हम अक्सर टीवी में शैंपू (Shampoo) और कंडीशनर (Conditioner) के विज्ञापन देखते हैं जो आपको डैंड्रफ (Dandruff) से छुटकारा दिलाने का का दावा करते हैं। क्या आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं और इन उत्पादों को खरीदने का सोचते हैं? यह ऐसी समस्या है जो व्यक्ति के आत्मविश्वास को भी कम करता है। लेकिन इससे पहले कि आप वे उत्पाद खरीदें, आपको यह जानना होगा कि इस समस्या के पीछे कौन से कारक जिम्मेदार हैं और इससे बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं। तो आइए समझते हैं कि रूसी या डैंड्रफ क्या है, यह क्यों होती है और इसके लिये कुछ आयुर्वेदिक टिप्स (Ayurvedic tips)।
विषय - सूची
- डैंड्रफ क्या है? - What is Dandruff?
- डैंड्रफ के लक्षण - Dandruff Symptoms
- डैंड्रफ के कारण - Dandruff Causes
- डैंड्रफ के लिये सामान्य उपाय - Dandruff Home Remedies
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) - Dandruff FAQs
सर से मृत त्वचा का सफेद पपडी के रूप में गिरना डैंड्रफ कहलाता है। आमतौर पर, सर की त्वचा की कोशिकाएँ एक महीने में मर जाती है और झड़ जाती है, जबकि डैंड्रफ से पीड़ित लोगों में, यह हर 2-7 दिनों में होता है। डैंड्रफ न केवल एक शारीरिक व्याधि है, बल्कि डैंड्रफ व्यक्ति के सामाजिक जीवन और आत्म-सम्मान पर भी विपरीत प्रभाव डालता है।
आयुर्वेद में डैंड्रफ - Dandruff in Ayurveda in Hindi
आयुर्वेद में इसे दारुणक कहा गया है तथा इसका वर्णन कपालगत रोगो में किया गया है। वैसे तो ये रोग तीनों दोष(वात-पित्त-कफ) के असंतुलन के कारण बताया गया है परंतु जब आपको सूखी रूसी होती है, तो यह पित्त और वात दोष के असंतुलन के कारण होता है। इसी तरह, यदि आपको तैलीय रूसी होती है, तो यह कफ-वात दोषों में असंतुलन के कारण होती है। मुख्य रूप से कफ दोष अतिरिक्त सीबम उत्पादन का कारण बनता है।
डैंड्रफ के लक्षण - Dandruff Symptoms in Hindi
आयुर्वेद के अनुसार, डैंड्रफ या रूसी व्याधि में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते है:
- सर से सफेद पपडीनुमा मृत त्वचा का गिरना
- सर में खुजली होना
- कपाल का सूखापन
- कपाल की त्वचा का फटना
- कुछ व्यक्तियों में कपाल की त्वचा में कोमलता
- बालो का झडना
- व्याधि ज़्यादा बढने पर भौंहों और पलकों में रूसी तथा सूजन, यहां तक कि खोपड़ी में सुन्नता जैसे लक्षण भी मिलते हैं।
डैंड्रफ के कारण - Dandruff Causes in Hindi
आयुर्वेद में डैंड्रफ को प्राथमिक रूप से वात और पित्त दोष की विकृति माना गया है। पित्त दोष को गर्मी या अग्नि का प्रतीक माना गया है और वात प्रकृति में शुष्क और खुरदरा है। इन दोनों दोष की वृद्धि होने पर ये आम नामक विशाक्त पदार्थ को उत्पन्न करते हैं। ये अशुद्धियां कपाल के गहरे ऊतकों में जमा होती हैं और उन्हें दूषित करती हैं। गहरे ऊतकों के दूषित होने और उत्तेजित वात-पित्त दोष के कारण सर में खुजली और धब्बे बन जाते हैं। इन कारणों से सर की एपिडर्मल कोशिकाओं की सामान्य मात्रा बढ जाती है, जिससे रूसी की समस्या होती है।
आयुर्वेद अनुसार, निम्न कारक हैं जो रूसी उत्पन्न करने में सहायक हैं-
- सिर पर तेल न लगाना
- ठीक से सफाई न करना
- दिन के समय सोना
- रात में जागना
- धूल के संपर्क में अधिक रहना
- गर्म मौसम इत्यादि
इनके अलावा प्राकृतिक, पर्यावरणीय, हार्मोनल, और इम्यून सिस्टम कारक, सामान्य स्वच्छता का न होना, फंगल इंफेक्शन, व्यक्तिगत संवेदनशीलता आदि भी इस रोग में योगदान देते हैं।
डैंड्रफ रोकने के घरेलु उपाय - Dandruff Home Remedies in Hindi
आयुर्वेद में प्रत्येक व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक संतुलन के लिए उचित आहार और विहार अपनाने की सलाह दी गयी है। इस प्रकार यह व्यक्ति में बीमारी होने से रोकता है। डैंड्रफ एक चुनौतीपूर्ण समस्या है। आयुर्वेद में इसके प्रबंधन के लिये निम्न उपाय बताये गये हैं-
मेथी (Fenugreek)-
मेथी रूसी को खत्म करने के लिये बहुत उपयोगी है।
मेथी के दानों को रात भर भिगोकर रखें और अगली सुबह इसका पेस्ट बना लें। इसमें अन्य आयुर्वेदिक एंटी-फंगल जड़ी बूटियों जैसे कि मेंहदी, नींबू का रस या दही को भी पेस्ट में मिला सकते हैं और अपने स्कैल्प पर लगा सकते हैं। 30 मिनट के लिए अपने स्कैल्प पर पेस्ट छोड़ दें और इसे धो देँ।
नींबू (Lemon)-
नींबू में विटामिन सी, साइट्रिक एसिड, ज़िंक और फ्लेवोनोइड्स होते हैं, जो डैंड्रफ में फायदेमंद है।
यह एंटीफंगल गुणों के साथ एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है।
ताजे नींबू का रस और जैतून के तेल या सरसों के तेल को बराबर मात्रा में मिलाएं। इस मिश्रण को अपनी स्कैल्प की जड़ों पर लगाएं और कुछ मिनट तक धीरे-धीरे मसाज करें। एक घंटे के लिए अपने बालों को छोड़ दें और इसके बाद धो दें।
हरे चने (Green grams)-
हरे चने या मूंग का इस्तेमाल एंटी-डैंड्रफ शैम्पू के रूप में किया जा सकता है।
अपने स्कैल्प पर हरे चने का पेस्ट लगाएँ और इसे गुनगुने पानी से धोने से पहले 15 मिनट के लिए छोड़ दें।
नीम (Neem)-
नीम अपने एंटिफंगल और एंटीवायरल गुणों के लिए जाना जाता है, जो आपको रूसी से लड़ने में मदद करते हैं।
अपने बाल धोने से एक रात पहले अपने स्कैल्प की नीम के तेल से मालिश कर सकते हैं।
नीम की पत्तियों के पेस्ट को दही में मिलाएं और इसे अपने स्कैल्प पर लगाएं। इसे 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।
एलोवेरा (Aloe vera)-
एलोवेरा अपने एंटीफंगल और जीवाणुरोधी गुणों के साथ बहुत प्रभावी ढंग से सोरायसिस, कोल्ड सोर, जलने आदि जैसी स्थितियों का इलाज करने में मदद करता है।
एलोवेरा से प्राकृतिक रूप से निकाला गया गाढ़ा जेल लें और इसे अपने स्कैल्प पर लगाएं। इसे रात भर छोड़ दें और अगली सुबह इसे हर्बल शैम्पू से धो लें।
आंवला (Gooseberry or Amla)-
आंवला विटामिन सी के स्रोतों में से एक है और रूसी के लिए बढ़िया उपाय है।
आंवला पाउडर और पानी से एक पेस्ट तैयार करें। मास्क को स्कैल्प पर अच्छी तरह से लगाएं और 30 मिनट के बाद इसे धो लें।
आंवला, रीठा और शिकाकाई का पेस्ट बना कर भी लगा सकते हैं।
हिबिस्कस (Hibiscus)-
हिबिस्कस या गुडहल भी रूसी के लिये लाभदायक है।
5-6 हिबिस्कस के फूलों को पानी में उबालें और गाढ़ा पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में गर्म नारियल तेल के 3 बड़े चम्मच शामिल करें और स्कैल्प पर लगा लेँ। इसे 1-2 घंटे बाद गर्म पानी से धो दें।
तेल मालिश (Oil massage)-
तेल से सर की मालिश वात और कफ को कम करता है अतः सर की मालिश करनी चाहिये, जैसे भृंगराज तेल इत्यादि।
डैंड्रफ को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) - Dandruff FAQs in Hindi
(1) डैंड्रफ स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
डैंड्रफ न सिर्फ एक त्वक विकार है, बल्कि इलाज न कराये जाने पर यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है जैसे-
- मुंहासे: आपके चेहरे पर अचानक आने वाले पिंपल्स के लिए डैंड्रफ जिम्मेदार हो सकता है। जब आपके बालों का डैंड्रफ आपके चेहरे के संपर्क में आता है, तो यह पिंपल्स या मुहाँसे उत्पन्न कर सकता है।
- बालों का झड़ना: स्कैल्प पर बालों का झड़ना कभी-कभी डैंड्रफ के कारण भी हो सकता है. अत्यधिक शुष्कता और रूसी के कारण खुजली होती है। लंबे समय तक खुजलाने से बालों के स्ट्रैंड्स और उनके रोम क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और इसके परिणामस्वरूप बालों के स्ट्रैंड्स टूटने और गिरने लगते हैं।
- खुजली और चिकना स्कैल्प: कभी-कभी, रूसी की शुरुआत स्कैल्प द्वारा बहुत अधिक तेल उत्पादन के कारण होने वाले बिल्डअप के परिणामस्वरूप हो सकती है, इससे खुजली और रूसी की समस्या हो सकती है।
- नेत्र समस्याएं: रूसी के गंभीर मामले माथे और आंखों के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं - उदाहरण के लिए, सेबोरहाइक ब्लेफेराइटिस आंखों का एक संक्रमण है जो खोपड़ी और भौंह की रूसी के कारण हो सकता है। इसमें आंखों के चारों ओर की त्वचा पर मध्यम लालिमा के साथ, पलकों के आसपास पैच बन जाते हैं।
(2) डैंड्रफ की समस्या ज़्यादातर किन लोगों को होती है?
कुछ लोगो में ये समस्या अधिक होती है जिसके निम्न कारण हो सकते हैं-
- पर्याप्त सफाई न करना- जब आप नियमित रूप से अपने बालों को धोते नहीं हैं, तो आपके स्कैल्प पर मृत त्वचा कोशिकाओं का जमाव बढ़ता रहता है। यह विभिन्न बैक्टीरिया और रोगाणुओं को बढाता है जो विभिन्न संक्रमण का कारण बनते हैं तथा रूसी का कारण बनते हैं।
- सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस- सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस एक ऐसी व्याधि है, जो मलसेज़िया नामक कवक के कारण होती है। यह कवक सामान्य रूप से बालों के रोम द्वारा स्रावित तेलों द्वारा भोजन प्राप्त करता है। यह कवक स्कैल्प की जलन, चिकनापन और रूसी को ट्रिगर करता है।
- एक्जिमा, सोरायसिस, टिनिआ कैपिटिस और अन्य ऑटोइम्यून त्वचा विकारों जैसी समस्याओँ से पीडित लोगों में दूसरों की तुलना में रूसी होने की अधिक प्रवृत्ति हो सकती है। इसके अलावा, शुष्क त्वचा वाले लोग (अधिक वात दोष) में रूसी होने का खतरा अधिक होता है। सर्दियों के दौरान आपको अधिक खुजली और रूसी हो सकती है, कुछ लोगो में बारिश के मौसम में भी अधिक रूसी होती है।
- आहार- जब आहार में जिंक, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन या ओमेगा -3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व शामिल नहीं होते हैं, तो इससे वात वृद्धि के कारण रूसी का खतरा बढ़ सकता है। आपको अपने स्कैल्प को अंदर से पोषण देने के लिए अपने आहार में अच्छे तेल, प्रोटीन, हरी सब्जियाँ आदि को शामिल करना चाहिए।
- मानसिक तनाव- आयुर्वेद अनुसार जब कोई व्यक्ति अधिक चिंता करता है, तो प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर हो जाता है और पित्त दोष बढ़ जाता है। प्रतिरक्षा तंत्र के कमज़ोर होने के कारण इन्फेक्शन का खतरा बढ जाता है। इसके अलावा, पित्त अधिक सीबम उत्पादन को प्रेरित करता है, जो रूसी उत्पन्न करने वाले कवक के लिए अधिक भोजन प्रदान करता है।