By NS Desk | 01-Mar-2019
Diabetes and Ayurveda : cause, diagnosis and cure
मधुमेह (डायबिटीज) रोग बड़ी तेजी से फैल रहा है. इसका कारण बीज दोष अर्थात आनुवांशिक के अतिरिक्त हमारी बदलती जीवनशैली है. हमारे जीवन में शारीरिक श्रम की कमी मानसिक श्रम की अधिकता असंयमित अप्थयाहार का अधिक सेवन हमारी जठराग्नि को मंद का पाचन एवं मेटाबालिज्म को दूषित कर देता है तथा हमारी च्यापचय की प्रक्रिया अस्त-व्यस्त हो जाती है , फलस्वरूप मधुमेह की तरह के मेटाबालिक रोग पनपते हैं. यह रोग दीमक की तरह शरीर को खोखला करता जाता है, अतः इसके लिए प्रारम्भ से सचेत रहने की जरुरत है. परंतु इसमें घबड़ाने या तनाव पालने की आवश्यकता नहीं है. यदि आप जीवनशैली में थोड़ा परिवर्तन करेंगे तथा डॉक्टर के बताये आहार-विहार का सेवन करेंगे एवं सुनाये टोटकों को छोड़ कर चिकित्सक की सलाह से नियमित दवाई लेंगे तो तथा पथ्य-अपथ्य का ईमानदारी से पालन करेंगे तो आप न केवल इस रोग से बचे रहेंगे. जब आपका रक्त शर्करा नियंत्रण में रहेगा तो आप स्वस्थ और दीर्घायु जीवन व्यतीत कर सकते हैं. कहीं भी गड़बड़ होने पर यह पुनः बढ़ जाती है.
1- इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज iddm type1
इस प्रकार के मधुमेह में इन्सुलिन का निर्माण नहीं होता. अतः रोगी को इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन देकर ही चिकित्सा की जाती है.
2- नॉन इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज nddm type 2
यह वयस्कों में पायी जाती है. इसमें औषध द्वारा चिकित्सा हो सकती है.
3- सैकेंडरी डायबिटीज : किसी अन्य रोग या औषध के प्रतिकूल प्रभाव के कारण होने वाला मधुमेह.
1- अधिक बार मूत्र आना
2- भूख अधिक लगना
3- प्यास अधिक लगना
4- पिंडलियों में दर्द होना
5- वजन कम होना
6- शरीर में कमजोरी महसूस होना
7- घाव का देर से भरना
8- जनजांगों में खुजली
9- नेत्र ज्योति का कम होना. जल्दी-जल्दी चश्में का नंबर बदलना.
10- यौन शक्ति का ह्रास
11- हाथ-पैर में जलन, सूई सी चुभना
यदि उपरोक्त लक्षणों में अधिकतर लक्षण आपको मिलते हैं तो मधुमेह के बारे में जरुर जांच कराएं तथा चिकित्सक से सलाह लें. यदि खड़े होने पर बैठने को मन करे तथा सोने का हमेशा मन करें तो मधुमेह हो सकता है. पेशाब में अधिक बदबू हो, मुख में हर समय मैल घुला जैसा लगे तो भी इस रोग के बारे में सोंचना चाहिए.
1- बहुत अधिक प्यास लगना
2- अधिक खाने की इच्छा होना
3- बार-बार अधिक पेशाब आना.
4- हांफना, सांस लेने में कठिनाई.
5- उल्टी होना, जी मिचलाना.
6- पेट फूलना व पेट में दर्द.
7- शरीर में पके फलों की गंध आना.
इस प्रक्रिया में कभी-कभी भयंकर परिस्थिति आ जाती है. अतः भ्रामक विज्ञापनों के चक्कर में कभी न पड़े तथा दवाई व परहेज न छोड़े.
दवाई कम या अधिक चिकित्सक की सलाह से करें. विशेषकर एलोपैथिक दवाई जिसे अधिक लेने से कभी-कभी रक्त शर्करा इतनी कम हो जाती है कि घातक एवं मारक स्थिति आ जाती है.
1- हाथ पैर ठंढे होना
2- शरीर अचानक अधमरा सा होने लगे
3- शरीर में ठंढा पसीना आने लगे
4- आँखों के सामने अंधेरा छाना
5- अचानक टांगों में कमजोरी
6- दिल जोर-जोर से धड़कना
7- घबराहट
8- सिर चकराना
9- मन में असमंजस की स्थिति की स्थिति होना
यह स्थिति आने पर तुरंत बिना समय बर्बाद किए चीनी, ग्लूकोज या शरबत दे. लक्षण शुरू होने पर तुरन्त कुछ भी मीठा हो खा लें. यह तरीका घातक अवस्था नहीं आने देता. तुरन्त अस्पताल ले जाएँ. डॉक्टर को बुलाने में समय बर्बाद न करें.
यह खतरा आयुर्वेदिक दवाई के साथ नहीं होता. इसकी अधिक मात्रा भी लेने से रक्त शर्करा का स्तर एक दम कम नहीं होता. यह एक खूबी है आयुर्वेदिक दवाई की.
आयुर्वेद में इसके नियंत्रण के लिए जीभ पर कंट्रोल करने की बात कही है.
भिक्षु की तरह अभिमान त्याग कर जीने की बात का निर्देश दिया है अर्थात चारों तरफ घूम-घूम कर रूखा-सूखा व अल्प कैलोरी भोजन लेने की सलाह दी है.
मधुमेह का चिकित्सा सिद्धांत - Diabetes Treatment in Hindi
1- ब्लड शुगर को कम करना.
2- इन्सुलिन बनाने वाली निष्क्रिय कोशिकाएं उत्तेजित करना
3- शरीर में बल ऊर्जा की वृद्धि करना
4- पाचन व धातुपाक (मैटाबालिज्म) को ठीक करना
5- रोग के कम्पलीकेशन को रोकना
इसके लिए जीवनशैली में परिवर्तन, खान-पान में परिवर्तन के साथ औषध का सम्यक मात्रा में प्रयोग निरंतर कराना जरुरी है.
आहार में षडरस (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) होते हैं कटुतिक्त कषाय रस अधिक सेवन करें तो मधुमेह में लाभ होता है. यदि सामान्य जीवन में ये छः रस निरंतर सेवन करे तो मधुमेह जैसे रोग कम होंगे. अक्सर हम मीठा खट्टा, नमकीन खाते हैं, कड़वा, तीखा, कषैला नहीं खाते. जब मधुमेह हो जाता है तो ये ही खाने होते हैं. मीठा बंद हो जाता है. अम्ल लवण भी कम करना पड़ता है अतः षडरस युक्त आहार ले अन्यथा मधुमेह होने पर नीम, करेला, आंवला, मेथी जैसे पदार्थ खाने पड़ते हैं. ये मधुमेह नियंत्रण में महत्वपूर्ण भी है. आयुर्वेद में अर्धबल व्यायाम की वकालत करते हुए नियमित योग एवं व्यायाम का निर्देश इस रोग की चिकित्सा में बताया है.
पथ्य (जो खा सकते हैं)
अपथ्य (जो नहीं खा सकते)
व्यायाम : सुबह -सायं सैर करें, अर्धबल व्यायाम जरुर करें
प्राणायाम : अनुलोम - विलोम, कपाल भाति, भ्रस्त्रिका करें.
आसन : धनुरासन, भुजंगासन, अर्द्धमत्यासन, व्रजासन, पवनमुक्तासन, शवासन, गोमुखासन करें.
उपरोक्त जड़ी-बूटी न केवल आयुर्वेद के ग्रंथों में मधुमेह रोग की चिकित्सा प्रबंध के लिए निर्देशित है वरन वैज्ञानिकों ने भी अनेक शोधों के द्वारा मधुमेह चिकित्सा में उपयोगी पाया ऐसी रिपोर्ट अनेक जनरल में प्रकाशित हो चुकी है. जैसे करेले में पाए जाने वाले 19 एमिनो एसिड इन्सुलिन में पाए जाने वाले एमिनों एसिड की संख्या से मिलते हैं इसी कारण इसे प्लांट इन्सुलिन कहते हैं. विजय सार एवं दारू हल्दी में क्रमशः एपीकेटाचीन एवं बरबैरिन तत्व मधुमेह में रक्त शर्करा स्तर में कमी लाते है. मेथी गुडमार शर्करा अवशोषण मंद करके रक्त शर्करा को एक दम नहीं बढ़ने देते तथा इनमें पाए जाने वाले तत्व धातुपाक को नियमितकर रक्त शर्करा को कम करते हैं एवं रक्त की चर्बी भी कम करते हैं. शिलाजीत में पाए जाने वाले मैगनीश, मैग्नीशियम, क्रोमियम घटक द्रव्यों के कारण मधुमेह के उपद्रवों को रोका जा सकता है तथा शरीर को बल वर्ण एवं ऊर्जा प्राप्त होती है. स्वर्ण भस्म, वंग भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्मों के योगों से न केवल मधुमेह में लाभ मिलता है वरन रोग प्रतिरोधक शक्ति एवं बल ऊर्जा प्राप्त होती है. इन द्रव्यों के अनेक मिश्रण योग भी उपलब्ध होते हैं. शास्त्रीय योगों में बसंतकुसुमाकर रस, बसंत तिलक रस, चंद्रप्रभा वटी, मधुमेहारि, मधुनाशिनी आदि के साथ कुछ सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं ने भी आयुर्वेदीय योग मधुमेह की चिकित्सा के लिए विकसित किए हैं उनकी उत्कृष्टा एवं निरापदता वैज्ञानिक मापदंडों पर भी सत्यापित की गयी है.
दीर्घकालिक अनियंत्रित मधुमेह की घातक समस्याएं - Uncontrolled Diabetes Problems in Hindi
संक्षेप में तीन मुख्य जटिलताएँ है जो लंबे समय तक अनियंत्रित रक्त शर्करा के रहते होती है.
1- मधुमेह जन्यवृक्क शोथ (diabetic nephropathy)
2- मधुमेह जन्य रेटीना विकार (diabetic retinopathy)
3- मधुमेह जन्य नाड़ी विकार (diabetic neuropathy)
चुकी हर चिकित्सा की पद्धति की अपनी सीमा होती है. यदि रक्त शर्करा 250 mg/dl. से अधिक है तो आयुर्वेद औषध के साथ एलोपैथिक दवाई लेने में कोई हर्ज नहीं होता.
1- अपने वजन को संतुलित रखो.
2- खुद को भूखे न रखो, आप पथ्य में खाने वाली चीजों ले सकते हैं.
3- दिन में 3 भारी भोजन की जगह 5-6 बार हल्का भोजन करें.
4- हल्का व्यायाम आपकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा होना चाहिए.
5- व्रत एवं पार्टियों से परहेज करें.
6- अगर ब्लड प्रेशर ज्यादा है तो नमक तथा वे चीजें जिनमें बेकिंग पाउडर या सोडा है, वह नहीं लेनी.
7- खाना बनाने के लिए उबालना, भूनना, भाप के साथ खाना बनाना जैसे तरीके इस्तेमाल करें जिससे घी कम से कम मात्रा में इस्तेमाल हो.
8- रोटी, ब्रेड और दलिया में कच्ची सब्जियां या अंकुरित दालें डाल कर लें.
9- सादी दही की जगह, घीया, खीरा और प्याज का पतला रायता लें.
10- गाय का दूध या डबल टोंड दूध ही इस्तेमाल करें. इसी दूध से दही, पनीर और चाय बनाएं.
11- केला, चीकू, अंगूर, आम और खजूर नहीं लेने हैं.
12- सेब, संतरा, नाशपाती, आडू, पपीता, जामुन, अमरुद, मौसंबी ले सकते हैं.
13- सोयाबीन की बड़ियाँ/ दालें/ आटा इस्तेमाल करें.
14- 45 मिनट की सैर जरूरी.
15- यदि चिकित्सा करते हुए भी ब्लड शुगर 400 mg/dl. के करीब है तो चिकित्सक विशेषज्ञ की सलाह लें.
(आयुर्वेद पर्व 2018 में प्रकाशित बुकलेट से साभार)
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