करें, यह न सिर्फ शरीर में लघुता लायेगा बल्कि आम पाचन भी करेगा।
- उपवास- सप्ताह में एक दिन उपवास का सेवन करें। इस अवधि में आप मूंग की दाल का पानी या नारियल का जूस इत्यादि ले सकते हैं।
- नियमित व्यायाम- माथे पर पसीना आने तक दैनिक नियमित रूप से व्यायाम जरूरी है। सुबह नियमित रूप से 30 मिनट तक पैदल चलें व व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार व्यायाम करे। इसमें योगासन भी सहायक हैं, जैसे- सूर्य नमस्कार, धनुरासन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन, पस्चिमोत्तानासन, ताड़ासन इत्यादि।
- आम पाचन- आम की उपस्थिति में वजन कम करना बेहद मुश्किल है। इस कारण से लोग सीमित भोजन का सेवन करते हुए भी अपना वजन कम करने में असफल रहते हैं। इसलिए पहले आम से छुटकारा पाना महत्वपूर्ण है.
आम को खत्म करने के लिये पहले उन कारणों से बचना है जो आम की उत्पत्ति कर रहे हैं। पिछला भोजन ठीक से पचने से पहले खाने से बचें। आसानी से पचने वाला तथा मात्रा में कम भोजन खाएं। ठंडा या बासी भोजन न करें।
- इसके लिये सौंफ और गुनगुने पानी का सेवन लाभदायक है।
- अदरक भी आम पाचन में सहायक है। आप इसका काढा बना कर पी सकते हैं।
- हल्दी, काली मिर्च जैसे मसाले अपने आहार में नियमित रूप से शामिल करें।
- इसबगोल और त्रिफला को रोजाना रात को सोने से पहले लें। एक कप गर्म दूध में एक चम्मच घी मिलाकर पीना भी सहायक होता है।
कफ दोष शमन- मोटापे में कफ दोष बढ जाता है। इसके संतुलन के लिये निम्न उपाय अपनाये-
- अपने आहार में मिर्च, सरसों के बीज और अदरक जैसे तीखे मसालों का उपयोग करें।
- शहद को छोड़कर मीठे पदार्थों से बचें। रोजाना एक चम्मच या दो (लेकिन अधिक नहीं) शहद का सेवन करे। इसे सादा पानी में मिला कर पी सकते हैं।
- तिक्त रस(कड्वा) सेवन- कफ दोष के शमन के लिये कड्वी चीज़ों को अपने आहार में शामिल करिये जैसे गिलोय, नीम, करेले का जूस इत्यादि।
- गुरु अपतर्पण- यानी ऐसा आहार लेना जो भूक को भी शांत कर दे व मोटापा भी न बढाये।
इसके लिये जौ बेहद कारगर उपाय है. जौ का नमकीन दलिया या इसके आटे की रोटी का प्रयोग करे।
- चावल का मांड- आयुर्वेद में इसे बनाने के लिये 14 गुना जल डाल कर चावल का मांड बताया गया है। इसमे आप अपने स्वाद के अनुसार हींग और सेंधा नमक डाल सकते हैं।
क्या खाएं और किससे बचें
अस्वास्थ्यकर आहार से शरीर में वसा ऊतक(फैटी टिश्यू) का निर्माण होता है जिसके परिणामस्वरूप मोटापा होता है। इसलिए पर्याप्त फाइबर युक्त स्वस्थ आहार का सेवन, सक्रिय जीवन शैली को अपनाना और तनाव और थकान को प्रबंधित करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करना अधिक वजन / मोटापे की रोकथाम के लिए आवश्यक है। इसके लिए जीवन शैली में निम्न संशोधन किये जा सकते हैं-
- नियमित समय पर भोजन करें।
- पीने के लिए गर्म पानी का उपयोग करें।
- सेहतमंद खाद्य पदार्थ जैसे - यव(जौ), हरा चना (मूंग की दाल), करेला, शिग्रू(ड्रमस्टिक), आंवला, अनार लें।
- भोजन में तक्र(छाछ) का प्रयोग करें।
- तली हुई के बजाय उबली हुई और बेक्ड सब्जियाँ प्रयोग करे।
- आहार और पेय में नींबू शामिल करें। प्रातः काल एक गिलास गर्म पानी में एक नीम्बू का रस निचोड कर पिये, इसमे चीनी या नमक न मिलाये।
- कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे लौकी का जूस, सब्जियों का सूप इत्यादि।
- अधिक मीठा, अधिक डेयरी उत्पाद, तले हुए और तैलीय पदार्थ, फास्ट फूड से दूर रहे।
- भोजन में नमकीन भोजन या अत्यधिक नमक न ले।
- मदिरा पान और धूम्रपान से बचें।
- दिन में सोना सर्वथा त्याग दे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
1)मोटापा किन कारणों से होता है?
मोटापा कई कारणों से होता है। मुख्य कारण हैं-
क)आनुवन्शिक कारण ख) ज़रुरत से ज़्यादा भोजन करना ग)हाइपोथायरायडिज्म और कुशिंग सिंड्रोम जैसी कुछ हार्मोनल स्थितियां मोटापे का कारण बन सकती हैं। कुछ दवाओं से भी मोटापा हो सकता है।
2) क्या मोटे लोगों को जल्दी मौत का खतरा है?
मोटे लोगों को जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल संबंधी रोग होने का खतरा होता है। ये रोग व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
3) वज़न घटाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
शारीरिक गतिविधि में वृद्धि, स्वस्थ आहार में बदलाव और अपने चिकित्सक से मिल कर प्रति सप्ताह 1 से 2 पाउंड वज़न कम करने का लक्ष्य रखें। वजन घटाने के लिये अपने आहार और दिनचर्या को ज़्यादा मुश्किल न बनाये। नियमित रूप से व्यायाम करें व मिताहार(नपा-तुला भोजन) करें।