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डायरिया के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय - Diarrhea Ke Karan, Lakshan Aur Upchar

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By Dr. Bhawana Bhatt | 04-Jan-2021

Diarrhea

दस्त, डायरिया या अतिसार: Diarrhea, Loose Motion or Atisara in Hindi 

डायरिया (Diarrhea) या दस्त एक सामान्य सी लगने वाली बीमारी भले लगती हो, लेकिन न जाने प्रतिवर्ष इस सामान्य सी दिखने वाली व्याधि से कितने ही मासूमों की जान तक चली जाती है। डायरिया वह व्याधि (disease) है जिसमे गुदा मार्ग से बार-बार जल की अधिकता वाले मल का त्याग (Loose Motion) होता है। यह एक स्वतंत्र व्याधि होने के साथ-साथ अन्य व्याधियों (जैसे ग्रहणी जिसे एलोपैथी में इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है) में लक्षण स्वरुप भी देखने को मिलता है । आयुर्वेद में इसे अतिसार (atisara) कहते है जिसका कारण पाचकाग्नि (digestive) का धीमा हो जाना और वात दोष (Vata Dosha) का दूषित हो जाना है।

डायरिया या दस्त के लक्षण: Diarrhea Symptoms in Hindi

  1. गुदा मार्ग से जल की अधिकता वाले मल का त्याग होना। 
  2. पेट में दर्द होना। 
  3. जी मिचलाना। 
  4. मूत्र तथा स्वेद की प्रवृति कम हो जाना। 
  5. शरीर में कमजोरी महसूस होना। 
  6. अधिक मात्रा में मल की प्रवृति होने पर डिहाइड्रेशन के लक्षण जैसे मुँह सुखना, शरीर में रूक्षता होना , चक्कर आना आदि लक्षणो का होना । 

डायरिया में चिकित्सीय परामर्श कब ले? When to see your Doctor for Diarrhea in Hindi 

आमतौर पर डायरिया कुछ दिनों में लगभग 3 से 4 दिनों में खुद ही सही हो जाता है लेकिन जब डायरिया 3-4 दिनों के अंतराल में ठीक न हो और साथ में मल के साथ पस, ब्लड या फिर म्यूकस निकलता हो और  डिहाइड्रेशन में भी लक्षण नजर आने लगे तो शीघ्र ही चिकित्सा से संपर्क करना चाहिए। 

डायरिया या दस्त के कारण: Diarrhea Causes in Hindi 

  1. अत्यधिक मात्रा में गुरु आहार अर्थात पचने में भारी चीजों का सेवन करना । 
  2. पहले किये गए भोजन के बिना पचे हुए ही फिर से भोजन कर लेना । 
  3. दूषित जल तथा मद्य । 
  4. भय, शोक, विषमासन (अकाल में भोजन करना ) । 
  5. कई प्रकार के बैक्टीरिया , वायरस जैसे साल्मोनेला, रोटा वायरस का संक्रमण । 
  6. कई व्याधिया जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस , इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम । 

डायरिया से बचाव:  Diarrhea Prevention in Hindi

  1. डायरिया करने वाले सभी कारणों का त्याग करना।
  2. भोजन करने से पहले तथा शौच के बाद हाथों को अच्छे से साबुन व पानी से धोना। 
  3. बैक्टीरिया वायरस आदि के संक्रमण से बचाव हेतु सफाई का ध्यान रखे। 
  4. रोटा वायरस जिसकी वजह से हर वर्ष बहुत से बच्चे डायरिया से पीड़ित होते है उस रोटा वायरस से बचाव हेतु बच्चों को रोटा वायरस की वैक्सीन लगाए और आयुर्वेद में वर्णित सुवर्ण  प्राशन संस्कार कराये। 

डायरिया के घरेलू उपाय?  Diarrhea Home remedies in Hindi

  1. हरड़ को पानी में उबालकर प्रयोग करे। 
  2. छाछ में भुना हुआ जीरा और काला नमक मिलाकर पिए।
  3. कच्चे केले को उबालकर मुलायम कर ले और उसमे काला नमक मिलाकर खांए।

डायरिया में क्या करे? 

  1. लघु व सुपाचित आहार का सेवन करे।
  2. तरल पदार्थों जैसे निम्बू पानी ओ आर अस का पर्याप्त मात्रा में सेवन करे। 
  3. शुरुआत में एक दो बार मल का त्याग होने दे। 

डायरिया में क्या न करे? 

  1. पचने में भारी चीजों का सेवन न करे।
  2. शुरुआत में ही मल को रोकने वाली दवाइयों का सेवन न करे। 

डायरिया संबंधित प्रश्न और उत्तर (FAQ) 

प्रश्न -क्या डायरिया के कारण मौत हो सकती है?
उत्तर - हां डायरिया के कारण मौत हो सकती है क्योकि डायरिया में जल की अधिकता वाले मल का त्याग होता है और अगर रोगी डायरिया होने पर पर्याप्त मात्रा में पानी न पिए तो शरीर में पानी की कमी होने से व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है। 
 
प्रश्न -डायरिया का मुख्य लक्षण क्या है? 
उत्तर -डायरिया का मुख्य लक्षण गुदा मार्ग से बार बार जलीय मल का त्याग होना है। 
 
प्रश्न -क्या डायरिया होने पर तुरंत दवाई खा लेनी चाहिए?
उत्तर -अगर व्यक्ति का बल अच्छा है और उसके शरीर में डिहाइड्रेशन के कोई लक्षण न हो तो तीन चार बार मल का त्याग हो जाने के बाद ही दवा लेनी चाहिए परन्तु यदि व्यक्ति के शरीर का बल अल्प हो और साथ में डिहाइड्रेशन के लक्षण भी हो तो तुरंत ही चिकित्सक से संपर्क कर दवा ले लेनी चाहिए। 
 
प्रश्न -सामान्य रूप से होने वाले स्टूल, लूज़ स्टूल और डायरिया में क्या अंतर है?
 उत्तर -सामान्य रूप से प्रतिदिन होने वाले मल की कंसिस्टेंसी सेमि सॉलिड होती है जबकि लूज स्टूल और डायरिया में निकलने वाले मल में जल की अधिकता रहती है , लेकिन लूज स्टूल और डायरिया इन दोनों में से अधिक खतरनाक डायरिया होता है। 
 
प्रश्न -आयुर्वेद में डायरिया का क्या उपचार है? 
उत्तर -आयुर्वेद में डायरिया की आम और पक्व अवस्था देखकर रोगी का लंघन करा के फिर दीपनीय और पाचनीय दवाओँ का अर्थात पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली तथा दोषो का पाचन करने वाली दवाओं का प्रयोग करा जाता है।
डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।