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स्वाइन फ्लू का आयुर्वेदिक इलाज - Swine Flu Treatment In Ayurveda Hindi

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By Dr Abhishek Gupta | 09-Jan-2019

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स्वाइन फ्लू का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट

स्वाइन फ्लू का आयुर्वेदिक इलाज इन हिंदी (Swine Flu Ayurvedic Treatment In Hindi)

देश के कई हिस्सों में 'स्वाइन फ्लू' नाम का रोग तेजी से फ़ैल रहा है. अबतक कई लोगों की इस बीमारी की चपेट में आकर मौत भी हो चुकी है. इस बीमारी को 'पिग इन्फ्लूएंजा' के नाम से जाना जाता है. सूअर (pig) के आसपास या संपर्क में रहने वाले लोगों को इस बीमारी के होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. आइये जानते हैं स्वाइन फ्लू के कारण, लक्षण और उससे बचने के उपाय के बारे में...

स्वाइन फ्लू क्या है? (What Is Swine Flu?)

स्वाइन फ्लू सांस से जुडी एक संक्रामक बीमारी है जिसे  H1N1 भी कहते हैं. इस बीमारी का वाहक  H1N1 इंफ्लूएंजा वायरस है. स्वाइन फ्लू जैसा की इसके नाम से ही जाहिर है कि यह सूअरों से फैलता है. एक बार कोई मनुष्य इसके संपर्क में आ जाता है तब यह एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. यह खतरनाक वायरस हवा के जरिये तेजी से फैलता है. संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से भी यह दूसरे लोगों में फैलता है.    

स्वाइन फ्लू के लक्षण व उपचार (Symptoms And Treatment Of Swine Flu) -

अगर साधारण फ्लू (सर्दी/जुकाम) है तो डरने की ज्यादा जरुरत नहीं होती लेकिन अगर खांसी या जुकाम बढ़े या बलगम में खून आए तो स्वाइन फ्लू की जांच जरुर कराएं. इस रोग में मरीज का ब्लड प्रेशर तेजी से कम होने लगता है तथा बुखार मांसपेशियों में दर्द, सर दर्द, कमजोरी आदि लक्षण नजर आने लगते हैं.

स्वाइन फ्लू से बचाव (Swine Flu Prevention) -

• ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों जैसे बस, मेट्रो, सिनेमाघरों आदि में सफ़र करने से यथासंभव बचना चाहिए.

• बीमार व्यक्तियों के करीब जाने से बचना चाहिए. जिन लोगों को सर्दी, खांसी या बुखार हुआ हो उनसे हाथ मिलाना या गले मिलने से बचना चाहिए.

• पूरी नींद लेनी चाहिए.

• ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए.

• सेहतमंद भोजन करना चाहिए.

• यदि आपको सर्दी या खांसी है तो खांसते या छींकते वक़्त रूमाल की जगह टिश्यु पेपर का इस्तेमाल करें. टिश्यु पेपर को ज्यादा देर तक अपनी जेब में ना रखे.

• आँखों पर बार-बार हाथ न लगाएं.

• यदि खांसी या जुकाम हो तो अपने मन से या मेडिकल स्टोर वाले की सलाह से खांसी की कोई भी दवा या सीरप न लें.

• हर दो-तीन साल में फ्लू का वैक्सीनेशन लगवाएं.

मधुमेह के रोगियों को ज्यादा खतरा -

एक अध्ययन से पता चला है कि मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. इसलिए उन पर साधारण फ्लू का अटैक ज्यादा हो सकता है. डायबिटीज बढ़ी होने पर स्वाइन फ्लू का सबसे ज्यादा असर लंग्स(फेंफडों) पर पड़ता है. किडनी फेल होने का खतरा भी ज्यादा बढ़ जाता है.

स्वाइन फ्लू और आयुर्वेद

आयुर्वेद में इस रोग का वर्णन लगभग 5000 वर्ष पुराना है जिसे वात्श्लेष्मिक ज्वर के रूप में वर्णित किया गया है. आयुर्वेद के मतानुसार यह एक संक्रमण जन्य रोग है जिसमें श्वसन तंत्र में भी विकार उत्पन्न हो जाता है.

आयुर्वेद के अनुसार स्वाइन फ्लू का चिकित्सा -

इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को आंवला, तुलसी, काली मिर्च, चिरायता, गिलोय, लहसुन एवं नीम की पत्तियों का रस अथवा चूर्ण शहद के साथ देना चाहिए. डायबिटीज के रोगियों में शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

घर में वातावरण शुद्ध करने के लिए नीम, कपूर, गाय का घी, हल्दी का धुंआ करना चाहिए. ऐसा करने से घर का वातावरण शुद्ध होता है तथा संक्रमण दूर होता है.

इस रोग में मरीज को विटामिन सी की कमी हो जाती है जिसको पूरा करने के लिए त्रिफला या ताजे आमले के जूस का प्रयोग करना चाहिए.

आयुर्वेद की कुछ औषधियों जैसे - त्रिभुवन कीर्ति रस, संजीवनी वटी, गोदन्ती भस्म, अभ्रक भस्म, मंडूर भस्म, कस्तूरी भैरव रस, जयमंगल रस, कफकेतु रस, लक्ष्मी विलास रस, तालीसादि चूर्ण, अमृतारिष्ट आदि औषधियों का प्रयोग करने से इस रोग में तेजी से लाभ मिलता है.

(कृपया उपरोक्त औषधियों का प्रयोग केवल आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में ही करें)

और पढ़े - स्वाइन फ्लू की चपेट में सुप्रीम कोर्ट के 6 न्यायाधीश

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।