By NS Desk | 12-Sep-2020
गठिया / वातरक्त (Gout)
अक्सर 40 वर्ष की आयु के लगभग होनेवाला जोड़ो का दर्द जो पैर के अंगूठे से शुरू होता है।उसके बाद किसी भी जोड़ में हो सकता है ,इसे गठिया दर्द कहते है । लगभग सभी गठिया के रोगियो में रक्त में मूत्राम्ल(uric acid) की मात्रा अधिक पाई जाती है।लगभग 90% मामलों में, रोगी में यूरिक एसिड की बढ़ने की वजह यूरिक एसिड का पेशाब के जरिये बाहर न निकल पाना होता है। आयुर्वेद में इस रोग का मुख्य कारण रक्त और वात दोषो की विकृति को बताया है।
लक्षण (कैसे पहचाने) :
ज्यादातर उंगलियो के जोड़ो में, अंगूठे के मूल में , पैर के अँगूठे और घुटनों में दर्द होना, उस स्थान पर गर्म स्पर्श, लालिमा व सूजन लगना
हल्का हलका ठन्डी के साथ बुखार रहना
रात में वेदना का बढ़ जाना
इस वात रोग में दर्द की शुरुवात छोटी सन्धियों से जैसे कि उंगलियो के जोड़ो से होती है।फिर धीरे धीरे बढ़कर शरीर के सभी जोड़ों में फैल जाती है ।
ऐसे रोगी के लिए हलचल करना मुश्किल होता है।
घुटनो पर केवल छूने मात्र से जोरदार ठप ठप स्वभाव में दर्द होता है।
गठिया के कारण :
गलत खान पान व असमय खानपान
उपवास अधिक करना
नियमित बासी भोजन खाना
ज्यादा मात्रा में नियमित तैलीय पदार्थ खाना
अत्यधिक ठंडी चीजे जैसे कुल्फी,कोल्ड्रिक, फ़ास्ट फूड,दही ,चावल इत्यादि खाना
व्यायाम बिल्कुल न करना या अतिमात्रा में व्यायाम करना
वयानुसर हड्डियों की गुणवता में कमी होना
भोजन के तुरंत बाद आराम करना
खाने में protein वाली चीजें जैसे मांस, मशरुम, शराब,गोभी ऐसी चीजें ज्यादा लेना।
वजन ज्यादा होने की वजह से सन्धियों पर भार ज्याद होना
कभी कोई चोट या आघात की सही तरिके से ईलाज न करना
महिलाएं यदि डिलीवरी के बाद डॉक्टर के बताए नियमो के पालन न करने की वजह से बार बारखाना ,अति मात्रा में या गलत चीजे खाना जिससे पाचन क्रिया बिगड़ कर वातरक्त या गठिया में परिवर्तित होजाता है।
ऐसे व्यक्ति धूमपान, मद्यपान करते है तो उनका रोग और बलवान होजाता है।
डॉक्टर को दिखाने का समय :
जब चलते समय जोड़ो में दर्द बहुत अधिक हो गया हो
चलने में उठकर बैठने में दर्द, सूजन आने पर या फिर जोड़ो की जगह पर वक्रता होगयी हो,तो तुरंत वैद्य या चिकित्सक के पास जाएं।
हल्का बुखार और जोड़ो का दर्द कई दिनों से हो और ठीक न हो रहा हो तो तुरंत चिकित्सक के पास जाए।
कौन-कौनसी जांच करवाना जरूरी :
X-ray- ग्रस्त सन्धियों का X-ray करवाना जरूरी है ,इससे यह पता लगेगा कि उस स्थान पर कोई विकृति तो नही हुई है।
RA फैक्टर- आमवात की निश्चिती करने के लिए
रक्त जांच- रक्त कमी, Uric Acid या अन्य कोई इंफेक्शन का पता लगाने के लिए।
Bone Mass Density. अस्थियों की गुणवता जांचने के लिए
पेशाब की जांच
गठिया से बचने के उपाय :
भोजन के नियमों का पालन करे
सही तरीके से नियमित व्यायाम करें
अपने शरीर प्रमाण व बल के अनुसार वजन बना कर रखे
कोई चोट लगी हो तो तुरंत अच्छे से उसका उपचार करवाये।
गठिया ठीक करने के लिए घरेलू उपचार :
गर्म पानी पिये
2 लीटर पानी मे 20 gm कुचला हुआ अदरक या 10 gm पिसी हुई शॉठ मिलाकर उबाले। जब आधा शेष रहे तो ठंडा होने पर पिये।
गिलोय इस रोग के लिए अति उतम बताया है। इसके काढ़े का इस्तेमाल करे
लहसुन 10-15gm, गुड़ 2gm चटनी बनाकर खाये
मेथी दाना,कलौंजी अजवायन चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह शाम ले।
अजवाइन को पानी मे पीस कर कुछ गर्म करके लेप करें।
सावधान, अगर इन सब का प्रयोग करने पर भी कुछ दिनों में आराम न मिलता हो तो तुरंत वैदय या डॉक्टर की सलाह ले।
आहार :
यह खाएं -हरा चना, जौ,(सावा), रक्ताशली, गेहूं, बकरी का दूध,गाय का दूध।
कुष्मांडा ,द्राक्षा, परवल, एरंड तेल, मक्खन,लौकी, सहिजन ,करेला, हींग,काली मिर्च, सेंधा नमक का सूप ,अरहर, मूंग, चाणक, मसूर
यह न खाए काला चना,मटर, पालक, आलू, मक्खन
दूध, दही, टमाटर, लाल मांस, ठंडे पेय, शराब, ठंडा पानी।
विहार :
नियमित हल्का व्यायाम करें। पैदल चले।
शरीर को गर्म रखे।
शरीर का भार अनुपात में रखे।
भोजन के तुरंत बाद या दिन में न सोयें।
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