By NS Desk | 06-Feb-2022
यरूशलम: कोविड संक्रमण से पहले कोरोना संक्रमण पीड़ित के शरीर में मौजूद विटामिन डी के स्तर का संक्रमण के कारण होने वाली गंभीर स्थिति और मौत के मामलों का सीधा संबंध है।
इजरायल में साफेद स्थिति बार-एलान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किये गये अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड संक्रमण से पहले शरीर में विडामिन डी का क्या स्तर रहा, इस तथ्य से संक्रमण की गंभीरता पर असर पड़ता है। इसके साथ ही विटामिन डी का संक्रमित व्यक्ति की मौत से भी संबंध है। यह शोध रिपोर्ट पीएलओएस वन पत्रिका में प्रकाशित हुई है।
विटामिन डी का हड्डियों कूे स्वास्थ्य के साथ संबंध है और इसका कम स्तर ऑटोइम्युन, कार्डियोवस्क्यूलर और संक्रामक बीमारियों को न्योता देता है। कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों को विटामिन डी लेने के लिए लोगों को उत्साहित किया। दरअसल यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है और इसी वजह से कोविड-19 से बचाव के लिए इसे अच्छा माना गया।
रिपोर्ट के मुताबिक जिन व्यक्तियों में विटामिन डी की कमी देखी गयी, उनके कोविड संक्रमित होने पर गंभीर होने की संभावना 14 गुणा बढ़ जाती है। इसी तरह जिन व्यक्तियों के शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मौजूद था, उनके कोरोना संक्रमित होने पर मृत्यु दर मात्र 2.3 प्रतिशत रही जबकि जिन कोरोना संक्रमितों में विटामिन डी का स्तर कम रहा, उनकी मृत्यु दर 25.6 प्रतिशत रही।
शोध अध्ययन की अगुवाई करने वाले यूनिवर्सिटी के गैलिली मेडिकल सेंटर और एजराइली फैकल्टी ऑफ मेडिसीन के एमिएल डरोर ने कहा कि शोध से पता चला है कि शरीर में विटामिन डी का स्तर सही रखने की जरूरत है। यह उन लोगों के लिए लाभदायक होगा, जो कोरोना संक्रमित हुये हैं। उन्होंने कहा कि विटामिन डी को लेने को लेकर स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी तथा वैश्विक स्वास्थ्य संगठन एकमत हैं।
शोध के दौरान अप्रैल 2020 और फरवरी 2021 के बीच गैलिली मेडिकल सेंटर में भर्ती हुए 1,176 मरीजों के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया। इन सभी मरीजों की पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव थी और शोध के लिए संक्रमण से दो सप्ताह पहले और दो सप्ताह बाद में इनके शरीर में मौजूद विटामिन डी के स्तर का अध्ययन किया गया। अध्ययन के दौरान आयु, लिंग, मौसम, लंबी बीमारी आदि कारकों को भी ध्यान में रखा गया।
शोध रिपोर्ट तैयार करने में शामिल रहे प्रोफेसर माइकल एडेलस्टाइन ने कहा कि यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि आखिर कुछ व्यक्तियों पर कोरोना संक्रमण का गंभीर असर क्यों होता है और कुछ पर क्यों नहीं होता। यह शोध इसी पहेली को सुलझाने की दिशा में किया प्रयास है। (एजेंसी)
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